24 नव॰ 2008

गौरवशाली प्रतिभा अलंकरण समारोह संपन्न

भृगुधाम भिटौरा के ओम घाट में रविवार को रौनक देखते ही बनी। जिले में पैदा हुई और देश के कोने-कोने नाम रोशन कर रहीं विभूतियों का यहां जमघट लगा। स्वामी विज्ञानानंद महाराज और वरिष्ठ साहित्यकार एवं कवि धनंजय अवस्थी ने गौरवशाली प्रतिभा अलंकरण समारोह की स्वयं कमान संभाली। संत और साहित्यकार दोनों की विभूतियों ने भूरि-भूरि प्रशंसा की। इसके बाद सभी 10 प्रतिभाओं को फूलमाला, शाल और प्रतीक चिन्ह भेंटकर अलंकृत किया गया।अलंकरण समारोह में शामिल होने के लिए आने और जाने वालों के लिए मुफ्त बस सेवा उपलब्ध रही। कई स्कूलों की आधा दर्जन बसों ने आने जाने वालों को यातायात सुविधा मुहैया कराई। अपरान्ह 11 बजे से शुरू हुए कार्यक्रम में भारी भरकम पांडाल सजाया गया। आमंत्रित सभी 21 विभूतियों की नेम प्लेटें लगाई गईं। इस मौके पर स्वामी विज्ञानानंद ने कहा कि सम्मान के कार्यक्रम की घोषणा करते हुए कहा कि सम्मान भावनाओं का समर्पण है। इसके बाद अनंतदास महराज ने परमानंद महराज को गुलाब की माला पहनाकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इसके बाद 10 जिले की और एक विदेशी विभूतियों को एक माला से जोड़कर सम्मानित किया गया। इसके बाद साहित्यकार एवं कवि के अलावा सुधाकर अवस्थी, सुनील श्रीवास्तव, हरिओम रस्तोगी आदि ने बारी-बारी से प्रतीक चिन्ह, बुके, शाल देकर सम्मानित किया। बाद में स्वामी विज्ञानानंद ने सभी विभूतियों के ओम का प्रतीक चिन्ह भेंट किया। इस दौरान समारोह में शामिल होने वालों के आने जाने का सिलसिला जारी रहा। आश्रम के पीछे नाश्ते और भोजन की व्यवस्था रही। सम्मानित होने वालों में स्वामी परमानंद महराज, राजेंद्र द्विवेदी, मिथलेश कुमार सविता, अरुण देव गौतम, डा. गिरीश कुमार शुक्ला, प्रो. मारिया, प्रदीप श्रीवास्तव, रमेश मिश्रा, डा. संकठा प्रसाद आदि रहे।

माटी में जन्मे और पढ़ लिखकर विभिन्न क्षेत्रों में बुलंदियों को छूने वाले माटी के लाल अपनों के ही सम्मान से गदगद हुये। देश के कोने-कोने में अपनी ख्याति अर्जित करने वाली इन हस्तियों ने यही कहा कि माटी का कर्ज चुकाने का यदि मौका मिला तो हम अपने को धन्य समझेंगे। जननी जन्म भूमिश्च स्वर्गादपि गरीयशी की भावना को दर्शाते हुये महानुभावों ने यह संकल्प लिया कि युवा बच्चों के बीच कुछ करके हम जिले के पिछड़ेपन को दूर करना चाहते हैं। काम कहीं भी करें लेकिन माटी की सोंधी खुशबू मिटती नहीं है, यही सपना रहता है कि अपने गांव घर और जिले के लिये क्या कर दिखायें। सभी ने यही कहा कि यदि कुछ करने का प्लेटफार्म दिया तो निश्चित तौर पर कुछ कर दिखायेंगे।

हिंदी उर्दू साहित्य के क्षेत्र में देश विदेश में ख्याति अर्जित करने वाले फतेहपुर शहर के जन्मे असगर वजाहत कहते हैं कि अपनों के बीच जो खुशी होती है वह और कहीं नहीं मिलतीयहीं की माटी में पढ़े-बढ़े हैं, आखिर यहां के लिये कुछ करने का संकल्प तो बहुत पहले से था लेकिन ऐसा कोई रास्ता नहीं मिल रहा था। इसके पूर्व भी माटी से माटी के वर्ष 2001 के समारोह में सबको एक साथ मिलने का मौका मिला था। पवित्र गंगा नदी के तट पर आयोजित यह समारोह हमारे उद्देश्य को पूरा करके दिखायेगा यह विश्वास है।

होम्योपैथी चिकित्सा में कानपुर में महानगर में स्थान बनाये असनी के लाल संकठा प्रसाद पांडेय कहते हैं कि नई पीढ़ी को बाहर बुलंदियों को छूने वाले माटी के लालों से जोड़ने की जरूरत है और उन्हें भी इस बात का जच्बा होना चाहिए कि वह अपने से बड़ों का मार्गदर्शन सीख लेकर आगे बढ़ें। उन्होंने कहा कि वह गंगा किनारे के असनी गांव के रहने वाले हैं। दोआबा की संस्कृति और संस्कार पूरे विश्व में कमाल दिखायें, यही मेरी शुभ कामना है।

शहर में ही जन्मे पुणे में आयकर निदेशक पद पर कार्यरत एजे खान कहते हैं कि घर परिवार में वर्षो से में यह चर्चा करता था कि अपनी माटी के लिये कुछ नहीं कर पा रहा हूं, पत्‍‌नी यही कहती थीं कि आप हमेशा कहते रहते हैं, कभी जाते नहीं। आखिर इस आयोजन से मेरा सपना पूरा हो गया है। अब हर वर्ष यहां आकर माटी के लिये कुछ करने के संकल्प को पूरा कर सकूंगा।

शहर के चंदियाना मोहल्ले में जन्मे इस समय दिल्ली में आईजी के पद पर कार्यरत प्रदीप श्रीवास्तव कहते हैं कि माटी से माटी का सम्मान यूं ही होता रहेगा तो कोई लाभ नहीं है। परिणाम क्या मिला, अगले वर्ष के समारोह में इसका जवाब चाहिए। एक वर्ष के दौरान इस माटी के लिये हस्तियों ने क्या किया है और क्या करना है, यह सब तय हो जाना चाहिए और यहां के लोगों को भी कुछ पाने के लिये अपने को तैयार होना पड़ेगा।

मलवां ब्लाक के आशा अभयपुर गांव में जन्मे छत्तीसगढ़ रायपुर में डीआईजी पद पर कार्यरत अरुण देव गौतम अपनों से मिलकर गर्व महसूस कर रहे हैं। वह कहते हैं कि मैं तो साल में दो बार गांव आता हूं, जन्मभूमि को स्वर्ग से भी बढ़कर सुखद माना गया है। उन्होंने कहा कि यदि जिले में कोई ऐसा मदद का प्लेटफार्म बन जाये तो वह यहां की युवा बच्चों को मार्गदर्शन के साथ हर तरह की मदद देने के लिये तैयार हैं।

गंगा किनारे आदमपुर गांव के डा. रमेशचंद्र मिश्र जो इस समय चंडीगढ़ हरियाणा में आईजी हैं, ने कहा कि बहुत से दिन ऐसा सोच रहे थे कि कोई ऐसा मंच मिले जिससे वह जिले के लोगों से जुड़ जायें। आखिर यह मौका मिल ही गया तो अब काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इसके लिये सबसे पहले हम सभी को शिक्षा और चिकित्सा क्षेत्र में काम करना होगा तभी हम नई पीढ़ी के बच्चों को बुलंदियों तक पहुंचाने में कामयाब हो पायेंगे।

सार्वजनिक उद्यम के डायरेक्टर पर तैनात गिरीशचंद्र शुक्ला जो कि खजुहा कस्बे में जन्मे हैं, कहते हैं कि गांव मजरों में प्रतिभाएं छिपी हैं, बस निखारने की जरूरत है। वह तो साल में दो-तीन बार गांव अवश्य जाते हैं। सबसे पहला प्रयास तो खेती को व्यावसायिक बनाने का जिले में प्रयोग किया जा सकता है। संपन्नता और खुशहाली आयेगी तभी हम बच्चों को अच्छी शिक्षा देकर आगे बढ़ा पायेंगे।

साहित्य के क्षेत्र में ख्याति अर्जित करने वाले डा. गिरीशचंद्र श्रीवास्तव कहते हैं कि कर्मभूमि भले ही कानपुर महानगर है लेकिन जन्मभूमि का लगाव कभी कम नहीं हो सकता है। जन्मभूमि में भी कर्म का मौका मिल जाये तो हम लोग अपने भाग्य को धन्य समझेंगे।

कृषि विशेषज्ञ औरेई के राजेंद्र प्रसाद दुबे उर्फ बड़े मुन्नू कहते हैं कि कृषि को व्यावसायिक दर्जा देकर खुशहाली संपन्नता लायी जा सकती है। उन्होंने कहा कि उनकी यह चाहत है कि हर किसान खुशहाल और प्रगतिशील बने और इसके लिये वह बराबर आलू की खेती के लिये किसानों को प्रोत्साहित कर रहे हैं।

विद्युत सुरक्षा के उपनिदेशक पद पर तैनात अल्लीपुर मौहार के प्रो. मिथलेश कुमार सविता कहते हैं कि नौकरी तो केवल जीविकोपार्जन के लिये कर रहे हैं लेकिन समाज के लिये कुछ करने की चाहत है। वह सप्ताह में दो दिन फतेहपुर में रहते हैं कि चाहते हैं कि नि:शुल्क कोचिंग करके प्रतिभाओं को आगे बढायें

23 नव॰ 2008

माटी से माटी के अभिनंदन के कार्यक्रम की तीसरी श्रंखला

।। जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी।।

जन्मभूमि की सोंधी माटी की महक आखिर किसको नहीं भाती है। रविवार को भिटौरा के ओम घाट में उस दृश्य का नजारा देखने को मिलेगा जिसमें इसी माटी में खेल व पढ़कर देश और दुनियां में नाम रोशन करने वाली विभूतियां अपने ही लोगों से मिलेंगी और इस माटी का कर्ज कैसे चुकायें इस पर भी चर्चा करेंगे। खास बात यह है कि विभिन्न क्षेत्रों में बुलंदियों को छूने वाले यह महानुभाव नई पीढ़ी से रूबरू होकर उन्हें आगे बढ़ने की सीख ही नहीं बल्कि उनका हाथ थामकर कुछ कर दिखाने का जज्बा देंगे।

स्वामी विज्ञानानन्द जी के मार्गदर्शन पर रविवार को भिटौरा के ओम घाट में हो रहे गौरवशाली प्रतिभाओं के सम्मान समारोह की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए संयोजक मण्डल के धनंजय अवस्थी, आचार्य विष्णु शुक्ला, सुनील श्रीवास्तव, प्रदीप श्रीवास्तव ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि माटी से माटी के अभिनंदन के कार्यक्रम की यह तीसरी श्रंखला है। पतित पावनी उत्तरवाहिनी गंगा के ओम घाट के तट पर यह कार्यक्रम आयोजित किया गया है। सुबह दस बजे विभिन्न क्षेत्रों में नाम रोशन करने वाली अठारह विभूतियां भिटौरा घाट पहुंच जायेंगी जो हाईस्कूल व इण्टर के ग्रामीण बच्चों से रूबरू होंगे। नई पीढ़ी की प्रतिभाओं को निखारने की यह अनूठी पहल माटी के ही लाल शुरू कर रहे हैं और वह माटी के ही लालों को अब आगे ले जायेंगे। बारह से अभिनंदन समारोह का कार्यक्रम शुरू होगा जिसमें महामंडलेश्वर परमानंद जी महाराज जी का आशीर्वचन होगा। शहर के चंदियाना मोहल्ले में जन्मे प्रदीप श्रीवास्तव जो इस समय दिल्ली पुलिस में आईजी हैं ने पत्रकारों को बताया कि दिल्ली में जोनिहां निवासी विकास प्राधिकरण के उप निदेशक शैलेन्द्र सिंह परिहार के संयोजकत्व में फतेहपुर फोरम तैयार किया गया है। दिल्ली में स्थापित फतेहपुर फोरम के तार माटी से जोड़कर आगे बढ़ाने का काम किया जायेगा। अपने आप में हो रहे इस अनूठे कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य फतेहपुर के पिछड़ेपन को दूर कर किस तरह से विकास के पथ पर लाया जाये। विशेषकर शिक्षा, स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने के लिये माटी के ही लालों का सहयोग लेने की एक कार्ययोजना तय की जानी है।

22 नव॰ 2008

सीवर लाइन का प्रस्ताव तैयार कराकर शासन को भेजा

नगर पालिका परिषद जलनिकासी समस्या के स्थाई निराकरण के लिए गंभीर है। इसके तहत परिषद प्रशासन अभी हाल ही में 163.71 लाख का सीवर लाइन का प्रस्ताव तैयार कराकर शासन को भेजा है। अधिशासी अधिकारी अरुण कुमार गुप्ता का कहना है कि अच्छी पहल करके इस बार सीवर लाइन निर्माण के लिए बजट अवमुक्त करा लिया जाएगा।मालूम हो कि शहर की जलनिकासी समस्या का फिलहाल कोई पुरसाहाल नहीं है। घरों का गंदा पानी निकलने की व्यवस्था नहीं होने के कारण सड़कों में गंदा पानी भरता रहता है जिससे सड़कें बर्बाद हो जाती है। इतना ही नहीं बारिश में भीषण बरसात के कारण जलभराव से निपटने के लिए नगर पालिका परिषद को लाखों के वारे न्यारे करने पड़े। लगातार महीनेभर से अधिक समय तक दो दर्जन डीजल पंपिंग सेट और मोटर पंप लगाकर जल निकासी करना पड़ा। ऐसी स्थिति में इस बार परिषद ने जलनिकासी की समस्या को गंभीरता से लिया है।
वैसे तो शहर में सीवर लाइन निर्माण के प्रस्ताव कई बार शासन को भेजे जा चुके हैं। एक बार तो निर्माण को हरी झंडी भी मिल चुकी है, लेकिन ......

तत्कालीन प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह का तख्ता पलट होने के साथ सीवर लाइन निर्माण का काम अधर में अटक गया था। खास बात तो यह रही कि कुछ दिन बाद निर्माण कराने के लिए आया बजट भी वापस चला गया था। ऐसी हालत में एक बार फिर चेयरमैन अजय अवस्थी ने प्रस्ताव तैयार कराकर शासन स्तर पर पहले करने की जिम्मेदारी ईओ अरुण कुमार गुप्ता को सौंपी है। ईओ ने बताया कि प्रस्ताव शासन में पहुंच गया है। उन्हें विश्वास है कि इस बार सीवर लाइन निर्माण के लिए बजट अवश्य आवंटित हो जाएगा।

शहरवासियों को जल्द ही गंदगी की समस्या से निजात

शहरवासियों को जल्द ही गंदगी की समस्या से निजात मिलने वाली है। इसके लिए नगर पालिका परिषद के सालिड वेस्ट परियोजना के लिए शासन से हरी झंडी मिल गई है। केंद्र सरकार ने 9 करोड़ 37 लाख 93 हजार का बजट स्वीकृत कर दिया है। पहले चरण में कुल बजट का 75 फीसदी अवमुक्त भी हो चुका है। नए साल में परियोजना का काम चालू हो जाएगा।नगर पालिका परिषद के चार साल शुरू किए गए प्रयासों के सार्थक परिणाम आने लगे हैं। पूर्व बोर्ड के कार्यकाल में सालिड वेस्ट परियोजना का प्रस्ताव बनाकर केंद्र सरकार को भेजा गया था। इसमें 80 फीसदी धनराशि केंद्र्र सरकार और 10-10 फीसदी अंश धनराशि राज्य और निकाय को देने का प्रावधान था। परियोजना स्वीकृत कराने के लिए तीन-चार महीने पहले से प्रयास शुरू किए गए जिसके तहत केंद्र ने परियोजना को हरी झंडी दे दी है। परियोजना का उद्‌देश्य शहर को साफ सुथरा बनाना है। इसके तहत प्रथम दृष्टया नगर पालिका परिषद ने भी तैयारी शुरू कर दी है जिसके तहत मलाका के समीप 5 एकड़ जमीन भी चिह्नित कर ली गई है। पूरे शहर का कूड़ा कचरा डंपरों से चिह्नित स्थल पर पहुंचाया जाएगा जिससे कंपोस्ट खाद तैयार की जाएगी। इस परियोजना के तहत नगर पालिका परिषद के सफाई विभाग को संसाधनों से मजबूत किया जाएगा। साथ ही आधा दर्जन घरों के बीच कूड़ादान लगाए जाएंगे। रोज सुबह सफाई कर्मचारी रिक्शा ठेला लेकर कूड़ा लादने पहुंचेगा। इसके बाद डंपरों में भरकर निर्धारित स्थान पर पहुंचाया जाएगा जहां नष्ट न होने वाली वस्तुओं को जमीन के नीचे काफी गहराई में दबा दिया जाएगा, जबकि शेष की कंपोस्टिंग की जाएगी। नगर पालिका परिषद के अधिशासी अधिकारी अरुण कुमार गुप्ता का कहना है कि केंद्र सरकार ने पहले चरण में इस परियोजना की 7 करोड़ 50 लाख 34 हजार की धनराशि राज्य सरकार को अवमुक्त कर दी है। जल्द ही यह धनराशि नगर पालिका परिषद के खाते में आ जाएगी। उन्होंने बताया कि सालिड वेस्ट परियोजना चालू हो जाने से शहर सफाई व्यवस्था के मामले पूरी तरह से मजबूत हो जाएगा। नए साल में परियोजना शुरू हो सकती है। क्योंकि शासन से इस आशय का पत्रक मिलते ही नगर पालिका परिषद ने तैयारी भी शुरू कर दी है। बजट मिलते ही काम शुरू कराने में विलंब नहीं किया जाएगा।

19 नव॰ 2008

यात्रियों के बैठने तक की उचित व्यवस्था नहीं

भारतीय रेलवे अपने यात्रियों को अपना अतिथि समझता है और उन्हें उस योग्य सुविधायें मुहैय्या कराना भी अपना फर्ज समझता है किन्तु रेलवे स्टेशन फतेहपुर, रेलवे के इस विचार से इत्तेफाक नहीं रखता। तभी तो यात्रियों के बैठने तक की उचित व्यवस्था यहां नहीं है।

रेलवे चाहता है कि यात्रा करने के लिये आने वाले आगन्तुक जब स्टेशन आयें तो उन्हें किसी तरह की दिक्कत का सामना न करना पड़े। घर से आ जाने और गाड़ी मिलने तक के बीच के समय को यात्री सुविधानुसार आराम से बिता सकें। समय बिताने और लाये गये सामान को सुव्यवस्थित ढंग से रखने व उठने बैठने के लिये प्रतीक्षालय बना है। किन्तु यहां आने वाला आगन्तुक उस वक्त हैरान रह जाता है जब उसे बैठने के लिये उपयुक्त स्थान तक नहीं दिखता है। साथ लाया सामान तो फर्श तो पर रखा जा सकता है पर खुद कहां बैठे उसे यह नहीं समझ में आता। अगर आगन्तुक के साथ कोई महिला, बच्चा, बूढ़ा या बीमार है तो उसकी मुश्किल उस वक्त और बढ़ जाती है कि उन्हें कहां बैठाये। दुर्भाग्य से गाड़ी अगर विलम्बित है तो समय चहलकदमी करते ही बीतेगा। जनपद मुख्यालय के इस स्टेशन में उपयुक्त प्रतीक्षालय तक नहीं है जो है उसमें केवल एक बेंच पड़ी है जिसमें आठ दस लोग बैठ सकते हैं।

जनहित में उपरिगामी सेतु का निर्माण आवश्यक

हरिहरगंज रेलवे क्रासिंग पर बनने वाले उपरिगामी सेतु के संबंध में बीते कई महीनों से चल रहा समर्थन विरोध का सिलसिला अब थमेगा। रेलवे ने इस पुल को बनवाने के संबंध में निर्णय ले लिया है और तत्संबंधी कार्य भी शुरू हो गये हैं।

महीनों से चल रही अटकलें अब खत्म हो जायेंगी रेलवे ने किसी भी तरह के विरोध या समर्थन को दरकिनार करते हुए फैसला कर लिया है कि जनहित में उपरिगामी सेतु का निर्माण आवश्यक है। रेलवे सूत्रों ने बताया कि सेतु निर्माण शुरू करने के पहले की कार्यवाही शुरू कर दी गयी है जिसके अंतर्गत जमीन की नाप जोख चल रही है। पानी की सुविधा की व्यवस्था भी की जा रही है। जल्द ही निर्माण कार्य शुरू हो जायेगा जो कि रेलवे व उत्तर प्रदेश सरकार के सेतु निगम द्वारा संयुक्त रूप से बनाया जायेगा। बताया कि सेतु कैसा बनेगा इसके संबंध में कोई निर्णय अभी प्रकाश में नहीं आया है।

17 नव॰ 2008

मिड डे मील योजना का संचालन जनप्रतिनिधियों से छीनने का निर्णय

बेसिक शिक्षा विभाग ने नगर क्षेत्र में मिड डे मील योजना का संचालन जनप्रतिनिधियों से छीनने का निर्णय लिया है। अगले महीने से शहर के कुल 40 प्राइमरी स्कूलों के 3402 बच्चों को स्वयं सेवी संस्थाएं भोजन का वितरण करेंगी। इसके लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गईं हैं। जिलाधिकारी सौरभ बाबू के आदेश पर बेसिक शिक्षा विभाग ने आवेदन मांगा हैं, 38 संस्थाओं ने आवेदन किया है। इन संस्थाओं में बहुतायत गैर जिलों से संबंध रखती हैं।मालूम हो कि नगर पालिका परिषद क्षेत्र में कुल 40 शिक्षण संस्थाओं में मिडडे मील योजना के तहत दोपहर का भोजन वितरित करने की व्यवस्था है। इनमें 9 वैकल्पिक शिक्षा केंद्र और शेष प्राइमरी स्कूल हैं। इन सभी में 3402 बच्चों को भोजन परोसने की जिम्मेदारी सभासदों को दी गई, जिसके लिए 100 ग्राम प्रति बच्चे के हिसाब से खाद्यान्न और दो रुपए कनवर्जन कास्ट दिया जाता है। इसके बावजूद अधिकांश विद्यालयों में भोजन का वितरण पूरी तरह से अभिलेखों तक सीमित है।
ऐसी हालत में बेसिक शिक्षा विभाग ने सभी विद्यालयों में भोजन वितरण कराने के लिए स्वयंसेवी संस्थाओं को जिम्मेदारी सौंपने का निर्णय लिया। इसके लिए सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली गईं हैं। मिडडे मील योजना का क्रियान्वयन करने के लिए कुल 38 स्वयं सेवी संस्थाओं ने आवेदन किया है। एक बार सभी पत्रावलियां डीएम के समक्ष पेश की गईं हैं, लेकिन इनमें अनुभव प्रमाण पत्र न होने के कारण उन्होंने वापस कर दिया था। अगले हफ्ते सभी पत्रावलियां अनुभव प्रमाण पत्र के साथ डीएम के समक्ष पेश की जाएंगी। ऐसी हालत में साफ है कि अगले सप्ताह किसी संस्था को यह जिम्मेदारी सौंप दी जाएगी।
बेसिक शिक्षा अधिकारी राजकुमार पंडित का कहना है कि किसी भी योजना का क्रियान्वयन जिलाधिकारी के दिशा निर्देश पर कराया जाता है। मिडडे मील योजना के क्रियान्वयन में गड़बड़ी को देखते हुए डीएम ने यह जिम्मेदारी स्वयं सेवी संस्थाओं को सौंपने का निर्णय लिया है। इसके लिए सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं। संबंधित पत्रावलियां तैयार हैं। जल्द ही पत्रावलियां अधिकारी के समक्ष पेश कर दी जाएंगी।

( समाचार साभार - अमर उजाला )

विसर्जन तो पहले भी होता था .......

विसर्जन तो पहले भी होता था, लेकिन तब अलग-अलग लोग अपने घरों से गणेश-लक्ष्मी की मूर्तियां लाकर चुपचाप गंगा मां की गोद में डाल देते थे। जागरण की पहल पर पहली बार चेतना जागी तो गली-मुहल्लों में लोग घर-घर से मूर्तियों का संग्रह करने निकले। गंगा मैया के इन सपूतों ने बाकायदा भव्य यात्रा निकालकर संग्रहीत करीब 20 हजार मूर्तियों का गंगा तीरे भूविसर्जन किया तो मैया के आंचल को दूषित करने वाला एक और मिथक समाधिस्थ हो गया।

दैनिक जागरण के गंगा बचाओ अभियान का असर यह रहा कि पहली बार गंगा में प्रवाहित की जाने वाली लक्ष्मी, गणेश की मूर्तियों का भूमि विसर्जन कर एक मिसाल प्रस्तुत की गयी।


इन मूर्तियों का वजन बीस टन से अधिक था। गंदगी गंगा में पहुंचने से रोकी गयी। मूर्ति संकलन के अभियान में लगे कार्यकर्ताओं के चेहरे उस समय खुशी से खिल उठे जब पांच ट्राली मूर्तियां एक साथ एक बड़े गड्ढे में विसर्जित की गयीं। अविरल गंगा, निर्मल गंगा के जयकारों के बीच कार्यकर्ता एक-एक लक्ष्मी, गणेश की मूर्ति को गड्ढे में सहेजते रहे। इस तरह से तकरीबन बीस हजार मूर्तियां एक बड़े क्षेत्रफल में तैयार किये गये गड्ढे में विसर्जित की गयीं। पहले मूर्तियों को संगम के जल से स्नान कराया गया फिर चंदन, अक्षत, फूल माला से पूजा, अर्चना करने के बाद आरती की गयी। स्वामी विज्ञानानन्द जी की मौजूदगी में ओम घाट में जहां पर दुर्गा प्रतिमाओं का भूमि विसर्जन किया गया था उसी के बगल में लक्ष्मी, गणेश की पुरानी मूर्तियों का भूमि विसर्जन हुआ। लक्ष्मी, गणेश की पुरानी मूर्तियों की महाविसर्जन यात्रा सुबह से ही शुरू हो गयी थी। आठ बजे से कार्यकर्ता संकलित स्थानों पर जा-जाकर मूर्तियां ट्रैक्टर की ट्राली में रखते रहे। दोपहर बारह बजे पांच ट्राली मूर्तियां जब संकलित हो गयीं तो अलग-अलग संगठनों के बैनर तले यात्रा निकाली गयी। जिस मार्ग से लक्ष्मी, गणेश कर रहे पुकार, मत रोको गंगा की धार, हम सबने यह ठाना है गंगा को बचाना है के जयकारों के साथ यात्रा निकली। महिलायें व बच्चे संकलित स्थानों पर आकर कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ाते रहे और हाथ बंटाकर मूर्तियों को ट्रैक्टर ट्राली में रखवाने में सहयोग करते रहे। आगे पढने के लिए यहाँ क्लिक करें

16 नव॰ 2008

अभिनंदन एवं अलंकरण सम्मान समारोह 23 नवंबर को भृगुधाम भिटौरा में

जिले की माटी में जन्मे ऐसे लोग जो अपनी प्रतिभा एवं कर्मठता के बल पर जिले का मान बढ़ाया है। ऐसी कई नामचीन प्रतिभाओं का अभिनंदन एवं अलंकरण सम्मान समारोह 23 नवंबर को भृगुधाम भिटौरा में आयोजित किया गया है। जहां विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रही बाइस प्रतिभाओं को सम्मानित किया जाएगा। यह जानकारी आयोजक समिति के पदाधिकारियों ने एक वार्ता में दी।स्वामी विज्ञानानंद की प्रेरणा से पतित पावनी गंगा के तट पर स्थापित तपोवन आश्रम में आयोजित अलंकरण समारोह में

एजे खान निदेशक आयकर पुणे, शारदा प्रसाद आईएएस, प्रो. डीपी तिवारी पूर्व वाइस चांसलर मेरठ, आईपीएस रमेशचंद्र मिश्र, अशोक कुमार बाजपेई संयुक्त कमिश्नर वैट सीतापुर, सुभाष चंद्र पटेल आईएएस, अरुण देव गौतम आईपीएस, आरपी शुक्ल आईएएस, प्रो. असगर वजाहत साहित्यकार, प्रदीप श्रीवास्तव आईपीएस, गिरीशचंद्र शुक्ल पीसीएस, सूर्यकुमार आईपीएस के अलावा संकटा प्रसाद पांडेय, एके सिंह, दीनानाथ श्रीवास्तव, पुरुषोत्तमदास ओमर, शिवकुमार दीक्षित, राजेंद्र सिंह यादव, राजेंद्र द्विवेदी जैसे विभिन्न क्षेत्रों में एक मुकाम हासिल करने वाले गणमान्यों को सम्मानित किया जाएगा।

कार्यक्रम संयोजक धनंजय अवस्थी ने बताया कि जनपद के विभिन्न क्षेत्रों में जन्मे इन व्यक्तित्वों को सम्मानित करने का मकसद लोगों को जनपद के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी उपलब्ध कराने का है। इसलिए ज्यादा से ज्यादा लोगों को कार्यक्रम में शिरकत करना चाहिए। उन्होंने बताया कि कार्यस्थल तक पहुंचने के लिए वाहन की सुविधा पक्का तालाब से उपलब्ध रहेगी। स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती ने बताया कि कार्यक्रम की अध्यक्षता महामंडलेश्वर स्वामी परमानंद गिरि करेंगे। उन्होंने संबंधित गणमान्यों से जुड़ी सामग्री उपलब्ध कराने की अपील की है। जिससे कार्यक्रम को और रोचक बनाया जा सके। यह कार्यक्रम पूर्व में आयोजित किए गए माटी से माटी कार्यक्रम का नया रूप है, जिसके जरिए जिले की प्रतिभाओं को एक मंच प्रदान किया जाता रहा है।


13 नव॰ 2008

बीस हजार पुरानी लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां चिन्हित स्थानों पर पहुँची

नव उज्जवल जलधार हार हीरक सी सोहति, बिच-बिच छहरति बूंद मध्य मुक्तामनि सोहति। भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की इन पंक्तियों में मां भागीरथी का जो स्वरूप दर्शाया गया उसे लाने के लिये भक्तों के कदम आगे बढ़ गये हैं। सदियों से करोड़ों लोगों को मोक्ष देने वाली मोक्षदायिनी को प्रदूषण से मुक्ति दिलाने के लिये युवा हों या महिलायें, बच्चे व बूढ़े भी सजग प्रहरी बनकर हाथ बढ़ा रहे हैं। पतित पावनी की उज्जवल धार मैली न हो इसके लिये लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियों का जलप्रवाह रोकने के दैनिक जागरण द्वारा चलाये जा रहे अभियान के छठे दिन तीन हजार से अधिक मूर्तियां संकलित की गयीं। अब तकबीस हजार पुरानी लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां चिन्हित स्थानों पर पहुंच गयी हैं। गंगा को बचाना है। यह बात अब घर-घर पहुंच गयी है

तभी तो मूर्तियों के भू विसर्जन में महिलायें व बच्चे आगे आ रहे हैं। लक्ष्मी, गणेश की पुरानी मूर्तियों के पंद्रह नवंबर तक संकलन के अभियान में एक कड़ी उस समय और जुड़ गयी जब अहमद गंज की महिलायें जागरण की प्रेरणा से घर से निकलकर मूर्तियां संकलित करने में जुट गयीं। आगे पढने के लिए यहाँ क्लिक करें

गंगा बचाओ अभियान नए मुकाम पर

एक माह पहले दैनिक जागरण द्वारा शुरू किये गये गंगा बचाओ अभियान बुधवार को ऐसे मुकाम पर पहुंच गया कि भक्तों का सैलाब श्मशान घाट की गंदगी को साफ कर गंगा को अविरल व निर्मल रखने का संकल्प लिया। हर-हर गंगे, जय-जय गंगे के गगनभेदी उद्घोष के सा भिटौरा के श्मशान घाट की सफाई के लिये संत हों या आमजन सबने हाथ बंटाया। शवों की गंदगी से कराह रहीं मोक्षदायिनी उस समय मुस्कुरा उठीं जब शवों के कपड़ों व गंदगी की सड़ांध को बाहर कर झाड़ू लगाकर श्मशान घाट को लकालक कर दिया गया। सदियों से सबको तार रहीं गंगा के प्रदूषण को दूर करने के लिये जिस तरह से लोगों में उमंग व उल्लास झलका उससे गांव के भी लोग आकर इस अभियान में हाथ बटाने लगे। हिन्दू महासभा ने शंख ध्वनि के साथ सफाई अभियान की शुरुआत की। बाद में तिराहे में जनसभा का गंगा को बचाने के लिये क्या करें इसकी सीख दी। इस पहल में संतों की भूमिका अग्रणी रही। तभी तो संत सफाई करने के साथ यह जयकारे लगा रहे थे कि संतों ने अब ठाना है गंगा को बचाना है।

कार्तिक पूर्णिमा के एक दिन पहले मोक्षदायिनी गंगा के श्मशान घाट में झाड़ू फावड़ा के साथ अखिल भारत हिन्दू महासभा के बैनर तले सैकड़ों गंगा भक्त पहुंच गये। ऐसे घाट में जहां हमेशा वीरानगी दिखती है शव के अग्निदाह व प्रवाह के अलावा घाट की तरफ कोई झांकता भी नहीं है वहां की गंदगी को साफ करने के लिये जैसे ही

महासभा के प्रदेश सचिव मनोज त्रिवेदी ने शंख ध्वनि की। संतों की टोली सहित कार्यकर्ता सफाई अभियान में लग गये। शव के कपड़ों, लकड़ी आदि की सड़ांध को कार्यकर्ता गंगा तट के बाहर एक जगह संकलित किया बाद में आग लगायी और इस कचरे को जमीन के नीचे गड्ढा कर दबा दिया। स्थिति यह थी कि श्मशान घाट में चार ट्राली से अधिक गंदगी इकट्ठा की गयी। पांच घंटे तक कार सेवा कर संत व हिन्दू महासभा के कार्यकर्ता व दैनिक जागरण स्टाफ के लोग घाट को लकालक कर दिया। चूने के छिड़काव के साथ गंगा के पाट में झाड़ू लगाकर गंगा बचाओ अभियान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।

पहली बार श्मशान घाट की इस तरह की सफाई देख वहां के गंगा पुत्र व गांव के लोग भी दांतों तले अंगुली दबा ली। आखिर शहर के लोगों के अन्दर गंगा को बचाने का इस तरह का जुनून आ गया है कि वह गंगा किनारे पड़ी हड्डियों, मानव अंगों को भी बिन-बिनकर साफ कर रहे हैं। पान मसाला की खाली पुलिया, पालीथीन, जली लकड़ी का कोयला, अधजली लकड़ियां, बांस, कुशा, कंडा, मटकी सहित अन्य गंदगी को गंगा भक्त ऐसे तलाशते रहे जैसे वह इस नेक कार्य में किसी तरह की भूल नहीं करना चाहते। अग्निदाह में गंगा तट पर बालू में गड़ी लकड़ियों को भी संतों ने अपने त्रिशूल की धार से खोदकर बाहर किया। उमंग व उल्लास का आलम यह रहा कि पसीना बहाते हुए काम भी कर रहे थे और सुरसरि का मुखड़ा झांककर हर-हर गंगे, जय-जय गंगे के उद्घोष भी कर रहे थे। तन्मयता के साथ गंगा मइया को बचाने का जो दृश्य भक्तों ने प्रस्तुत किया उसे देखकर शव दाह कार्यक्रम में आये लोग भी अपने को नहीं रोक पाये और वह भी अभियान में शामिल होकर आसपास की गंदगी को बाहर करने लगे। प्रदूषण से कराह रहीं गंगा भक्तों का समर्पण देख मुस्कराने लगीं। ऐसा लग रहा था कि मंद-मंद धार से हिलोरे ले रहीं गंगा उस स्थान पर रुक कर अपने पुत्रों की सेवा भाव को निहार रही हैं। तभी तो सफाई करने के साथ भक्त गंगा को निहारते और फिर जयकारे लगाकर यह कहते कि संतों ने भी अब यह ठाना है, गंगा को बचाना है। समर्पण और भक्ति में सेवा के झलकते भाव से गंगा प्रहरी अपने को धन्य मान रहे हैं कि इस पुण्य कार्य में कुछ तो हाथ बंटाने का मौका मिला। हिन्दू महासभा की वाहनों सहित गंगा बचाओ यात्रा शहर के आईटीआई रोड स्थित कार्यालय से निकली। गंगा मइया के उद्घोष के साथ यात्रा पटेलनगर से पथरकटा चौराहा होते हुए बिन्दकी बस स्टाप होते हुए बाकरगंज, पक्का तालाब से भिटौरा घाट पहुंची। श्मशान घाट में झाड़ू फावड़ा के साथ श्रमदान करने वाले संतों में स्वामी स्वरूप महाराज, रामआसरे आर्य, गया प्रसाद, सूरजबली, राकेश प्रसाद, हिन्दू महासभा के जिलाध्यक्ष रामगोपाल शुक्ला, जिला मंत्री करन सिंह पटेल, देवनाथ धाकड़े, उमाकांत तिवारी, गंगा प्रसाद साहू, प्रेमसागर मौर्य, कमलाकांत तिवारी, रमेश बाल्मीकि, रजोली पाल, जितेन्द्र पटेल आदि रहे।

दैनिक जागरण फतेहपुर कार्यालय के स्टाफ के लोगों ने भी श्रमदान कर गंगा किनारे प्रवाहित की गयी सड़ रही दुर्गा प्रतिमाओं को तट से बाहर किया और आग लगाकर गंदगी दूर की। मनोज मिश्रा की अगुवाई में कार्यालय के गोविन्द दुबे, जयगोपाल शुक्ला, योगेन्द्र पटेल, मनभावन अवस्थी, प्रशांत द्विवेदी, बबलू मौर्य, अनिल बाजपेयी, रवीन्द्र प्रताप सिंह, घनश्याम, विनय द्विवेदी, अजय दीक्षित, राजेन्द्र, जगपाल यादव आदि लोग लगे रहे।

शमशान घाट की सफाई के बाद भिटौरा में गंगा बचाओ की नुक्कड़ सभा में स्वामी विज्ञानानन्द जी ने कहा कि यह सोचना गलत है कि मूर्तियों व निष्प्रयोज्य पूजन सामग्री फेंकने से कितनी गंदगी होती है। बूंद-बूंद से घट भरने वाली बात गंगा प्रदूषण पर भी प्रभावी हो रही है। थोड़ी-थोड़ी गंदगी ने बड़ा रूप ले लिया है तभी तो अविरल और निर्मल रहने वाली गंगा की धार संकट में पड़ गयी है।

स्वामी जी ने गंगा भक्तों का आह्वान किया कि गंगा में जाने वाले नाले बंद कराये जायें। हिन्दू महासभा के प्रांतीय सचिव मनोज त्रिवेदी ने ऐलान किया कि अगले अभियान में अब गंगा में गिरने वाले नाले पाटे जायेंगे। उन्होंने कहा कि गांव का हो या फैक्ट्रियों का गंदा पानी भागीरथी की गोद में नहीं जाने पायेगा इसकी हम सब सौगन्ध खाते हैं। गंगा, गायत्री और गाय भारतीय संस्कृति की धरोहर हैं उनको भी यदि हम न बचा पाये तो हमारा जीवन ही निरर्थक है और देश की पहचान भी समाप्त हो जायेगी। अन्य संतों ने समाज का आहवान किया कि हम यह संकल्प लें कि मोक्षदायिनी गंगा का एक-एक बूंद अमृत के समान हैं और इस अमृतमयी पानी को हम प्रदूषित नहीं होने देंगे। गांव-गांव में जागरूकता अभियान चलाकर गंगा भक्तों को बताया जायेगा कि गंगा में डुबकी तो लगायें, लेकिन कपड़े न धोयें।

(समाचार स्त्रोत- दैनिक जागरण)

11 नव॰ 2008

राजकीय महिला महा विद्यालय बिंदकी स्नातकोत्तर स्तर पर उच्चीकृत

बिंदकी क्षेत्र की छात्राओं एवं अविभावकों के लिए खुशखबरी है। अब स्नातकोत्तर शिक्षा के लिए भटकना नहीं पडे़गा। चूंकि राजकीय महिला महा विद्यालय बिंदकी को स्नातकोत्तर स्तर पर उच्चीकृत कर दिया गया है।लम्बे समय के बाद राजकीय महिला महा विद्यालय में छात्राओं को स्नातकोत्तर की शिक्षा मिल सकेगी। अभी तक स्नातक की शिक्षा के बाद संस्थागत स्नात्कोत्तर की डिग्री के लिए छात्राओं के साथ-साथ अविभावकों को भी भटकना पड़ता था। अधिकांश अविभावक



महानगरों का खर्च न उठा पाने के कारण पढ़ाई बंद करा देते थे। कुछ छात्राएं अपनी स्नातकोत्तर की डिग्री पाने के लिए व्यक्तिगत फार्म भर कर पूरा करती थी। किंतु अब ऐसा नहीं होगा। राजकीय महिला महा विद्यालय को हिंदी समाजशाष्त्र, राजनीतिशास्त्र विषयों में स्नातकोत्तर स्तर पर अंग्रेतर स्थाई सम्बद्धता प्राप्त हुई है। धन एवं पदों के सृजन की व्यवस्था वर्ष 2006 में कर दी गयी थी। विद्यालय प्राचार्य ऊधव राम ने कहा कि वर्तमान सत्र 2008-09 हेतु प्रवेश फार्मो का वितरण 11 नवम्बर 2008 से प्रारम्भ हो जायेगा।

(साभार-दैनिक जागरण)

भारत छोड़ो आंदोलन का केन्द्र बिन्दु शहर के चौक स्थित हजारी लाल का फाटक था

1857 से शुरू हुई आजादी की जंग के अंतिम मुकाम 1942 में अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन का केन्द्र बिन्दु शहर के चौक स्थित हजारी लाल का फाटक था। बलिया के कर्नल भगवान सिंह ने जिले के आठ सौ से अधिक देशभक्तों की फौज की कमान संभाली थी। झंडा गीत के रचयिता श्याम लाल गुप्त पार्षद ने आजादी की इस चिंगारी को तेज करने का प्रयास किया। शिवराजपुर का जंगल क्रांतिकारियों की शरण स्थली था। बताते हैं कि यहीं पर गुप्त रणनीति तय होती थी और फिर अंग्रेजों के छक्के छुड़ाने के लिये क्रांतिकारियों के दल निकल पड़ते थे।

नौ अगस्त उन्नीस सौ बयालीस को भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत हुई थी। प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में जिले की महती भूमिका होने पर



1942 की लड़ाई में पूर्वाचल के जनपदों सहित बांदा व हमीरपुर के क्रांतिकारियों ने जिले को ही रणभूमि के रूप में स्वीकारा तभी तो बलिया के कर्नल भगवान सिंह, चीतू पांडेय जैसे क्रांतिकारी यहां के देशभक्तों का साथ देकर अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई को तेज किया। जिले के क्रांतिकारी गुरुप्रसाद पांडेय, बंशगोपाल, शिवदयाल उपाध्याय, दादा दीप नारायण, शिवराज बली, देवीदयाल, रघुनंदन पांडेय, यदुनंदन प्रसाद, वासुदेव दीक्षित भारत छोड़ो आंदोलन का नेतृत्व कर जिले में एक माहौल पैदा कर दिया तभी तो एक-एक करके लगभग आठ सौ से अधिक की फौज क्रांतिकारियों के साथ अंग्रेजों की सत्ता को हिला दिया। चौक स्थित हजारीलाल का फाटक क्रांतिकारियों के लिये गुप्तगू का मुख्य केन्द्र था। बताते हैं कि यहीं पर कानपुर व पूर्वाचल के क्रांतिकारी नेता आकर अंग्रेजों को देश से भगाने के लिये क्या करना है इसकी रणनीति बताते थे।

अंग्रेजी शासकों को हजारी लाल फाटक की जानकारी हो गयी थी। कई बार यहां छापा मारकर क्रांतिकारियों को दबोचने के प्रयास किये गये। आखिर क्रांतिकारियों को गुप्त स्थान खोजना ही पड़ा। शिवराजपुर के जंगल में क्रांतिकारियों का मजमा लगता था। बताते हैं कि अस्सी हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में विस्तारित जंगल को ही क्रांतिकारियों ने अपना ठिकाना बनाया। भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत गोपालगंज के फसिहाबाद स्थल से की गयी। इसके अलावा खागा जीटी रोड को भी केन्द्र बिन्दु बनाया गया। जहानाबाद, हथगाम, खागा सहित दो दर्जन से अधिकस्थानों पर क्रांतिकारियों ने धरना-प्रदर्शन कर अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिये ललकारा। इस दरम्यान लगभग चार सौ लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। नेतृत्व करने वाले आधे से अधिक नेता जब जेल चले गये तो अंगनू पांडेय, बद्री जैसे क्रांतिकारियों ने मोर्चा संभाला।


(साभार - दैनिक जागरण)




मात्र सोलह विभूतियां ही हमारे बीच आजादी के गवाह के रूप में शेष

देश की आजादी के लिये हमारे बुजुर्गो ने अंग्रेजों की जुल्म-ज्यादती का मुकाबला कर स्वतंत्रता के बीच जीने का अधिकार दिया। आज हमारे बीच ऐसे महान व्यक्तिव अब गिनी-चुनी संख्या में ही बचे हैं। जरूरत इस बात की है कि समाज राष्ट्र के इन अगुवाकारों के प्रति कितना समर्पित और श्रद्धावत है। जनपद के साढ़े चार सौ स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों में से अब मात्र सोलह विभूतियां ही हमारे बीच आजादी के गवाह के रूप में हैं। पीड़ा इस बात की है कि पंद्रह अगस्त और छब्बीस जनवरी को माल्यार्पण कर सम्मानित करने के अलावा पूरे साल प्रशासन इनकी कोई सुधि नहीं ले रहा।


प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आजादी तक देश की स्वतंत्रता के लिये लड़ने वाले महान सपूतों की जिले में एक लंबी श्रंखला है। 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में जोधा सिंह अटैया, ठाकुर दरियाव सिंह, डिप्टी कलेक्टर हिकमतउल्ला, बाबा गयादीन दुबे ऐसे क्रांतिकारी रहे जिनके सामने अंग्रेजों की फौज भी बौनी पड़ गयी और वह हंसते-हंसते मातृभूमि की रक्षा के लिये शहीद हो गये। स्वतंत्रता संग्राम के आंदोलन में जिले में साढ़े आठ सौ से अधिक लोग जेल गये। आजादी के बाद सूचीबद्ध हुए साढ़े चार सौ स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों में से इकसठ वर्ष के सफर के बाद अब मात्र सोलह सेनानी ही हमारे बीच बचे हैं। मातृभूमि की रक्षा की सौगंध खाकर घर परिवार को त्यागकर देश के लिये मर मिटने का संकल्प लेकर यह दीवाने निकल पड़े थे। स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों में अल्लीपुर भादर के छोटा, जहानपुर बिंदकी के श्यामलाल, पैगंबरपुर बिंदकी के विष्णुदत्त पांडेय, करचलपुर के प्रह्लाद सिंह, अकबरपुर नसीरपुर के शिवलाल, मुत्तौर के ओंकारनाथ, शाखा के इंद्रपाल सिंह, पल्टू का पुरवा के मंगली, बिजौली के शिवनाथ उर्फ विश्वनाथ, थरियांव के रामगोपाल सिंह, गुनीर के सुरेन्द्र बहादुर सिंह, रक्षपालपुर के ईश्वर चन्द्र, कटरा बिंदकी के उमानाथ, जहानाबाद के रामकिशोर गुप्ता, कल्यानपुर के विश्वनाथ, दुगरेई के रामसनेही सिंह आज हमारे बीच हैं, लेकिन देश और प्रदेश की राजनीति से सेनानियों को पीड़ा है। वह कहते हैं कि सोने की चिड़िया कहे जाने वाले भारत में रामराज का सपना जो गांधी जी ने देखा था, भ्रष्टाचार के कारण नहीं आ पाया है। नब्बे वर्षीय प्रह्लाद पहले के नेताओं के चरित्र और देश प्रेम को याद कर रुंधे गले से कहते हैं कि अब तो पैसा ही धर्म और ईमान है। नैतिकता और मानवता बची ही नहीं। सेनानी की पत्‍ि‌नयों की संख्या लगभग बत्तीस बतायी जा रही है। सेनानी परिवारों केलोगों का कहना है कि हमें फक्र है कि हमारे बुजुर्ग देश के लिये कुछ किया, लेकिन इस बात का कष्ट होता है कि समाज व प्रशासन उनके बारे में कुछ नहीं सोच रहा है। केवल पेंशन देना ही सबकुछ नहीं है। जो सम्मान मिलना चाहिए वह नहीं मिल रहा है। पंद्रह अगस्त और छब्बीस जनवरी को कलेक्ट्रेट बुलाकर माल्यार्पण कर सम्मान करने के अलावा पूरे साल उन्हें नहीं पूछा जाता है। यहां तक कि बीमार होने पर उन्हें किसी तरह से अस्पताल जब लाया जाता है तब इलाज किया जाता है। बुलाने पर भी डाक्टर घर नहीं पहुंचते हैं।

बावन शहीदों का मूक गवाह है इमली का बूढ़ा पेड़

बिन्दकी तहसील मुख्यालय से तीन किलोमीटर पश्चिम मुगल रोड स्थित शहीद स्मारक बावनी इमली स्वतंत्रता की जंग में अपना विशेष महत्व रखती है। शहीद स्थल में बूढ़े इमली के पेड़ में आज से डेढ़ सौ वर्ष अर्थात28 अप्रैल 1857 को रसूलपुर गांव के निवासी ठा। जोधा सिंह अटैया को उनके इक्यावन क्रांतिकारियों के साथ फांसी पर लटका दिया गया था इन्हीं बावन शहीदों की स्मृति में इस वृक्ष को


बावनी इमली कहा जाने लगा। चार फरवरी 1858 को ठा. जोधा सिंह अटैया पर ब्रिगेडियर करथ्यू ने असफल आक्रमण किया। साहसी जोधा सिंह अटैया को सरकारी कार्यालय लूटने एवं जलाये जाने के कारण अंग्रेजों ने उन्हें डकैत घोषित कर दिया। जोधा सिंह ने 27अक्टूबर 1857 को महमूदपुर गांव में एक दरोगा व एक अंग्रेज सिपाही को घेरकरमार डाला था। सात दिसंबर 1857 को गंगापार रानीपुर पुलिस चौकी पर हमला करएक अंग्रेज परस्त को भी मार डाला। इसी क्रांतिकारी गुट ने 9 दिसंबर को जहानाबाद में गदर काटी और छापा मारकर ढंग से तहसीलदार को बंदी बना लिया।जोधा सिंह ने दरियाव सिंह और शिवदयाल सिंह के साथ गोरिल्ला युद्ध कीशुरुआत की थी। जोधा सिंह को 28 अप्रैल 1858 को अपने इक्यावन साथियों के साथ लौट रहे थे तभी मुखबिर की सूचना पर कर्नल क्रिस्टाइल की सेना ने उन्हें सभी साथियों सहित बंदी बना लिया और सबको फांसी दे दी गयी। बर्बरता की चरम सीमा यह रही कि शवों को पेड़ से उतारा भी नहीं गया। कई दिनों तक यह शव इसी पेड़ पर झूलते रहे। चार जून की रात अपने सशस्त्र साथियों के साथ महराज सिंह बावनी इमली आये और शवों को उतारकर शिवराजपुर में इन नरकंकालोंकी अंत्येष्टि की।

10 नव॰ 2008

शहर के चौराहे कटौती के समय भी दूधिया रोशनी से जगमगायेंगे

शहर के चौराहे और प्रमुख सार्वजनिक स्थल अब बिजली कटौती के समय भी दूधिया रोशनी से जगमगाते रहेंगे। नगर पालिका परिषद ने रात के समय कुछ महत्वपूर्ण जगहों पर सोलर लाइट लगाने का निर्णय लिया है। पहले चरण में एक सौ सौर ऊर्जा से जलने वाले लैंपों की खरीददारी की जाएगी। इसमें करीब पांच लाख के खर्च का अनुमान है।मालूम हो कि शहर में दिन प्रतिदिन बिजली संकट बढ़ता जा रहा है। शाम होते ही विद्युत कटौती का सिलसिला शुरू हो जाता है। रात में बत्ती रहेगी कि नहीं इसका भी भरोसा नहीं रहता। ऐसी हालत में सर्दी के मौसम सड़कों और सार्वजनिक स्थलों पर आपराधिक वारदातों के बढ़ने की संभावना होती हैं। इस समस्या से निजात पाने के लिए नगर पालिका परिषद ने सौर ऊर्जा का सहारा लेने का मन बना लिया है। दिसंबर महीने के अंत तक शहर के करीब दर्जनभर चौराहों में चार-चार सोलर लाइटें और प्रमुख सार्वजनिक स्थलों में एक-एक लाइटें लगाने का काम पूरा हो जाएगा।
नगर पालिका परिषद के अधिशासी अधिकारी ने बताया कि शहर में बिजली आपूर्ति की हालत बद से बदतर है। रात का अधिकांश समय बिजली कटौती के दरम्यान ही बीतता है। ऐसे में कड़ाके की सर्दी में जब सभी लोग अपने घरों में होते हैं, उस समय राहगीरों के साथ आपराधिक घटनाएं बढ़ जाती हैं। वहीं अंधेरे का फायदा उठाकर अपराधी पुलिस से बचने में सफल हो जाते हैं। नगर पालिका परिषद बिजली कटौती के समय चौराहों और प्रमुख सार्वजनिक स्थलों पर प्रकाश की व्यवस्था के लिए सोलर लाइट लगाने जा रही है। यह काम चालू वर्ष के अंत तक पूरा कर लिया जाएगा। पहले चरण में सौ लैंप खरीदे जाएंगे। अगर प्रयोग सफल रहा तो आगे और भी खरीददारी की जाएगी।


(समाचार स्त्रोत - अमर उजाला)


भ्रष्टाचार नहीं यह तो शिष्टाचार है !!!

शिक्षा नहीं भिक्षा विभाग है। भ्रष्टाचार नहीं यह तो शिष्टाचार है। प्रीपेड कूपन लीजिये और कानून, नियम, अधिनियम शासनादेशों में शिथिलता पाइये। माध्यमिक शिक्षक संघ ने शिक्षा विभाग में रिश्वत की निर्धारित दरें को उभारते हुए एक पोस्टर जारी किया है जिसमें शिक्षा विभाग के भ्रष्टाचार को लक्ष्य बनाया गया है। संगठन इस मुद्दे पर सत्रह नवंबर को शिक्षा निदेशालय में धरना देकर भ्रष्टाचार विरोधी अभियान चलाने का निर्णय लिया है।
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के भ्रष्टाचार विरोधी अभियान समिति ने इस टिप्पणी के साथ पोस्टर जारी किया है कि शिष्टाचार शुल्क के साथ-साथ चाय, नाश्ता अतिरिक्त है। यह पोस्टर शिक्षा विभाग के कार्यालयों सहित कई जगह चस्पा भी किये जा रहे हैं। पोस्टर की मानें तो रिश्वत की दरें सवा लाख से पचास रुपये तक हैं। मृतक आश्रित की नियुक्ति मृतक आश्रित के पेंशन निर्धारण देयकों के अंतिम भुगतान में एक-एक लाख, चयन बोर्ड से चयनित अभ्यर्थियों की नियुक्ति पैनल में पचास हजार, चयनित अभ्यर्थियों के प्रथम वेतन भुगतान में एक माह का वेतन शिष्टाचार में भेंट करना पड़ता है। पदोन्नति प्रपत्रों के अग्रसारण में दस हजार, पदोन्नति प्रपत्रों के विनिश्चय में पचास हजार, एकल स्थानांतरण अनापत्ति प्रमाण पत्र के अग्रसारण में बीस हजार, निस्तारण में पचास हजार, चतुर्थ श्रेणी की नियुक्ति सामान्य में एक लाख, ओबीसी में पचहत्तर हजार, अनुसूचित जाति में पचास हजार, बैकलाग में पचीस हजार की दरें तय की गयी हैं।

चतुर्थ श्रेणी की नियुक्ति अनुमोदन में तीस से चालीस हजार, हाईस्कूल एवं इण्टर की मान्यता में तीस से एक लाख बीस हजार, टीसी काउन्टर में पचास रुपया, जीपीएफ ऋण में पांच प्रतिशत, अंतिम निष्कासन में दस प्रतिशत, बोर्ड परीक्षा फार्म के अग्रसारण में पांच सौ रुपये निर्धारित है।

पोस्टर के माध्यम से यह भी दर्शाया गया है कि शिक्षक संघ के कार्यकर्ता से संपर्क करके आने वालों को शुल्क में पचास प्रतिशत वृद्धि से बचने के लिये सीधे संपर्क करें


(समाचार स्त्रोत - दैनिक जागरण )