27 जून 2009

उमस के बीच बदली आयी, सूर्य की रोशनी भी कुछ धीमी हुई, लेकिन बारिश नहीं हुई।



उमस के बीच बदली आयी, सूर्य की रोशनी भी कुछ धीमी हुई, लेकिन बारिश नहीं हुई। दिनभर सभी की निगाहें इन्द्रदेव पर टिकी रहीं कि शायद रहम हो जाये और अषाढ़ की झमाझम बारिश हो जाये। शुक्रवार को भी उमसभरी गर्मी कम नहीं हुई। बेहाली के आलम के बीच स्थिति यह रही कि कुछ अंग्रेजी माध्यम के स्कूल खुले और आग उगलती धूप में बच्चे पढ़ने गये।


बारिश के लिए अब एक-एक दिन का इंतजार वर्षो का लग रहा है। जैसा कि उम्मीद थी कि तीन दिन से जिस तरह की उमस है बारिश होगी। शुक्रवार को कुछ मौसम का मिजाज भी बदला। तेज धूप धुंधली हुई और बदली के भी कुछ आसार दिखे। चेहरों में कुछ खुशियां आयीं कि बारिश होगी, लेकिन शाम तक न तो बारिश हुई और न ही उमस कम हुई। बच्चों से बड़ों तक को रुलाने वाली गर्मी कब थमेगी अब सबके मुंह से यही निकल रहा है कि प्रकृति का कहर तो जीने नहीं दे रहा है। बड़े-बड़े जब गर्मी से बेहाल हैं ऐसे में कुछ अंग्रेजी माध्यम के स्कूल खोल दिये गये हैं। मासूम बच्चे उमस के बीच कक्षाओं में पढ़ाई की और जब छुट्टी हुई तो घर पहुंचने में उनके चेहरे लाल हो गये। अभिभावकों ने मांग किया कि इस तरह की गर्मी में स्कूल बन्द कर दिये जायें। स्कूल के रिक्शे से जाते बच्चों को देखकर लोग यही कहते रहे कि अरे मासूमों पर तो रहम करें। इस तरह में पढ़ाई क्या होगी। स्कूलों की नाटकबाजी है। जब जून माह ग्रीष्मावकाश का है तो बीच में स्कूल कैसे खोल दिये गये।

16 जून 2009

फतेहपुर:सीवर लाइन की कार्ययोजना को अंतिम रूप

पिछले वर्ष बरसात के बाद हुए भीषण जलभराव को नगर पालिका परिषद ने गंभीरता से लिया है। इसके स्थाई हल के लिए पालिका ने सीवर लाइन निर्माण की कार्ययोजना को अंतिम रूप दे दिया है। इसके लिए 163 करोड़ का प्रस्ताव बनाकर पालिका प्रदेश सरकार को भेज चुकी है। प्रदेश सरकार ने भी अनुमोदित करके केंद्र सरकार के पास भेज दिया है।

पहले चरण में शहर की रेलवे लाइन के उत्तर के हिस्से में सीवर लाइन बिछाने का काम शुरू होगा।शहर के उत्तरी हिस्से को जल्द ही जलभराव की समस्या से स्थाई रूप से निजात मिलने की संभावना है। नगर पालिका ने इसकी कार्य योजना तैयार कर ली है। इसके तहत पंप हाउसों के माध्यम से शहर के दो स्थानों पर गंदे पानी को फिल्टर करने की योजना है। कहां और किस स्थान पर सीवर लाइन बिछाई जानी है इसके लिए शहर दक्षिण का नक्शा तैयार करा लिया है।

पहले चरण में आधे शहर में यह सुविधा उपलब्ध कराने की योजना को अंतिम रूप दिया गया है। इसके लिए 2008 में 163 करोड़ का प्रस्ताव बनाकर प्रदेश सरकार को भेजा गया था जिसे प्रदेश सरकार ने अनुमोदन करके स्वीकृत प्रदान करके केंद्र सरकार को भेज दिया था। केंद्र से हरीझंडी मिलते ही बजट अवमुक्त हो जाएगा।

अधिशासी अधिकारी अरुण कुमार गुप्ता ने बताया कि शहर में सीवर लाइन बनना लगभग तय है। इसके लिए पिछले साल कार्ययोजना और संबंधित प्रस्ताव तैयार करके प्रदेश सरकार को भेजा गया था, जिसे सरकार ने अनुमोदित करके केंद्र को भेज दिया था। उन्होंने बताया कि हर हालत में योजना को चालू वित्तीय साल में स्वीकृति मिलने के बाद बजट का आवंटन हो जाएगा। उनका विश्वास है कि अगले वित्तीय साल की शुरुआत में निर्माण कार्य शुरू करा दिया जाएगा।



6 जून 2009

हाँ,दुनिया इसी की तलाश में है.....!!



रोज-ब-रोज सूरज उग रहा है,रोज-ब-रोज रात हो रही है.आदमी के सम्मुख अँधेरा और उजाला दोनों ही हर वक्त होते हैं.मगर आदमी अँधेरे को ही पहले तरजीह देता है !!क्योंकि अँधेरे में ही उसकी समस्त वासनाओं का शमन होता है !!आदमी धीरे-धीरे एक ऐसी चीज़ में परिणत होता जा रहा है जो हर वक्त सिर्फ-व्-सिर्फ अपने और अपने स्वार्थ को येन-केन-प्रकारेण पूरा करने के बारे में सोचती रहती है.जीवन को भरा-पूरा बनाने के साधनों का एक ऐसा अंतहीन तिलिस्म आदमी ने अपने चारों तरफ फैला लिया है कि उनको प्राप्त करने की जद्दोजहद में उसकी कमर टूट जा रही है,और उसे अपनी जरूरतों से इतर कुछ भी सच पाने को कोई अवकाश ही नहीं है,और इस बारे में कुछ भी सोचने का प्रयास भी नहीं,तो इस तिलिस्म से बाहर आने के बारे में कुछ अपेक्षा करना भी बेमानी है !!
आदमी अपने-आप को सदा पशुओं से ऊपर बता रहा है,सिर्फ इस बुनियाद पर कि उसमें विवेक नाम की कोई चीज़ है,वो हँसता है,बोलता है,नाचता है और सबसे बढ़कर सोचता है !!और मज़ा यह कि इन्हीं बुनियादों पर वह पशु-जगत को अपने से दीन-हीन बतलाता रहा है और यहाँ तक कि उसने हर वक्त पशुओं को अपनी जरुरत तथा प्रयोगों का साधन बनाया हुआ है !!आदमी के हाथ में एक दुर्दमनीय पीडा से छटपटाते ये पशु कुछ बोल नहीं पाने के कारण आदमी नामक इस स्वनामधन्य विवेकशील जीव द्वारा मार दिए जाते हैं,मानवता की सेवा करने की आड़ में पशु-जगत आदमी के तमाम काले-कारनामों का शिकार बनता रहा है,बन रहा है !!और मज़ा यह कि आदमी विवेकशील है!!
प्रेम-मुहब्बत-भाईचारे की बात बहुत करता है यह आदमी...तुर्रा यह कि इसकी दुनिया में बाबा आदम के जमाने से अब तक भी ये चीज़ें इसे नसीब नहीं हो पायी हैं जबकि आदमी की सिर्फ एक ही जात है और वह है आदमी...!!और जिस जात को वह पशु मानता है वह धरती और गगन में असंख्य किस्म की होने के बावजूद आदमी से असंख्य गुणा प्रेम-मुहब्बत और भाईचारे के संग रहती है....!!आदमी अपनी एक-मात्र जात के बावजूद भी एक-दुसरे से कई-कई गुणा दूर है,यहाँ तक कि एक-दुसरे के विरुद्द एक अंतहीन नफरत से भरा हुआ और तमाम वक्त एक-दुसरे से लड़ता हुआ....लड़ता ही लड़ता हुआ !!और बाकी का पशु-पक्षी जगत अपनी अनगिनत रूपों की विभिन्नता के बावजूद एक-दुसरे के संग लगभग शालीनता से रहता हुआ,यहाँ के आदमी के लिए प्रेरणादायी होने तक !!
फिर भी आदमी जानवरों को लतियाता है,आदमी को भी लतियाता है,अपने बच्चों को लतियाता है,बड़े-बूढों को लतियाता है,स्त्रियों को लतियाता है,कमजोरों को लतियाता है,अपने से तमाम कमतर कहे जाने वाले लोगों को लतियाता है,हालांकि कमतर समझना उसका खुद का ही पैदा किया हुआ एक अनावश्यक विचार होता है....इस बारे में उसमें कई किस्म की बेजोड़ भ्रांतियां है,मज़ा यह कि जिन्हें वह तथ्य समझता हुआ उसी अनुसार आचरण करता है,बिना यह जाने हुए कि यह आचरण उसे अपने ही बनाए हुए आदमी होने के विशेषणों के उसे विलग करता है !!आदमी के साथ सबसे बड़ी तो दिक्कत ही यही है कि अपनी ही गडी हुई तमाम परिभाषाओं को अपने अनुकूल बनाने या साबित करने के लिए यह उन परिभाषाओं का दम खुद ही घोंट देता है,अपने ही गडे हुए शब्दों के अर्थ हजारों-हज़ार निकाल लेता है,यहाँ तक कि उसके शब्द अपनी ही महत्ता खो देते हैं,यहाँ तक कि उनका सही अर्थ भी हम नहीं समझ पाते,यहाँ तक कि आदमी कहना क्या चाहता है,उसे खुद ही नहीं पता होता....फिर भी आदमी,आदमी है,और समस्त पशु-जगत से कहीं ऊपर है...!!....नीचे के स्थान से कि ऊपर के स्थान से यह तय होना बाकी है !!
सच बताऊँ तो आदमी जरुरत से ज्यादा समझदार है,इतना ज्यादा कि इतने ज्यादा की जरुरत ही नहीं,इतना ज्यादा कि हास्यास्पद की हद तक,इतना ज्यादा कि ज्यादा होना आपकी राह में रोड़ा बनने लगे और हर समय एक अंतहीन पीडा देने लगे और दूसरों को ना जाने किन-किन आधारों पर छोटा या बड़ा समझने लगे और तरह-तरह के अनावश्यक विवादों को जन्म देकर और फिर उन्हें सुलझाने के उपक्रमों में अपना और दूसरों का समय खोता करने लगे !!आदमी सच ही ब्रहमांड की सबसे अजूबी चीज़ है,लेता तो है वह खुदा से होड़ और करता है तमाम किस्म के शैतानियत से भरे और रूह को कंपा देने वाले भद्दे-गंदे-गलीच और बिलकुल ही घटिया कर्म....!!अपनी सहूलियत के लिए सब कुछ कर डालने को उत्सुक एक व्यभिचारी आत्मा...!!और अगर आदमी सचमुच ही ऐसा ही है तो खुद को ऊँचा या विवेकमान मानने की जिद्द क्यों ??खुद को पशु से बेहतर बताने की जिद्द क्यों....??आदमी सच कहूँ तो मसीहा भी बन सकता है,भगवान् भी बन सकता है,वह कुछ भी बन सकता है,उसमें इतनी ताब है,उसमें ऐसी रौशनी भी है....खुद को यदि इतना बेहतर समझने का ऐसा ही उसमें जज्बा है तो दिखाए अपना दम...और बन कर दिखा दे सही मायनों में दुनिया का देवता...हाँ दुनिया इसी की तलाश में है....हाँ दुनिया इसी की आस में है.....!!

1 जून 2009

आईसीआईसीआई jobs

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