31 अग॰ 2009

मेरे प्यारे-प्यारे-प्यारे-प्यारे और बेहद प्यारे दोस्तों.........


मैं भूत बोल रहा हूँ..........!!
मेरे प्यारे-प्यारे-प्यारे-प्यारे और बेहद प्यारे दोस्तों.........
आप सबको इस भूतनाथ का बेहद ह्रदय भरा प्रेम.........दोस्तों पिछले समय में मुझे मिले कईयों आमंत्रणों में में मैंने कुछ आमंत्रणों को स्वीकार कर अनेक ब्लॉग में लिख रहा था.....बेशक एक ही आलेख हरेक ब्लॉग में होता था....आज अपनी एक ब्लागर मित्र की आज्ञा या यूँ कहूँ कि एक प्यारी-सी राय मान कर अपने को आज से सिर्फ़ एकाध ब्लाग में सीमित किए दे रहा हूँ...ये ब्लॉग कम्युनिटी ब्लोगों में "कबीरा खड़ा बाज़ार में","रांची-हल्ला" और मेरा ख़ुद का एक मात्र निजी ब्लॉग "बात पुरानी है" तक ही सीमित रहेंगे....!!
बाकी ब्लॉगों के सम्पादकों से मेरा अनुरोध हैं....कि मेरा यह अनुरोध शीघ्रता-पूर्वक स्वीकारते हुए मुझे तुंरत अपने ब्लॉगों से हटा दें.....इतनी जगहों पर एक आलेख भी चस्पां कर पाने में मैं ख़ुद को असमर्थ पाता हूँ....हाँ,इतने दिनों तक मुझे आदर और प्रेम देने के लिए मैं तमाम सम्पादकों का आभारी हूँ....आगे के लिए मुझे क्षमा किया जाए....भूतनाथ अब ख़ास तौर पर "बात पुरानी है !!" पर ही पाया जाएगा.....वैसे भी भूतों के लिए पुराना होकर "गया-बीता" हो जन ही उचित होता है.....तो दोस्तों आप सबको मेरे प्रेम के साथ ऊपर बताये गए ब्लॉगों से मेरी विदा.....एक स्नेहिल ह्रदय आत्मा........भूतनाथ
हरकीरत जी आपकी इस प्रेम भरी राय के लिए मैं आपका भी शुक्रिया अदा करता हूँ....दरअसल मैं ख़ुद भी यही करना चाह रहा था....मगर कुछ प्रेमियों के प्रेम के कारण ऐसा कर नहीं पा रहा था....आज आपकी आज्ञा से ये मैं कर रहा हूँ.....................आपको भी धन्यवाद......!!
एक बात आपसे और कहूँ....अभी मुझे भूतनाथ ही रहने दें.....इसके पीछे कोई बात है.....जो मैं बाद में सबको बता पाउँगा.....आज आखिरी बार मैं सभी ब्लॉगों पर दिखायी दूंगा.....!!कल से सिर्फ़ अपने ब्लाग एवं दो कम्युनिटी ब्लॉगों पर ही रहूंगा.....मुझसे कोई गलती हुई हो तो मैं तहे-दिल से खेद प्रकट करता हूँ....और सबसे क्षमा माँगता हूँ.....!!


30 अग॰ 2009

धन्यवाद......आपका भूतनाथ....!!




कृपया मुझे इस ब्लॉग से हटा दिया जाए....क्यों कि इस ब्लॉग के लिए उपयुक्त सामग्री मेरे पास नहीं है.... धन्यवाद......आपका भूतनाथ....!!

27 अग॰ 2009

जिले के तीन शिक्षकों को राष्ट्रपति पुरुस्कार: लोगों की छाती खुशी से चौड़ी हो जायेगी

पांच सितम्बर शिक्षक दिवस को जब दिल्ली में देश की प्रथम नागरिक के हाथों से गुरुतर दायित्व समाज के लिए आदर्श शिक्षक सम्मानित होंगे उस समय जिले के लोगों की छाती खुशी से चौड़ी हो जायेगी। अपने यहां के एक नहीं तीन शिक्षक इस सम्मान के हकदार बनेंगे। जिनका संदेशा शिक्षकों के लिए ही नहीं पूरे समाज के लिए नैतिक दायित्वों मानवीय मूल्यों के प्रति कुछ करने का जज्बा पैदा करेगा।

सम्मान के इतिहास में यह पहला मौका है जब जिले के तीन शिक्षकों को एक साथ महामहिम के सम्मानित होने का मौका मिल रहा है। बेसिक शिक्षा विभाग में भी इस बात को लेकर खुशी की लहर है कि सम्मानित होने वाले सभी शिक्षक परिषदीय स्कूलों के हैं। जिले में अब तक डेढ़ दर्जन शिक्षक राष्ट्रपति राज्यपाल से सम्मान हासिल कर चुके हैं। इसी श्रंखला में शैक्षिक सत्र 2009 में पूर्व माध्यमिक विद्यालय रावतपुर के प्रधानाचार्य रज्जन प्रसाद अवस्थी, जूनियर हाईस्कूल लौगांव के प्रधानाचार्य विजय सिंह प्राथमिक विद्यालय हरियापुर के लाखन सिंह का नाम भी जुड़ गया।




पर्यावरण साक्षरता मिशन को बनाया लक्ष्य

तेलियानी ब्लाक के पूर्व माध्यमिक विद्यालय रावतपुर के सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक रज्जन प्रसाद अवस्थी जिस विद्यालय ब्लाक में रहे पौधरोपण कराकर पर्यावरण के प्रति सजगता साक्षरता मिशन में निरक्षरों को अक्षर ज्ञान कराकर अशिक्षा जैसी कुरीति को मिटाने में आगे रहे।

वर्ष 2009 के राष्ट्रपति पुरस्कार की चयन सूची में शामिल श्री अवस्थी का मानना है कि परिवेश भले ही बदला हो, लेकिन शिक्षक के दायित्व और शिक्षा के पहलुओं में कोई अन्तर नहीं है। आज भी शिक्षक के अन्दर वही गुरुतर भाव और शिष्य को ऊंचाइयों में पहुंचते देखकर खुशी का भाव आता है। इस सवाल पर कि अब तक की नौकरी में आपने कौन सा ऐसा काम किया जिसमें स्वयं पर गर्व महसूस कर रहे हों पर उन्होंने कहा कि पौधरोपण साक्षरता मिशन के कार्य में जो उन्हें सफलता मिली

वह उनकी खास उपलब्धि है। सम्मान के साथ दो वर्ष सेवाओं का भी अवसर बढ़कर मिल रहा है इसमें कुछ खास करने का इरादा जाहिर करते हुए श्री अवस्थी ने कहा कि वह चाहते हैं कि अभिभावकों की हर सप्ताह गोष्ठी करके उनसे सुझाव मांगे। बच्चों का स्कूलों में ठहराव और कमजोर बच्चों को उपचारात्मक शिक्षा से बराबरी पर लाया जाये। उन्होंने कहा कि बीएसए उनका स्टाफ बधाई का पात्र है जिसने मूल्यांकन कर उनके नाम को सम्मान के लिए आगे बढ़ाया।




शिक्षा के साथ समाज से जुड़कर किया काम

पूर्व माध्यमिक विद्यालय लौगांव के प्रधानाध्यापक विजय सिंह कक्षाओं में बच्चों का ठहराव योगासन के माध्यम से बच्चों में शैक्षिक सहगामी क्रियाकलापों के प्रति सदैव जागरुक रहे और अब वह आगे दो वर्ष की सेवाओं में कुछ कर दिखाने का जज्बा संजोये हुए हैं।

बीआरसी असोथर का भी कार्यभार देख रहे श्री सिंह ने राष्ट्रपति से सम्मानित होने की चयन सूची में नाम आने पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि पूरी नौकरी में उनका उद्देश्य बच्चों का हित सर्वोपरि रहा। उन्होंने कहा कि वह बतौर बीआरसी जब विद्यालयों में भ्रमण में जाते हैं तो हर स्कूल में बच्चों को योगासन सिखाने के साथ कक्षायें लेकर शैक्षिक गुणवत्ता के प्रति भी शिक्षकों को प्रेरित करते हैं। लौगांव जूनियर विद्यालय में नब्बे फीसदी बच्चों की उपस्थिति रहती है। सामाजिक सेवाओं के प्रति भी वह बराबर जागरुक हैं। कहते हैं कि यह उनके लिए खास उपलब्धियों में रहता है जब वह

किसी विकलांग असहाय की मदद कर देते हैं। श्री सिंह कहते हैं कि दो वर्ष की सेवा का कार्यकाल बढ़ने के साथ ही वह यह चाहते हैं कि परिषदीय स्कूलों की शिक्षा के स्तर को इतना ऊंचा कर दें कि प्रवेश के लिए लोगों को सिफारिश करनी पड़े। आज के परिवेश पर उनका कहना है कि शिक्षक को अपने नैतिक दायित्वों को समझना चाहिए। समाज का दर्पण जिसे कहा गया है वही रास्ता भूल जायेंगे तो दूसरों को क्या कह सकते हैं।



गरीब बच्चों की मदद मेधावियों का करते सम्मान

बहुआ ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय हरियापुर के प्रधानाध्यापक लाखन सिंह सम्मान से तो गदगद हैं, लेकिन यह क्षोभ भी है कि सरकार जितना पैसा उतना दे रही है उतना वह नहीं कर पा रहे हैं।

वर्ष 1993 की खेलकूद प्रतियोगिता में प्राथमिक विद्यालय किछौछा टीम की हार ने उन्हें कुछ कर दिखाने का जज्बा दिया। यह उपलब्धि भुला नहीं पा रहे कि हारने के बाद उन्होंने खो-खो में बच्चों को इतना पारंगत किया कि वर्ष 1995 में जिला नहीं प्रदेश में जीत कर गोल्ड मेडल हासिल किया। उन्होंने कहा कि इसी क्षण से उनके अंदर यह भावना जागृत हो गयी कि प्रयास करने पर कुछ भी कर दिखाया जा सकता है। गरीब बच्चों को अपने वेतन से ड्रेस देना मेधावी बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए पुरस्कार देना उनका एक लक्ष्य बन गया है। कहते हैं कि विद्यालय का शैक्षिक माहौल वह इस तरह बनाना चाहते हैं कि उनके अपने बच्चे भी वहीं पढ़ें और शिक्षक होने के नाते बस यही भाव रहता है कि हर बच्चा अपना है और बच्चे का हित ही सर्वोपरि है। प्राथमिक विद्यालय हरियापुर में पचासी फीसदी से अधिक बच्चे उपस्थित रहते हैं। प्रार्थना के समय ही सभी बच्चे जाते हैं और आसपास कोई नर्सरी मांटेसरी विद्यालय नहीं चल रहा है। हरियापुर के ही नहीं तीन-चार गांवों के बच्चे यहां अच्छी शिक्षा के लिए प्रवेश लेते हैं। श्री सिंह का कहना है कि सम्मान से तो वह खुश हैं, लेकिन यह चाहते हैं कि अपने दायित्वों पर और खरा उतरें।


(साभार - दैनिक जागरण)

24 अग॰ 2009

फतेहपुर:सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कालेज में छात्र संसद का गठन

देश की संसद की तर्ज पर सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कालेज में छात्र संसद का गठन किया गया। पहले तो गुप्त मतदान से 84 छात्र सांसद चुने गये फिर संसदीय दल के नेता चुने गये अविजित श्रीवास्तव को प्रधानमंत्री पद से नवाजा गया। शपथ ग्रहण समारोह का शुभारंभ मां सरस्वती की पूजा अर्चना से शुरू हुआ। शिक्षाविद् श्रीमती शारदा मिश्रा ने प्रधानमंत्री सहित बारह परिषदों के मंत्री 18 विभागों के पदाधिकारियों को पद गोपनीयता की शपथ दिलायी। प्रधानाचार्य सुशील कुमार ने श्रीफल प्रतीक चिन्ह भेंट कर शिक्षाविद् का सम्मान किया। उन्होंने बच्चों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि अनुशासन ही मानव उन्नति का मूल मंत्र है। सभी छात्र सांसद मंत्री अपने दायित्वों का ईमानदारी से निर्वहन करें। इससे विद्यालय की शैक्षिक प्रगति तो होगी साथ ही छात्रों के अंदर एक योग्यता उभरकर आयेगी। आचार्य राधेश्याम द्विवेदी ने छात्र संसद के गठन की प्रक्रिया को विस्तार से बताया। विज्ञान एवं तकनीकि मंत्री आशीष द्विवेदी, हिंदी भाषा परिषद के मंत्री आलोक रंजन, सामाजिक अध्ययन सुवीर, कला परिषद के प्रशांत कुमार, शिक्षण परिषद के अमन सिंह, नैतिक एवं अध्यात्मिक परिषद के सूर्यप्रताप, शारीरिक शिक्षा के अविनाश कुमार, योग शिक्षा के शुभम, संगीत परिषद के सूर्याश, संस्कृत परिषद के निखिल कुमार, अंग्रेजी भाषा के अविजित, अनुशासन परिषद के शुभम पांडेय, संसदीय कार्य का दायित्व सुनील कुमार को सौंपा गया। इसके अलावा कृष्ण कुमार, शिवम, आयुष्मान सिंह, रमाकांत, वीर प्रताप, आयुष, सुभाष, अवनीश को भी विभाग बांटे गये। कार्यक्रम में मुख्य रूप से अनिल कुमार मिश्र, रमेश शर्मा आदिरहे



22 अग॰ 2009

ऐ भारत !! चल उठ ना मेरे यार !!



ऐ भारत !! चल उठ ना मेरे यार !!




"ए भारत ! उठ ना यार !! देख मैं तेरा लंगोटिया यार भूत बोल रहा हूँ.....!!यार मैं कब से तुझे पुकार रहा हूँ....तुझे सुनाई नहीं देता क्या....??"

"यार तू आदमी है कि घनचक्कर !! मैं कब से तुझे पुकार रहा हूँ....और तू है कि मेरी बात का जवाब ही नहीं देता...!!"
"अरे यार जवाब नहीं देता, मत दे !! मगर उठ तो जा मेरे यार !! कुछ तो बोल मेरे यार....!!"
"देख यार,हर बात की एक हद होती है...या तो तू सीधी तरह उठ जा,या फिर मैं चलता हूँ....तुझे उठाते-उठाते मैं तो थक गया यार....!!"
"हाँ,देख मेरे चलने का उपक्रम करते ही कैसा करवट लेने लगा है तू....अबे तू सीधी तरह क्यूँ नहीं उठ जाता है मेरे यार....बरसों से मैं तुझे जगा रहा हूँ....सदियों से मेरे और भी दोस्त तुझे उठाते-उठाते खुद ही उठ गए....!!...मगर तू है कि तुझ पर जैसे कोई असर ही नहीं होता.....क्यों बे तूने ये ऐसी-कैसी मगरमच्छ की खाल पायी है....??"
"मेरे दोस्त !! तुझसे बातें करना मुझे बड़ा अच्छा लगता है,इसीलिए तो बार-बार तेरे पास आ जाता हूँ मैं....और तू है कि इतना भाव देता है कि गुस्से से मेरी कनपटी तमतमा जाती हैं..देख मेरे जैसा प्रेमी तुझे कहीं नहीं मिलने वाला,और ज्यादा भाव मारेगा ना तो मुझे भी खो बैठेगा तू....!!"
"अरे...!! ये क्या....!! तेरी तो आखें डबडबा आयीं हैं....!! अरे यार,क्या हुआ तुझे....??अरे कम-से-कम मुझे तो कुछ बता मेरे यार !!"
"ओ...!! तो ये बात है !! यार यह तो कब से ही जानता हूँ....मगर यार मेरा बस ही कहाँ चल पाता है तेरे परिवार पर....तेरी संतानों पर !!...कहने को मैं भी एक तरह से तेरी संतानों में से ही एक हूँ...इतना चाहता है तू मुझे...!! उसके बाद भी तेरे परिवार के विषय में...तेरी पारिवारिक समस्याओं के विषय में कुछ कर ही नहीं पाता मैं...यार मैं क्या भी क्या करूँ, तेरे तमाम बच्चे इतने ज्यादा उच्च-श्रंखल हैं कि मेरा तनिक भी बस उनपर नहीं चल पाता...बल्कि वो मुझसे ऐसे किनाराकसी करते हैं कि जैसे मुझे पहचानते ही नहीं..जैसे मैं उनका कोई नहीं !!"
"क्या कहा,मैं अपनी पूरी ताकत से चेष्टा नहीं करता....??नहीं मेरे यार पूरी कोशिश करता हूँ....अब किसी से लड़-झगड़ थोडी ना सकता हूँ....अगर ऐसा करूँ तो मेरे दिन-रात...और यह सारी जिंदगी लड़ने-झगड़ने में ही ख़त्म हो जाये....मैं क्या करूँ यार...तेरे बच्चे ही बड़े अभिमानी,चालक,धूर्त,मक्कार,लालची और व्यभिचारी है...!!"
"नहीं यार !! मैं तेरे बच्चों को धिक्कार नहीं रहा...तेरा दोस्त हूँ मैं...तुझे वस्तु-स्थिति से मैं ही अवगत नहीं कराउंगा तो भला कौन कराएगा...??"
"देख !! इसमें ऐसा कोई क्रोधित होने की बात भी नहीं है...अपने परिवार के बारे में ऐसा कुछ सुनकर सभी को कष्ट होता है....वैसे यार मैं तेरे गुस्से का तनिक भी बुरा नहीं मानता मेरे यार...!! मैं तो तेरा प्रेमी हूँ और इस जन्म की आखिरी सांस तक तुझ से चिपका रहूंगा.....बल्कि बार-बार तेरे घर में ही जन्म लूँगा....!!
"हाँ एक बात और....वो यह कि मेरा तुझसे यह वादा है कि मैं कभी किसी जन्म में भी असल में तो क्या, सपने में भी तेरा मान-मर्दन करने या तेरी धन-संपत्ति लूटने,या तेरे बच्चों को आपस में लड़ाने,या तेरी बच्चियों के साथ व्यभिचार करने, या किसी भी रूप में तुझे लूटने-खसोटने के व्यापार या उपक्रम में नहीं लगूंगा....!!"
"नहीं यार मैं झूठ नहीं बोलता....और यह बात तू अच्छी तरह जानता भी है....ये अलग बात है कि मैं ऐसा कुछ कर नहीं पा रहा कि तू मुझपर गर्व कर सके....या ऐसा कुछ नहीं पा रहा कि तेरा मनोबल बढे....और तू पहले की तरह सोने-चांदी से लहलहा उठे...तू फिर दूध भरी नदियों से लबालब हो सके....तू फिर ऐसा इक पेड़ हो जाए...जिसकी हर टहनी पर सोने की चिडिया फुर्र-फुर्र करती बोलती-बतिया सके....!!"
"हाँ यार, तू ठीक कह रहा है.....अब तेरी पहली चिंता यह नहीं है, बल्कि यह है कि कैसे तेरी हर संतान को भोजन नसीब हो सके...कैसे तेरा हर बच्चा सुखपूर्वक जीवन-यापन कर सके....यार मेरे मैं जब भी तुझे ऐसा चिंतित देखता हूँ तो मेरी भी आँखें भर-भर आती हैं....मगर धन-बल से मैं इतना समर्थ ही कहाँ कि तेरी समस्त संतानों को यह सब प्रदान कर पाऊं....फिर भी मेरे यार, मुझसे जो भी बन पड़ता है...अवश्य करता हूँ...सच यार....भगवान कसम !!"
"देख हर जगह ऐसा होता है...और तू भी जानता है कि पाँचों उंगलियाँ बराबर तो नहीं ही होती....!!"
"हाँ यार...!! इतना अधिक फर्क कि अरबों बच्चे तो भूखे मरे...और कुछेक बच्चे इतना-इतना डकार जाएँ कि उनको हगने की भी जगह ना मिले....!!...बात तो तेरी एकदम दुरुस्त है... लेकिन कोई इस बारे में क्या कर सकता है....बता ही तो सकता है कि क्या अच्छा है और क्या बुरा...और कोई हजारों-लाखों-करोडों-अरबों बार कहने के बावजूद ना माने तो...तो फिर कैसे क्या हो....कैसे यह सब कुछ बदले...कैसे यह सब ठीक हो....और कैसे तू सही तरह से हंस भी पाए....!!"
"हाँ यार तेरी बात बिलकुल सच्ची है, बल्कि सोलह तो क्या बीस आना खरी है कि ये जो बच्चे हैं...ये इस बात पर तो सदा गर्व करते हैं कि किसी जमाने में तू कितनी बड़ी कद-काठी का था...और उनके माँ-बाप के माँ-बाप....यानि कि उनके समस्त पूर्वज तुझपर अपने जीवन से बहुत-बहुत अधिक फक्र महसूस करते थे....बहुत अभिमान महसूस करते थे...मगर पता नहीं इन्हें यह क्यों नहीं समझ आता कि इनके पूर्वज भी तो अपने माँ-बाप यानि कि तेरे लिए...तेरा भाल ऊपर उठाने के कितना-कितना यत्न करते थे....कितना खटते थे...कितना व्याकुल रहते थे इस बात के लिए कि उनकी किसी गलती से तेरा सर नत-मस्तक ना हो जाए....!!"
"बेशक तू कुछ नहीं कह पाता यह सब मगर मैं तेरी बात समझता हूँ मेरे यार,मगर मैं सब समझता हूँ....तेरी हालत मुझसे कभी छिप नहीं पाती....और मैं तुझे यह वचन देता हूँ....कि आने वाले दिनों में मुझसे जो कुछ भी बन पड़ेगा....अवश्य-अवश्य-अवश्य करूंगा....करता तो मैं अब भी हूँ मेरे यार, भले सार्वजनिक-या सामाजिक रूप से या ढिंढोरा पीट-पीट कर नहीं,मगर ऐसा कभी भी नहीं हुआ कि मैंने तेरे बारे में कुछ भी बुरा सोचा हो...या तुझसे जान-बूझकर बुरा किया हो....या ऐसा कुछ भी करने की चेष्टा की हो जिससे मुझे तो फायदा और तुझे हानि होती हो....!!!!"
"अच्छा यार ,अब चलता हूँ मैं !! बच्चों को स्कूल से लेकर आना है ,लेकिन मैंने तुझसे जो वादा किया है ,वो मैं अवश्य निभाउंगा....और हाँ मैं यह भी कोशिश करूँगा कि तेरे इस आँगन में तेरे सारे बच्चों को एक साथ खडा कर दूँ कि तेरी सारी सतानें ना सिर्फ़ बिना लड़े-झगडे एक साथ रह सकें...बल्कि वो एक दूसरे के दुःख दर्द में शामिल भी हो सकें,एक समाज में रहते हुए कोई कहीं भी भूखा ना मर सके !!"
"एक काम मगर तो किसी भी तरह तू मेरा भी कर दे ना....वो यह कि तेरी संतानें तुझसे कम-से-कम इतना तो प्रेम करें कि उन्हें तेरी इज्जत अपनी इज्जत लगे....तेरा दर्द अपना दर्द लगे....और तेरी सारी संतानें उन्हें अपने ही सगे भाई-बहन....!! बस इतना भर हो जाए तो मेरा काम आसान हो जाएगा...!!"
"बाकि तू और मैं चाहे कुछ कर सके या ना कर सके...मगर मुझे यह उम्मीद है कि आखिरकार ये सारे लोग एक दिन ठोकर खाकर संभल जायेंगे....और सच बताऊँ मेरे यार....ठोकर खाकर भी ना संभले तो किधर जायेंगे....
जाते जाते एक शेर कहीं सुना था उसे तुझे सुना जाता हूँ...
मैंने तुझसे चाँद-सितारे कब मांगे....
रौशन दिल बेदाग नज़र दे या अल्लाह !!" अब चलता हूँ मेरे यार मेरे प्यार !!"

5 अग॰ 2009

ब्लॉगर अकाउंट कैसे बनाए ?

इस यू -ट्यूब वीडियो को देख कर आप जान सकते हैं कि कैसे ब्लॉगर अकाउंट बना कर एक खुद का ब्लॉग बनाया जा सकता है अथवा कैसे दूसरे ब्लॉगों पर टिप्पणी दी जा सकती है ?