20 दिस॰ 2010

आचार्य हरनारायण जी महाराज :उठो जागो अपनी समीक्षा करो और विश्व कल्याण के लिए ध्वजा के वाहक बनो।

प्रति-वर्ष होने वाले विशाल आयोजन का रूप ले चुके श्रीमद् भागवत प्रचार परिषद की ओर से हरि अमृत कथा का अष्टम आयोजन शनिवार दिनांक १८ दिसंबर २०१० से शहर के हाइडिल कालोनी मैदान में प्रारंभ हुआ। पिछले वर्षों की भांति इस बार भी समय निकाल कर मैं इस कथा में जाता रहा हूँ । कथा के पहले दिन आचार्य हरनारायण जी महाराज ने कहा कि प्रभु को अर्पित करने के लिए भक्त के पास अपना कुछ है ही नहीं जो कुछ है सब उसे परमेश्वर का ही तो दिया हुआ है। ऐसे में भक्त वंदना करते हुए कहता है कि हे भगवन तेरा तुझको अर्पण कर उसकी शरण में चला जाता है।

प्रभु और भगवान के बीच आस्था का सेतु होता है। इसी के द्वारा जीव ब्रह्म की ओर अग्रसर होता है। उन्होंने कहा कि सच्ची श्रद्धा के लिए पूजा दिखावटी नहीं होनी चाहिए। इसके लिए पवित्र मन हो छल कपट न हो नहीं तो आपके द्वारा की गयी पूजा व्यर्थ समझो। भगवत कथा का श्रवण करना ही सबसे बड़ा पुण्य कर्म है।

प्रभु की शरण तक पहुंचने के लिए भक्तों को आस्था के सेतु से होकर ही गुजरना होता है। भक्त के पास अपना ऐसा कुछ भी नहीं है जिसे वह प्रभु के चरण कमलों में अर्पित कर सके। उन्होंने कहा कि भक्त वह है, जो समस्त प्राणियों का हितैषी है, जिसके मन में कभी यह भाव नहीं आता कि यह मेरा और तेरा है।

इसी प्रकार जो प्रत्येक प्राणी को सम्मान की दृष्टि से देखता है। किसी को छोटा या बड़ा नहीं समझता, सभी में ईश्वर के प्रकाश का अनुभव करता है, जो किसी से घृणा नहीं करता, ज्ञानी और शांतचित्त है, वही श्रेष्ठ भक्त है। जो मन, वाणी और अपने क्रियाकलापों द्वारा दूसरों को किसी प्रकार की पीड़ा नहीं पहुंचाता, जिसमें संग्रह का स्वभाव नहीं होता, जो सच्ची बात ग्रहण करने के लिए सदा तैयार रहता है, जिसकी बुद्धि सात्विक गुणों से युक्त है, वह सबसे उत्तम भक्त है।

जो माता-पिता की सेवा करता है, देवताओं की पूजा में लीन रहता है, अपने गुरुजनों को आदर देता है तथा असहाय, निर्धन और वृद्ध लोगों की सहायता करता है, वही सच्चा भक्त है। ज्ञानियों, संन्यासियों और सेवाभावियों की सेवा करता है और उन्हें आदर देता है, शत्रु और मित्र में समभाव रखता है, सर्वत्र गुणों को ग्रहण करता है, कभी भी अच्छे व्यवहार या किसी शुभ कार्य की न तो आलोचना करता है और न ही उसमें कोई बाधा उत्पन्न करता है, वह सर्वोत्तम भक्त है। सद्गुणी होना जिस व्यक्ति की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है, जो इस लोक में विनम्रता के साथ सेवा कार्य करता है, जो जीवों पर दया करता है और उत्तम कार्यों में सहयोगी बनता है, वह असली भक्त है।

भागवत कथा के पहले दिन आचार्य ने प्रभु व भक्त के बीच कैसे संपर्क बनता है विस्तृत रूप से कथा के माध्यम से बताया। कथा के पहले दिन ही भक्तों की काफी भीड़ रही। 
 

भागवत कथा के दूसरे दिन रविवार दिनांक १९ दिसंबर २०१० को आचार्य ने भक्तों को विस्तृत रूप से कथा के माध्यम से बताया कि पहले अपने आपको देखो फिर कोई कदम उठाओ। दूसरे की ओर देखने से पहले अपने गिरहबान में झांक कर देखो। अपने अवगुण दूर करने के बाद ही दूसरे को नसीहत दो। अपने सुंदर आचरण से सामने वाले का दिल जीत लो।

आचार्य हरनारायण महाराज ने कहा कि हमारी मातृभूमि का अनुकरणीय इतिहास है। हमारे पूर्वजों ने अपने वचनों की रक्षा के लिए प्राणों तक का न्योछावर कर दिया है। आज जमाना बदल रहा है कथनी और करनी में अंतर आने लगा है।

मनुष्य को चाहिए कि वह स्वाध्याय में लगा रहे जिससे उसके चित्त में परिवर्तन आएगा। अध्ययन के बाद फिर स्वंय के आचरण की समीक्षा करें। इसके बाद आपके मन में सदगुण अवगुण स्पष्ट रुप से दिखने लगेंगे। आपका मार्ग स्वयं ही प्रशस्त होता जाएगा।जिनके जीवन में धर्म का प्रभाव है उनके जीवन में सारे सदगुण आ जाते हैं, उनका जीवन ऊँचा उठ जाता है, दूसरों के लिए उदाहरणस्वरुप बन जाता है ।

आप भी धर्म के अनुकूल आचरण करके अपना जीवन ऊँचा उठा सकते हो । फिर आपका जीवन भी दूसरों के लिए आदर्श बन जायेगा, जिससे प्रेरणा लेकर दूसरे भी अपना जीवन स्तर ऊँचा उठाने को उत्सुक हो जायेंगे । उठो जागो अपनी समीक्षा करो और विश्व कल्याण के लिए ध्वजा के वाहक बनो।

18 दिस॰ 2010

कवि और साहित्यकार साहित्य भूषण पं. कृपा शंकर शुक्ल का निधन : एक परिचयात्मक श्रृद्धांजलि

साहित्य भूषण से सम्मानित कवि और साहित्यकार ७८  वर्षीय पं. कृपा शंकर शुक्ल का निधन पिछले पखवारे हो  गया था । शिक्षा विभाग से सेवानिवृत्त होने के बाद साहित्यकार श्री शुक्ल ने 12 पुस्तकें लिखी  थी , जिसमें अन्त‌र्व्यथा, नारी, चालीस साल बाद, काशी की कविता, राष्ट्र के गीत, चुनल गीत प्रकाशित हुई।  श्री शुक्ल का निधन लखनऊ के ट्रामा सेंटर में दिल का दौरा पड़ जाने से पिछले शुक्रवार दिनांक ९ दिसंबर २०१० को सुबह हो गया था।

फतेहपुर  ब्लॉग परिवार की ओर से करबद्ध श्रृद्धांजलि !
 
भौतिक विज्ञान बढ़ा इतना कि  दौड़ मच गई पाने की, 
इच्छाऐं जागी जन जन में भौतिक सामान जुटाने की।
कैसी रीति यहां पर आई अपने को बड़ा दिखाने की.....
साठ बरस के बाद भी आजादी की करूण कहानी है.....
......आजादी के मूल्यों की मिटती जा रही निशानी है।

...... जैसी मर्मस्पर्शी पंक्तियां लिखने वाले साहित्यकार साहित्य भूषण कृपाशंकर शुक्ल का मानना था कि हमारे सामाजिक संबंधो में जो गिरावट आई वह हमारी संस्कृति और हमारे सामाजिक ढांचे की बुनियाद को खोखला कर रही है। आज साहित्य भी समाज में प्रखरता के साथ अपनी भूमिका निर्वाह नहीं कर पा रहा है। कारण कि साहित्य अपने संस्कार इसी समाज से ग्रहण करता है और समाज साहित्य का दर्पण है तो साहित्य वही दिखायेगा जो वहां घटित हो रहा है। हम पश्चिम की नकल करके अपने सामाजिक संबंधों की गरिमा और पारिवारिक परंपरा की महिमा को नहीं बचा पायेंगे। हम क्या थे और क्या हो गये। हमारी चेतना, जागरूकता और स्वाभिमान का स्तर यही रहा तो अभी और क्या होंगे। उनके मन में पुस्तक पठन के प्रति बढ़ रही अरूचि पर चिंता बहुत गहरे पैठी हुई थी उनका मानना था कि इससे संस्कार हीनता तो बढ़ ही रही है साथ ही समाज से न कुछ सीख पाते हैं न दे पाते है।

देश प्रेम के साथ समाज सेवा के लिये अपनी लेखनी चलाने वाले लेखक श्री शुक्ल का कहना था कि कविता, कहानी, उपन्यास, निबंध आदि के माध्यम से अपनी अंर्तव्यथा को व्यक्त करता हूं। अपनी नव रचना "भारतीय समाज अतीत और वर्तमान" पुस्तक में उन्होंने हमारे समाज के बीते हुये समय और आज के समय को देख कर हुये बदलावों पर अपनी नजर डाली है। समाज की कमियों और भविष्य की संभावनाओं का सहज ही पता चलता है इस कृति को पढ़ते हुये। लेखक ने अपनी रचना में साहित्यक, शैक्षिक, वैज्ञानिक, तकनीकी, औद्योगिक और आर्थिक समृद्धि के प्राचीन राष्ट्रीय गौरव की अनेकानेक उपलब्धियों को उद्धृत करते हुये धीरे धीरे राष्ट्र के रसातल में पहुंचने और विचार शून्यता की स्थिति तक पहुंचने के हालातों तक नजर डाली है।

श्री कृपाशंकर शुक्ल जो कि एक अध्यापक रहे है और उसी गुरू दृष्टि से जब उन्होने इस देश समाज को देखा तो इसकी विद्रूपताओं से व्यथित हो उठे इसके बाद आकुल अंतर में जन्मी पीड़ा कलम से बह निकली। और जो कि साहित्य की लगभग हर विधा में बही। वह बताते है कि आकुल अंतर में जब-जब पीड़ा घनीभूत होती रही तभी कुछ न कुछ उमड़ पड़ा।

प्रदेश सरकार द्वारा साहित्य भूषण सम्मान से नवाजे जा चुके इस वरिष्ठं चिंतक ने, जिन्होने अध्यापन से अवकाश ग्रहण करने के बाद एक हिंदी पाक्षिक पत्रिका का संपादन, प्रकाशन कर भारत भारती की सेवा करते हुये साहित्य सृजन द्वारा समाज सेवा करने के साथ समाज को दिशा देने का कार्य स्वीकार कर अपने सरोकारों के प्रति अपनी लगन जताई। उन्होने 'अंत‌र्व्यथा', 'नारी,काव्य संग्रह' देने के साथ 'काशी की कविता', 'राष्ट्र के प्रेम गीत', 'पूर्वाचल की माटी', 'चुनल गीत' जिसमें भोजपुरी गीतों का संकलन है, आदि काव्य संकलनों का संपादन किया। 'वैचारिकी' नाम से निबंध संग्रह और 'चालीस साल बाद' नाम का लघु उपन्यास भी दिया। समाज के लिये सर्मपित 'मैं और मेरा जीवन;' जैसी रचनायें देकर साहित्य को समृद्घ किया है। 

16 दिस॰ 2010

माटी से माटी का अभिनन्दन की तीसरी कड़ी : चित्रात्मक रिपोर्ट !

 अब तक आप  थोड़ी देर से पेश की गयी रिपोर्ट पढ़ चुके होंगे ! कुछ और चित्र और मिल सकें हैं ....उन्हें यहाँ चिपका रहा हूँ |
( जब  मैं कार्यक्रम स्थल पर पहुंचा तो विवरण बैनर टंगा हुआ था और मंच पर पसरा था  सन्नाटा )

( कार्यक्रम के प्रारम्भ में खुश्वक्त राय आर्य शिक्षालय के बच्चियां सरस्वती वंदना प्रस्तुत करते हुए , बगल में फतेहपुर फोरम के उपाध्यक्ष महेश चन्द्र तिवारी और कार्यक्रम  की संयुक्त अध्यक्षता करते हुए  साहित्यकार धनञ्जय अवस्थी और पूर्व विधायक प्रेमदत्त तिवारी  )


( उपस्थित सम्मानानीयों का स्वागत करती बच्चियां )

( दाहिने से ध्यानमग्न विशांत प्रकाश , संध्या सिंह , श्री सिन्हा  , कर्नल विभय मान सिंह , श्री तेज प्रकाश श्रीवास्तव , उत्तम  तिवारी , अजय सचान और अन्य )


( सम्मानित जनों के पारिवारिक गण )

(स्क्वाड्रन लीडर तेज प्रकाश श्रीवास्तव को प्रतीक चिन्ह और अंगवस्त्रम देकर सम्मानित करते हुए महेश कान्त त्रिपाठी , सुधाकर अवस्थी और अन्य )

( पुनः प्रारम्भ हुई सैनिक भर्ती जैसी उपलब्धि पर कर्नल विभय मान सिंह का पगड़ी पहना कर विशेष सम्मान किया गया )

(प्रताक चिन्ह और अंगवस्त्रम के साथ सम्मानित किये गए सिन्हा जी )

(कार्यकम के मध्य समारोह में सहभाग कर रहे सजे धजे बच्चे .....जो अपने गुजरे हुए कल और आने वाले कल को ध्यानमग्न होकर देखते हुए )

( न्यायिक मजिस्ट्रेट श्रृद्धा त्रिपाठी को भी सम्मानित  किया गया )

( डा. प्रकाश चंद्र हितकारी को सम्मानित किया गया )

(जनमानस के समक्ष बैठे  बाहर से आये फतेहपुरिया )

((मंच पर बैठे  मनोज पटेल , पंकज सिंह , अजय सचान और अन्य ))

( स्नेहमयी  फूलों की डोरी में  बंधे गए आगंतुक ; अब बच कर ना जा पायेंगे| दाहिने से क्रमशः महेश चन्द्र तिवारी , शैलेन्द्र सिंह परिहार , कन्हैया लाल द्विवेदी , उत्तम तिवारी , विभय मान सिंह , तेज प्रकाश श्रीवास्तव , और स्वामी विज्ञानन्द जी महाराज ; पीछे दाहिने से रविकांत मिश्र , सुधाकर अवस्थी और अन्य )

( कार्यक्रम के समापन पर ओम घाट और कल कल करती गंगा की अविरल धारा की मनोहारी छटा )

अब दीजिए मुझको इजाजत !
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प्रवीण त्रिवेदी ╬ PRAVEEN TRIVEDI   


 

15 दिस॰ 2010

माटी से माटी का अभिनन्दन की तीसरी कड़ी में किया गया सम्मान : देर से पेश एक रिपोर्ट

पिछले ५ दिसंबर २०१० को भिटौरा के ओम घाट में उस दृश्य का नजारा देखने लायक था , जिसमें इसी माटी में खेल व पढ़कर देश और दुनियां में नाम रोशन करने वाली विभूतियां अपने ही लोगों से मिली  और इस माटी का कर्ज कैसे चुकायें इस पर भी चर्चा करती रहीं । खास बात यह है कि विभिन्न क्षेत्रों में बुलंदियों को छूने वाले यह महानुभाव नई पीढ़ी से रूबरू होकर उन्हें आगे बढ़ने की सीख ही नहीं बल्कि उनका हाथ थामकर कुछ कर दिखाने का जज्बा भी देते रहे।
(सम्मानित माटी के लाल)

जनपद के गौरवशाली व्यक्तित्व अलंकरण समारोह की तीसरी कड़ी में जनपद की उन महान विभूतियों का सम्मान किया गया जो जिले के बाहर रहकर यहां की माटी का मान बढ़ा रहे हैं। इनमें शासकीय सेवा, व्यवसाय, खेल, मीडिया व अन्य क्षेत्र में उल्लेखनीय मुकाम हासिल किये लोगों के नाम शामिल हैं। जिले की मिंट्टी में जन्में यह लोग बाहर रहकर भी यहां के लिये कुछ न कुछ करना चाहते हैं यही उनकी इच्छा है। भिटौरा के ओम्घाट-पंट्टी विट्ठलपुर सहिमापुर में हुए अलंकरण समारोह में आयी जनपद की इन हस्तियों ने एक दूसरे के हालचाल लिये। यह सभी एक मंच पर एकत्र होकर अपनी जन्म भूमि के प्रति दिल खोलकर कार्य करने की घोषणा की। अपनी जन्म भूमि की माटी से मिलने के लिए समारोह में आये उसके लाल एक दूसरे से मिले तो यादों में खो गये। कुछ तो पहली बार एक दूसरे से मिल रहे थे। कार्यक्रम में आयी विभूतियों ने कहा कि वह जितना हो सकेगा फतेहपुर जिले का नाम रोशन के लिए कुछ विशेष करते रहेंगे। 


(समानित जनो के साथ स्वामी विज्ञानन्द जी)
स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती जी की अगुवाई में आयोजित समारोह में सम्मान पाने वालों में सीईओ ग्रुप कैप्टन निम्स फ्लाइंग एकाडमी दिल्ली कर्नल तेज प्रकाश श्रीवास्तव, मध्य कमान भारतीय सेना लखनऊ कर्नल विभय मान सिंह, आईएएस दिल्ली पंकज कुमार, डिप्टी डायरेक्टर एनएसओ गवर्नमेंट आफ इंडिया दिल्ली संध्या सिंह, सहायक कमिश्नर कस्टम दिल्ली मनोज कुमार पटेल, न्यायिक मजिस्ट्रेट श्रद्धा त्रिपाठी, एडीजे आगरा सीएल वर्मा, एडीजे शाहजहांपुर दिनेश चंद्र सैनी, शैलेंन्द्र सिंह परिहार आईएएस, अरविन्द कुमार द्विवेदी डायरेक्टर हैंडीकैप्ड , अरुण देव सिंह गौतम आईजी छत्तीसगढ़ को प्रतीक चिह्न व शाल  ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। इसके अलावा सम्मान पाने वालों में कन्हैयालाल द्विवेदी सेवानिवृत्त श्रमायुक्त,  डा. प्रकाश चंद्र हितकारी, टीएन शुक्ला, गोविन्द दुबे प्रभारी दैनिक जागरण बांदा, अंतर्राष्टीय टेनिस बाल क्रिकेट खिलाड़ी रविकांत आदि रहे। इस मौके पर समारोह की अध्यक्षता संयुक्त रूप से वरिष्ट साहित्यकार धनंजय अवस्थी एवं पूर्व विधायक  प्रेमदत्त तिवारी द्वारा की गयी।

इस मौके पर जिले में मरणासन्न स्थिति में पहुंच चुकी ससुरखदेरी नदी को स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती की अगुवाई में जिले की हस्तियां नया जीवन देने का निर्णय लिया गया । भिटौरा में गंगा नदी के किनारे ओमघाट पर रविवार दिनांक ५ दिसंबर २०१०   को माटी से माटी का अभिनंदन समारोह में जिले की विभूतियों ने संकल्प लिया कि यह नदी फिर कलकल करती बहेगी। 


ससुर खदेरी नदी जनपद के सिठौरा गांव से निकलकर यमुना में मिलती थी। अब सिठौरा से लेकर बड़नपुर तक इसका अस्तित्व ही समाप्त हो चुका है। नदी की जमीन पर किसान कब्जा कर खेती कर रहे हैं। स्वामी जी ने कहा बड़नपुर के आगे नदी को जीवित रखने के लिए अभियान चलाया जाएगा। इसमें नदी की खुदाई, किनारे पौधरोपण जैसे कार्य किये जायेंगे। इस कार्य के लिए स्वामी जी ने स्वयं दो ट्रैक्टर और एक छोटी जेसीबी मशीन देने की घोषणा की। साथ ही मंच पर विराजमान विभूतियों से भी सहयोग मांगा कि यदि सभी का थोड़ा-थोड़ा भी सहयोग मिलेगा तो हम अपने मिशन में कामयाब हो सकेंगे। दो उद्यमियों ने खुदाई में आर्थिक मदद की घोषणा मंच से की। इस अभियान की कमान स्वामी जी ने रामआसरे प्रजापति को सौंपी।

इसके अलावा स्वामी जी ने सम्मान समारोह का आयोजन करने वाले फतेहपुर  फोरम द्वारा  लिये गये एक और फैसले की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि जनपद के युवाओं की सुविधा के लिए सभी तेरह विकास खंडों में सैनिक प्रशिक्षण केंद्र खोला जायेगा। स्वामी जी की इस अपील पर वहां लोगों ने समर्थन करने के साथ आर्थिक सहयोग देने का वादा किया। 

3 दिस॰ 2010

'माटी से माटी का अभिनन्दन' - जन्मभूमि की सोंधी माटी की महक किसको नहीं भाती?

।। जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी।।
जन्मभूमि की सोंधी माटी की महक आखिर किसको नहीं भाती है। आने वाले रविवार (५ दिसंबर) को भिटौरा के ओम घाट में उस दृश्य का नजारा देखने को मिलेगा जिसमें इसी माटी में खेल व पढ़कर देश और दुनियां में नाम रोशन करने वाली विभूतियां अपने ही लोगों से मिलेंगी और इस माटी का कर्ज कैसे चुकायें इस पर भी चर्चा करेंगे। खास बात यह है कि विभिन्न क्षेत्रों में बुलंदियों को छूने वाले यह महानुभाव नई पीढ़ी से रूबरू होकर उन्हें आगे बढ़ने की सीख ही नहीं बल्कि उनका हाथ थामकर कुछ कर दिखाने का जज्बा देंगे।
अब तक कई बार जिले की माटी की सुगन्ध को देश के कोने-कोने तक फैला रही जनपदीय विभूतियों को हम वर्ष में एक बार एक जगह एकत्र हुआ देखते आ रहे  हैं।  लगातार चौथे साल भी यह अवसर आने वाली पांच दिसंबर को पड़ रहा है। गंगा किनारे ओउम् घाट पट्टी विट्ठलपुर सहिमापुर भिटौरा में पांच दिसंबर को जिले की महान विभूतियों का अलंकरण किया जाएगा। कार्यक्रम के प्रेरक व संयोजक स्वामी विज्ञानानन्द सरस्वती ने बताया कि यही एक ऐसा अवसर आता है जब जिले की विभूतियां एक जगह एकत्र होकर यहां की प्रगति व विकास की चिंता करते हैं। जिले के लिए इससे अधिक गौरव की बात और क्या होगी कि माटी के इन लालों ने दूर रहकर भी माटी का कर्ज उतारने के लिए फतेहपुर फोरम गठित कर यहां के युवाओं को बेहतर शिक्षा व रोजगार देने के प्रयासों की नींव रखी है ।
'माटी से माटी का अभिनन्दन'
इस अवसर में गौरवशाली व्यक्तित्व अलंकरण सूची में जनपद के इन कई महान हस्तियों को चुना गया है। इनमें खजुहा निवासी वर्तमान में दिल्ली में प्रोफेसर स्टेटिजिक मार्केटिंग मनमोहन शुक्ल, दपसौरा में जन्मी व दिल्ली में कमिश्नर कस्टम अर्चना तिवारी, शहर में जन्मे व सीईओ ग्रुप कैप्टन निम्स फ्लाइंग एकाडमी तेज प्रकाश श्रीवास्तव, किर्तीखेड़ा निवासी दिल्ली में आईआरएस ज्वाइंट कमिश्नर शिवदान सिंह भटौरिया हैं। इनके अलावा मोहम्मद अमीन ज्वाइंट डायरेक्टर इलेक्शन कमीशन आफ इंडिया, आरके सिंह डिप्टी कश्निर व्यापारकर कानपुर, एके द्विवेदी लखनऊ में लेबर कमिश्नर अवकाश प्राप्त, केएल द्विवेदी रिटायर्ड लेवर कमिश्नर गाजियाबाद, बसोहनी निवासी मनोज कुमार दिल्ली में सहायक कमिश्नर, कटरा नरैचा के पंकज कुमार दिल्ली में आईएएस, एसके सिन्हा एडवाइजर लीगल डीएलएफ लि. दिल्ली, खागा में जन्मी श्रीमती संध्या सिंह डिप्टी डायरेक्टर एनएसओ गवर्नमेंट आफ इंडिया आरकेपुरम दिल्ली, बिंदकी के एसएन गुप्ता डीआईजी वेस्ट बंगाल कोलकाता, बिंदकी के ही दिलीप कुमार आईआरएस कमिश्नर इनकम टैक्स मुंबई , समियाना निवासी गोविन्द दुबे दैनिक जागरण जिला प्रभारी बांदा, अभयपुर निवासी अनिल सिंह सेवायोजन अधिकारी मैनपुरी, शहर निवासी विभयमान सिंह मध्य कमान भारतीय सेना लखनऊ को भी अभिनंदन के लिए बुलाया गया है।

1 दिस॰ 2010

दूसरे की रोटी पर जबरन कब्जा करने वालों जरा मेहनत की खाना सीखो। नियम सबके लिए एक होते हैं चाहे वह राजा हो या फिर प्रजा।

दूसरे की रोटी पर जबरन कब्जा करने वालों जरा मेहनत की खाना सीखो। नियम सबके लिए एक होते हैं चाहे वह राजा हो या फिर प्रजा। 

फतेहपुर शहर की माटी में पचीस साल बाद स्वामी परमानन्द की दिव्यवाणी को सुनने के बाद पंडाल में बैठे सभी श्रोता भाव विभोर हो उठे।शहर के गाजीपुर बस स्टैंड के पास अशोक नगर में चल रहे दो दिवसीय गीता प्रवचन का पहला दिन था। दोआबा की माटी (मवई धाम ) में जन्में स्वामी जी करीब पचीस वर्षो बाद यहां पर प्रवचन देने के लिए आये। लोगों में उनके दर्शनों की विशेष लालसा दिखी। स्वामी जी के साथ अमेरिका से आयीं शिष्या वैलरी भी मौजूद रहीं।


स्वामी जी ने कहा कि धर्म का हर नियम कानून में बंधा है हमें उसी के अनुसार चलना चाहिए। आज राजा भी नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं। लोगों में दूसरे की छीनने की प्रवृत्ति ज्यादा दिख रही है लोग मेहनत करना नहीं चाहते। आन्तरिक स्वतंत्रता तो होनी चाहिए पर अपनी सीमाओं में रहकर ही।

स्वामी जी ने बताया कि वह अपने गुरु स्वामी अखंडानंद जी के बताये पद चिह्नों पर चलकर ही देश व जनता की सेवा कर रहे हैं तथा लोगों में धर्म व संस्कृति की अलख जगाने का प्रयास कर रहे हैं। प्रवचन के दौरान उन्होंने कहा कि सफाई तो अच्छी है पर उसमें ध्यान दें कि संस्कृति को न बहा दें। देश ही नहीं वरन विश्व में भारतीय अध्यात्म एवं संस्कृति की अलख जगाने वाले स्वामी परमानन्द जी महाराज ने यमुना किनारे की इसी माटी पर जन्म लिया था ।

ईश्वर के प्रति बालपन में ही उपजे प्रेम के वशीभूत हो उन्होंने घर बार त्याग संन्यास धारण कर लिया । वर्ष 1995 के आस पास जब स्वामी परमानन्द जी महाराज ने इस पावन भूमि पर अपने पग धरे तो कटीले बबूलों व उबड़ खाबड़ रास्तों वाला मवई गाँव मवई धाम बनकर लाखों की आस्था का केन्द्र बन गया । कई देशों में मवई धाम के पूजने वाले हैं । इस पूरे बीहड़ इलाके को अशिक्षा के अन्धकार से शिक्षा रुपी प्रकाश की ओर ले जाने वाले स्वामी जी ने विशाल युगपुरुष धाम मन्दिर का निर्माण कराया है । यमुना की कल कल ध्वनि के मध्य यहाँ का वातावरण भक्तिमय बना रहता है ।

 
(स्वामी परमानन्द जी शिष्या साध्वी ऋतंभरा के साथ)

 
स्वामी जी की शिष्याएं साध्वी ऋतंभरा , साध्वी निरंजन ज्योति आदि ने गुरु की पुण्य भूमि को तीर्थस्थल के रूप में परिवर्तित करने का संकल्प लिया है । जहाँ कभी लोग जाने से घबराते थे आज वही पवन तीर्थ बनती जा रही है । हरिद्वार , दिल्ली सहित देश के आधा दर्जन स्थानों में स्वामी जी आश्रमों में हजारों भक्त ईश्वर आस्था में जीवन के सच्चे मार्ग पाने के लिए लगे हुए हैं ।