30 जन॰ 2009

Activity Teachers

Activity Teachers
BIRLA VIDYA NIKETAN
Job Description
A prestigious English Medium Public School of South Delhi requires experienced,motivated,computer savvy staff,having fluency in English for the following post.
Activity Teachers ( Part Time ) - Western Music,Indian (Classical) Dance,Theatre & Photography.
Salary & engagement terms negotiable.
Apply with recent passport size photograph,giving details of qualifications and experience in chronological order within 10 days to the Principal.
Pushp Vihar,Sector-IV,New Delhi - 17Tel.No.011-2956-1454/1762;email:bvns@vsnl.comWebsite : www.birla.ac.in
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Job Requirements
Area of Work Education, Trng., Library Mgmt. & Child Care
Specialization Vocational Education and Training
Level in Hierarchy Middle
Location Delhi-NCR
Experience Requirement Minimum 3 Years
Industry Education, Training, Library and Child Care
Job Type No Preference
Shift Type Regular
Published On 27/01/2009

Apply

29 जन॰ 2009

बीटीसी 2004 के अभ्यर्थियों में से किसको शिक्षक बनाया जायेगा इसके नामों की सूची इसी सप्ताह जारी होने की संभावना है। अठारह हजार आवेदनों की कम्प्यूटराइज्ड मेरिट बनकर तैयार हो गयी है। पहली सूची में निर्धारित एक सौ छियानबे स्थानों की मेरिट सूची जारी की जायेगी। बताते हैं कि डायट में दूना अभ्यर्थियों की मेरिट तैयार कर ली है। ऐसा माना जा रहा है कि चार वर्ष बीत जाने के कारण सूची के तमाम ऐसे अभ्यर्थी होंगे जिनका या तो विशिष्ट बीटीसी में चयन हो गया होगा या फिर वह कोई दूसरी नौकरी कर रहे होंगे।
वर्ष 2004 के बीटीसी प्रशिक्षण के लिये अठारह हजार से अधिक आवेदन आये थे। लंबे समय बाद शासन ने मेरिट पर चयन प्रक्रिया के निर्देश दिये। ऐसे में जब विशिष्ट बीटीसी 2007-08 व बैकलाग की चयन प्रक्रिया चल रही है। 2004 का भी कार्य आ जाने से डायट में अफरातफरी का माहौल हो गया।

प्राचार्य विमल वर्मा के निर्देशन पर अठारह हजार से अधिक आवेदनों की मेरिट कम्प्यूटराइज्ड कर ली गयी है। बताते हैं कि जिले के लिये दो सौ सीटें आवंटित हैं। चार अनुसूचित जनजाति के अभ्यर्थी न मिल पाने के कारण एक सौ छियानबे सीटों की मेरिट तैयार की जा रही है। मेरिट में अनुसूचित जाति, पिछड़ी जाति, पुरुष महिला कला, विज्ञान वर्ग, अनारक्षित पुरुष महिला विज्ञान वर्ग की अलग-अलग मेरिट बनाने का काम लगभग पूरा हो गया है। डायट प्राचार्या ने बताया कि सप्ताह के अंत तक मेरिट सूची जारी कर दी जायेगे। पहली सूची में एक सौ छियानबे अभ्यर्थियों को तो बुलाना ही है। कमेटी ने निर्णय लिया तो दूनी सीटों की मेरिट जारी कर काउंसिलिंग के लिये अभ्यर्थियों को बुला लिया जायेगा।

24 जन॰ 2009

जो रक्त कणों से लिखी हुई, जिसकी जयहिन्द निशानी है!!!

प्यारा सुभाष, नेता सुभाष भारत भू का उजियारा था, पैदा होते ही गणकों ने उनका भविष्य लिख डाला था।


नेताजी सुभाष चंद्र बोस सर्व कालिक नेता थे जिनकी जरूरत कल थी,आज है और आने वाले कल में भी होगी। वह ऐसे वीर सैनिक थे इतिहास जिनकी गाथा गाता रहेगा। उनके विचार, कर्म और आदर्श अपना कर राष्ट्र वह सब कुछ हासिल कर सकता है जिसका हकदार है। स्वतंत्रता समर के अमर सेनानी, मां भारती के सच्चे सपूत नेताजी का 112 वां जन्म दिवस फतेहपुर जनपद वासियों ने इन्हीं गर्वीली भाव भावनाओं के साथ धूमधाम से मनाया।

नेताजी के जन्म दिवस पर जगह जगह लोंगों ने कार्यक्रम आयोजित कर उन्हें तरह तरह से अपने भाव सुमन अर्पित किये। कार्यक्रमों के क्रम में अखिल भारत हिन्दू महासभा के सैकड़ों कार्यकर्ता केशरिया बाना धारण कर नेताजी अमर रहें के नारे लगाते हुये सुभाष चौराहा पत्थरकटा पहुचे और नेताजी की प्रतिमा में माल्यार्पण किया। इसके बाद सभी जुलूस की रूप में सदर अस्पताल पंहुचे जहां पर मुख्य चिकित्साधिकारी के साथ विभिन्न वार्डो में जाकर मरीजों को फल वितरण किया।

सभा को संबोधित करते हुये कहा गया कि तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा का नारा बुलंद करने वाले सुभाष जी के अंदर देश भक्ति की भावना बचपन से ही थी। वह सच्चे स्वाभिमानी थे जिन्होंने आइसीएस जैसी प्रतिष्ठापूर्ण सेवा सिर्फ इसलिये छोड़ दी थी क्योंकि इससे विदेशी सरकार की नौकरी करनी होती। सदैव सैनिक के वेष में दिखने वाले नेताजी से आज के युवाओं को सीखना चाहिये कि संकल्प से सब कुछ साधा जा सकता है।

नेताजी भारत माता के ऐसे लाल थे जिन्होने आजादी की लड़ाई अपने अंदाज में लड़ी। आज भी देश को उन जैसे नेता की जरूरत है। इसके बाद शिवसैनिकों ने आतंकवाद मुर्दाबाद, पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाते हुये नगर में भ्रमण किया।

सुभाष के जन्म दिवस पर एक समारोह का आयोजन कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति ने शिक्षक भवन में किया जिसमें सर्वधर्म प्रार्थना सभा के साथ विचार सम्मेलन व कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ । जिसमें कहा गया कि नेताजी वास्तविक जननायक थे जिनके नेतृत्व की देश को आजादी के बाद जरूरत थी जो कि दुर्भाग्य से नहीं मिल सका। समारोह में पूर्व शिक्षक विधायक लवकुश मिश्र, शिक्षाविद् श्री कृष्ण कुमार त्रिवेदी, रामजन्म प्रसाद यादव, नाजिर हुसैन, महेश त्रिपाठी, उमा श्रीवास्तव, करुणा शंकर मिश्र, आदि रहे।


अखिल भारतीय कायस्थ महासभा एवं अखिल भारतीय कायस्थ चेतना मंच के संयुक्त तत्वाधान में प्रतिवर्ष की तरह सुभाष चौराहे पर नेता जी की जयंती मनायी गयी। कहा गया कि नेता जी के पदचिन्हों पर चल कर ही देश सेवा करते हुए जीवन सफल बनाया जा सकता है। कहा गया कि नौजवानों को उस महान क्रांतिकारी से शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए। जिला कांग्रेस सोशल आडिट टीम ने नेता जी की जयंती को धूमधाम से मनाया। इस मौके पर वक्ताओं ने उनके व्यक्ति और कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वह सही अर्थो में सच्चे देश भक्त और वास्तविक क्रांतिकारी थे। जिनसे आज की युवा पीढ़ी बहुत कुछ सीख सकती है।

शिक्षक बनने की चाहत रखने वाले युवक व युवतियों के लिये यह साल सौगात लेकर आया

चार वर्ष बाद किसी के आवेदन खंगाले जायेंगे यह अभ्यर्थियों ने सोचा भी नहीं था। सरकार व न्यायालय के विवाद में वर्ष 2004 से उलझी इस प्रक्रिया की गुत्थी सुलझने के साथ ही शिक्षक बनने के लिये आवेदन किये अठारह हजार से अधिक स्नातक उत्तीर्ण अभ्यर्थियों में खुशी की लहर दौड़ गयी है। अलबत्ता यह जरूर है कि इसमें से बीस फीसदी से अधिक अभ्यर्थी या तो विशिष्ट बीटीसी करके शिक्षक बन गये हैं या फिर किसी दूसरी नौकरी को गले लगा लिये हैं। डायट में एक सौ छियानबे अभ्यर्थियों की मेरिट सूची जारी करने की तैयारियां युद्धस्तर पर शुरू हैं। अगले सप्ताह सूची जारी होने की संभावना है।

शिक्षक बनने की चाहत रखने वाले युवक व युवतियों के लिये यह साल सौगात लेकर आया है। डायट में इस समय वर्ष 2001, 2004, 2007 व 2008 की चयन प्रक्रिया के तहत दो हजार से अधिक अभ्यर्थियों को शिक्षक बनाने के लिये अलग-अलग कार्यवाही की जा रही है। एक साथ बोझा हो जाने से डायट के अधिकारी व कर्मचारी भी उलझे हुए हैं। वर्ष 2004 की विशिष्ट बीटीसी चयन प्रक्रिया में अठारह हजार दो सौ एक आवेदन हैं। दो सौ अभ्यर्थियों के चयन में चार अनुसूचित जनजाति का कोटा जिले में रिक्त कर दिया गया है ऐसे में एक सौ छियानबे की चयन प्रक्रिया की जा रही है। बताते हैं कि पिछली बार तय की गयी मेरिट पर ही इस बार नई चयन सूची जारी की जायेगी, लेकिन इसके पहले सभी अठारह हजार आवेदनों का वर्ग स्तर पर विभाजन कर लिया गया है और सभी का सत्यापन कराया जा रहा है।

डायट प्राचार्या विमल वर्मा ने यह स्वीकार किया कि 2004 की चयन प्रक्रिया का काम काफी हद तक पूरा हो गया है। अगले सप्ताह मेरिट सूची जारी की जा सकती है। उन्होंने कहा कि डायट में वर्ष 2001 में बीटीसी का प्रशिक्षण ले चुके अभ्यर्थियों की पुन: परीक्षा कराने के लिये प्रवेश पत्र जारी किये जा रहे हैं। 2008 की चयन प्रक्रिया में चार सौ अट्ठाइस पदों के लिये आवेदन मांगे जा रहे हैं। बैकलाग के लगभग दो सौ पदों के लिये पहले ही आवेदन प्राप्त कर लिये गये हैं उनकी भी मेरिट सूची तैयार की जा रही है। बैकलाग में अनुसूचित जाति के एक सौ पैंसठ, अनुसूचित जनजाति के तेंतीस, पिछड़ी जाति के अड़तालीस पद सृजित हैं। वर्ष 2007 में एक हजार तीन सौ अरसठ पदों के लिये की गयी चयन प्रक्रिया में अब तक एक हजार एक सौ इकतीस अभ्यर्थियों का विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण के लिये चयन किया गया है इस तरह से 2007 की चयन प्रक्रिया के लगभग दो सौ पद अब भी रिक्त हैं। शासन ने इस चयन पर अब रोक लगाते हुए कहा है कि जो पद शेष रह गये हैं उन्हें 2008 की चयन प्रकिया में समायोजित कर दिया जाये। विशिष्ट बीटीसी के लगभग छ: सौ अभ्यर्थियों का इस समय फेरेवार प्रशिक्षण भी शुरू हो गया है। एक तरफ प्रशिक्षण और दूसरी तरफ एक नहीं तीन-तीन चयन प्रक्रिया की मेरिट तैयार करने से डायट में अफरातफरी का माहौल है। जिम्मेदारी को लेकर कर्मचारियों में ही उठापटक चल रही है।

एक हजार शिक्षक अब भी कम

बीटीसी, विशिष्ट बीटीसी चयन प्रक्रिया में दो हजार से अधिक पद भरने की चल रही कार्यवाही के बाद भी परिषदीय स्कूलों में एक हजार शिक्षकों के पद रिक्त रहेंगे। यह भर्ती वर्ष 2004 में रिक्त पदों के सापेक्ष हो रही है। चार वर्षो के दौरान नये स्कूल खुलने के साथ ही सेवानिवृत्त हुए शिक्षकों की संख्या इतनी अधिक हो गयी कि दो हजार पद भरने के बाद भी तकरीबन एक हजार स्थान खाली रहेंगे।






20 जन॰ 2009

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16 जन॰ 2009

अब यह बहाना नहीं चलेगा कि साहब दौरे पर गये हैं !!!

यूपी स्टेट वाइड एरिया नेटवर्क (स्वान) संचार क्रांति का एक ऐसा माध्यम है जिससे कर लो दुनिया मुट्ठी में का सच साबित हो रहा है। एक वर्ष से इसका नेटवर्क एनआईसी तैयार करने में जुटा हुआ है। ब्लाकों में उपकरण भी लग गये कागजी कार्यवाही में स्वान केन्द्र शुरू भी हो गये, लेकिन इसका उपयोग कुछ भी नहीं हो पा रहा है। ब्लाकों में न तो सूचनायें अपडेट की जा रही हैं और न ही जिला मुख्यालय से ब्लाक की योजनाओं की समीक्षा हो पा रही है। हालांकि प्रत्येक ब्लाक में अब वेब कैमरे भी लगवाये जा रहे हैं। यहीं से बैठकर ब्लाक की मीटिंग करने के साथ पूरी गतिविधियों पर नजर रखने की इस व्यवस्था पर ब्लाक स्तर के अधिकारी ही पानी फेर रहे हैं।


सूचना एवं विज्ञान केन्द्र में
से चल रहा है। संचार क्रांति से सूचनाओं की पलक झपकते जानकारी के साथ एक जगह बैठकर मानीटरिंग करने की व्यवस्था को अंतिम रूप देने के लिये जिलाधिकारी सौरभ बाबू ने हर ब्लाक के स्वान केन्द्र में वेब कैमरे भी लगवाने केनिर्देश दिये हैं। बताते हैं कि वेब कैमरों की खरीददारी भी हो गयी है और ब्लाकों में लगाये भी जा रहे हैं। स्वान केन्द्र में इन्टरनेट कनेक्शन स्क्रीन के साथ सभी ब्लाकों के नेटवर्क को सेन्ट्रल सर्वर रूम यानी एनआईसी (NIC) से जोड़ दिया गया है। इसमें यह भी व्यवस्था है कि प्रतिदिन सुबह दस बजे यहीं से बैठकर जिलाधिकारी यह देख सकते हैं कि ब्लाक के कितने अधिकारी उपस्थित हुए हैं।

सभी योजनाओं व कार्यो की डाटाबेस फीडिंग और उसे सीधे नेटवर्क पर डालने की स्वान योजना को ब्लाक के अधिकारी ही किनारे लगाये हुए हैं। बताते हैं कि खजुहा, देवमई, बहुआ, ऐरायां जैसे ब्लाकों में तो महीनों डाटाबेस फीडिंग नहीं की जाती है। कई ब्लाकों में तो बिजली न आने का बहाना बनाकर स्वान केन्द्रों में ताला लटक रहा है।


बताते हैं कि तीनों तहसीलों को भी स्वान योजना से जोड़ा गया है। तेलियानी ब्लाक को सदर तहसील से और खजुहा को बिंदकी तथा ऐरायां को खागा तहसील से जोड़ने के साथ दस ब्लाकों में स्वान केन्द्र विकसित किये गये हैं। एक स्वान केन्द्र में तकरीबन पांच लाख रुपया खर्च हुआ है। इन केन्द्रों के माध्यम से यह भी व्यवस्था थी कि ब्लाक के सभी कर्मचारियों को प्रशिक्षित करना है और वह स्वयं केन्द्र में आकर अपनी योजना का डाटा वेबसाइड पर फीड करें, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा है। ब्लाकों के कर्मचारी कम्प्यूटर का की-बोर्ड तक नहीं छूना चाहते। एनआईसी के माध्यम से मानदेय पर आपरेटर जो लगाये गये हैं ब्लाक के अधिकारी उनसे केवल सूचनायें तैयार कराते हैं।

लगता है कि जब यह वेब कैमरा जैसे ही प्रभावी हो जायेंगे जिले से ही बैठकर किसी भी ब्लाक की मीटिंग ली जा सकती है और फिर यह बहाना भी नहीं चलेगा कि बीडीओ साहब दौरे पर गये हैं।

14 जन॰ 2009

मलवां में संपन्न हुई कवि-सम्मलेन की अगली कड़ी ...

साहित्य समाज का दर्पण होता है। कुछ यही दर्शाते हुए मलवां के कवि सम्मेलन में साहित्यकारों ने वर्तमान परिवेश में आतंकवाद से निपटने के लिये जोश भरने का काम किया। रायबरेली के हास्य व्यंग्य के सशक्त हस्ताक्षर मधुप श्रीवास्तव ने

हम उस देश के बेटे हैं दुश्मन को पछाड़ा करते हैं शेरों की क्या बात करें गीदड़ भी दहाड़ा करते हैं
पंक्तियों से खूब वाहवाही लूटी। उन्होंने पाकिस्तान की ओर इशारा करते हुए इन पंक्तियों से देशवासियों के अन्दर जोश भी भरा।

स्वर्गीय मोहनलाल गुप्त जयंती के अवसर पर कवि सम्मेलन की अध्यक्षता साहित्य भूषण धनंजय अवस्थी ने मृदाल रचना की पक्ति के माध्यम से वीरता का आहवान किया।

भावों का अर्थ नयन कोर किया करते हैं, पांवों को गति नूतन लक्ष्य दिया करते हैं सदियों तक चलती है दुनिया जिन राहों में उनका निर्माण धीर, वीर किया करते हैं।
पंक्तियों के माध्यम से मनुष्य का जन्म लेकर कुछ करने का जज्बा भरा। लालगंज रायबरेली के अंजनी कुमार सिंह ने ग्रामीण जीवन को झलकाते हुए कहा कि
भीतर भरी है आग मगर होंठ क्यों सिये, उठता है इंकलाब नहीं, बोलो किसलिये।
इलाहाबाद के युवा कवि शैलेष गुप्त ने बदल गया है
आलम सारा बदल गये सब रंग, फीकी है मुस्कान यहां की लगी हुई है जंग।
कविता पढ़ी। खागा के अनिल तिवारी ने पग बढ़े तो बढ़े नवसृजन के लिये, हथगाम के शिवशरण बंधु ने
कंकर किसने फेंक दिया है पानी में, पानी का दिल कांप रहा है पानी में
पढ़कर सामाजिक व्यवस्था पर झकझोरा। आचार्य विष्णु शुक्ला ने फकीरों का इस दुनिया में कहीं घर नहीं होता कविता पढ़ी। युवा कवि समीर शुक्ल ने इक झगड़ा भवा गांव मइहां, जब भार जला सतुवाहिन का लोक भाषा की रचना से लोगों का मन मोहा। संयोजक नरेश गुप्त ने आत्म साधना से संभव है सेवा इस संसार की भक्ति रचना पढ़ी।

वरिष्ठ कवि शिवशरण सिंह अंशुमाली, तारकेश्वर बाजपेयी, डा।हरिप्रसाद शुक्ल अकिंचन, भइया जी अवस्थी, विनोद कुमार, श्रवण कुमार, संग्राम सिंह, गजराज गुप्त केहरि आदि ने विशिष्ट रचनायें प्रस्तुत कर स्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। कार्यक्रम में रामप्रसाद गुप्त, रामभूषण सिंह, उमाशंकर त्रिपाठी, स्वयंवर सिंह, कमल नाथ, कमलमणि त्रिपाठी, भगवंत सिंह, राधेश्याम हयारण आदि रहे।

हिन्दुओं का प्रमुख पर्व - मकर संक्रान्ति यानि खिचड़ी

मकर संक्रान्ति हिन्दुओं का प्रमुख पर्व है। मकर संक्रान्ति पूरे भारत में किसी न किसी रूप में मनाया जाता है ।पौष मास में जब सूर्य मकर राशि पर आता है जब इस पर्व को मनाया जाता है । यह त्योहार जनवरी माह के तेरहवें, चौदहवें या पन्द्रहवें दिन ( जब सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है ) पड़ता है । मकर संक्रान्ति के दिन से सूर्य की उत्तरायण गति प्रारम्भ होती है । इसलिये इसको उत्तरायणी भी कहते हैं।तमिलनाडु में इसे पोंगल नामक उत्सव के रूप में मनाते हैं जबकि कर्नाटक, केरल तथा आंध्र प्रदेश में इसे सिर्फ संक्रान्ति कहते हैं ।


संपूर्ण भारत में मकर संक्रांति विभिन्न रूपों में मनाया जाता है।उत्तर प्रदेश में यह मुख्य रूप से दान का पर्व है । इलाहाबाद में यह पर्व माघ मेले के नाम से जाना जाता है। 14 जनवरी से इलाहाबाद मे हर साल माघ मेले की शुरुआत होती है। 14 दिसम्बर से 14 जनवरी का समय खर मास के नाम से जाना जाता है। और उत्तर भारत मे तो पहले इस एक महीने मे किसी भी अच्छे कार्य को अंजाम नही दिया जाता था। 14 जनवरी यानी मकर संक्रान्ति से अच्छे दिनों की शुरुआत होती है । माघ मेला का पहला स्नान मकर संक्रान्ति से शुरू होकर शिवरात्रि तक यानी आख़िरी स्नान तक चलता है। संक्रान्ति के दिन स्नान के बाद दान करने का भी चलन है। वैसे गंगास्नान रामेश्वर, चित्रशिला व अन्य स्थानों में भी होते हैं।

इस दिन गंगा स्नान करके , तिल के मिष्ठान आदि को ब्राह्मणों व पूज्य व्यक्तियों को दान दिया जाता है। इस पर्व पर भी क्षेत्र में गंगा एवं रामगंगा घाटों पर बड़े मेले लगते है। समूचे उत्तर प्रदेश में इस व्रत को खिचड़ी के नाम से जाना जाता है तथा इस दिन खिचड़ी सेवन एवं खिचड़ी दान का अत्यधिक महत्व होता है। इलाहाबाद में गंगा, यमुना व सरस्वती के संगम पर प्रत्येक वर्ष एक माह तक माघ मेला लगता है।

शास्त्रों के अनुसार, दक्षिणायन को देवताओं की रात्रि अर्थात नकारात्मकता का प्रतीक तथा उत्तरायण को देवताओं का दिन अर्थात सकारात्मकता का प्रतीक माना गया है। इसीलिए इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक क्रियाकलापों का विशेष महत्व है। धारणा है कि इस अवसर पर दिया गया दान सौ गुना बढ़कर पुन: प्राप्त होता है।मकर संक्रांति के अवसर पर गंगास्नान एवं गंगातट पर दान को अत्यंत शुभकारक माना गया है। इस पर्व पर तीर्थराज प्रयाग एवं गंगासागर में स्नान को महास्नान की संज्ञा दी गई है।

सामान्यत: सूर्य सभी राशियों को प्रभावित करते हैं, किंतु कर्क व मकर राशियों में सूर्य का प्रवेश धार्मिक दृष्टि से अत्यंत फलदायक है। यह प्रवेश अथवा संक्रमण क्रिया छ:-छ: माह के अंतराल पर होती है। भारत देश उत्तरी गोलार्द्ध में स्थित है। मकर संक्रांति से पहले सूर्य दक्षिणी गोलार्ध में होता है अर्थात भारत से दूर होता है। इसी कारण यहां रातें बड़ी एवं दिन छोटे होते हैं तथा सर्दी का मौसम होता है, किंतु मकर संक्रांति से सूर्य उत्तरी गोलार्द्ध की ओर आना शुरू हो जाता है। अत: इस दिन से रातें छोटी एवं दिन बड़े होने लगते हैं तथा गरमी का मौसम शुरू हो जाता है। दिन बड़ा होने से प्रकाश अधिक होगा तथा रात्रि छोटी होने से अंधकार कम होगा। अत: मकर संक्रांति पर सूर्य की राशि में हुए परिवर्तन को अंधकार से प्रकाश की ओर अग्रसर होना माना जाता है। प्रकाश अधिक होने से प्राणियों की चेतनता एवं कार्यशक्ति में वृद्धि होगी। ऐसा जानकर संपूर्ण भारतवर्ष में लोगों द्वारा विविध रूपों में सूर्यदेव की उपासना, आराधना एवं पूजन कर, उनके प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट की जाती है। सामान्यत: भारतीय पंचांग की समस्त तिथियां चंद्रमा की गति को आधार मानकर निर्धारित की जाती हैं, किंतु मकर संक्रांति को सूर्य की गति से निर्धारित किया जाता है। इसी कारण यह पर्व प्रतिवर्ष 14 जनवरी को ही पड़ता है।


माना जाता है कि इस दिन भगवान भास्कर अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उसके घर जाते हैं। चूंकि शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं, अत: इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। महाभारत काल में भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिए मकर संक्रांति का ही चयन किया था। मकर संक्रांति के दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली थीं।

11 जन॰ 2009

तनाव के बाद अब शान्ति

कुछ शरारती तत्वों की हरकत से बुधवार की रात शहर सांप्रदायिक दंगे की आग में झुलसने से बच गया। मुहर्रम के जुलूस के दौरान बिजली गुल होने से नाराज ताजियादारों ने ताजिए रख दिए। इसी दौरान कुछ युवकों ने डंडों और हाकियों से लैस होकर जम कर उत्पात मचाया। करीब आधा दर्जन शरारती युवकों ने व्यवसायिक प्रतिष्ठानों में जमकर तोड़फोड़ और पथराव किया। स्थिति को भांप बड़ी संख्या में पुलिस, पीएसी के जवानों को तैनात किया गया। घटना के विरोध में आज दूसरे संप्रदाय के लोग सड़क पर उतर आए। लोग प्रशासन विरोधी नारेबाजी करते हुए आरोपियों को गिरफ्तार करने की मांग करते रहे। यह बात अलग रही कि पुलिस अधिकारी प्रदर्शनकारियों के आगे गिड़गिड़ाते रहे। बाद में पुलिस ने दोनों पक्षों के लोगों की बैठक कर मामला शांत कराया।मालूम हो कि 7 जनवरी की देर रात जुलूस के दौरान बिजली नहीं होने से ताजियादारों ने बाकरगंज के पास रोशनी की मांग को लेकर ताजिया रोक दिया था। अधिकारियों के आश्वासन पर भी बिजली न आने पर करीब आधा दर्जन से अधिक युवकों ने चौक बाजार में डंडा हाकी लेकर जमकर उत्पात मचाया था। उत्पातियों ने जवाहरलाल, अशर्फीलाल , पम्मी, ध्रुव नारायण, रमेश पटवा, राधेश्याम हयारण, लवकुश, रवि कुमार पंकज समेत सैकड़ों व्यापारियों की दुकानों में तोड़फोड़ पत्थरबाजी की थी। आरोपियों ने चौक स्थित एक धार्मिक स्थल पर भी पत्थर बरसाए थे। इस दौरान आधा दर्जन से अधिक लोग घायल हो गए थे। सूचना पाकर जिला प्रशासन के आलाधिकारियों ने मौके का जायजा लिया था। बाद में बिजली आपूर्ति बहाल किए जाने पर मामला शांत करने का प्रयास किया था।

सुबह होते ही दूसरे संप्रदाय के सैकड़ों लोग घटना के विरोध में सड़क पर उतर आए। आक्रोशित लोगों ने प्रशासन विरोधी नारेबाजी करते हुए चौक, बाकरगंज, ज्वालागंज की सड़कों में घूमते हुए कोतवाली का घेराव किया। इस दौरान पुलिस अधिकारी प्रदर्शनकारियों के सामने सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रहने की गुहार लगाते रहे लेकिन वह आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर गिरफ्तार करने मांग पर अडे़ रहे। इस दौरान शहर में सनसनी फैली रही। बाद में पुलिस ने मामला दर्ज कर गिरफ्तारी का भरोसा देकर मामला शांत कराया।


बुधवार की रात की घटना के बाद से शहर में दिनभर सनसनी फैली रही। इस बीच अफवाहों का बाजार गर्म रहा। संवेदनशील माहौल देखते हुए प्रशासन ने चौक बाजार में भारी पुलिस बल मुस्तैद कर लिया। दसवीं के जुलूस की भीड़ के बाद भी लोगों के चेहरे में भय साफ दिखाई पड़ रहा था। जहां एक ओर दसवीं का ताजिया उठाने की तैयारी चल रही थी, वहीं कोतवाली में प्रशासन विरोधी नारेबाजी को सुन लोग सकते में रहे। इस दौरान बाजार में महिलाएं कम दिखीं। यहां तक कि रिक्शा चालक भी चौक सवारी ले जाने से इनकार कर रहे थे। इसी तरह कुछ धर्मगुरुओं की गिरफ्तारी को लेकर अफवाहें शहर में फैली रही। स्थिति को भांपते हुए चौक चौराहा, बाकरगंज, पीलू तले समेत आसपास भारी पुलिस पीएसी के जवान तैनात रहे। जत्थों में पुलिस के जवान गश्त करते रहे।


बुधवार की रात बिगड़ा माहौल थमने से भले ही जिला प्रशासन ने राहत की सांस ली हो। लेकिन दसवीं का मुहर्रम जुलूस शांति से निपटें इसे लेकर जिला प्रशासन चौकन्ना है। प्रशासन ने आनन फानन में कोतवाली परिसर में दोनों संप्रदाय के लोगों के साथ बैठक कर घटना के बाद उपजे माहौल को दूर करने का प्रयास किया। बैठक में दोनों संप्रदाय के लोगों ने अराजक तत्वों की हरकत की पुरजोर निंदा की। मौजूद लोगों ने घटना के लिए प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया। अधिकारियों ने लोगों के सुझाव लेते हुए सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वाले समाज विरोधी तत्वों से निपटने की रणनीति बनाई।पूर्व मंत्री व भाजपा विधायक राधेश्याम गुप्ता ने कहा कि घटना से वह स्वयं आहत हैं जो भी दोषी हो प्रशासन उन्हें चिन्हित कर जेल भेजे। सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने वाले कभी समाज के हितैषी नहीं होते हैं। उन्हें सख्त से सख्त सजा दी जानी चाहिए। शहर काजी कारीफरीउद्दीन कादरी ने कहा कि इस तरह की हरकत करने वाला चाहे जिस संप्रदाय का हो प्रशासन उसके खिलाफ सख्ती से पेश आए। ताकि घटना की पुनरावृत्ति न हो सके। व्यापार मंडल (मिश्रा गुट) नगर अध्यक्ष सत्यभगवान ने घटना के लिए सीधे तौर पर प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया। कहा कि तोड़फोड़ करने वाले अराजक तत्वों के पीछे पुलिस दौड़ रही थी। पुलिस आरोपियों को मौके से ही पकड़ लेती तो मामला यहां तक नहीं पहुंचता। प्रशासन हर बार पीस कमेटी की बैठक कर तमाम वादे करता है लेकिन किसी मामले में अमल नहीं करता है।

नगर पालिका अध्यक्ष अजय अवस्थी ने कहा कि दोनों संप्रदायों के लोगों का एक संगठन तैयार किया जाएगा। जो एक दूसरे के त्योहारों में अपनी सहभागिता निभा कर सांप्रदायिक विवाद से बचा सकें। एसपी रामशंकर ने कहा कि पुलिस तो आरोपियों के खिलाफ सख्ती से निपटेगी। उन्होंने सभी से शांति व्यवस्था कायम रखने की अपील की। जिलाधिकारी सौरभ बाबू ने कहा किसी समस्या के लिए सामाजिक माहौल बिगड़ना कतई ठीक नहीं है। इस मौके पर एडीएम,एएसपी, एसडीएम तथा सीओ मौजूद रहे।दो दिन बाद अब हालात नियंत्रण में है , पुलिस ने छापामारी करके कई अराजक तत्वों को गिरफ्तार किया है ।



10 जन॰ 2009

बूंदाबांदी से मौसम और कड़क

बूंदाबांदी से मौसम और कड़क हो गया है। दिनभर आसमान में बदली छायी रही। सूर्य की किरण के दर्शन भी नहीं हुए। ऐसे में लोग अलाव में बैठकर ही समय काटते रहे। पहले मोहर्रम फिर सेकेण्ड सटर्डे व रविवार का अवकाश होने से शुक्रवार को कार्यालयों में छुट्टी जैसा माहौल रहा। ज्यादातर अधिकारी व कर्मचारी गायब रहे। कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि बारिश यदि सही ढंग से हो जाये तो फसलों को जहां बेहद लाभ मिलेगा वहीं कुहरा भी छंट जायेगा और मौसम साफ हो जायेगा।

यूं तो आसमान में दो-तीन दिन से बादल घुमड़ रहे हैं, लेकिन न तो पानी गिर रहा है और न ही खुली धूप निकल रही है। शुक्रवार को तड़के तो मौसम साफ रहा, लेकिन छ: बजे के बाद से कुहरा की पर्त चढ़ गयी। दस बजे तक कुहरा का कहर और फिर ऐसी बदली छायी कि दिनभर सूर्य के दर्शन ही नहीं हुए। कई बार बूंदाबांदी हुई। शाम चार बजे तो बादल कुछ ऐसे घुमड़े कि लग रहा था कि अच्छी बारिश होगी, लेकिन बूंदाबांदी में ही सिमट गया। बदली से मौसम शाम के समय और भी कड़क हो गया। दिनभर बाजारों में सन्नाटा पसरा रहा। जगह-जगह अलाव जले। होटल की भट्ठियों आदि में दिनभर हाथ गर्म करने वालों की भीड़ लगी रही। लंबे अवकाश के बाद स्कूल, कालेज शुक्रवार को खुले। हालांकि बाद में परिषदीय स्कूलों में शीतलहर के कारण अवकाश घोषित किया गया, लेकिन अंग्रेजी माध्यम के स्कूल खुले रहे। बच्चे तड़के से ही स्कूलों के लिये तैयार होकर निकल पड़े।

बदली व बूंदाबांदी से नम हुए मौसम से जनजीवन अस्त-व्यस्त रहा। कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि इस समय यदि अच्छी बारिश हो जाये तो पैदावार में चौथाई का इजाफा हो जायेगा। असिंचित क्षेत्रफल की फसलों के लिये तो बारिश वरदान हो जायेगी। अभी तक जो बूंदाबांदी हुई है उससे फसलों पर कोई प्रभाव पड़ने वाला नहीं है। जिला कृषि अधिकारी डा.राजेश कुमार ने कहा कि बारिश की संभावनायें हैं। यदि बारिश हो जाये तो कुहरा साफ होने के साथ मौसम साफ हो जायेगा।

बूंदाबांदी के साथ बढ़ी शीतलहर पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने दस जनवरी तक स्कूलों में अवकाश घोषित कर दिया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर दूरभाष से मिली सूचना के आधार पर सभी परिषदीय, सहायता प्राप्त व मान्यता प्राप्त विद्यालयों में नौ व दस जनवरी को अवकाश किया जा रहा है। शनिवार को विद्यालय बन्द रहेंगे।

8 जन॰ 2009

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7 जन॰ 2009

शादीपुर क्रासिंग में जाम की समस्या लोगों के सिर चढ़ कर बोल रही ...

शहर के रेलवे क्रासिंग में जाम की समस्या आम हो गई है। जहां गेट के खुलने के इंतजार में मुसाफिर घंटों खडे़ रहते हैं। लोग धैर्य छोड़ कर गेट के नीचे से छोटे वाहन निकाल कर निकलने लगते हैं। सुबह कई घंटे क्रासिंग बंद होने से दूर तक वाहन कतारबद्ध खडे़ रहते हैं। गेट खुलते ही वाहन निकलना तो दूर लोगों को पैदल निकलना मुश्किल हो जाता है। इस दौरान क्रासिंग पर वाहन रेंगते रहते हैं। कई बार भीड़ निकलने से पहले ही क्रासिंग बंद कर दी जाती है।शहर के दोनों रेलवे क्रासिंग से आवागमन होने के बावजूद लोगों को जाम की समस्या से निजात नहीं मिल पा रही है। सुबह शाम यह समस्या लोगों को परेशान कर देती है। खास कर शादीपुर क्रासिंग में जाम की समस्या लोगों के सिर चढ़ कर बोल रही है। 10 बजे से 12 बजे और शाम चार बजे से सात बजे के बीच क्रासिंग पार जाना मुश्किलों भरा है। लगातार कई रेलगाçड़यों के ट्रैक से निकलने से काफी देर तक गेट बंद रहता है। इंतजार में खडे़ वाहन चालकों का आखिर में धैर्य छूट जाता है। लोग जान जोखिम में डाल कर गेट के नीचे से वाहन झुका कर निकाल कर क्रासिंग पार करते हैं।

लोगों का कहना है कि हरिहरगंज में उपरिगामी सेतु निर्माण शुरू होने से क्रासिंग से आवागमन बंद कर दिया जाएगा। शादीपुर क्रासिंग में लोड बढ़ने से समस्या दो गुनी हो जाएगी। तब क्रासिंग से निकलना मुश्किलों भरा होगा। लोगों का कहना है कि समस्या को देखते हुए प्रशासन को क्रासिंग से चार पहिया समेत भारी वाहनों के आवागमन पर रोक लगा कर इन वाहनों को ओवर ब्रिज से पार कराना चाहिए। एसएस वीके शर्मा ने बताया कि बंद क्रासिंग से निकलना रेलवे एक्ट में अपराध है लेकिन स्थिति को देखते हुए आरपीएफ किसी के खिलाफ मामला दर्ज नहीं करती है। सुबह शाम ट्रैक पर ट्रेनों की भरमार होने पर कई घंटे क्रासिंग बंद रहने से समस्या लाइलाज हो जाती है।

5 जन॰ 2009

हाथ में है हथियार पर बेकार !!!

सूचना के अधिकार के तहत जनता को जानकारी मांगने का मिला यह हथियार पूरी तरह से कारगर साबित नहीं हो पा रहा है। सूचना मांगने में मनमानी और मांगी गई जानकारी देने में हीला हवाली का खेल बदस्तूर जारी है। केवल कुछ लोगों तक सिमटा यह कानूनी अधिकार शासन की मंशा को कितना पूरा कर रहा है यह देखने की बात है।

जनसूचना अधिकार जनता को सौंपते हुये सरकार ने आशा की थी की इसके माध्यम से आम जन सरकार द्वारा चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं की वास्तविकताओं से परिचित हो सके। साथ ही दूसरी अन्य जानकारियां जो वह चाहता है उन सबकी भी उचित जानकारी समुचित ढंग से मिले। पर वास्तविकता इस अधिकार की मंशा से कोसों दूर है। जनपद भर में सभी विभागों से इस अधिकार तहत लगभग पाँच सौ सूचनायें मांगी गई हैं। जिनमें लगभग चार सौ सूचनायें विभिन्न विभागों में लंबित हैं जिनका जवाब किसी न किसी कारण नहीं दिया जा सका है। सरकारी विभागों पर अगर एक नजर डाली जाये तो आम जन को मिले इस हथियार की हकीकत सामने आ जाती है। आंकड़ों के अनुसार उन विभागों से ज्यादा सूचनाएं मांगी जा रही हैं जो सीधे तौर पर जनता से जुड़े हुए हैं। सूचना मांगने वाले इसे अपना अधिकार समझते हुए विभागों से सूचनाएं मांगते हैं और विभाग जानकारी उपलब्ध करवाने में मनमाना समय लगाते हैं। जन सूचना अधिकार एक बड़ा और महत्वपूर्ण अधिकार है जो सूचना मांगने वाले के हाथों में हथियार के जैसा है किन्तु जानकारी के अभाव में यह व्यर्थ साबित हो रहा है।

हाथ में है हथियार पर बेकार

जनसूचना अधिकार आम जनता के हाथों में सरकार द्वारा दिया गया एक दमदार और बड़ा अधिकार है जिसके माध्यम से कोई भी आदमी दस रूपये के फार्म को भरकर किसी भी विभाग से आवश्यक सूचनायें मांग सकता है। किन्तु इस बड़े अधिकार की पूरी जानकारी के अभाव में इसका सदुपयोग न होकर दुरुपयोग अधिक हो रहा है। विभाग तो जानकारी उपलब्ध करवाने में हीला हवाली करते ही हैं सूचना मांगने वाले भी कम कमाल नहीं कर रहे हैं। ऐसी सूचनायें मांगी जा रही हैं जिनका कोई मानक ही नहीं होता है। यानी एक तरफ हीला हवाली तो दूसरी तरफ मनमानी जारी है। यही नहीं यह दमदार अधिकार कुछ लोगों तक सिमट कर रह गया है जो कभी खुद तो कभी दूसरों के कंधे पर बंदूक रखकर अपने स्वार्थो पर निशाना लगाते हैं तो कुछ इस अधिकार के माध्यम से अपनी दोस्ती, दुश्मनी को भी अंजाम दे रहे हैं।

गुरु गोविंद सिंह जयंती आज पांच जनवरी को मनायी जा रही है

राज करेगा खालसा पंथ की जीत वाहो, वाहो गोविंद सिंह आपे गुरुचेला..के गगनभेदी नारों के साथ गुरु गोविंद सिंह के नगर कीर्तन की पूरे शहर में धूम रही। पटियाला से आयी गतका पार्टी ने लाठी, तलवार, भाला, बरछी, गोला आदि से शौर्य प्रदर्शन कर देखने वालों को दंग कर दिया। तोपों से फूल बरसे और महिलाओं, बच्चों की स्वरलहरी में गुरु गोविंद सिंह व नानकदेव के गीत फूटे। पंच प्यारों का जगह-जगह स्वागत कर लोगों ने गुरु के प्यारों का उत्साहवर्धन किया।

गुरु गोविंद सिंह जयंती आज पांच जनवरी को मनायी जा रही है इसके पूर्व शुक्रवार को नगर कीर्तन का कार्यक्रम कराया गया। कंपकपाती ठंड व कुहरा के बीच शोभायात्रा पूरे जोश के साथ निकाली गयी। सरदार लाभ सिंह, गुरुचरन सिंह, सरदार नामी, संतबक्श सिंह, हरप्रीत सिंह पंच प्यारे के स्वरूप में आगे-आगे चल रहे थे। तलवार हाथ में लिये यह पंच प्यारे सभी को दसवें गुरु का संदेश राज करेगा खालसा पंथ की जीत सुना रहे थे। पटियाला की गतका पार्टी के जवानों ने जबर्दस्त शौर्य प्रदर्शन कर लोगों को दांतों तले अंगुली दबाने को मजबूर कर दिया। नगर भ्रमण हरिहरगंज स्थित गुरुद्वारे से रेलवे स्टेशन, जैन मंदिर होते हुए शादीपुर चौराहा से पटेलनगर, आईटीआई रोड से वर्मा चौराहा, कलक्टरगंज, हरिहरगंज होते हुए देर शाम गुरुद्वारे पहुंचा। मुख्य चौराहों में गतका पार्टी का नेतृत्व कर रहे रंजीत सिंह के साथ सोलह पारंगत जवान थे जो लाठी, तलवार, भाला से हैरतअंगेज करने वाले करतब दिखाये। कोकाकोला की बोतल व विद्युत राड से जवान ऐसे खेले जैसे कांच की जगह फूलों की चोटें लग रही हों। बोतल व राड चकनाचूर हो गया। यह करतब देखने के लिये नगर भ्रमण में सैकड़ों लोग पीछे-पीछे चलते रहे।

शादीपुर , पटेलनगर के अलावा वर्मा चौराहा, कलक्टरगंज व हरिहरगंज में भी शोभायात्रा का स्वागत हुआ। नगर पालिका अध्यक्ष अजय अवस्थी ने व्यापार मंडल के सहयोगियों के साथ शोभायात्रा का स्वागत किया। पालिका द्वारा कई जगह तोरणद्वार भी बनवाये गये थे। गुरुग्रन्थ साहिब का रथ शोभायात्रा के आगे चल रहा था जिसमें सभी निकलने वालों को प्रसाद वितरित किया गया। महिलाओं की एक टोली ढोलक, मंजीरा और झांझ के साथ सबद कीर्तन करती रही। सरस्वती विद्या मंदिर इण्टर कालेज के छात्र झंडा लेकर शोभायात्रा के साथ चल रहे थे। नगर के संभ्रांत लोग भी शोभायात्रा में शामिल हुए और गुरु गोविंद सिंह के आदर्शो को याद करते हुए कहा कि आज के समय में जुल्म-ज्यादती से लड़ने के लिये हर व्यक्ति में एक जज्बा की जरूरत है और यह गुरु गोविंद सिंह के आदर्शो से ही सीखा जा सकता है।

नगर पालिका लोगों को गलन भरी ठंड से निजात दिला पाने में पूरी तरह से नकारा साबित

नगर पालिका इन दिनों गरीबों के हक में पूरी तरह डाका डालने में जुटी हुयी है। अलाव जलवाने के नाम पर कर्मचारी सिर्फ खानापूरी कर रहे है। लकडियाँ डलवाने में भी कंजूसी बरती जा रही है। सूत्रों की माने तो लकड़ियों का जमकर गोलमाल किया जा रहा है। अलाव प्रभावी के अनुसार सभी चौक चौराहों और प्रमुख स्थानों में अलाव जलवाये जा रहे है। अभी तक चार ट्रैक्टर में करीब साठ कुंतल लकड़ियां जलवायी जा चुकी है। बताया कि लकडियाँ डलवाने के दौरान जनता थोड़ा परेशान कर रही है।

सर्दीली हवाओं के डोलने से अच्छे अच्छे डोल गये है। लगातार गलन बढ़ने से आम जनजीवन अस्त व्यस्त होकर रह गया है, जबकि नगर पालिका लोगों को गलन भरी ठंड से निजात दिला पाने में पूरी तरह से नकारा साबित हो रही है। पालिका का जगह जगह अलाव जलाने का दावा पूरी तरह खोखला निकला। हकीकत तो यह है कि पालिका कर्मियों ने दो चार स्थानों में लकड़ियां डालकर पल्ला झाड़ लिया है। जबकि अलाव जलवाने के लिये पालिका ने पचास स्थान चिन्हित किये थे।

सुबह शाम पड़ रहे भयंकर कोहरे और गलन भर्री सर्दी से जिंदगी ठहर सी गयी है। बस स्टैड और रेलवे स्टेशन में चाय पान की दुकानों में मुसाफिर हाथ सेंक ते नजर आ रहे है। कंपकपाती ठंड से सबसे ज्यादा गरीब बेहाल है। आरोप है कि पालिका कर्मी लकड़ियां डालवाने में सौतेला व्यवहार अपना रहे है।

ठंड के चलते कहां-कहां अलाव जलवाये जा रहे है, इसका निरीक्षण शनिवार को नगर पालिका चेयरमैन अजय अवस्थी ने शहर के प्रमुख स्थानों में जाकर किया। भ्रमण के दौरान चेयरमैन को कुछ स्थानों में लकड़ी न डलवाने की शिकायतें मिलीं। इस पर चेयरमैन ने सभी प्रमुख स्थानों पर अलाव जलवाने का आश्वासन दिया।

2 जन॰ 2009

फतेहपुर में सर्दी का प्रकोप शुरू

कोहरे के साथ शीत लहर का प्रकोप शुरू होते ही आम जनजीवन अस्त व्यस्त होकर रह गया है। कड़ाके की ठंड के कारण गुरुवार को लोगों का हाल बेहाल रहा। कचहरी और तहसीलों में ठंडक से राहत पाने के लिए लोगों ने लकड़ी खरीद कर अलाव जलाने की व्यवस्था की। दिनभर धूप के दर्शन नहीं होने के कारण लोग ठिठुरते रहे। उधर, कड़ाके सदीü होने के बावजूद नगर पालिका परिषद ने अभी तक अलाव जलाने की व्यवस्था नहीं की।गुरुवार इस मौसम में अब तक का सबसे सर्दी वाला दिन रहा। सुबह से ही कड़ाके की ठंडक होने के कारण लोगों का हाल बेहाल रहा। सरकारी और गैर सरकारी दफ्तरों में अधिकारियों और कर्मचारियों की उपस्थिति न के बराबर रही। जो आए भी उनकी कुर्सियां खाली पड़ी रहीं। अधिकारी और कर्मचारी सर्दी से राहत पाने के लिए होटल, चाय की दुकानों पर भटि्ठयों को घेरे रहे। दफ्तर देर से खुले और जल्दी बंद हो गए।

कचहरी और तहसीलों में वादकारियों का टोटा रहा। जो आए भी पेशी की तारीख लेकर चलते बने। कचहरी और तहसीलों में तैनात सुरक्षा बलों का ठंडक से हाल बेहाल रहा। आस पास के टालों से लकड़ी लाकर अलाव जलाने की व्यवस्था की। अलाव सर्दी से राहत पाने के लिए लोग घेरे रहे। ऐसी स्थिति में रेलवे स्टेशन और बस स्टापों में यात्रियों का हाल बेहाल रहा। अगर शीतलहर का यही हाल रहा तो जनहानि होने का सिलसिला शुरू होने से इंकार नहीं किया जा सकता।

उधर नगर पालिका परिषद के चेयरमैन अजय अवस्थी का कहना है कि शहर के प्रमुख 20 सार्वजनिक स्थलों पर अलाव पहले से ही जल रहे हैं। सभी में प्रतिदिन शाम के समय परिषद कर्मचारी लकड़ी डालते हैं। उन्होंने बताया कि गुरुवार को सर्दी बढ़ने के कारण अलाव की संख्या बढ़ाने की जरूरत दिखाई पड़ी है। ऐसी स्थिति में जरूरत के हिसाब से अन्य स्थानों पर अलाव लगाने के भी निर्देश जारी कर दिए गए हैं। अगले दिन तक शहर में जगह-जगह अलाव जलते दिखाई पड़ेंगे।

शीत लहर शुरू होते ही बाजारों में सन्नाटा पसर गया है। दुकानों में दिनभर ग्राहकों का टोटा रहा। अधिक ठंडक के कारण दुकानें विलंब से खुलीं और शाम ढलते ही बंद होने का सिलसिला चालू हो गया। इस तरह से अन्य दिनों की अपेक्षा बाजार पहले ही बंद हो गए। चौक बाजार में दूकानदारों का कहना है कि गुरुवार का दिन अधिक सर्दीला होने के कारण व्यवसाय पर विपरीत असर पड़ा। गिने चुने लोग ही खरीदारी करने आए।

आज अमृत कथा का अन्तिम दिन !!

श्रीमदभागवत अमृत कथा में आचार्य हरनारायण जी ने कहा कि आतंक अत्याचारों में हो रही वृद्धि से आम जनमानस मानसिक पीड़ा में है। उन्होंने कहा कि ऐसी कराह जब एक साथ उठती है तभी धरा में परमात्मा का अवतार होता है।

हाय्डिल कालोनी में चल रही भागवत कथा को आगे बढ़ाते हुए आचार्य जी ने कहा कि जब-जब धर्म की वर्जनायें शिथिल हो जाती हैं, आतंक व अत्याचार में वृद्धि हो जाती है। उन्होंने कहा कि सम्पूर्ण मानवता के प्रतिनिधि के रूप में गुरु विश्वामित्र अयोध्या जाकर प्राणों से प्रिय राम को माता-पिता की गोद से जन कल्याण के लिये प्राप्त करते हैं और उन्हीं की मदद से राक्षसों का संहार करवाते हैं। इसके माध्यम से वह विश्व को यह संदेश देते हैं कि अभय रहो, धैर्य धारण करो राम अवतार हो चुका है। विश्व के मित्र जो हों वह आज भी मानवता को आश्वस्त करने का कार्य करते हैं। अखिल विश्व के मित्र को ही विश्वामित्र की संज्ञा प्राप्त होती है। आज भी कोई व्यक्ति विश्व मित्र बन सकता है इसके लिये उन्हें सतपथ पर चलकर विश्व कल्याण में सहयोगी भाव से काम करना होगा। उन्होंने कहा कि यह जग सुन्दर से सुन्दरतम हो जायेगा। महान आत्मायें क्रोध भी सृजन करती हैं। आम मनुष्य क्रोध में विध्वंस करता है यही महान और साधारण में अंतर है। उन्होंने कहा कि अपने से श्रेष्ठ और बुजुर्गो की बात मानकर जो कार्य किया जाता है वह कल्याणकारी होता है। राजा दशरथ ने अपने से श्रेष्ठों की बात मानकर ही भगवान राम को गुरु विश्वामित्र के साथ भेजा। उन्होंने कहा कि पृथ्वी में यदि कोई भी साक्षात देवता है तो वह है माता, पिता और गुरु। इन तीनों से अच्छी सीख ही मिलती है और यह अपने बच्चे व शिशु को अपने से भी अधिक ऊंचाइयों पर देखकर खुश होते हैं।