9 फ़र॰ 2009

मले तमाखू से गये, कटे सरौती बीच - फतेहपुर में काव्य गोष्ठी

 

साहित्यिक संस्था यायावर की काव्य गोष्ठी में कवियों ने विविध विषयों पर अपनी व्यंग्यात्मक सामाजिक रचनाओं के जरिये युगीन पीड़ा को अभिव्यक्ति दी।

वयोवृद्ध कवि चंद्रशेखर शुक्ला ने पढ़ा-यदि कदाचार का कहर बढ़ा तो सदाचार का क्या होगा? डा. बालकृष्ण पांडेय ने अपनी गजलों में विसंगतियों पर व्यंग्य किया- ऐसे अगर चलेगा देख, बिल्कुल नहीं चलेगा देख विजय शंकर मिश्र ने अपनी कविता किस मोड़ पर मुकर गयी हंसी की चिड़िया के जरिये सामयिक पीड़ा को उभारा। वरिष्ठ कवि श्रीकृष्ण कुमार त्रिवेदी ने मले तमाखू से गये, कटे सरौती बीच कविता पढ़ी। डा. चंद्रकुमार पांडेय ने गीत के माध्यम से सबके अंतर्मन को झकझोरा- जोश में होश खोया हुआ आदमी, ओढ़कर कुछ विशेषण बड़ा होगया।

अध्यक्षता कर रहे डा. ओमप्रकाश अवस्थी ने कहा कि फतेहपुर में कविता का स्वरूप अपनी परंपरा के अनुसार बढ़ रहा है और साहित्य जगत को किसी का पिछलग्गू होने की आवश्यकता नहीं है। इस मौके पर दो दर्जन से अधिक खागा, अमौली, भदबा, बिंदकी से पधारे कवियों ने गोष्ठी को अपनी प्रतिनिधि रचनाएं पढ़कर अलंकृत किया। साहित्य भूषण डा. कृपा शंकर शुक्ल ने यायावर संस्था को अपना आशीर्वचन दिया।

5 टिप्‍पणियां:
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  1. फतेहपुर की कविगोष्टि के बारे में जानकर खुशी हुई.आभार.

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  2. शीर्षकों से कविताएँ भली लग रही हैं। जरा इन्हें पढ़ने का अवसर भी मिले।

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  3. दिनेश जी से सहमत-कुछ कविताऐं अगर संभव हो तो विस्तार से दें. आभार.

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  4. नाम मात्र की पंक्तियों में गोष्‍ठी की पूरी रपट। गागर में सागर। शानदार।

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