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फतेहपुर की धड़कन - फतेहपुर की आवाज Fatehpur District Live News Portal
खुशखबरी !! ग्रामीण क्षेत्रों की बिजली व्यवस्था पटरी पर लाने के लिए शासन ने चार सब स्टेशनों की पावर क्षमता बढ़ाने को हरी झंडी दे दी है। जिसके तहत संबंधित विभागीय अधिकारी को धन अवमुक्त करा दिया गया है। इन सब स्टेशनों की आवश्यकतानुसार क्षमता बढ़ाकर जल्द ही बिजली संकट दूर करने की कवायद शुरु कर दी जाएगी। विभागीय जानकारों की माने तो इन क्षेत्रों में बिजली संबंधी कई तरह की समस्याएं उपभो1ताओं के बीच बनी रहती थी। जिसके तहत विभागीय अधिकारियों ने क्षमता बढ़ाने का प्रस्ताव शासन को भेजा था।पिछड़ा क्षेत्र अनुदान निधि के तहत जिले के चार सब स्टेशनों की क्षमता बढ़ाने के प्रस्ताव को शासन ने मंजूर कर लिया है। इन सब स्टेशनों में शहर स्थित राधानगर उपकेंद्र प्रथम श्रेणी में है। इसके बाद सौंरा, बिंदकी और जहानाबाद स्टेशनों की क्षमता बढ़ाने को हरी झंडी मिली है। सब स्टेशनों की पावर क्षमता बढ़ाने के लिए 1 करोड़ 64 लाख रुपए स्वीकृत हुए हैं। जिसमें 1 करोड़ 20 लाख रुपए की धनराशि विद्युत वितरण खंड अधिशासी अभियंता द्वितीय को अवमुक्त करा दी गई है।
सब स्टेशनों में आवश्यकतानुसार पांच से 10 एमवीए तक के ट्रांसफारमर लगाए जाएंगे। मालूम हो कि इन सब स्टेशन सर्किलों के उपभोक्ता और बिजली अधिकारी पावर क्षमता बढ़ाने की की मांग शासन से करते आ रहे हैं। शासन ने मांगों पर अमल करते हुए स्वीकृति देकर संबंधित अधिकारी को जल्द कार्य शुरू कराने के लिए निर्देशित किया है।
ट्रांसफारमरों की क्षमता बढ़ाई जाएगी
अधिशासी अभियंता पी राम ने बताया कि उपभोक्ताओ द्वारा बिजली की कई समस्याओं को दूर करने की मांग की जा रही है। ऐसे में सब स्टेशनों की झमता बढ़ाने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं था। इसके लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया था। जिसमें स्वीकृत मिलने के साथ ही प्रस्तावित धनराशि में 1 करोड़ 20 लाख रुपए धनराशि उपल4ध करा दी गई है। जल्द ही लो वोल्टेज की शिकायती वाले क्षेत्रों के ट्रांसफारमरों की क्षमता बढ़ाने का कार्य शुरू किया जाएगा।
एक नजर
स्वीकृत सब स्टेशन- राधानगर, सौंरा, बिंदकी, जहानाबाद
प्रस्तावित धनराशि- एक करोड़ 64 लाख रुपए
अवमुक्त धनराशि- एक करोड़ 20 लाख रुपए
ट्रांसफारमर क्षमता- पांच से 10 एमवीए
समस्या समाप्त होगी- टि्रपिंग, लो वोल्टेज आदि
देवमई विकास खंड के सभी गांवों में यह गांव विशेष है। विशेष इन मायनों में की आजादी की लड़ाई में अपनी अग्रणी भूमिका निभाने के अलावा यह शुरूआत से ही न्याय पंचायत बना। आज इस गांव की पहचान खो रही है अन्यथा कानपुर की खोया मंडी में देवमई और मलवां से बिकने जाने वाला खोया खदरा की मंडी के नाम से ही बिकता रहा है।
जिले की पत्रकारिता में अग्रगण्य रहे स्व.पं. दयाशंकर मिश्र इसी गांव की धरा-धूल में पले बढ़े थे। मिश्र जी की महल नुमा रिहायश गांव की तरह ही अपनी बदहाली पर आज आंसू रो रही है। आज से पच्चीस साल पहले इस गांव के अलावा आस पास शिक्षण संस्थायें नहीं थीं। इतना ही नहीं आसपास के गांवों में यही गांव है जहां मुसलमान शानदार मस्जिद बना कर रहते है और अब तक उस मस्जिद की तरह बहुसंख्यक हिंदुओं से झगड़े का इतिहास नहीं मिलता है दोनो प्रेम से साथ है। दशहरे की रामलीला के लिये मुसलमान और बड़े बाबा छोटेबाबा के उर्स के लिये हिंदू दान करते है।
संक्षेंप में समझे तो सब कुछ है खदरा के पास केवल ईमानदार , कर्मठ और उत्साही नेतृत्व के अलावा।