16 मार्च 2009

फतेहपुर : अंतिम संस्कार करने में अब मुफलिसी आड़े नहीं

 

अग्निदाह कर अंतिम संस्कार करने में अब मुफलिसी आड़े नहीं आयेगी। शिवलोक चैरिटेबिल ट्रस्ट ने भिटौरा श्मशान घाट में पांच भट्ठियों का शवदाह गृह शुरू कर दिया है जिसमें यदि कोई गरीब है तो उसे मुफ्त में लकड़ी दी जायेगी और अंतिम संस्कार का पैसा भी नहीं लिया जायेगा। भिटौरा के महापात्रों ने गरीब परिवारों की मिट्टी के अंतिम संस्कार में अपना मेहनताना छोड़ने का निर्णय लिया है। स्वामी विज्ञानानन्द ने हवन, पूजन के साथ शवदाह गृह का शुभारंभ करते हुए कहा कि यहां मात्र 251 रुपये में अंतिम संस्कार वैदिक रीति-रिवाज पर कराया जायेगा। संचालन के लिये चालीस सदस्यीय कमेटी भी गठित की गयी जिसमें कई लोगों ने गरीब परिवारों की मिट्टी को जलाने के लिये लकड़ी प्रबंधन में आर्थिक सहयोग भी दिया। 
 
पतित पावनी मां गंगा को निर्मल व अविरल रखने के संकल्प में भिटौरा के श्मशान घाट पर भट्ठियों का शवदाह गृह शुरू किया गया है। स्वामी विज्ञानानन्द जी के अथक प्रयास से आखिर शवदाह गृह रविवार से शुरू हो गया। हवन, पूजन के साथ शवदाह गृह जनता को समर्पित कर दिया गया। श्मशान घाट के बगल में ही बने भट्टी शवदाह गृह में दस शव एक साथ जलाने की व्यवस्था है, लेकिन अभी पांच भट्ठियां ही लग पायी हैं। जल्द ही पांच भट्ठियां और लग जायेंगी। भिटौरा के महापात्रों व समिति के बीच यह समझौता हुआ है कि भट्ठी शवदाह में किये गये अंतिम संस्कार में वह मात्र एक सौ एक रुपये का दान लेंगे। एक सौ इक्यावन रुपया समिति के खर्चे पर जायेगा। 
संयोजक स्वामी विज्ञानानन्द जी ने बताया कि भट्ठी में मात्र ढाई घंटे में लाश जल जायेगी और दो से ढाई क्विंटल लकड़ी का खर्च लगेगा जबकि बाहर चिता बनाने में लगभग चार क्विंटल लकड़ी लग जाती है। पतित पावनी मां गंगा में ही अवशेष समर्पित हों इसके लिये पंप के माध्यम से गंगा का पानी भट्ठियों में पहुंचेगा जो बची राख व अवशेष को बहाकर गंगा जी में ही पहुंचा देगा। उन्होंने कहा कि वैदिक रीति-रिवाज और लोगों की आस्था और विश्वास पर इस व्यवस्था से किसी तरह की आंच नहीं आयेगी। 
यहां पर लाश के अवशेष संकलित करने की थी व्यवस्था है। समिति के लोग ही उसे संकलित कर एक कोठरी में कोड नंबर डालकर रख देंगे। परिवारिक उसे किसी समय भी ले सकते हैं। शुभारम्भ के समय ही चालीस सदस्यों की एक कमेटी गठित की गयी जिसमें यह निर्णय लिया गया कि यदि गरीब परिवार की मिट्टी है और वह जलाने के लिये लकड़ी लेने की क्षमता नहीं रखते हैं तो समिति ऐसे लोगों को लकड़ी दान देगी। इस मौके पर  उपस्थित कई लोगों ने दान के रूप में   पांच-पांच सौ रुपये  दिया।  कार्यक्रम में कई गनमान्य लोग भी उपस्थित रहे  ।

2 टिप्‍पणियां:
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  1. पूरी जिंदगी मुफलिसी में गुजार डाले
    मौत के बाद तो सुकून से जल सकूं...

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  2. चलिए एक चिंता तो कम हुयी मास्टर साहब ! शुक्रिया !!

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