21 दिस॰ 2009

फतेहपुर :..... जो नींव रखी गयी है वह निश्चित ही युवा पीढ़ी के लिए शुभ संकेत है।

जिन्दगी में ऐसे पल बहुत कम आते हैं जब ऐसा सम्मान मिलता है कि स्वयं के गर्व के साथ दूसरे भी गौरवान्वित होते हैं। गर्व के यह पल जीवन में कभी भूलते भी नहीं। वर्ष 2009 जिले के लिए इस मामले में धनवान रहा। एक नहीं तीन ऐसे सुखद पल आये जब देश स्तर पर जिले की विभूतियां पहुंचीं और सम्मान ग्रहण किया। खेलकूद के क्षेत्र में तीन युवाओं ने भी मंजिल पायी। जनपद स्तर से प्रदेश और इस वर्ष राष्ट्रीय स्तर तक की प्रतियोगिताओं में पहुंचने का जो मौका मिला उससे जिले का नाम रोशन हुआ।

शिक्षा क्षेत्र में जिले के तीन शिक्षकों को वर्ष 2009 में राष्ट्रपति पुरस्कार हासिल हुआ। बेसिक शिक्षा विभाग के इन शिक्षकों के नाम जब एक दिन पहले सार्वजनिक किये गये तो शिक्षकों के साथ समूचा जनपद गौरवान्वित हुआ। तेलियानी विकास खण्ड के रज्जन अवस्थी, असोथर विकास खण्ड के विजय सिंह व बहुआ विकास खण्ड के लाखन सिंह को वर्ष 2009 में राष्ट्रपति पुरस्कार का सम्मान हासिल हुआ।


जिस समय यह शिक्षक नई दिल्ली में आदर्श शिक्षा की भूमिका में महामहिम के हाथों सम्मानित हो रहे थे तब शिक्षक समाज ही नहीं हर क्षेत्र के लोग गर्व का अनुभव कर रहे थे कि हमारे जनपद के शिक्षक देश स्तर की उपलब्धियों की कतार में खड़े हैं। माध्यमिक शिक्षा में तो यह उपलब्धि नहीं मिल पाये, लेकिन बेसिक के तीन शिक्षकों ने शिक्षा क्षेत्र का सबसे बड़ा सम्मान हासिल कर सभी को गर्व का अनुभव कराया।
माध्यमिक व बेसिक के आधा दर्जन बच्चे ऐसे हैं जो वर्ष 2009 को नहीं भूल सकते। उनके लिए यह उपलब्धियों भरा वर्ष रहा क्योंकि जिले से मण्डल और प्रदेश स्तर तक पहुंचने का मौका मिला। अखबारों की सुर्खियां बनने के साथ समाज ने भी उनकी इस उड़ान पर गर्व का अनुभव किया। बेसिक व माध्यमिक के आधा दर्जन बच्चे पहले जिले की प्रतियोगिता जीती फिर मण्डल और फिर राज्य स्तर पर भी परचम लहराया। नवंबर माह में पतित पावनी मां गंगा के तट पर माटी की विभूतियों का सम्मान भी जिले के लिए एक सुखद पल रहा। स्वामी विज्ञानानंद के संयोजकत्व में आयोजित इस समारोह में इस माटी के ऐसे लालों को बुलाया गया था जो अन्य जनपद, प्रांत व देश में रहकर माटी की सुगन्ध फैला रहे हैं।

जिले के लिए इससे अधिक गौरव की बात और क्या होगी कि माटी के इन लालों ने दूर रहकर भी माटी का कर्ज उतारने के लिए फतेहपुर फोरम गठित कर यहां के युवाओं को बेहतर शिक्षा व रोजगार देने के प्रयासों की नींव रखी। सूचना केन्द्र खोलकर शिक्षित बेरोजगारों को नौकरियों की जानकारी व चंदियाना स्थित आश्रम में प्रशिक्षण व कोचिंग की भी व्यवस्था की गयी है। माटी के लालों ने वर्ष 2009 में जो नींव रखी वह वास्तव में युवाओं को आगे बढ़ने की दिशा में मंजिल का काम करेगी।

गांवों तक पहुंचा टैंलेंट प्रतिभायें हुई मुखर 
आने वाला वर्ष बच्चों व युवाओं के लिए चुनौती भरा होगा। जिस तेजी के साथ टैंलेंट शहर से कस्बों और कस्बों से गांवों तक पहुंचा है उससे समूचा परिवेश ही बदल रहा है। जो छात्रायें किसी से बात करने में सकुचाती थीं आज वह मंच में अपनी प्रतिभा बिखेरती हैं। सांस्कृतिक मंचन का जो दौर चला उससे छिपी प्रतिभायें जिस तेजी के साथ आगे आयी हैं उससे आने वाला वर्ष प्रतिभाओं का होगा। यह कहा जाये तो गलत नहीं होगा।
चालू वर्ष में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम रही। स्कूल, कालेज हों या फिर प्राइवेट संस्थान यहां तक कि कई संस्थाओं ने भी टैंलेंट का उभारने के लिए रंग मंचीय कार्यक्रम आयोजित कर पुरस्कार बांटे। छ: से पंद्रह वर्ष की आयु के बच्चों में टैलेंट सिर चढ़कर बोला। रंगमंचीय कार्यक्रमों में छात्र-छात्राओं ने मुखर होकर जिस तरह से मंचन किया उसकी बड़ों-बड़ों ने सराहना की। यही टैलेंट आने वाले साल में चुनौती भरा होगा।
किस तरह से प्रतिभायें जिले से ऊपर उठकर प्रदेश व देश स्तर पर पहुंचे इसके लिये जो नींव रखी गयी है वह निश्चित ही युवा पीढ़ी के लिए शुभ संकेत है। नर्सरी, मांटेसरी स्कूलों में ही नहीं बेसिक के प्राथमिक व जूनियर विद्यालयों में भी सांस्कृतिक कार्यक्रमों से बच्चों को जोड़ा गया और उससे सामाजिक वातावरण में भी एक बड़ा बदलाव आया है जो छात्रायें किसी से बात करने में सकुचाती थीं वह अब मंच में हिन्दी और अंग्रेजी से भाषण देती हैं और समूह नृत्य, गायन आदि के कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं।
(साभार-दैनिक जागरण)

19 दिस॰ 2009

....केवल आम आदमी के चलने वाली ट्रेनें ही कोहरे से प्रभावित होती है

रेलवे यात्रियों की मुश्किलें जाड़े के मौसम में ट्रेनों की लेट लतीफी की तरह बढ़ जाती है। इलाहाबाद-कानपुर रेल खंड पर कोहरे के कारण कई जोड़ी ट्रेनें रद्द कर दी जाती है। यह एक ऐसी मुश्किल है जिससे रेलयात्री लगातार जूझ रहे है। इस मुश्किल को खत्म करने के लिये भाकपा और फतेहपुर विकास  मंच की ओर से एक ज्ञापन रेलमंत्री को दिया गया।


जाड़ा आते रेलयात्रियों की मुसीबतें बढ़ने लगी है और हंगामें बाजी भी हर साल की तरह शुरू हो गई है। दैनिक यात्री संघ की ओर से भी अपनी आपत्ति बार-बार दर्ज कराई गई है किंतु कोई लाभ नहीं हुआ है। रोडवेज के बढ़े किराये ने यात्रियों की मुश्किलों में जरूर इजाफा किया है।

कल  दिये गये ज्ञापन में मुसाफिरों की मुश्किलें बयान करते हुये रेलमंत्री से कहा है कि सालों साल यह हो रहा है कि दिसंबर से फरवरी के बीच कोहरे की बात कह कर कई जोड़ी ट्रेनें जो कानपुर इलाहाबाद के बीच दौड़ती है उन्हे रद्द कर दिया जाता है। इससे होता यह है कि आम यात्री के साथ प्रतिदिन यहां से यात्रा करने वाले दो हजार से अधिक दैनिक यात्री भारी मुश्किलों का सामना करते है।

ज्ञापन देने वालों ने कहा है कि.......
........केवल आम आदमी के चलने वाली ट्रेनें ही कोहरे से प्रभावित होती है जबकि इसी रेलखंड में चलने वाली राजधानी, गरीब रथ, सप्त क्रांति, प्रयागराज जैसी ट्रेनें लगातार चलती है इनकी गति को कोहरा प्रभावित नहीं करता है। कहा है कि यह भेदभाव वाली नीति है और समता के सिद्घांत का भी उल्लंघन है जो नहीं होना चाहिये।

यात्रियों ने मांग की है कि अगर ट्रेनें रद्द की जायें तो मुसाफिरों की मुश्किलें कम करने के लिये मेमू ट्रेन चला दी जायें या विकल्प के तौर इंटरसिटी कानपुर इलाहाबाद के बीच प्रतिदिन कई बार चलायी जाये।

(यह ज्ञापन फतेहपुर विकास मंच की तरफ से फतेहपुर ब्लॉग में प्रकाशन हेतु प्रेषित )

18 दिस॰ 2009

फतेहपुर:शुद्घ मन और सात्विक विचारों को धारण करते हुये इस संसार में आचरण की पवित्रता से सब कुछ पाया जा सकता है....

कल शाम को अचानक घुमते घुमते हाइडिल कालोनी में गया तो वहां चल रही भागवत कथा में बैठ गया ....लौट कर सोचा कि क्यों ना आपको भी कुछ अंश प्रषित कर दिए जाएँ?
शुद्घ मन और सात्विक विचारों को धारण करते हुये इस संसार में आचरण की पवित्रता से सब कुछ पाया जा सकता है। शिष्टाचार हमारी संस्कृति का अंग है और महापुरुषों द्घारा प्रस्तुत की गई जीवनशैली से हमारा भी मार्ग अवलोकित होता रहता है।

श्रीमद् भागवत प्रचार परिषद् के तत्वावधान में फतेहपुर के हाइडिल कालोनी में कथामंडपम की भागवत कथा के चौथे दिन कथावाचक श्रीहरनारायण जी ने कृष्ण रुक्मिणी प्रसंग के माध्यम से भक्तों को भक्तिभाव की गंगा में नहलाया।

आचार्य हरनारायण जी के अनुसार  हमारी भारतीय संस्कृति में शिष्टाचार परंपरा का अंग है। साधु संतो ने जो परंपरायें विकसित है वैसी परंपरा विश्व में कहीं नहीं मिलती है। ऋषि-मुनियों की प्रेरणास्पद जीवनशैली का पालन और अनुसरण करके कोई भी सात्विक और सरल जीवन जी कर अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है।



संत ने कहा कि आप जहां भी रहे बस भक्ति भाव से प्रभु स्मरण करते रहे। तीर्थयात्रा में जायें तो मन में सात्विक भाव व विचार रखें। विश्वास रखें कि जिस भी प्रभु मूर्ति का स्मरण करेंगे वह मूर्ति आपके मन-मंदिर में आ बैठेगी। मन की मलीनता मानव को सदैव ही सुअवसर से वंचित करती है। स्वच्छ मन ही स्वच्छ कर्मो का संबल बनता है। चिंतन, मनन और आचरण ही व्यक्ति को प्रभु प्रेम का पात्र बनाते है।

मैं तो मनन कर रहा हूँ और आप....?

1 दिस॰ 2009

ज्ञान जी चाहे जो कहें पूरे मंडल के चार जनपदों में गंगा में केवल फतेहपुर में ही डाल्फिन की मौजूदगी

लुप्तप्राय श्रेणी की मत्स्य डाल्फिन की फतेहपुर जिले में उपस्थिति का पता लगाया गया है।गंगा की मौजों में मस्ती कर रही यह मछलियां केवल जनपदीय क्षेत्र में बह रहे पानी में ही है। ज्ञान जी चाहे जो कहें वन विभाग के अनुसार पूरे मंडल के चार जनपदों में बह रही गंगा में केवल फतेहपुर क्षेत्र में ही मत्स्य की मौजूदगी दर्ज की गई है। वन विभाग ने इसके संरक्षण के लिये प्रस्ताव डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के लिये तैयार किया है।


जलीय पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा में महत्वपूर्ण योगदान करने वाली डाल्फिन बड़ी संख्या में पाई गई है। शासन से मिले निर्देशों के आलोक में वन विभाग ने डाल्फिन की गंगा में उपस्थिति का पता लगाया फिर इनकी गणना की गई। प्रभागीय वन निदेशक संजीव कुमार द्वारा गठित की गई रेजरों की टीम ने कुल पांच रेजों में बह रही गंगा में इनकी गणना की। कुल छत्तीस स्थानों पर इनकी लोकेशन ली गई जिसमें तैंतीस जगहों पर मौजूद पाई गई।

स्थानीय बोली में सूंस, सुसु , साईस  और सुसुक के नाम से जानी जाने वाली यह मछली इन जगहों में अकेले से लेकर दस तक के झुंड में देखी गई। अधिकांश जगहों में कई जोड़े एक साथ अठखेलियां करते देखे गये। खागा क्षेत्र के इजूरा ग्राम के पास केवट बस्ती के निकट दस और पहाड़पुर के पास नौ डाल्फिन एक साथ दिखे। पांचो टीमों ने अपने सर्वेक्षण में तैंतीस स्थानों में एक सौ चालीस मछलियां दर्ज की गई।

मछुवारों से खतरा - वन्य जंतु संरक्षण अधिनियम 1952 के तहत डाल्फिन को अनुसूची एक में लुप्तप्राय जीव की श्रेणी में रखा गया है। भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय जल जीव घोषित कर दिया गया है। न तो इसका शिकार किया जा सकता है और न ही दूसरे ढंग से ही हानि पहुंचाई जा सकती है। गंगीय डाल्फिन ताजे और स्वच्छ जल में रहती है। प्रदूषण से इसे हानि पहुंचती है। डीएफओ ने बताया कि वैसे तो इसका शिकार जनपद में नहीं होता है। पर नवजात बच्चों को मछुआरों के जाल से खतरा होता है। कई बार यह घायल हो जाते है और मर भी जाते है। उन्होंने मछुआरों को चेताया कि डाल्फिन के प्रति सचेत रह कर शिकार करे।

डाल्फिन के संरक्षण की जरूरत है। गंगा किनारे रहने वालों को इनके प्रति जागरूक करना होगा|

डॉल्फिन के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहाँ खटखटायें|
(तथ्यात्मक खबर- साभार दैनिक जागरण)