10 अक्तू॰ 2008

गंगा तीरे वसुंधरा की गोद में समायीं सैकड़ों देवी मूर्तियां...

 

जागरण - याहू से साभार-

वह दृश्य गंगोत्री से लेकर गंगासागर तक लोगों के लिए प्रेरणास्पद रहा तो दकियानूसी को दरकिनार कर भागीरथी को निर्मल बनाने के संकल्प का अनूठा साक्षी भी। जागरण की पहल पर उत्तरवाहिनी गंगा के भिटौरा व नौबस्ता घाट पर पहली बार सैकड़ों देवी प्रतिमाओं को जल के बजाय भूमि विसर्जन हुआ। जिले के कोने-कोने से आयी प्रतिमाओं के साथ कई क्विंटल निष्प्रयोज्य पूजन सामग्री, फूल आदि को भी विशाल गड्ढों में डाल दिया गया।

जिले में गंगा प्रतिमाओं के विसर्जन में इस बार सब-कुछ बदला हुआ नजारा था। जल प्रवाह के घाट में सन्नाटा पसरा हुआ था। न तो नाव में मूर्तियां ले जाने की मारामारी और न ही मोक्षदायिनी की कल-कल बहती धारा में निष्प्रयोज्य पूजन सामग्री व प्रतिमाओं का बोझ डालने की होड़। दुर्गा मइया भी रहीं पुकार, मत रोको गंगा की धार। जैसे जयकारों के बीच देवी भक्त ढोल-ताशों के बीच नाचते-गाते भूमि विसर्जन स्थल की ओर बढ़ते जा रहे थे। देवी मां के साथ ही गंगा मइया के जयकारे लगे और प्रतिमाएं सुरसरि तीर पर वसुन्धरा की गोद में सहेज दी गयीं। इस अनुपम नजारे को देखने के लिये शहर के भी हजारों लोग पहुंचे। लंबे समय से चली आ रही परंपरा को तोड़ते हुए दुर्गा भक्तों ने गंगा मइया के अस्तित्व के लिये भूमि विसर्जन की अनूठी परंपरा की नींव डाल दी। भिटौरा घाट पर स्वामी विज्ञानानन्द आश्रम के बगल आधा सैकड़ा से अधिक दुर्गा प्रतिमाओं का भूमि विसर्जन हुआ। इसी प्रकार नौबस्ता घाट पर भी बड़ी संख्या में दुर्गा प्रतिमाएं विसर्जित की गयीं। दुर्गा प्रतिमा स्थापना के बाद यह पहला अवसर ही था जब विसर्जन वाले दिन गंगा के जल प्रवाह वाले घाटों पर पूरे दिन सन्नाटा पसरा रहा। अनजाने में एक-दो मूर्तियां ही गंगा में विसर्जित की गयीं, लेकिन उन देवी भक्तों को भी जब भूविर्सजन की पहल के बारे में जानकारी हुई तो उन्होंने भी आगे से गंगा में विसर्जन न करने का संकल्प लिया।

जागरण ने गंगा को बचाना है अभियान की शुरुआत की। एक से दो फिर तीन लोग जुड़ते गये और कारवां बनता गया। गंगा बचाओ अभियान में दशकों से लगे स्वामी विज्ञानानन्द जी जो एकला चलो से थकहार गये थे, उनके साथ भी गंगा बचाने वालों की फौज जुड़ गयी। जब लोगों को पता चला कि दुर्गा पूजा महोत्सव के बाद दुर्गा प्रतिमाओं व निष्प्रयोज्य पूजन सामग्री के विसर्जन से अकेले जनपद में ही सोलह सौ टन से अधिक की गंदगी प्रदूषण के रूप में गंगा में पहुंच रही है। इसे दुर्गा भक्त ही रोक सकते हैं तो भूमि विसर्जन के संकल्प का सिलसिला शुरू हो गया। जिले की एक सौ सात समितियों ने बाकायदा भूविसर्जन के लिए बाकायदा संकल्प पत्र भरा। स्कूली बच्चों ने बच्चों जहां गंगा रक्षा पर विभिन्न कार्यक्रम करके लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया, वहीं महिलाओं की मंडलियां भी गंगा को बचाने के लिए निकल पड़ीं। पितृ विसर्जन अमावस्या पर गंगा रक्षा मंच, विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल, नेहरू युवा संगठन, पर्यावरण संस्थान, स्वर्णा समिति, जन कल्याण महासमिति, ब्राह्माण चेतना मंच, अखिल भारतीय वैश्य एकता परिषद, स्काउट गाइड जैसे दर्जनों संगठनों ने एकजुट होकर गंगा को बचाने का संकल्प लिया। गंगा भक्त जागे तो प्रशासन भी चेता और गंगा में शव प्रवाह पर कड़ाई से रोक के फरमान जारी हुए। गंगा में मछली-कछुआ आदि का आखेट व निप्रयोज्य सामग्री का प्रवाह रोकने के लिए तटवर्ती गांवों की समितियां सक्रिय हुईं।



2 टिप्‍पणियां:
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  1. मैने आज ही यह ब्लाग देखा व मुझे फतेहपुर के बारे में व दैनिक जागरण के गंगा को बचाने के प्रयास के बारे में पता चला मै खुद भी दैनिक जागरण का हिस्सा रही हूं पर आजकल आनलाइन ही लिख पा रही हुं नदी ही नही अद्वभुत संस्कृति भी है गंगा । यह आलेख 1997.98 में मैने दैनिक जागरण पत्र के लिए ही लिखा था इसे मेरे ब्लाग पर विस्तार से पढें। इन प्रयासों को पढ मन में कुछ उम्मीदे जगी है कि इस नदी को शायद हम बचा पाये।

    सुनीता शर्मा
    स्वतंत्र पत्रकार
    ऋषिकेश
    visit my blog
    Ganga Ke Kareeb http://sunitakhatri.blogspot.com

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