28 फ़र॰ 2009

फतेहपुर:विज्ञान शिक्षा के नाम पर जनपद में होती है खानापूरी

जनपद में विज्ञान की शिक्षा दीक्षा के लिये न तो कोई कारगर काम हो रहा है और न ही इसके लिये उपयुक्त संस्था ही है। जो हो रहा है वह बस खाना पूरी के लिये न कि किसी उपलब्धि को हासिल करने के लिये।

आज विज्ञान दिवस है पर पूरे जिले में विज्ञान शिक्षण किसी रूप में हो रहा है। सरकारी या प्रशासनिक स्तर पर कोई वैज्ञानिक हलचल होती नहीं समझ में आती है। इस वैज्ञानिक युग में इस जिले में एक भी केवल विज्ञान विषयों के लिये विद्यालय नहीं है इतना ही नहीं 12वीं पास कर चुकने के बाद विज्ञान के अध्यवसायी को दूसरे बड़े नगरों का रूख करना पड़ता है। गांवों की बात छोड़ दे तो भी इस नगर में एक भी महाविद्यालय विज्ञान शिक्षण के लिये नहीं है। नगर परिक्षेत्र में इंटर मीडिएट स्तर पर गिनती के दो एक विद्यालय हैं जहां विज्ञान के शिक्षण की व्यवस्था है बाकी शिक्षा संस्थान विज्ञान के शिक्षण प्रशिक्षण के नाम पर शून्य हैं। कहीं पर विज्ञान विषय नहीं है तो कहीं पर प्रयोगशाला दयनीय हाल में है, कहीं पर दोनो हैं तो विज्ञान शिक्षक का टोटा है। नगर स्थित महाविद्यालय में विज्ञान विषय की सुविधा नहीं है। जिले में भी गिनती के नव स्थापित महाविद्यालय हैं जहां पर विज्ञान विषय की सुविधा है पर यहां के शिक्षकों की ज्ञान गरिमा के बारे में पढ़ रहे छात्र ही बेहतर जानते हैं।


राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस के जिला समन्वयक का कहना हैं कि यहा विज्ञान के अध्ययन की कोई सुविधा ही नहीं है। ऐसा नहीं है कि यहां वैज्ञानिक प्रतिभायें नहीं हैं मुश्किल यह है कि कोई उनकी ओर निहारने वाला नहीं है। विज्ञान के अध्ययन के उपयुक्त परिवेश नहीं है। विज्ञान शिक्षक सुरेंद्र सिंह का कहना हैं कि विज्ञान के उपयुक्त माहौल बने इसकी चिंता प्रशासन को कभी नहीं होती है। इससे विज्ञान के विद्यार्थी मायूस होकर दूसरे नगरों को पलायन करते हैं। राजकीय इंटर कालेज के प्रधानाचार्य का मानना हैं कि यहां पर लगातार तारतम्य ढंग से विज्ञान का शिक्षण प्रशिक्षण हो इसके लिए सबसे पहले प्रायोगिक सुविधायुक्त संस्था होनी चाहिए।


विज्ञान तो पढ़ना चाहते हैं पर ..

जहां से जिला योजना में विज्ञान शिक्षण प्रशिक्षण मद में आया धन बिना खर्च हुए वापस हो जाता हो वहां से अच्छे चिकित्सक, अभियंता या वैज्ञानिक निकलेंगे भी कैसे? इंटर की परीक्षा में सम्मिलित होने जा रहे विज्ञान वर्ग के विद्यार्थी मायूस तो हैं ही निराश भी हैं। मायूस इसलिए कि विज्ञान के क्षेत्र में पढ़ाई और काम करने का कुछ हासिल नहीं है बनाये गये प्रोजेक्ट धूल खा रहे हैं। निराश इसलिए कि विज्ञान की उच्च शिक्षा के उपयुक्त न परिवेश है और न ही प्रायोगिक व्यवस्था जिससे परिणाम शून्य हो जाता है।


बारहवीं की परीक्षा देने जा रहे बच्चे अभी से हैरान हैं कि स्नातक स्तर पर विज्ञान की पढ़ाई अब वह अपने शहर में नहीं कर सकेंगे। बच्चों से बातचीत करने पर उनका कहना था कि जहां पढ़ता हूं वहां तो ठीक है पर आगे कुछ नहीं दिखाई देता। अपने नगर में विज्ञान की पढ़ाई न कर पाने का दर्द व्यक्त करते हुए बच्चों का कहना था कि केवल डिग्री कालेज होने से ही तो सब कुछ नहीं हो जाता वहां पर शिक्षण के उपयुक्त सुविधाएं भी तो मिलनी जरूरी हैं। साथ ही कहा कि किताबें तो कहीं भी पढ़ी जा सकती हैं न समझ में आने पर सामने वाले से सहायता भी ली जा सकती है पर प्रायोगिक व्यवस्था के बिना सब शून्य हो जाता है बिना प्रयोग किये विज्ञान के चैप्टर पूरी तरह समझ में नहीं आते। पूरे जिले में एक भी ढंग का विज्ञान शिक्षण हेतु कोई संस्था नहीं है जहां पर थ्योरी के साथ प्रैक्टिकल की भी समुचित जानकारी और सुविधा मिल सके। ऐसे में बहुत सी प्रतिभाएं जो बाहर रहकर नहीं पढ़ सकतीं वह मन मारकर विषय परिवर्तन करने को मजबूर होते हैं। पुराने कालेज में विज्ञान विषय में उपयुक्त सुविधा नहीं है नये खुल रहे महाविद्यालय भी उच्च स्तरीय प्रायोगिक सुविधाएं नहीं दे पा रहे हैं साथ ही यहां पर स्टाफ भी संतोषजनक काम करने वाला नहीं मिल पाता है।

27 फ़र॰ 2009

जनता कहती है कि इसे विद्यालय निधि का नाम देना चाहिए

निजी स्कूलों की इमारतों को आलीशान बनाने में ही सांसद निधि की आधी थैली खप गयी है। यह वर्ष चुनावी होने के कारण आखिर सब को खुश करने की गरज भी है। कार्यकर्ता हो या फिर वोट बैंक चार साल तक आस लगाये रहे तो अंतिम वर्ष निधि की थैली से रेवड़ी की तरह काम बांटे गये। एक लाख से लेकर तीन-चार लाख तक के आधा सैकड़ा से अधिक प्रस्ताव सांसद निधि से किये गये। पिछले पांच वर्षो में यूं तो निधि का दस करोड़ खर्च हो गया, लेकिन संसदीय क्षेत्र में सांसद विकास निधि से कराया गया कोई बड़ा कार्य नजर नहीं आ रहा है।

सांसद विकास निधि योजना में जिस तरह से निजी स्कूलों की हिस्सेदारी बढ़ती जा रही है उससे आम जनता यही कहती है कि इसे तो विद्यालय निधि का नाम दे देना चाहिए। दूसरे काम माननीयों को नजर ही नहीं आते हैं। पिछले चार वर्षो के आंकड़ों को यदि लिया जाये तो सांसद निधि से तकरीबन चालीस से पचास फीसदी धन स्कूलों की इमारतों को संवारने के लिये दिया गया। बरातघर, मिलन केन्द्र, सीसी रोड, खड़ंजा आदि की हिस्सेदारी चालू वित्तीय वर्ष में चुनावी वर्ष के कारण अवश्य बढ़ी पर इसके पहले प्राथमिकता स्कूलों को ही मिलती रही है।


दो करोड़ की थैली में विद्यालयों को तकरीबन अस्सी लाख रुपये की धनराशि दी गयी है। जबकि सबसे अहम् समस्या विद्युत पर सांसद की थैली से मात्र चालीस हजार रुपये ही निकले हैं। आम मतदाता कहते हैं कि विद्यालयों को धनराशि देने के चक्कर में जरूरतें पीछे पड़ जाती हैं। पिछले चार सालों से सड़क, खड़ंजा व नाली के लिये पैसा मांगा जा रहा है। अंतत: अंतिम वर्ष मिल पाया है। कुछ लोगों को तो इस आश्वासन पर टाल दिया गया कि जीत गये तो फिर काम अवश्य करायेंगे।


स्कूलों को पैसा देने के सवाल पर वर्तमान सांसद महेंद्र निषाद का कहना है की ऐसा नहीं है जो क्षेत्र शिक्षा से पिछड़े हुए हैं वहां के स्कूलों को सुविधा सम्पन्न बनाने के लिये धनराशि दी गयी है और इसका लाभ समाज के हर वर्ग को मिलेगा।जबकि हर आम आदमी सामझता है की विद्यालय में धन लगाने के माननीयों को क्या क्या फायदे मिलते है ।

22 फ़र॰ 2009

फतेहपुर : थवईश्वर बाबा का धाम

महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर शिवभक्त अपने औघड़दानी बाबा भोले को मनाने की तैयारियों में जुट गए हैं। जिले के शिवालयों में इसकी तैयारियां की जाने लगी हैं। इन्हीं में एक पावन धाम है थवईश्वर बाबा।


थवईश्वर बाबा का धाम गजब की पौराणिक कथाओं और आस्थाओं को समेटे यह स्थान शिव-भक्तों की खासी श्र्रद्धा का प्रतीक है। थवईश्वर बाबा के विशाल शिवलिंग के दर्शन मात्र से मुंह मांगा वरदान श्र्रद्धालुओं को मिलता है। इसलिए शिवरात्रि के अवसर पर यहां दूर दराज से शिवभक्तों का जमावड़ा एकत्र होता है।शिवरात्रि के दिन इस धाम में सैकड़ों घंटे-घडियालों और शंखनाद की आवाजों को सुनने के लिए दूर-दूर से आने वाले मन में श्रृद्धा और मनवांक्षित फल की प्राप्ति के लिए एकत्रित होते हैं। भोले को मनाने के लिए ऊँ नमः शिवाय, बम-बम शिव-शिव के गगनभेदी जयकारों से मंदिर परिसर गूंजता रहता है।


बताते हैं कि यहां जैसा विशाल शिवलिंग इस जिले में ही नहीं वरन आसपास के जिलों में भी नहीं है। मान्यता है कि यह शिवलिंग प्रतिदिन एक चावल के आकार का बढ़ता है। फूल, बेलपत्र, धतूरा, गुड़ की भेलियां आदि वस्तुओं से पूजा की थाल सजाकर श्र्रद्धालु इनकी पूजा करते हैं। यहां पर परिक्रमा का महत्व है। श्र्रद्धानुसार अपने-अपने तरीके से कोई लेट कर बाबा के दर्शन के लिए आता है तो कोई भागीरथी से गंगाजल लेकर नंगेपैर बाबा से अर्जी लगाता है।


यहां की विचित्र आस्था है कि शिवभक्त गुड़ की भेलियों को मंदिर के एक छोर से दूसरे छोर में फेंकते हैं। वहीं दूसरे छोर पर भगवान का प्रसाद मानते हुए लपकने वालों की खासी भीड़ बनी रहती है। इस दिन एक विशाल मेले का आयोजन भी होता है। मेले में दैनिक वस्तुओं सहित तमाम दुर्लभ वस्तुओं की खरीद- फरोक्त के लिए लोग एकत्रित होते हैं।

21 फ़र॰ 2009

फतेहपुर : ब्लॉगर आईडी कैसे बनाई जाए?

कई पत्र मिले हैं हैं ...जिनमे कई सदस्यों ने जानना चाह है की आख़िर ब्लॉगर आईडी कैसे बनाई जाए। तो आज एक भ्रम को समाप्त करते हुए मैं बताना चाहूँगा कि सबसे पहले ये समझ लिया जाए कि जीमेल अकाउंट और ब्लॉगर अकाउंट दो एकदम अलग चीजें हैं. केवल जीमेल पर अकाउंट बना लेने भर से आपका ब्लॉगर प्रोफाइल नहीं बन पायेगा

अगर आप अपना ब्लॉग बनाना चाहते हैं, या सिर्फ़ ब्लॉगर प्रोफाइल ही बनाना चाहते हैं, (जी हाँ ये भी सम्भव है कि आप बिना ब्लॉग बनाये सिर्फ़ ब्लॉगर आईडी ही बना लें, जोकि इस ब्लॉग से जुड़ने के लिए जरूरी है ) तो आपको अपना जी-मेल अकाउंट को लोगिन करके ब्लॉगर होम पेज को लोगिन करके अपनी जानकारी भरके बना सकते हैं
अब अगर आप ब्लॉगर मेन पेज से लोगिन करते हैं तो अपने डैशबोर्ड पर पहुँच जायेंगे ।

डैशबोर्ड कुछ ऐसा दिखेगा. आप ध्यान दें कि प्रोफाइल पृष्ठ का लिंक दिख रहा है पर अभी तक आपका ब्लॉग नहीं बना है। इस बारे में प्रोफाइल बताता है कि अभी आप किसी ब्लॉग के लेखक नहीं हैं । आपकी प्रोफाइल तैयार है। अब आप किसी भी ब्लॉगर ब्लॉग पर कम्मेंट कर सकते हैं ।

Reliance Vacancies

Urgent requirement of professionals in Software Engineering
For applying and details go to www.RelianceVacancies.com and post your tailor made resume to the suitable Jobs separately according to the profile and location.

फतेहपुर:न पता है केन्द्र न मिले प्रवेश पत्र- बोर्ड परीक्षा का हाल

बोर्ड परीक्षा के इतिहास में शायद यह पहला मौका होगा जब परीक्षा के मात्र एक सप्ताह बचे हैं और शिक्षा विभाग को यह तक नहीं मालूम की किन केन्द्रों में परीक्षा करायी जानी है। प्रश्नपत्र व उत्तर पुस्तिकायें डंप पड़ी हैं। पचपन हजार छात्र-छात्राओं को अभी तक प्रवेश पत्र नहीं मिले हैं और न ही यह बताया जा रहा है कि कब मिलेंगे। यह तो वह जानते तक नहीं कि उन्हें किस केन्द्र में परीक्षा देने जाना होगा। न तो केन्द्र व्यवस्थापकों की तैनाती हो पायी और न ही कक्ष निरीक्षकों की सूची बनी है। ऐसी अव्यवस्था के बीच दो माह से शुरू होने वाली बोर्ड परीक्षा के लिये प्रधानाचार्य भी हाथ खड़े करने लगे हैं। उनका कहना है कि ऐनवक्त पर सभी व्यवस्थायें कर पाना मुश्किल है। वह यह स्वीकारते हैं कि इस बार परीक्षा अफरातफरी के माहौल पर होगी।


माध्यमिक शिक्षा परिषद की बोर्ड परीक्षा के लिये केन्द्रों का निर्धारण सामान्य तौर पर जनवरी माह के अंत तक तय हो जाता है। प्रधानाचार्यो की मानें तो बोर्ड परीक्षा के इतिहास में यह पहला मौका है जब परीक्षा के मात्र आठ दिन रह गये हैं और बोर्ड से केन्द्र की सूची नहीं मिली है। मुश्किल यह है कि बोर्ड ने प्रश्नपत्र पुरानी सूची के आधार पर भेज दिये हैं। संशोधित सूची में नये स्कूल बढ़ने के साथ ही कई स्कूलों में छात्र संख्या कम और ज्यादा होगी ऐसे में प्रश्नपत्र के बंडल या तो दोबारा मंगाये जायेंगे या फिर परीक्षा के दिन ही प्रश्नपत्र इधर से उधर किये जायेंगे। इस समस्या का समाधान कैसे होगा इसका जवाब शिक्षा विभाग के अधिकारी भी नहीं दे पा रहे हैं।


परीक्षा केन्द्रों का निर्धारण इस बार शुरू से ही विवाहित रहा। बोर्ड द्वारा कम्प्यूटराइज्ड व्यवस्था से किये गये निर्धारण में पहली सूची में इतनी खामियां आ गयी थीं कि प्रशासन को काफी तब्दीली के साथ दूसरी सूची भेजनी पड़ी। जिला समिति ने पहली सूची से डिबार केन्द्रों को हटाया। दूसरी सूची जब आयी तो प्रशासन को विधायक निधि के घोटाले में शामिल विद्यालयों की याद आयी फिर प्रशासन ने बोर्ड सचिव को पत्र भेजकर घोटाले के आठ विद्यालयों को हटाकर दूसरे नये शामिल करने का प्रस्ताव भेजा। बताते हैं कि उस प्रस्ताव में भी बोर्ड ने कुछ तब्दीली कर जो तीसरी सूची भेजी उसमें बोर्ड ने अपने ही मानकों की धज्जियां उड़ा दीं। सौ से कम छात्रों के कई केन्द्र जहां बना दिये वहीं तीन ऐसे केन्द्र बनाये जहां मानक एक हजार से अधिक यहां तक कि दो हजार परीक्षार्थी आवंटित कर दिये गये। बोर्ड को जब खामियों की जानकारी दी गयी तो नया प्रस्ताव मांगा और उस पर संशोधन कर चौथी सूची जारी करनी थी जो अभी तक नहीं मिली है।


पचपन हजार बोर्ड परीक्षार्थियों की स्थिति केन्द्र न तय होने से खराब होती जा रही है। छात्रों को दस किमी से तीस किमी दूर जाकर परीक्षा देनी है ऐसे में वह ठहरने आदि की व्यवस्था कैसे कर पायेंगे। बोर्ड परीक्षा की तैयारी करें या फिर वह प्रवेश पत्र के लिये विद्यालय के चक्कर काटें। स्कूलों में कक्षा दस व बारह के परीक्षार्थियों का विदाई समारोह कराया जा रहा है, लेकिन उन्हें अभी तक प्रवेश पत्र नहीं दिये गये हैं और प्रधानाचार्य यह बता पाने की स्थिति में भी नहीं हैं कि प्रवेश पत्र का वितरण किस तारीख को करेंगे। मजे की बात तो यह है कि नकल विहीन व शांतिपूर्ण परीक्षा कराने के बोर्ड के दिशा निर्देश भी फाइलों में डंप पड़े हैं। आखिर जब केन्द्र व्यवस्थापक ही नहीं तय हो पाये हैं तो किसे परीक्षा कराने के निर्देश दिये जायें। कक्ष निरीक्षक की ड्यूटी भी नहीं लग पायी है। स्कूलों में कापियां और प्रश्नपत्र कब पहुंचेंगे इसका भी सटीक जवाब अधिकारियों के पास नहीं है। जिला विद्यालय निरीक्षक प्रेम प्रकाश ने यह स्वीकार किया कि बोर्ड से केन्द्र तय न होने से कुछ दिक्कतें तो आ रही हैं उन्होंने कहाकि बोर्ड के जैसे निर्देश मिलेंगे उसी के अनुसार आगे की कार्यवाही की जायेगी। अभी वह कुछ कहने की स्थिति में नहीं है।

19 फ़र॰ 2009

शिक्षकों की तैनाती में मनचाहा विद्यालय लेने का ख्वाब चकनाचूर

नियुक्ति पत्र पाने के साथ ही चार सौ इकतालीस अभ्यर्थी शिक्षक बन गये। छठे वेतन आयोग पर नियुक्ति के साथ ही सत्रह हजार से अधिक वेतन पाने की खुशी के साथ नौकरी मिलने की चौगुना खुशी में शिक्षक उछल पड़े। भले ही बेसिक शिक्षा तैनाती नियमावली 2008 के रोस्टर पर शिक्षकों को असेवित ब्लाकों में तैनाती की गयी हो, लेकिन नियुक्ति पत्र पाने के साथ ही सभी शिक्षक-शिक्षिकायें संबंधित विद्यालयों के लिये कूच कर गये। बेसिक शिक्षा अधिकारी आरके पंडित ने सूची जारी करते हुए दस दिन के अंदर कार्यभार ग्रहण करने के साथ ही समस्त दस्तावेज जमा करने के निर्देश दिये हैं।

छात्र, शिक्षक के मानक में कमजोर विकास खण्ड हंसवा, असोथर, विजयीपुर, हथगाम, धाता व ऐरायां में ही सभी शिक्षकों की तैनाती की गयी है। अंग्रेजी वर्णमाला व न्यूनतम चयन गुणांक को आधार बनाकर शिक्षकों को आरक्षण क्रम में विद्यालय आवंटित किये गये। इस व्यवस्था से छ: विकास खण्डों के अड़तालीस शिक्षक विहीन विद्यालयों में दो-दो शिक्षकों की नियुक्ति की गयी है। तीन सौ छत्तीस एकल विद्यालयों में एक-एक शिक्षक और भेज दिये गये हैं। विशिष्ट बीटीसी 2007 के व बीटीसी 2001 के अभ्यर्थियों से ही उन ब्लाकों के बंद व एकल विद्यालयों की काफी हद तक भरपाई हो गयी है। बताते हैं कि एक सौ उन्नीस विद्यालय एकल शिक्षक के अब भी शेष रह गये हैं। विशिष्ट बीटीसी दूसरे फेरे के शिक्षकों की तैनाती में पहले असेवित छ: ब्लाकों के एकल विद्यालय भरे जायेंगे।


एक हफ्ते की कवायद के बाद सोमवार की देर रात बेसिक शिक्षा अधिकारी ने सामूहिक नियुक्ति सूची जारी कर दी है। शिक्षकों की तैनाती में पहली बार ऐसा हुआ है जब शिक्षकों का मनचाहा विद्यालय लेने का ख्वाब चकनाचूर हुआ है। कम्प्यूटराइज्ड तैनाती में न्यूनतम मेरिट व अंग्रेजी वर्णमाला क्रम में एक सामान्य, एक पिछड़ी जाति, फिर सामान्य फिर एक अनुसूचित जाति के क्रम पर जिसको जो विद्यालय मिला वही दे दिया गया। बताते हैं कि नई तैनाती में ज्यादातर शिक्षक कानपुर के रहने वाले हैं ऐसे में वह मलवां, देवमई ब्लाकों के स्कूलों में जाने के लिये पूरी ताकत लगाये रहे, लेकिन किसी की एक नहीं चली। पूरी पारदर्शिता के साथ जारी की गयी सूची को देखने के बाद महिला अभ्यर्थियों के चेहरों की हवाइयां उड़ने लगीं। नौकरी पाने की खुशी में वह किसी तरह से कार्यभार ग्रहण करने को तो तैयार हैं, लेकिन आगे कैसे प्रतिदिन स्कूल जा पायेंगे इसको लेकर परेशान हैं। बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में दिनभर अभ्यर्थियों का मेला लगा रहा। हालांकि पिछले तीन-चार दिनों से नियुक्ति पत्र लेने के लिये भटक रहे अभ्यर्थी मंगलवार को अभ्यर्थी नहीं शिक्षक बन गये थे और उनके चेहरों में यह खुशी साफ झलक रही थी। एक तो नौकरी मिलने की खुशी और दूसरा छठे वेतनमान पर पहले से दुगुना वेतन पाने का उल्लास देखते ही बन रहा था। बेसिक शिक्षा अधिकारी आरके पंडित ने कहा कि अट्ठाइस फरवरी तक कार्यभार ग्रहण करने के निर्देश दिये गये हैं। नियुक्ति सूची के आधार पर ही प्रधानाध्यापक कार्यभार ग्रहण करा लेंगे। उन्होंने कहा कि जिन विद्यालयों में तैनाती की गयी है पांच वर्षो तक शिक्षकों को वहीं पर पढ़ाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि बेसिक शिक्षा अध्यापक तैनाती नियमावली 2008 का अक्षरश: अनुपालन किया गया है।

फतेहपुर:जिले की मेधा को सम्मान

दैनिक जागरण व एयर इण्डिया के तत्वावधान में आयोजित प्रतिस्पर्धा प्रतियोगिता में महर्षि विद्या मंदिर की भूगोल की शिक्षिका बीना श्रीवास्तव को बोल्ट एवार्ड व कक्षा नौ के छात्र सिद्धांर्थ सिंह को रैंक एवार्ड में द्वितीय स्थान हासिल हुआ। राष्ट्रीय स्तर की इस प्रतियोगिता में मिली सफलता पर छात्रों व शिक्षकों ने खुशी जाहिर की है। प्राचार्य ने बधाई देते हुए कहा कि इससे विद्यालय ही नहीं बल्कि जिले की मेधा को सम्मान मिला है।

दैनिक जागरण व एयर इण्डिया के इन प्रयासों की सराहना करते हुए सम्मान से गदगद शिक्षिका व छात्र ने कहा कि इस तरह के प्रयासों से मेधा का उत्साहवर्धन होता है जो कि समाज और देश दोनों के लिये हितकर है। दोनों ने कहा कि निश्चित तौर पर इस तरह के प्रयास और निचले स्तर पर करने की जरूरत है जिससे गांव की प्रतिभाओं को भी आगे बढ़ने का मौका मिल सके। उन्होंने कहा कि यह कभी सोचा भी नहीं था कि राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में हिस्सा लेने का मौका मिलेगा। सात सितम्बर 2008 को लखनऊ में आयोजित प्रतिस्पर्धा प्रतियोगिता में महर्षि विद्या मन्दिर की भूगोल की शिक्षिका श्रीमती बीना श्रीवास्तव को बोल्ट एवार्ड में द्वितीय स्थान व कक्षा नौ- अ के सिद्धार्थ सिंह को रैंक एवार्ड मिला है। शिक्षिका छात्र जीवन से मेधावी थीं। हाईस्कूल में मेरिट में स्थान मिला। 1976 में नेशनल मेरिट स्कालरशिप मिली। 1971 व 76 में सर्वोत्तम छात्रा का पुरस्कार मिला। शिक्षिका टेबिल टेनिस की प्रतिभावान खिलाड़ी भी हैं। छात्र सिद्धार्थ भी कक्षा में मेधावी छात्र रहे। प्राचार्य एके मिश्र ने सफलता पर बधाई देते हुए कहा कि मेधा से और लोगों को भी कुछ सीखने का मौका मिलेगा।

17 फ़र॰ 2009

Computer jobs

नियुक्ति पत्र के लिये दिनभर भटके अभ्यर्थी, देररात जारी हुई सूची

काउंसिलिंग के बाद नियुक्ति पत्र प्राप्त करने के लिये बीटीसी 2001 व विशिष्ट बीटीसी 2007 के अभ्यर्थी सोमवार को भी भटकते रहे। विभाग ने देररात रोस्टर के अनुसार नियुक्ति की सूची जारी की। बताते हैं कि मंगलवार को अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र दिये जायेंगे। तैनाती में 2001 व 2007 के सभी अभ्यर्थियों को मिलाकर पांच सामान्य, दो बीसी व एक अनुसूचित जाति के अभ्यर्थी को दूर के स्कूलों में भेजा गया है। उधर जिला चिकित्सालय में मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाने के लिये अभ्यर्थियों की भीड़ लगी रही। चिकित्सीय परीक्षण के बाद अभ्यर्थियों को प्रमाण पत्र दिये गये। आखिर नौकरी मिलने की खुशी थी ऐसे में सुविधा शुल्क देने में भी अभ्यर्थियों को गुरेज नहीं रहा। बस पहले प्रमाण पत्र पाने की मारामारी जरूर देखी गयी।

पिछले एक सप्ताह से काउंसिलिंग के साथ ही अभ्यर्थियों की तैनाती की कवायद विभाग कर रहा है। दस फरवरी तक स्कूल भेजने के निर्देशों में अभी तक अभ्यर्थियों के हाथ में नियुक्ति पत्र नहीं मिल पाया है। लोकसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने के पहले शिक्षकों की तैनाती सुनिश्चित करने के लिये विभाग ने नियुक्ति पत्र हाथों-हाथ देने का मन बनाया है। पहले यह था कि सोमवार को हर हाल में नियुक्ति पत्र दे दिये जायेंगे। शायद यही सोचकर अभ्यर्थी सुबह से ही बेसिक शिक्षा कार्यालय में डेरा जमा दिया। मजे की बात तो यह रही कि कार्यालय में कोई भी यह बताने वाला नहीं था कि नियुक्ति पत्र मिलेगा या नहीं। परेशान अभ्यर्थियों ने कई बार हो-हल्ला किया और डीएम कार्यालय तक आने की रणनीति बनाते रहे।

तैनाती में जिलाधिकारी की अनुमति मिलने के साथ ही बेसिक शिक्षा विभाग ने स्कूल आवंटन में बेसिक शिक्षा नियमावली के अध्यादेश को लागू करते हुए वर्ष 2001 व 2007 के अभ्यर्थियों की संयुक्त सूची तैयार की। सामान्य के अभ्यर्थियों की पहले तैनाती की गयी इसके बाद पिछड़ी जाति और फिर अनुसूचित जाति के अभ्यर्थियों को रोस्टर के अनुसार स्कूल आवंटित किये गये। बताते हैं कि न्यूनतम मेरिट पर स्कूल आवंटन में पहले हथगाम, ऐरायां, विजयीपुर ब्लाक के स्कूलों को भरा गया फिर असोथर, हंसवा व अमौली ब्लाक को लिया गया।

बेसिक शिक्षा अधिकारी आरके पंडित ने कहा कि अभ्यर्थियों को मंगलवार को नियुक्ति पत्र हर हाल में दे दिये जायेंगे। काउंसिलिंग के साथ ही अभ्यर्थियों के दस्तावेजों की जांच कर ली गयी है। नियुक्ति पत्र के साथ मेडिकल सर्टीफिकेट, शपथ पत्र जैसी औपचारिकतायें पूरी करा ली जायेंगी।

जिला चिकित्सालय में जल्द नौकरी पाने की ललक में अभ्यर्थियों में मेडिकल सर्टीफिकेट बनवाने के लिये मारामारी देखी गयी। एक सैकड़ा से अधिक अभ्यर्थी नेत्र चिकित्सालय सहित अन्य चिकित्सकों के पास अपना प्रमाण पत्र जारी करवाने के लिये लगे रहे।

16 फ़र॰ 2009

Electricity Problem in Bindki

 
Bindki is one of the tehsil of fatehpur district.It's population is near 1Lakhs but it is facing a lot of problem. one of the biggest problem is Electricity problem.
Electricity problem is a burning problem.due to not proper supply of electricity in the town businees and the future of Nation(means the study of students) are affected very much.None of the person in the bindki or related to bindki helps in this situation.
so i request all the well-wisher of BINDKI please be integrate and helps the town.

विशिष्ट बीटीसी चयन प्रक्रिया 2007 के अंतिम बैच के प्रशिक्षण पश्चात् क्रियात्मक ट्रेनिंग की तैयारियां शुरू

विशिष्ट बीटीसी चयन प्रक्रिया 2007 के अंतिम बैच का पंद्रह दिवसीय सामुदायिक प्रशिक्षण समाप्त होते ही उनके क्रियात्मक ट्रेनिंग की तैयारियां शुरू हो गई हैं। जिला शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट)अंतिम बैच के सभी 192 प्रशिक्षणार्थियों की सूची बेसिक शिक्षा विभाग को भेज दी है। ऐसी हालत में बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में चयनित अभ्यर्थियों को विद्यालयों से संबद्ध करने की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। 16 फरवरी को इन सभी प्रशिक्षणार्थियों को विद्यालय आवंटित कर दिए जाएंगे।अंतिम बैच के विशिष्ट बीटीसी के चयनित अभ्यर्थियों का सामुदायिक प्रशिक्षण पूरा होते ही अभ्यर्थियों ने सुविधा जनक विद्यालयों ट्रेनिंग लेने की जुगत भिड़ाना शुरू कर दिया है। इन दिनों आलम यह है कि अवकाश के दिन भी संबंधित कर्मचारियों के घरों में अभ्यर्थियों की भीड़ देखी जा सकती है।

विभागीय सूत्र तो बताते हैं कि इस बार अधिकांश प्रशिक्षणार्थियों को सुविधा वाले स्कूल ही आवंटित किए जाएंगे। इसके पीछे तर्क यह है कि इन दिनों कोई भी बैच स्कूलों में संबद्ध नहीं रह गया है। इसके पहले के बैच के प्रशिक्षार्थी तीन महीने का क्रियात्मक प्रशिक्षण पूरा करके डायट वापस लौट चुके हैं। ऐसी हालत में इस बैच के प्रशिक्षणार्थियों को अधिक दूर प्रशिक्षण के लिए नहीं जाना पडे़गा। पटल प्रभारी राजेश तिवारी का कहना है कि अभ्यर्थियों की सूची कार्यालय को प्राप्त हो चुकी है। ऐसी हालत में एक दो दिन सभी को विद्यालय आवंटित कर दिए जाएंगे।

विद्यालय आवंटन की तैयारी पूरी

बेसिक शिक्षा अधिकारी राजकुमार पंडित का कहना है कि विशिष्ट बीटीसी अभ्यर्थियों को विद्यालय आवंटित करने की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है। विद्यालयों की सूची तैयार कर ली गई है। अगर कोई विभागीय अड़चन नहीं आती है, तो 16 फरवरी को विद्यालय आवंटन का काम पूरा कर लिया जाएगा। इसके व्यवस्था के लिए पटल प्रभारी को निर्देश दिए जा चुके हैं।

फतेहपुर: मानक के अनुरूप पर्याप्त मात्रा में पीने का पानी मिलेगा

नया वित्तीय साल शहरवासियों को खुशियों की सौगात लेकर आ रहा है। साल की शुरुआत तक जलकल विभाग के छह नए नलकूप चलने जा रहे हैं। इनके चलने से प्रत्येक शहरवासी को निर्धारित मानक के अनुरूप पेय जलापूर्ति मिलने लगेगी। जबकि अभी तक लोगों को आवश्यकता के विपरीत आधे अधूरे पानी में ही गुजारा करना पड़ रहा था। ऐसी हालत में साफ है 29 नलकूपों का संचालन शुरू होते ही गरमी के मौसम में पैदा होने वाली पानी की किल्लत से छुटकारा मिल सकेगा।

शहरवासी लंबे समय से गरमी के मौसम में पीने के पानी के संकट का सामना करते आ रहे हैं। बिजली आपूर्ति पर निर्भर नलकूपों के संचालन से यह स्थिति भयावह हो जाती है क्योंकि गरमी के मौसम में आपूर्ति मुश्किल से आठ घंटे ही मिल पाती है। ऐसी स्थिति में जलापूर्ति भी अधिकतम आठ घंटे हो पाती है, लेकिन नलकूपों की संख्या बढ़ने से अब पर्याप्त मात्रा में जलापूर्ति मिल सकेगी। मालूम हो कि अभी तक नलकूपों की संख्या कुल 23 थी, लेकिन छह नए नलकूप चालू हो जाने से यह संख्या बढ़कर 29 हो जाएगी।


जलकल विभाग के मानक अनुसार एक नलकूप प्रति मिनट 1500 लीटर पानी निकालेगा करता है। इस तरह से एक नलकूप एक घंटे में 90000 लीटर पानी डिस्चार्ज करेगा। इस तरह से अगर चौबीस घंटे में कुल आठ घंटे आपूर्ति मिलती है तो नलकूप भी आठ घंटे ही चलेंगे। इस तरह से आठ घंटे में एक नलकूल 720000 लीटर पानी की आपूर्ति करेगा। सभी नलकूप अगर एक साथ चलेंगे तो पूरे समय में 2 करोड़ 8 लाख 80 हजार लीटर जलापूर्ति होगी।


वर्तमान समय में शहर की आबादी एक लाख 60 हजार है। अगर आबादी को कुल जलापूर्ति में भाग दे दिया जाए, तो प्रत्येक व्यक्ति के हिस्से में 130 लीटर पानी आता है। ऐसी स्थिति में साफ है कि नए वित्तीय साल की शुरूआत से प्रत्येक व्यक्ति को मानक के अनुरूप पर्याप्त मात्रा में पीने का पानी मिलेगा। इसके अलावा अगर अधिक विद्युत आपूर्ति मिलती है, तो जलापूर्ति का मानक भी बढ़ जाएगा।


मार्च तक चालू होंगे नलकूप

जलकल प्रभारी केशव प्रसाद ने बताया कि आधा दर्जन नए नलकूप बनकर तैयार हो चुके हैं, जिनमें तीन इसी महीने में चालू हो जाएंगे। इसके अलावा तीन अन्य नलकूप चालू वित्तीय साल के अंतिम महीने में चालू कर दिए जाएंगे। इस तरह से 23 पुराने नलकूप मिलाकर कुल नलकूपों की संख्या 29 हो जाएगी। ऐसी हालत में साफ है कि गरमी के मौसम नए पुराने सभी नलकूपों से जलापूर्ति शुरू हो जाने से पर्याप्त मात्रा में लोगों को पीने का पानी मिल सकेगा।

फतेहपुर:चालीसवां (चेहल्लुम) आज मनाया जा रहा

हजरत इमाम हुसेन की शहादत की याद पर चालीसवां (चेहल्लुम) आज मनाया जा रहा है। एक दिन पहले ही बाकरगंज कर्बला से मजलिस के साथ जुलूस अलय निकाला गया जो कदीमी रास्तों से घूमते हुए शाम छ: बजे समाप्त हुआ।

"चेहल्लुम है आज सरबरे आली मुकाम का उरिया है सर रसूले अलय सलाम का " जैसे नौहा ख्वानी के साथ तमाम हजरात जुलूस अलय में शिरकत की। चेहल्लुम जुलूस का 19वां सफर तय करते हुए इमाम बारगाह सैय्यद नवाब याकूब हुसैन से जुलूस चेहल्लुम सैय्यद नजीरुल मोहसिन के जानिब से उठा। सुबह नौ बजे मजलिस में सै. यावर मेंहदी ने कहा कि इमाम हुसैन मोहर्रम की दसवीं पर शहीद हुए थे आज चालीसवें पर हम आज उनके और उनके साथियों की शहादत को एक बार फिर याद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हजरत इमाम हुसैन ने कौम और मानवता के लिए यजीदियों की यातनाएं सही। उन्होंने कहा कि तैयारियां हैं दफ्ने शहीदाने पाक की, मरकद बना है रन में हर एक नेक नाम का।

इस मौके पर गैर जनपदों से आये अंजुमनों ने शिरकत करके नौहा ख्वानी की जुलूस में सीना जनी के साथ नवयुवकों ने मातम का इजहार किया। सड़कों व गलियों में मातमी इजहार करते हुए मोहर्रम के चालीसवें पर इमाम हुसैन की सहादत को बुजुर्ग महिलाओं व युवाओं ने अलग-अलग अंदाज में याद किया।

वेलेंटाइन डे पर दिखाये गये कार्यक्रम का असर गांवों तक

टीवी चैनलों द्वारा वेलेंटाइन डे पर दिखाये गये कार्यक्रम का असर गांवों तक पहुंच गया है। वैलेंटाइन डे पर प्यार के इजहार में की गयी जल्दबाजी एक प्रेमी युगल को तो सामाजिक जलालत से बचने के लिये चट मंगनी पट ब्याह की रस्म अदायगी करनी पड़ी।

वैलेंटाइन डे पर नगर की चर्चित घटना का प्रेम प्रसंग रहा कि प्रेमी युगल द्वारा प्यार की पेंग बढ़ाते देख कुछ लोगों ने पुलिस को सूचना दे दी। पुलिस युगल को पकड़कर थाना लायी पर प्रेयसी रचना ने एक वर्ष पहले से चल रहे प्रेम प्रसंग को स्वीकार किया। विनोद ने रचना संग शादी की हामी भर ली। गांव के लोगों ने स्वजातीय होने के कारण दोनों पक्षों के माता-पिता को समझा-बुझाकर मामला सुलझा लिया। पुलिस के चंगुल से छूटते ही आज सुबह मंदिर में देवी को साक्षी मानकर दोनों एक-दूजे के हो गये। पहले कोर्ट मैरिज की बात तय हुयी पर दोनों के अवयस्क होने पर उम्र आड़े आ गयी तब मंदिर में प्रेम विवाह दोनों पक्षों की रजामंदी से कराया गया।

वेलेंटाइन डे के असर की दूसरी मिशाल लें। गणेश शंकर विद्यार्थी इंटर कालेज के कक्षा आठ में पढ़ रहे शाहिल ने अपनी कलाई चीर कर कागज में खून से आई लव यू लिखकर अपनी कक्षा की एक छात्रा को दिया तो वह रोते हुये प्रधानाचार्य से शिकायत कर दी। एकतरफा प्रेम के पुजारी शाहिल की जमकर पिटाई हुयी और स्कूल से
रिस्टीकेशन कर दिया गया।

अच्छा है या बुरा है ......क्या कहें ? पर जो भी है दुनिया तेज रफ़्तार से बढ़ रही है ...... मास्टर क्या करे?

15 फ़र॰ 2009

जिले की जनता को अंधेरे के अभिशाप से मुक्ति मिल सकेगी

अब जिले की जनता को अंधेरे के अभिशाप से मुक्ति मिल सकेगी। प्रदेश सरकार ने जनपद के लिये इस बजट में पहली बार शानदार सौगात के रूप में ऐसी भारी भरकम परियोजना मंजूर की है जिससे जिले में विद्युत संकट तो कम होगा ही सैकड़ों हाथों को काम भी मिलेगा।

आजादी के बाद यह जिले में आई सबसे बडी योजना है जो कि उत्तर प्रदेश की भी सबसे बड़ी विद्युत परियोजना होगी। इस परियोजना के जिले में आने से आम आदमी के साथ किसानों को बड़ी राहत मिल सकेगी। इतना ही नहीं सैकड़ों खाली हाथों को काम भी इसमें मिल सकेगा। अब जिले की जमीन परती नहीं पड़ी रहेगी और न ही खड़ी फसलें सूखेंगी।

यह है परियोजना..

चल रही चुनावी बयार का एक खुशनुमा झोंका इधर भी तरावट का अहसास करा गया। वर्ष 2009- 10 के लिये पेश बजट में फतेहपुर के लिये बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है। जहानाबाद विधायक के निजी और जमीनी प्रयासों के चलते यह परियोजना जिले की झोली में आई है। विद्युत उत्पादन निगम द्वारा

के साथ लगभग 10,000 करोड़ रूपये की लागत से दो हजार मेगावाट क्षमता की विद्युत परियोजना स्थापित होगी। कारपोरेशन के अधिकारियों ने कहा है कि परियोजना क्षेत्र के आसपास के दस किलोमीटर के हिस्से को विकसित करेंगें जिससे वहा के लोगों को काम मिल सके उनका जीवन स्तर ऊपर उठे।

14 फ़र॰ 2009

यह भी नहीं मालूम कि कितनी दूर और किस स्कूल में परीक्षा देनी है

पचपन हजार से अधिक बोर्ड परीक्षार्थियों के साथ इससे बड़ा धोखा और क्या हो सकता है कि परीक्षा शुरू होने के मात्र एक पखवारा बचा है और उन्हें यह भी नहीं मालूम कि कितनी दूर और किस स्कूल में परीक्षा देनी होगी। हाईस्कूल, इण्टर की चार लाख उत्तर पुस्तिकायें राजकीय इण्टर कालेज में डंप हैं। बोर्ड से केन्द्र की अंतिम सूची न मिल पाने के कारण परीक्षा की तैयारियां फाइलों में कैद हैं। शिक्षा विभाग के अधिकारी भी इस सच पर चुप्पी साध लेते हैं और कहते हैं कि हम क्या कर सकते हैं।

माध्यमिक शिक्षा परिषद की हाईस्कूल, इण्टर की परीक्षायें दो मार्च से शुरू हो रही हैं। शायद यह पहली बार परीक्षार्थियों के सामने यह स्थिति है कि उन्हें यह नहीं मालूम हो पाया कि किस केन्द्र में परीक्षा देनी है। केन्द्र की सूची को लेकर पिछले दिसम्बर माह से रस्साकसी चल रही है। पहले जिला प्रशासन ने विधायक निधि से दागी विद्यालयों को सूची से हटाया फिर बोर्ड ने जो सूची भेजी उसमें डिबार ही नहीं कई संदिग्ध विद्यालय शामिल कर लिये। मानक तोड़कर बोर्ड की भेजी गयी केन्द्र की सूची फिर सुधार के लिये भेजी गयी जो अभी तक नहीं आयी है। शिक्षा विभाग के सूत्रों की मानें तो सूची मिलने में अभी चार से पांच दिन का समय लग सकता है। आधा दर्जन से अधिक शिक्षा माफिया अंतिम दौर पर अपने विद्यालय का नाम शामिल करवाने के लिये बोर्ड के चक्कर काट रहे हैं। बताते हैं कि यदि दो-चार केन्द्र भी बढ़े व कम हुए तो साठ फीसदी से अधिक स्कूलों के बोर्ड परीक्षार्थियों का केन्द्र आवंटन भी बदल जायेगा।

स्कूलों में छुट्टी हो गयी है। बोर्ड परीक्षार्थी प्रायोगिक परीक्षाओं के बाद घर में ही परीक्षा की तैयारियां कर रहे हैं ऐसे में उन्हें किस केन्द्र में जाकर परीक्षा देनी होगी यह जानकारी न होने से पढ़ाई के साथ एक दिमागी चिंता उन्हें सताये हुए है। बताते हैं कि इस समय स्थिति यह है कि असोथर का केन्द्र ललौली भेजा गया है जो कि चालीस किलोमीटर दूर है। इसी प्रकार कई विद्यालयों में मानक से हटकर छात्राओं को दूसरे विद्यालयों में केन्द्र आवंटित किया गया है जबकि उनका विद्यालय केन्द्र बना है। जिन विद्यालयों में एक हजार की क्षमता है वहां पर दो हजार से अधिक छात्र आवंटित कर दिये गये हैं। इतना ही नहीं न्यूनतम तीन सौ के मानक को तोड़कर बोर्ड ने जिले के दो केन्द्र सौ से कम छात्रों के बना दिये हैं। अनियमितताओं को दूर कर बोर्ड ने नयी सूची जारी करने का मन बनाया है उसमें केन्द्र आवंटन भी बड़े पैमाने पर बदलेंगे। प्रधानाचार्य भी यह कहते हैं कि पहली बार ऐसा हो रहा है जब परीक्षा के पंद्रह दिन रह गये हैं और छात्रों को यह नहीं मालूम की परीक्षा केन्द्र कौन सा है।

केन्द्र निर्धारण तय न होने से बोर्ड परीक्षा की तैयारियां भी फाइलों में कैद हैं। परीक्षा के लिये हाईस्कूल की दो लाख उनचास हजार, इण्टरमीडियेट की एक लाख चालीस हजार उत्तर पुस्तिकायें भेज दी गयी हैं। यह पुस्तिकायें राजकीय इण्टर कालेज के एक कमरे में डंप हैं केन्द्र तय न होने के कारण उत्तर पुस्तिकायें भी परीक्षा केन्द्रों में नहीं पहुंच पा रही हैं। विलम्ब हो जाने की स्थिति पर शिक्षा विभाग उत्तर पुस्तिकायें व प्रश्नपत्र एक साथ भेजने का मन बना रहा है। केन्द्र व्यवस्थापक, कक्ष निरीक्षक नियुक्त करने सहित बोर्ड परीक्षा की अन्य तैयारियां यूं ही पड़ी हुई हैं। जिला विद्यालय निरीक्षक प्रेम प्रकाश ने कहा कि उनके स्तर से परीक्षा की तैयारियां पूरी हैं। केन्द्र की अंतिम सूची आने के साथ ही उत्तर पुस्तिकायें भिजवाने का काम शुरू कर दिया जायेगा।

साढ़े चार सौ मास्टरों की स्कूलों में तैनाती का खाका तैयार

बीटीसी 2001 व विशिष्ट बीटीसी 2007 के साढ़े चार सौ अभ्यर्थियों की स्कूलों में तैनाती का खाका तैयार कर लिया गया है। जिलाधिकारी से अनुमति मिलने के साथ ही सोमवार को अभ्यर्थियों को बतौर शिक्षक स्कूलों में पढ़ाने के लिये भेज दिया जायेगा। न्यूनतम मेरिट पर आरक्षण क्रम पर विद्यालयों का जो आवंटन किया गया उसमें मानक से कम शिक्षक वाले छ: ब्लाक संतृप्त किये गये हैं। बताते हैं कि पचास बंद स्कूलों में दो-दो शिक्षक व तीन सौ एकल शिक्षक वाले विद्यालयों में दोहरे शिक्षकों की व्यवस्था की गयी है।

छात्र, शिक्षक अनुपात में फिसड्डी ब्लाकों को पहले चरण में लिया गया है। यूं तो जिले के नौ विकास खण्ड पिछड़े माने गये हैं, लेकिन छ: ऐसे ब्लाक हैं जहां छात्र और शिक्षक का मानक बहुत गिरा हुआ है। बीटीसी 2001 के बयासी व विशिष्ट बीटीसी 2007 के लगभग साढ़े तीन सौ अभ्यर्थियों को यूं तो दस फरवरी तक नियुक्ति पत्र देने के निर्देश थे, लेकिन आरक्षण क्रम व न्यूनतम मेरिट पर विद्यालय आवंटन के साथ दस्तावेजों की जांच में विलम्ब हो गया है। विभाग हर हाल में सोमवार तक नियुक्ति पत्र अभ्यर्थियों के हाथ में ही देने की तैयारी कर ली है। बताते हैं कि तैनाती का खाका बनकर तैयार हो गया है। जिलाधिकारी की अनुमति मिलने के साथ ही नियुक्ति पत्र अभ्यर्थियों के हाथ में होगा। इधर नियुक्ति पत्र लेने के लिये अभ्यर्थी बेसिक शिक्षा कार्यालय में चक्कर काट रहे हैं। इलाहाबाद, कानपुर, रायबरेली सहित अन्य कई जनपदों के ही बहुतायक अभ्यर्थी हैं ऐसे में वह ऐसे विद्यालय पर ही जाने की फिराक में हैं जहां से उन्हें महानगरों में जाने का साधन उपलब्ध हो जाये।

बेसिक शिक्षा विभाग ने तैनाती में अधिनियम का ही मानक अख्तियार किया है। विकलांगों को छोड़कर किसी को भी स्कूल आवंटन में वरीयता नहीं दी गयी है। पिछड़े नौ ब्लाकों में इस बार की तैनाती में केवल छ: ऐसे ब्लाक लिये गये हैं जहां छात्र और शिक्षक का मानक बहुत गिरा हुआ है। विकास खण्ड हंसवा, धाता, असोथर, हथगाम, ऐरायां व विजयीपुर में शिक्षकों की तैनाती की गयी है। इन विकास खण्डों के पचास बंद विद्यालयों में दो-दो शिक्षक तैनात किये गये हैं। इसके अलावा लगभग तीन सौ ऐसे स्कूलों में एक-एक शिक्षक तैनात किये गये हैं जो अभी तक एक शिक्षक के ही भरोसे चल रहे थे। दो-दो शिक्षा मित्रों के साथ विद्यालयों में अब चार-चार शिक्षकों की व्यवस्था हो जायेगी। विकास खण्ड खजुहा, अमौली, देवमई में भी शिक्षकों की भारी कमी के बाद भी यहां अभी तैनाती न होने से दो दर्जन से अधिक विद्यालयों में ताला लटक रहा है। बेसिक शिक्षा अधिकारी आरके पंडित ने कहा कि स्कूलों में तैनाती का खाका बनकर तैयार हो गया है। नई नियमावली के अनुसार ही न्यूनतम मेरिट पर पहले बंद फिर एकल विद्यालयों में तैनाती की गयी है। उन्होंने कहा कि सोमवार को सभी अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र हर हाल में दे दिया जायेगा।

फतेहपुर फोरम की मीटिंग के चर्चा के बाद के निष्कर्ष !!!

दिल्ली में फतेहपुर की माटी से जुड़े वरिष्ठ लालों द्वारा फतेहपुर फोरम बनाया गया है , जिसकी मीटिंग अभी कुछ दिन पहले हुई थी । कमल कुमार पाण्डेय के इ-मेल से जो विवरण मिला, उसको हू-बहू यहाँ टीप रहा हूँ ....... अंगरेजी में है .....और ज्यादातर लोग अंगरेजी समझते है , इस सिद्धांत पर विश्वास करते हुए ....मैं उसके हिन्दी अनुवाद से बच रहा हूँ।



MEETING OF "FATEHPUR FORUM" DATED 29/1/2009.

Third meeting of "Fatehpur Forum" was held on 29/1/2009 at FICCI Auditorum, Mandi House, New Delhi. It was attended by approximately 40 members of Fatehpur Forum. A brief discussion regarding social cultural, economical, medical and educational status and progress at Fatehpur in these fields was held. All the members unanimously supported the idea and affirmed that each one of them wanted to do something to pay back the debt of the places they have come from. It was also thought that if every member contributes may be physically, monetarily or psychologically, the status of things at Fatehpur would improve. Following major
decision were taken apart from general discussion on the above

subject
The name of the forum as Fatehpur Forum was confirmed by the House. House further decided that it should continue with Shri Pradeep Srivastava as its Hony। President, Shri Shailendra Singh Parihar as Hony। General Secy। And Shri Uttam Tiwari as Hony. Treasurer of the Forum.


Since the Forum has so far not been registered with the appropriate Govt. body, Shri R.D. Diixit was requested to prepare bye laws for the forum detailing aims/objectivtes etc. and put up in the next meeting before the House. Once the bye laws are ready, the Forum would be registered appropriately.


It was decided to keep the membership fee as Rs.151/- per head per annum so that a corpus is developed for different activities. It was further decided that donations would be accepted by the society for carrying out aims and objectives of the Forum. Shri Sheodan Singh Bhadoriya has been requested to find out necessary procedural details for this purpose. Shri Uttam Tiwari, Hony. Treasurer has been requested to arrange for receipt booklets, letter head etc. for receiving annual subscription.


The House wanted that a website be launched for the Forum so that present members and other residents of Fatehpur may obtain information and link up with the Forum. Shri Ram Vajpai offered to do the needful and put up details in the next meeting.


It was found essential to have Information Centers at Fatehpur as well as Delhi so that various relevant informations could be collected and made available for the users at both the places.


Professor Man Mohan Shukla offered his premises at Purushottam Inter College, Khajuha for this purpose. He also offered that a teacher of the college can be assigned the task of keeping such information and making it available to various people on requirement. Another Information Centres could be opened at Swami Vigyananand Ashram,Fatehpur to meet requirements of people living in city. Shri Shamim Ahmed, Advocate offered his services for holding next meetings of the Forum in Delhi. It was decided to hold the next meeting of the Forum At Ghalib Academny, West Nizamuddin.


Some members had suggested that all the intermediate schools of the district may be connected with the Information Centers and this forum for exchange of information. In the first phase, it was decided to contact the schools from where the members themselves had passed out.


The House was further informed that under auspicious of Swami Vigyananand Ashram, one week training-cum-preparation camp has been organized at Fatehpur for the benefit of students wanting to compete for the selection of soldiers in the Indian Armed Forces।The next selection at Kanpur was scheduled on 8/2/09 and hence the camp has been started for the first week of Feb।,2009। Arrangement for lodging and boarding for those students who come to town from neighbouring villages will be made by the Ashram।


House was also informed that free coaching classes for preparation to B.Ed/BTC Course has been organized at the Fatehpur residence of Shri Pradeep Srivastava. The first course will start from 18/2/09. A teacher and his assistant has been provided to run this course.


Dr. M.C. Tiwari had informed the House that he has also established a School in his village in Block Amauli and helped the villagers to get regular electric supply and better roads.


All the members are requested to bring their suggestions/proposals in next meeting so that precious time is saved।As stated above, the next meeting of the Forum will be held at Ghalib Academy on 6/3/09 at 6।00 PM । The meeting shall be concluded in 1 hour 30 minutes time। Members are requested to reach in time and also bring other residents of the district to join the
Forum

(Shailendra Singh Parihar)

Hony. General Secretary

11 फ़र॰ 2009

फतेहपुर : विशिष्ट बीटीसी बैकलाग चयन के लिये दस गुना अभ्यर्थियों को काउंसिलिंग के लिये बुलाया गया

विशिष्ट बीटीसी बैकलाग के दो सौ छियालिस पदों पर चयन के लिये दस गुना अभ्यर्थियों को काउंसिलिंग के लिये बुलाया गया है। 2460 अभ्यर्थियों की कट आफ मेरिट जारी कर दी गयी है। चौदह से उन्नीस फरवरी के बीच सभी को मूल दस्तावेजों के साथ अभ्यर्थियों को डायट में उपस्थित होना है।

विशिष्ट बीटीसी बैकलाग में पिछड़ी जाति के अड़तालीस, अनुसूचित जाति के एक सौ पैंसठ व अनुसूचित जनजाति के तेंतीस पदों के लिये चार हजार से अधिक आवेदन आये थे। बैकलाग में चयन के लिये संस्थान ने दसगुना की कट आफ मेरिट जारी कर दी है।

पिछड़ी जाति महिला कला में 242.69, विज्ञान में 204.53, पुरुष कला में 246.77, विज्ञान में 243.83, अनुसूचित जन जाति महिला कला में 195.21, विज्ञान में कोई अभ्यर्थी नहीं मिला। पुरुष कला में 183.13, विज्ञान में 190.67, अनुसूचित जाति महिला कला में 202.84 विज्ञान में 195.57, पुरुष कला में 221.53, विज्ञान में 204.23 तक की मेरिट वाले सभी अभ्यर्थियों को काउंसिलिंग के लिये बुलाया गया है। डायट प्राचार्या ने बताया कि चौदह फरवरी को शिक्षा मित्र श्रेणी के, सोलह को महिला कला, सत्रह को पुरुष कला, अठारह को महिला विज्ञान व विशेष आरक्षण, उन्नीस को पुरुष विज्ञान वर्ग के अभ्यर्थियों की काउंसिलिंग होगी।

10 फ़र॰ 2009

हर-हर गंगे महादेव के जयकारों के साथ भक्तों ने पतित पावनी मां गंगा में डुबकी

माघ के चौथे पूर्णिमा के स्नान पर्व पर हर-हर गंगे महादेव के जयकारों के साथ भक्तों ने पतित पावनी मां गंगा में डुबकी लगायी। मौसम गुलाबी हो जाने के कारण घाटों में तड़के से ही स्नान करने वाले भक्तों की भीड़ पहुंचने लगी। उधर माघी पूर्णिमा पर कलेक्ट्रेट स्थित गौतम बुद्ध पार्क में बुद्ध समर्थकों ने भगवान बुद्ध को याद कर उनके आज ही के दिन आयु संस्कार के विसर्जन को याद करते हुए कहा कि जाति-पांति की दीवार ढहाकर मानव धर्म की सीख देने वाले भगवान बुद्ध मानवीय संस्कृति के विकास के द्योतक थे।

माघ के चौथे स्नान पर्व को लेकर भक्तों में खासा उल्लास रहा। पतित पावनी मां गंगा के भिटौरा स्थित ओम घाट, पक्का घाट, बलखंडेश्वर, असनी, नौबस्ता, आदमपुर, निंबुआ घाट, शिवराजपुर में तड़के से ही श्रद्धालुओं की भीड़ पहुंच गयी। हर-हर गंगे महादेव के जयकारों के बीच भक्तों ने मां गंगा में डुबकी लगायी और मां के गंदे हो रहे आंचल को पवित्र रखने का संकल्प लिया। गंगा घाट स्थित मंदिरों में पूजा, अर्चना के साथ भक्तों ने प्रसाद वितरण किया। भक्तों की भीड़ को देखते हुए भिटौरा सहित कई घाटों में मेला लगा जिसमें लोगों ने मनचाही वस्तुओं की खरीददारी की। गंगा घाट तक भक्तों को ले जाने के लिये जहां शहर से कई स्थानों से अलग-अलग वाहन स्टैण्ड बने हुए थे वहीं घाट में सुरक्षा के लिहाज से गोताखोर भी लगाये गये थे।

माघी पूर्णिमा को बौद्ध अनुयायियों ने महापर्व के रूप में मनाया। डा.बाबा साहब अंबेडकर मिशन शाखा के पदाधिकारियों ने कलेक्ट्रेट स्थित बुद्धा पार्क में बुद्ध जी की प्रतिमा के सामने मोमबत्ती जलाकर पुष्पांजलि दी। भन्ते गजानन एवं भन्ते विजयानन्द ने बुद्ध वन्दना, पंचशील के साथ पूजा, अर्चना की। मिशन के जिला सचेतक रमेश बौद्ध ने कहा कि माघी पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध ने वैशाली में संकल्प करके आयु संस्कार का विसर्जन किया था और अपने परम शिष्य आनन्द को यह रहस्य समझाकर प्रचार कार्य प्रारम्भ कराया था।

आधुनिक कूड़ाघर का प्रस्ताव ठेकेदारों की हीलाहवाली के चलते पूरी तरह से मजाक बना

शहर को साफ सुथरा रखने के लिये नगर पालिका परिषद हाथ पैर तो खूब मार रहा है, लेकिन उसकी कवायद का जनता को कोई खास लाभ नहीं मिल पा रहा। आधुनिक कूड़ाघर का प्रस्ताव ठेकेदारों की हीलाहवाली के चलते पूरी तरह से मजाक बन गया है। टेडर होने के बावजूद कूड़ाघरों के निर्माण में ठेकेदार कोई रूचि नहीं दिखा रहे।

कूड़े का ठिकाना लगाना पालिका के लिये टेढ़ी खीर के समान है। नगर पालिका के स्थायी कूड़ाघर बनवाने का वादा हवाहवाई निकला। स्थाई कूड़ाघर न होने से सफाई कर्मी सड़कों के किनारे कचरा एकत्र कर देते है, जिससे ढेर से निकलने वाली तीखी दुर्गध का सामना आसपास के रहने वालो और राहगीरों को करना पड़ता है। यहीं नहीं सफाई कर्मियों और जनता के बीच अक्सर तू तू मैमै होती रहती है। ईओ ने बताया कि बहुत जल्द निर्माण कार्य शुरू करवा दिया जायेगा।

शहर में लालाबाजार और रस्तोगीगंज सरांय के पास दो कूड़ाघर बने है। इसके अलावा आईटीआई रोड, वर्मा चौराहा, शादीपुर रोड, एसपी आवास के पास आदि स्थान पर टीन शेड द्वारा अस्थायी रूप से बने कूड़ाघरों में कचरा पड़ा रहता है। कूड़े के ढेरों में आवारा पशु खूब गंदगी फैलाते है। जो लोगों के लिये परेशानी का सबब बने है। ज्ञात हो कि अधिशासी अधिकारी अरूण कुमार गुप्ता ने यहां ज्वाइन करने के बाद लखनऊ महानगर की तर्ज पर फतेहपुर में पांच आधुनिक कूड़ा घर और सफाई रैप बनवाने की पहल की थी, लेकिन अभी तक निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया।

ऐसा पासा पलटा कि एक पखवारे में ही परीक्षा रिजल्ट के साथ अब नियुक्ति पत्र लेने का मौका

काश सोमवार जैसा दिन रोज आये तो हर किसी की जिन्दगी रोशन होने में देर नहीं लगेगी। डायट व बेसिक शिक्षा कार्यालय में हर तरफ खुशियां ही इतरा रहीं थीं। कोई नियुक्ति पत्र के लिये काउंसिलिंग की लाइन में खड़ा था तो कोई नौकरी की राह मिलने की खुशी में इतरा रहे थे। खासकर 2001 की सूची वाले अभ्यर्थियों के चेहरों में खुशी ही नहीं जिन्दगी का मकसद मिल जाने का रंगीन सपना तैर रहा था। आखिर तैरें क्यों न। शिक्षक बनने की उम्मीद ही खत्म हो गयी थी फिर ऐसा पासा पलटा कि एक पखवारे में ही परीक्षा रिजल्ट के साथ अब नियुक्ति पत्र लेने का मौका मिल गया।

हर चेहरे में तैरती खुशी का यह माहौल और कहीं नहीं डायट और बेसिक शिक्षा कार्यालय में देखा गया। यूं तो काउंसिलिंग के लिये सुबह दस बजे बुलाया गया था, लेकिन शैक्षणिक सहित अन्य दस्तावेज लेकर अभ्यर्थी नौ बजे से ही कार्यालय में डट गये। शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मानें तो यह पहला मौका है जब एक साथ 2001, 2004 व 2007 के अभ्यर्थियों को एक साथ बुलाकर किसी को नौकरी तो किसी को नौकरी के प्रशिक्षण के लिये बुलाया गया है। डायट में 2004 की मेरिट सूची जारी कर एक सौ छियानबे अभ्यर्थियों के बीटीसी प्रशिक्षण के लिये तीन सौ बानवे अभ्यर्थियों को बुलाया गया था। दो दिन तक चलने वाली इस काउंसिलिंग के पहले दिन तकरीबन डेढ़ सौ अभ्यर्थी आये। पांच साल पहले बीटीसी के लिये फार्म डाला था अब मेरिट भले ही दूना की जारी की गयी हो, लेकिन नाम आने की खुशी में अभ्यर्थी काउंसिलिंग में लाइन लगाये रहे। काउंसिलिंग में आये राकेश ने कहा कि अब तो उम्मीद ही नहीं थी कि 2004 के आवेदन पर बुलाया जायेगा। ऊपर वाले का शुक्र है कि मेरिट में नाम आ गया अब तो यह लग रहा है कि शिक्षक बनने का सपना पूरा हो जायेगा। यह पूछने पर कि कैसा लग रहा है कहा कि अकेले मैं नहीं बल्कि पूरे घर के लोग खुश हैं। प्रशिक्षण में नाम आने पर भगवान से मनौती भी मांगी है।

2004 की काउंसिलिंग के पहले दिन साठ फीसदी अभ्यर्थी नहीं आये। ऐसा माना जा रहा है कि दस फरवरी को होने वाली काउंसिलिंग में भी कुछ लोग आ सकते हैं। बीस फीसदी तो ऐसे अभ्यर्थी होंगे जो कहीं दूसरी नौकरी में लग गये होंगे। दूना मेरिट पर आये अभ्यर्थी यही मनाते रहे कि कम संख्या में लोग आवें तो मेरिट डाउन होगी और उनका नाम बीटीसी 2004 के प्रशिक्षण में आ जाये। उधर बेसिक शिक्षा कार्यालय में तो नौकरी मिलने की खुशियां तैर रही थीं। विशिष्ट बीटीसी के साढ़े तीन सौ व बीटीसी 2001 के लगभग बयासी अभ्यर्थियों को नौ व दस फरवरी को काउंसिलिंग के लिये बुलाया गया। पहले दिन अनुसूचित जाति, पिछड़ी जाति के अभ्यर्थियों की काउंसिलिंग में शत-प्रतिशत अभ्यर्थी आये। बेसिक शिक्षा अधिकारी आरके पंडित सहयोगियों के साथ काउंसिलिंग में अभ्यर्थियों से शपथ पत्र के साथ अन्य आवश्यक दस्तावेज लेते रहे। मूल प्रमाण पत्रों से जांच के साथ अभ्यथियों को वापस कर दिया गया। बताते हैं कि स्कूल के आवंटन के साथ सभी अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र पंद्रह फरवरी के पहले दे दिया जायेगा। शिक्षा विभाग के अधिकारियों में इस बात की खुशी रही कि लंबे समय से शिक्षकों की चल रही कमी से अब निजात मिल जायेगा। पंद्रह फरवरी के पहले जिले को चार सौ से अधिक शिक्षक मिल जायेंगे ऐसे में हर विद्यालय में दो शिक्षक का मानक पूरा हो जायेगा। उधर अभ्यर्थी काउंसिलिंग के साथ ही मनचाहे विद्यालय की जुगाड़ में लगे रहे।

अव्यवस्थाओं से जूझे अभ्यर्थी

काउंसिलिंग के लिये अभ्यर्थियों की भीड़ बढ़ गयी तो डायट व बीएसए कार्यालय की व्यवस्थायें भी बौनी पड़ गयीं। स्थिति यह रही कि काउंसिलिंग के लिये विशिष्ट बीटीसी 2007 के अभ्यर्थियों को बुला तो लिया गया था, लेकिन उन्हें उत्तीर्ण का अंकपत्र भी नहीं दिया गया था। ऐसे में वह दो बजे तक भटकते रहे इसके बाद ही काउंसिलिंग शुरू हुई जो देररात तक चलती रही।

शिक्षा विभाग के अधिकारियों के सामने मुश्किल यह है कि राज्य शैक्षिक अनुसंधान परिषद के निदेशक ने दस फरवरी तक बीटीसी 2001 व विशिष्ट बीटीसी 2007 के उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की तैनाती दस फरवरी तक करने के निर्देश दिये हैं। सैकड़ों अभ्यर्थियों की एक साथ भीड़ आ जाने से शिक्षा विभाग के कार्यालयों में मेला जैसा माहौल रहा। न तो कोई यह बताने वाला था कि काउंसिलिंग कब से शुरू होगी और न ही बीएसए कार्यालय में दो बजे तक काउंसिलिंग का काउन्टर लगाया गया। बेसिक शिक्षा अधिकारी आरके पंडित ने कहा कि मेरिट सूची डायट से विलम्ब से मिलने के कारण काउंसिलिंग देर से शुरू हो पायी है। उन्होंने कहा कि जो भी अभ्यर्थी आये हैं सभी की काउंसिलिंग आज ही कर ली जायेगी किसी को वापस नहीं किया जायेगा।

9 फ़र॰ 2009

बीटीसी 2004 के चयन के लिये दुगुना अभ्यर्थियों को बुलाया गया

बीटीसी 2004 के चयन के लिये दुगुना अभ्यर्थियों को बुलाया गया है। सर्वाधिक मेरिट सामान्य विज्ञान पुरुष वर्ग की 196.31 व सबसे कम अनुसूचित जनजाति पुरुष विज्ञान की 145.4 घोषित की गयी है। काउंसिलिंग के लिये मूल प्रमाण पत्रों के साथ सभी अभ्यर्थियों को नौ व दस फरवरी को बुलाया गया है।

वर्ष 2004 की बीटीसी प्रवेश के लिये अठारह हजार से अधिक अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था। निर्धारित 196 सीटों के लिये डायट में तीन सौ बानवे अभ्यर्थियों को मूल प्रमाण पत्रों के साथ बुला लिया है। दुगुना सीटों पर घोषित की गयी मेरिट में सामान्य महिला विज्ञान में 192.07, कला में 195.71, पुरुष विज्ञान में 196.31, कला में 193.97, पिछड़ा वर्ग महिला विज्ञान में 180.99 कला में 188.66, पुरुष विज्ञान में 184.33, कला में 189.22, अनुसूचित जाति महिला विज्ञान में 148.40, कला 171.32, पुरुष विज्ञान में 161.73 कला में 178.17, अनुसूचित जनजाति महिला विज्ञान में 156.63 कला में 159.22 पुरुष विज्ञान में 145.04, कला में 160.74, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रित में महिला विज्ञान में 180.40, पुरुष विज्ञान में 172.88, भूतपूर्व सैनिक महिला विज्ञान में 160.4, पुरुष विज्ञान में 165, विकलांग महिला विज्ञान में 170.59, पुरुष विज्ञान में 177.86 की मेरिट घोषित की गयी है।

प्राचार्य ने कहा कि निर्धारित नौ और दस फरवरी को प्रात: दस बजे से काउंसिलिंग के लिये अभ्यर्थी उपस्थित हों। न आने पर यह माना जायेगा कि वह प्रशिक्षण के इच्छुक नहीं है उनके स्थान पर वरीयता क्रम में अगले अभ्यर्थियों को बुला लिया जायेगा।

मले तमाखू से गये, कटे सरौती बीच - फतेहपुर में काव्य गोष्ठी

साहित्यिक संस्था यायावर की काव्य गोष्ठी में कवियों ने विविध विषयों पर अपनी व्यंग्यात्मक सामाजिक रचनाओं के जरिये युगीन पीड़ा को अभिव्यक्ति दी।

वयोवृद्ध कवि चंद्रशेखर शुक्ला ने पढ़ा-यदि कदाचार का कहर बढ़ा तो सदाचार का क्या होगा? डा. बालकृष्ण पांडेय ने अपनी गजलों में विसंगतियों पर व्यंग्य किया- ऐसे अगर चलेगा देख, बिल्कुल नहीं चलेगा देख विजय शंकर मिश्र ने अपनी कविता किस मोड़ पर मुकर गयी हंसी की चिड़िया के जरिये सामयिक पीड़ा को उभारा। वरिष्ठ कवि श्रीकृष्ण कुमार त्रिवेदी ने मले तमाखू से गये, कटे सरौती बीच कविता पढ़ी। डा. चंद्रकुमार पांडेय ने गीत के माध्यम से सबके अंतर्मन को झकझोरा- जोश में होश खोया हुआ आदमी, ओढ़कर कुछ विशेषण बड़ा होगया।

अध्यक्षता कर रहे डा. ओमप्रकाश अवस्थी ने कहा कि फतेहपुर में कविता का स्वरूप अपनी परंपरा के अनुसार बढ़ रहा है और साहित्य जगत को किसी का पिछलग्गू होने की आवश्यकता नहीं है। इस मौके पर दो दर्जन से अधिक खागा, अमौली, भदबा, बिंदकी से पधारे कवियों ने गोष्ठी को अपनी प्रतिनिधि रचनाएं पढ़कर अलंकृत किया। साहित्य भूषण डा. कृपा शंकर शुक्ल ने यायावर संस्था को अपना आशीर्वचन दिया।

7 फ़र॰ 2009

DOEACC 'O' AND 'A' LEVEL WITH DILSHAD SIR

DOEACC 'O' AND 'A' LEVEL
JOIN DOEACC FOR 'O' AND 'A' LEVEL DIPLOMACONTACT TO:FATEHPUR COMPUTER CENTER149,KHELDAR,FATEHPUR
for details visit http://www.doeacc.edu.in or
CALL:9450235737,9235403664

Kanpur/Lucknow Job Consultancies

A & F Associates
231-D ,Defence Colony,Jajmau,Kanpur 2080105
We are a Govt approved recruiting and manpower consultants and have been suppling the all type of skilled and semi skilled workers including engineers to Middle east, mauritus, Seychells etc...
abhi resource management
104, indrapuri apartment, anandpuri, kidwai nagar,kanpur 208023
collect better jobs for jobs seekers

6 फ़र॰ 2009

इस वर्ष भी ट्रामा सेंटर का लाभ मिलने की उम्मीद कम

जिले में ट्रामा सेंटर निर्माण की प्रक्रिया इतनी मंद गति से चल रही है कि इस वर्ष भी गंभीर रूप से घायलों को इसका लाभ मिलने की उम्मीद नजर नहीं आ रही है। हालाकि अभी तक केंद्र सरकार की ओर से ट्रामा सेंटर निर्माण के लिये दो किश्तों में धनराशि स्वास्थ्य विभाग को भेजी जा चुकी है। लेकिन अभी न तो डेटर किये जा रहे है और न ही अन्य प्रक्रिया हो रही। वहीं विभागीय सूत्रों की माने तो लखनऊ में होने वाली स्पेशल ट्रेनिंग के लिये सर्जन, स्टाफ नर्स और पैरामेडिकल के नाम भेजे गये है। मुख्य चिकित्साधीक्षक डा.राकेश कुमार का कहना है कि धनराशि तो मिल गयी है, लेकिन अभी निदेशालय से कोई निर्देश नहीं मिले। बताया कि सर्जन की छह महीने और स्टाफ नर्स तथा पैरामेडिकल की 6 महीने की स्पेशल ट्रेनिंग होगी।

ज्ञात हो कि मार्ग दुर्घटना में घायलों की हालत गंभीर होने पर डाक्टर इन्हे कानपुर या फिर इलाहाबाद रिफर कर देते हैं। जिन्हे ले जाते समय अधिकांश रास्ते में ही दम तोड़ देते है। इसके अलावा गंभीर बीमारी के रोगियों को भी दूसरे जिलों की शरण लेनी पड़ती है। केंद्र सरकार ने मरीजों की सुविधा के लिये जिले में ट्रामा सेंटर निर्माण की योजना बनायी है। इसके लिये चार करोड़ 80 लाख रूपये की पहली किश्त तथा जनवरी में 65 लाख की दूसरी किश्त में भेजी जा चुकी है। धनराशि मिलने के बाद आगे की प्रक्रिया इतनी कच्छपगति से चल रहा है कि घायलों को इस वर्ष भी ट्रामा सेंटर का लाभ मिलने की उम्मीद कम नजर आ रही है।

5 फ़र॰ 2009

DOEACC 'O' AND 'A' LEVEL

JOIN DOEACC FOR 'O' AND 'A' LEVEL DIPLOMA
CONTACT TO:
FATEHPUR COMPUTER CENTER
149,KHELDAR,FATEHPUR
OR CALL:
9450235737
9235403664
बीटीसी 2004 के दुगुना अभ्यर्थियों की मेरिट सूची आज जारी होने की संभावना है। अठारह हजार से अधिक आवेदनों की तैयार की गयी मेरिट में एक सौ छियानबे अभ्यर्थियों के चयन के लिये तीन सौ बानबे अभ्यर्थियों की मेरिट जारी कर काउंसिलिंग के लिये बुलाया जायेगा। मेरिट सूची की जानकारी के लिये अभ्यर्थी डायट कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं।

बीटीसी 2004 के प्रशिक्षण के चयन के लिये अठारह हजार से अधिक अभ्यर्थियों ने आवेदन किये थे। चार वर्ष का लंबा समय बीत जाने के कारण अभ्यर्थी अब इस चयन प्रक्रिया से आस छोड़ चुके थे। आखिर शासन के निर्देश पर फिर काम शुरू हुआ और सभी आवेदनों की छंटनी कर कम्प्यूटराइज्ड मेरिट तैयार की गयी। बताते हैं कि अनुमोदन के साथ ही मेरिट बुधवार को जारी होने की संभावना है।

कुल तीन सौ बानवे अभ्यर्थियों को काउंसिलिंग के लिये बुलाया जा रहा है। सामान्य, पिछड़ी जाति, अनुसूचित जाति में महिला पुरुष व कला, विज्ञान वर्ग की अलग-अलग मेरिट बनायी गयी है। इतना ही नहीं भूतपूर्व सैनिक, विकलांग सहित अन्य आरक्षणों पर भी अलग-अलग सूची तैयार की गयी है। बताते हैं कि सभी वर्ग में दूना अभ्यर्थी पहली मेरिट में बुलाये जायेंगे। एक पखवारे की कड़ी मशक्कत के बाद सूची बनकर तैयार हुई है। मेरिट सूची को देखने के लिये अभ्यर्थी डायट में चक्कर काट रहे हैं। डायट के जिम्मेदार अधिकारियों का कहना है कि सूची बनकर तैयार हो गयी है। जिलाधिकारी के अनुमोदन के साथ ही मेरिट सूची सार्वजनिक कर दी जायेगी।

कोचिंग नहीं पढ़ेंगे तो पिछड़ जायेंगे?

सरस्वती के मंदिर कहे जाने वाले विद्यालयों के बारे में पहले यह कहा जाता था कि यहां की दीवारें पढ़ाती हैं अब तो प्रवेश कराने के बाद छात्र ही नहीं अभिभावक यह सलाह देने लगते हैं कि स्कूल में क्या रखा है कोचिंग करके परीक्षा की तैयारी करो। जब छात्रों के साथ अभिभावकों की यह मानसिकता हो जायेगी तो जाहिर है कि कोचिंग ही स्कूल बन जायेंगे।


ऐसे में जब बोर्ड परीक्षा नजदीक है हर छात्र कोचिंग की ओर रुझान किये है तो गली-मोहल्लों में कोचिंग खुल गयी हैं। कोचिंग अधिनियम में पंजीयन मौसम की बहार में कोई मायने नहीं रखता। शिक्षा विभाग भी अनदेखी किये हुए है तभी तो कुछ ऐसे कोचिंग संस्थान हैं जहां न तो योग्य शिक्षक हैं और न ही शैक्षणिक गुणवत्ता का कोई माहौल।

हाईस्कूल, इण्टर की बोर्ड परीक्षा अगले माह से शुरू हो रही है। यूं तो शुरू से ही कोचिंग की ओर छात्र-छात्राओं का रुझान इतनी तेजी से बढ़ रहा था कि स्कूल की कक्षायें गौड़ हो गयी हैं। समूचे जनपद में तकरीबन दो सौ कोचिंग संस्थान कोचिंग अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत हैं। बताते हैं कि इस समय कोचिंग संस्थानों की संख्या पंजीयन संख्या से लगभग ड्योढ़ी हो गयी है। राजकीय व सहायता प्राप्त स्कूलों के विषयाध्यापक भी गुपचुप ढंग से आठ से दस छात्रों का बैच लगा रहे हैं।

शहर के राजकीय, सहायता प्राप्त इण्टर कालेजों का माहौल यह बता रहा है कि छात्र-छात्रायें कोचिंग को ही परीक्षा तैयारी का माध्यम बनाये हुए हैं। इण्टरवल के बाद तो स्थिति यह होती है कि दस व बारह की कक्षाओं में छात्र ही ढूंढे नहीं मिलते। अस्सी से सौ छात्रों की कक्षाओं में बमुश्किल तीस से चालीस छात्र ही उपस्थित होते हैं और वह भी इन्टरवल तक। इसके बाद तो कोई रुकता ही नहीं। भले ही अधिनियम लागू कर कोचिंग की गुणवत्ता पर शासन ने एक मापदण्ड तय कर दिया हो, लेकिन सच्चाई यह है कि शिक्षा विभाग की अनदेखी के चलते मनमानी चल रही है। इतना ही नहीं हाईस्कूल में विज्ञान, गणित को पढ़ाने वाले कई कोचिंग संस्थानों में इण्टर उत्तीर्ण ही लगे हुए हैं। योग्यता का मापदण्ड न होने से कोचिंग संस्थानों से मिलने वाली शिक्षा पर सवालिया निशान लग रहे हैं।


राजकीय बालिका इण्टर कालेज में पढने वाली छात्राओं की अलग ही समस्या है कि वहां पर विज्ञान, गणित और अंग्रेजी की शिक्षिकायें ही नहीं हैं। कोचिंग न पढ़ें तो कोर्स ही नहीं पूरा होगा। जबकि कोचिंग क्या स्कूल की तरह वहां भी पढ़ना पड़ता है। दस-बीस नहीं चालीस से पचास छात्राओं का एक बैच रहता है। यदि कोई सवाल समझ में नहीं आता तो उसे पूछने का भी मौका नहीं दिया जाता। बच्चों की मजबूरी है कि जब स्कूल में पढ़ाई नहीं होगी तो कोचिंग में प्रवेश लेना ही पड़ेगा ।

छात्र-छात्राओं का स्कूलों से उठते भरोसे पर प्रधानाचार्यो का कहना है कि ऐसा नहीं है कि स्कूल में कक्षायें न संचालित होती हों। कुछ ऐसा माहौल ही बन गया है कि छात्र यह समझते हैं कि कोचिंग नहीं पढ़ेंगे तो पिछड़ जायेंगे।

राजकीय इण्टर कालेज के प्रधानाचार्य शिवाकांत तिवारी के अनुसार पाठ्यक्रम परीक्षा के पहले पूरा कराया जाता है। जो बच्चे क्लास में आयेंगे ही नहीं उनके लिये क्या किया जा सकता है। एएस इण्टर कालेज के प्रधानाचार्य अकबाल सिंह का मानना है कि कोचिंग के बजाय छात्र यदि कक्षा में पढ़ाये गये पाठ्यक्रम को दोहराये तो वह बेहतर तैयारी कर सकता है।

3 फ़र॰ 2009

आइये फतेहपुर से जुडें .....

फतेहपुर से जुड़े हुए सभी व्यक्तियों से निवेदन है कि आप फतेहपुर से सम्बंधित इतिहास , जानकारी , तथ्यों , सूचनाओं व अन्य काम के लिंक्स की जानकारी हमें दे सकते हैं। साथ ही साथ जो शख्स फतेहपुर की प्रगति में अपना कोई भी योगदान देना चाहता है , वह भी हमसे संपर्क साध सकता है। इस मुहिम में शामिल होने के लिए हम आपसे बिना किसी संकोच के जुड़ने का आवाहन करते हैं। फतेहपुर के लोगों की रोजगार के क्षेत्र में मदद भी आप इस ब्लॉग से जुड़ कर कर सकते हैं। आप चाहें तो ब्लॉगर अकाउंट बना कर इस ब्लॉग के से लेखक के रूप में भी जुड़ सकते हैं। मेरा e-संपर्क का पता है - praveentrivedi009ATgoogleDOTcom

ब्लॉग से जुड़ने के लिए , कृपया यहाँ क्लिक करके सीधे निमंत्रण स्वीकार करें !!!

1 फ़र॰ 2009

लंबित पड़ी सीवर लाइन परियोजना के प्रस्ताव पर सूबे की सरकार ने अपनी मुहर लगाई

अर्से से लंबित पड़ी सीवर लाइन परियोजना के प्रस्ताव पर सूबे की सरकार ने अपनी मुहर लगा दी है। यह शहर के विकास के लिए मील का पत्थर साबित होगी। 163.71 करोड़ रुपए की लागत की परियोजना का निर्माण को लेकर पत्रावली केंद्र को भेजी गई है। जिसकी स्वीकृत मिलने के साथ ही परियोजना की कार्यदायी संस्था जल निगम निर्माण कार्य को अमली जामा पहनाना शुरू करेगा।

शासन से हरी झंडी मिलते ही पालिका प्रशासन ने खाका तैयार करना शुरू कर दिया। नगर पालिका अध्यक्ष अजय अवस्थी ने परियोजना प्रस्ताव स्वीकृत होने की पुष्टि की है। बताया कि मंगलवार को इस बाबत विस्तार से चर्चा की जाएगी।करीब डेढ़ दशक पूर्व तत्कालीन प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह के कार्यकाल में पालिका प्रशासन ने सीवर लाइन परियोजना का प्रस्ताव केंद्र को भेजा था। जिले के सांसद वीपी सिंह के पद से हटते ही यह योजना खटाई में पड़ गई थी।

हालांकि परियोजना को लेकर कई पार्टियों के नेताओं और पालिका अध्यक्ष ने हाथ पैर मारे लेकिन सफलता नगर पालिका अध्यक्ष अजय अवस्थी के हाथ लगी। जानकारों के मुताबिक शुक्रवार को पालिका अध्यक्ष की मौजूदगी में शासन ने परियोजना में मुहर लगा दी है। पहले चरण में शहर से गुजरने वाली रेलवे लाइन के उत्तरी क्षेत्र में सीवर लाइन का निर्माण कराया जाएगा। इसके लिए संबंधित क्षेत्र को छह ब्लाकों में बांटा गया है। निर्माण में 163.71 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इसके पूरे होने के बाद शहर के दक्षिणी क्षेत्र में परियोजना निर्माण का प्रस्ताव भेज कर कार्य कराया जाएगा। जल निगम के अधिशासी अभियंता अनूप कुमार सक्सेना ने बताया कि प्रस्ताव स्वीकृति के बाद केंद्र सरकार को पत्रावली भेजी गई है। वहां से मंजूरी मिलते ही निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा।

फतेहपुर में विशिष्ट बीटीसी चयन प्रक्रिया 2007 समाप्त

विशिष्ट बीटीसी चयन प्रक्रिया 2007 समाप्त हो गई। तीन चरणों में तैयार की गई पंचम सेलेक्ट सूची चयनित अभ्यर्थियों को प्रवेश देकर प्रशिक्षण शुरू कर दिया गया। इनको पंद्रह दिवसीय सामुदायिक प्रशिक्षण देकर विद्यालयों में तीन महीने के क्रियात्मक ट्रेनिंग के लिए भेज दिया जाएगा। इससे पहले के एक बैच का प्रशिक्षण पूरा हो चुका है, जबकि दूसरे बैच का प्रशिक्षण चल रहा है।जिला शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) ने जुलाई 2007 में 1369 विशिष्ट बीटीसी शिक्षकों की चयन प्रक्रिया चालू की थी। इसके लिए 47 हजार अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था। पहले चरण की चयन प्रक्रिया में 382 अभ्यर्थियों का चयन किया गया था। इनका प्रशिक्षण पूरा हो चुका है। अभी 10 और 11 जनवरी को परीक्षा भी संपन्न हो चूकी है, जबकि दूसरे बैच के 371 अभ्यर्थियों का प्रशिक्षण चल रहा है। इस बैच की भी ट्रेनिंग मार्च में समाप्त हो जाएगी।

अंतिम चरण की चयन प्रक्रिया पूरी करने के लिए तीन चरणों में सेलेक्ट सूची तैयार करना पड़ा। कुल 304 रिक्तियां भरने के लिए पहले पंचम सेलेक्ट सूची तैयार की गई। जिसमें 114 अभ्यर्थी शामिल हुए। इसके बाद पंचम द्वितीय सूची तैयार की गई, जिसमें सिर्फ 31 आवेदक ही शामिल हुए। पंचम द्वितीय अतिरिक्त सूची बनाने के लिए काउंसिलिग में शामिल होने वाले सभी अभ्यर्थियों को एक साथ काल किया गया। इसके बाद चयन प्रक्रिया समाप्त कर दी गई। गुरुवार को देर शाम तक चयनित अभ्यर्थियों को प्रवेश देने का सिलसिला चलता रहा।

विशिष्ट बीटीसी चयन प्रक्रिया प्रभारी के अनुसार गुरुवार से चयन प्रक्रिया 2007 को विराम दे दिया गया है। अब विशिष्ट बीटीसी चयन प्रक्रिया 2008 शुरू कर दी गई है। पहले आरक्षित वर्ग का चयन किया गया जाएगा। साथ ही जनरल वर्ग की रिक्तियां घोषित कर दी गई हैं। उन्होंने बताया कि पिछली चयन प्रक्रिया में जिन वर्गों के आवेदकों की कमी के कारण भर्ती नही हो पाई हैं। उन रिक्तियों को शुरू होने वाले चयन में समायोजित कर दिया जाएगा।

जुगनू जगमग हंस रहे फैला यूं आतंक

शांति निकेतन मानव कल्याण समिति एवं यायावर संस्था के संयुक्त तत्वावधान में आवास विकास स्थित सिद्धपीठ मां दुर्गाधाम पार्क में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें पधारे कवियों ने रचनाओं के माध्यम से श्रोताओं का मनोरंजन किया।

बसंत पंचमी के मौके पर आयोजित कवि सम्मेलन में अनिल तिवारी निर्झर ने पढ़ा कि-

ठोस से आदमी जब तरल हो गया कीच में आदमी तब कमल हो गया।
केपी सिंह कछवाह कृष्ण ने पढ़ा कि-
डाल-डाल झूम रही यौवन आनंद से, पात-पात रहे डोल खुशी अब अनंत है, आ गया बसंत है।
डा. कृष्णपाल सिंह गौतम के उद्गार थे कि-
साथ मत करो काजल से कालिख लग जायेगी, अरे जुड़ो मत नीच से नीचता आ जायेगी।
श्रवण कुमार पांडेय पथिक बोले- फिर से लौट आयी है पटरी पर गाड़ी तो लोक गीतकार समीर शुक्ल ने पढ़ा-
ईश्वर अल्ला के नाम से जो गदर है खुल्लमखुल्ला ब्वालौ यहिका जिम्मेदार को? तुम या पंडित मुल्ला।
शैलेश गुप्त वीर ने पढ़ा कि-
सूरज भी मद्धिम हुआ फीका पड़ा मयंक। जुगनू जगमग हंस रहे फैला यूं आतंक।
वहीं ज्ञानेंद्र गौरव ने पढ़ा-
एक धरती बंटी दिल बंटे, हम बटे रोज मनहूस दिन आ गया पौ फटे, दर्द कम नहीं यह सायरी के लिये।
डा. मधुलिमा चौहान ने कहा- दर्द मिला लेकिन दर्दो से बदल गयी गीतों की सरगम। डा. बृजमोहन पांडेय विनीत ने पढ़ा-
निज मातृभूमि की पुकार सुन दौड़ पड़े, वीर शिवा जैसा स्वाभिमान हमें चाहिए।
आचार्य पंडित सत्यानंद शुक्ल ने संस्कृत रचना का वाचन किया- प्राचीन संस्कृते: स्याद् राष्ट्रे पुनर्विकासे। डा. रामलखन सिंह परिहार प्रांजल ने पढ़ा-सपनों की अर्थी को ढोते जैसा चाहा उसे जिया। जानकी प्रसाद श्रीवास्तव शास्वत ने पढ़ा-
गुबारों के समंदर में मचलता कारवां हूं मैं, जो कांटों को कुचल डाले ऐसा बागवां हूं मैं।
शिवशरण सिंह चौहान अंशुमाली ने पढ़ा-
बासंती परिधान पहनकर तुम मेरे घर आना, मैं पराग की कणिकाओं से कर दूंगा अभिनंदन।

इसी क्रम में धर्मचंद्र मिश्र कट्टर, विनोद कुमार विनोद, हरीबाबू सिंह राउत, सलीम अहमद शास्त्री, दागनियाजी, भइयाजी अवस्थी करुणाकर, चंद्रशेखर शुक्ल, आनंद स्वरूप श्रीवास्तव अनुरागी, अनूप शुक्ल, अवधेश कुमार द्विवेदी, डा. चंद्रिका प्रसाद दीक्षित ने अपनी रचनाओं को प्रस्तुत किया। कवि सम्मेलन का संचालन कवि शिवशरण बंधु ने किया।

कागज काला, दीवारें काली ऐसे फैल रही हरियाली

जिले में हर उस जगह पेड़ लगे हैं जहां इन्हें होना चाहिये, सरकारी लक्ष्यों के मुताबिक वृक्षारोपण किया जा चुका है। वन विभाग के अधिकारी, कर्मचारी आत्म संतुष्टि के आलम में हैं कि काम पूरा हुआ। इन पंक्तियों को पढ़ते हुए चौंकिये नहीं यह सारा काम कागजों पर ही संपन्न हुआ समझिये। बसंत अगर वीराना दिख रहा है तो दोष आपकी आंखों का नहीं, यह खुली अकर्मण्यता है वन विभाग की।

  • धरती को हरा बनाना है वन विस्तार बढ़ाना है ।
  • आओ धरती को हरा बनायें ।
  • वृक्ष धरा के भूषण हैं करते दूर प्रदूषण हैं ।

जैसे नारों से जिले भर में दीवारें काली हो रहीं हैं और हरियाली बिखरी पड़ी है विभाग के कागजों में।

जिले की जमीन को हरा भरा बनाने का दम भरने वाला वन विभाग के अधिकारी आलस के अधीन हैं। देख लें हर उस जगह को जहां छह महीने पहले विभाग ने सरकारी मजबूरी के तहत जो पेड़ लगाये थे वह सब प्यासे रहकर प्राण गवां बैठे पर प्यासे पौंधों पर तरस नहीं आया इन लगाने वालों को। उस पर विभाग का तुर्रा यह कि लगाने के बाद पौध संरक्षण की हमारी जिम्मेदारी है जिसे मनोयोग से पूरा करते हैं। पौधों की सुरक्षा के लिये बनाया गया ईटों का घेरा रखरखाव के अभाव में बेकार हो गए है। सड़क किनारे लगे ट्री गार्ड के पौधे सूख रहे हैं। पौध को जानवर नष्ट कर रहे हैं। लगाये गये लाखों पौधे अव्यवस्था की भेंट चढ़ गये।


कागज काला, दीवारें काली;

ऐसे फैल रही हरियाली