21 मार्च 2013

ग्रामीणों की दक्षता संवर्धन व आर्थिक उन्नयन कार्यशाला @ फतेहपुर

राष्ट्रीय विज्ञान एवं तकनीकी संचार परिषद व विज्ञान एवं तकनीकी मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली 
एवं 
जन सेवा आश्रम, नई दिल्ली 
द्वारा 
 प्रभावी विज्ञान एवं प्रौधोगिकी संचार के माध्यम से ग्रामीणों की दक्षता संवर्धन व आर्थिक उन्नयन कार्यशाला 
स्थान- श्रीपाल दीक्षित पब्लिक स्कूल संत नगर,ढकौली-फतेहपुर|

जैसा कि हम सब जानते है कि हमारे जनपद मे रोजगार के साधन सीमित है और परम्परागत कृषि से हमारी सामान्य आवश्यकताएं भी पूरी नही हो पाती है तथा दिन प्रतिदिन खाद, बीज, पानी, कीटनासक व मजदूरी इत्यादि महगें होते जा रहे है अत: ऐसी परिस्थिति मे हमे वैज्ञानिक तरीकों को अपना कर मांग के अनुसार फसलों के उत्तम किस्म का उत्पादन व स्वनिर्मित जैविक खाद, बीजों व कम पानी से अच्छी उपज को उपजाना होगा|

जनसेवा आश्रम जो कि एक राष्ट्रीय स्तर की समाज सेवी संस्था है देश के विभिन्य प्रान्तों, जनपदों में वैज्ञानिक जागरुकता, तकनीक एवं प्रौधोगिकी के विकास के कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों का रोज़गार श्रजन व् आयवृधिक कार्यक्रम चलाकर उन्हे आत्मनिर्भर बनाने हेतु विगत दो दशको से कार्य कर रही है|

अत: जन मानस की उपरोक्त समस्याओं को देखते हुए जनपद फतेहपुर के ग्रामीणों में कृषि, बागवानी, सिंचाई, वन, ऊसर सुधार , खाद्य सुरक्षा, मृदा परीक्षण इत्यादि की नवीनतम तकनिकी एवं प्रौधोगिकी की जानकारी, देश के लब्ध प्रतिष्ठित वैज्ञानिको के द्वारा श्रीपाल दीक्षित पब्लिक स्कूल संत नगर (ढकौली)फतेहपुर मे दिनांक २२,२३,२४ मार्च २०१३ को देने हेतु निश्चित किया है | जिसमे प्रत्येक विकास खंड से १० दस ग्रामीणों को चुना जा रहा है जो कृषि कार्य में संलगन हो तथा प्रतिभागी से आपेक्षा है कि वह नवीनतम टेकनलोजी को अपने क्षेत्र के अन्य किसानो तक पहुँचायेगे |

यह परियोजना राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी संचार परिषद, विज्ञान एवं प्रोद्यागिकी मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से चलाई जा रही है| हम आपको यह भी अवगत करना चाहतें कि संस्था ने आपकी सुबिधा हेतु एक मृदा परीक्षण प्रयोगशाला की स्थापना भी की है अत: आप से यह भी निवेदन करना है कि कार्यशाला मे आते समय अपने खेत से मिट्टी अवश्य लाये ताकि मिट्टी का परीक्षण कर उसकी जानकारी की जा सके एवं उसकी कमी को दूर किया जा सके अतः अपना अमूल्य समय निकाल कर कार्यशाला मे भाग लेने का कष्ट करें


 




सीवर लाइन प्रोजेक्ट को शासन ने हरी झंडी दी

शहरियों को जिस बात का अर्से से इंतजार था वह घड़ी आ ही गई। तमाम झंझावतों के बाद सीवर लाइन प्रोजेक्ट को शासन ने हरी झंडी दे दी है। हाल ही में इस विशेष योजना को शासन न सिर्फ मंजूरी दी बल्कि उसके प्राक्कलन के मुताबिक खर्च होने वाली राशि में इजाफा भी किया है।

मौजूदा वित्तीय वर्ष आने वाले समय में लंबे समय तक याद किया जाता रहेगा। कारण कि जिस जरूरत की चाह में शहरियों ने 20 साल गुजार दिए वह उन्हें शासन से मिल गई है। वर्ष 1993 में सीवर लाइन के लिए पहली बार 58 करोड़ रुपए की योजना बनी थी। इसके बाद न जाने कितनी बार योजना का प्राक्कलन तैयार होता रहा है। हर बार जिले से बनाई गई प्राक्कलन की फाइल शासन में दबकर रह जाती रही है। वित्तीय वर्ष के अंत में यह योजना याद की जाती रही। हर पार्टी के प्रत्याशी के चुनावी एजेंडे में इस योजना का लाभ दिलाने का वादा जरूर किया जाता रहा है। वहीं जनता भी इसे पाने के लिए ऐड़ी चोटी का जोर लगाए हुए थी।

इस बार शासन को 176 करोड़ रुपये की योजना बनाकर भेजी गई थी। इसके तहत शहर में 200 किमी लाइन बिछाई जानी थी। कुछ मुख्य लाइन थी तो कुछ सर्विस लाइनें भी शामिल थीं। शहर के दक्षिण रेलवे स्टेशन से लेकर उत्तर के शांतिनगर मुहल्ले तक इस बिछाया जाना है। योजना से शहर के 30 वार्डो में रहने वाली साढ़े तीन लाख की आबादी लाभान्वित होगी।


17 मार्च 2013

जल्द ही चालू होगा हरिहरगंज ओवरब्रिज : निर्माण का कार्य लगभग पूरा

जल्द ही चालू होगा ओवरब्रिज 
 
फतेहपुर। जल्द ही शहर के लोग हरिहरगंज रेलवे  क्रासिंग  ओवरब्रिज से पार करेंगे। ओवरब्रिज निर्माण का कार्य लगभग पूरा होने वाला है। संपर्क मार्ग का निर्माण तेजी से चल रहा है। शासन स्तर से पुल के उद्घाटन के लिए कोई भी दिशा निर्देश जारी नहीं किए गए हैं। 
 
तीन साल से हरिहरगंज में ओवरब्रिज का निर्माण चल रहा है। रेलिंग का निर्माण पूरा हो चुका है। इन दिनों सड़क बनाने का काम चल रहा है। दक्षिणी पुल संपर्क मार्ग में तेजी से निर्माण चल रहा है। पूरबी रेलिंग लगभग बनकर तैयार हो गई है और पश्चिमी रेलिंग में लोहे का जाल तैयार करने में दर्जनभर से अधिक मैकेनिक लगे हैं। रेलिंग निर्माण में मुश्किल से सप्ताहभर का समय लग सकता है। सड़क निर्माण के लिए मौरंग, गिट्टी, सीमेंट आदि का स्टाक है। अप्रैल में ओवरब्रिज बनकर तैयार हो जाएगा। अभी तक शासन, प्रशासन स्तर से पुल के उद्घाटन को लेकर कोई दिशा निर्देश नहीं आए हैं। 
 
 

ससुर खदेरी फिर जिंदा होगी : पांच से सात हजार मनरेगा मजदूर रोज करेंगे काम

  • ससुर खदेरी फिर जिंदा होगी 
  • जिलाधिकारी के पायलेट प्रोजेक्ट को शासन ने दी मंजूरी
  • पांच से सात हजार मनरेगा मजदूर रोज करेंगे काम
  • बरसात से पहले नदी को पहले जैसा बनाने का लक्ष्य 

फतेहपुर। यमुना की सखी मगर दशकों से शापित ससुर खदेरी नदी का उद्धार होने जा रहा है। ससुर खदेरी के लिए जिला प्रशासन ने पायलेट प्रोजेक्ट तैयार किया है। प्रशासन की इस मुहिम का ब्लूप्रिंट तैयार है और अगले कुछ ही दिनो में धरातल पर कार्यरुप लेने वाला है। योजना के मुताबिक नदी के पुनरुद्धार के साथ-साथ तटवर्ती क्षेत्र के हजारों लोगों  को रोजगार के जरिए दो जून की रोटी मयस्सर कराई जाएगी। 
ब्लूप्रिंट को जिलाधिकारी कंचन वर्मा की पैरवी पर शासन की मंजूरी भी मिल गई है। योजना के परवान चढ़ने के बाद ससुर खदेरी की और उसके तटवर्ती क्षेत्र के बाशिंदों के दशा और दिशा दोनों के सुधरने की उम्मीद है।
अस्तित्व बचाने को जूझ रही ससुर खदेरी नदी को अब शीघ्र ही पुनर्जीवित किया जाएगा। नदी के लिए भागीरथी बनकर उभरीं जिलाधिकारी कंचन वर्मा ने नदी के जीर्णोद्धार के लिए अब तक की जनपद की सबसे बड़ी परियोजना तैयार की है। 
जिलाधीश की पैरवी पर शासन ने नदी से संबंधित ब्लूप्रिंट पर अपनी मंजूरी की मुहर भी लगा दी है। परियोजना में जिलाधिकारी ने वन विभाग, लघु सिंचाई, ग्राम्य विकास अभिकरण, सिंचाई और भूमि सरंक्षण विभाग सहित आधा दर्जन विभागों के विशेषज्ञ तकनीकी अधिकारियों की टीम गठित कर योजनाबद्ध तरीके से काम कराने की रूपरेखा तैयार की है। हालांकि नदी का दायरा काफी वृहद होने के कारण कृषि उत्पादन आयुक्त ने परियोजना में जेसीबी मशीनों से काम करवाने का सुझाव दिया था लेकिन जिलाधिकारी योजना में तटवर्ती क्षेत्र के कामगारों को काम देने के लिहाज से मनरेगा योजना से नदी का जीर्णोद्धार कराने के लिए शासन को राजी कर लिया है। डीएम के मुताबिक नदी को इस बारिश से पहले ही जीवित किया जाना है। लिहाजा एक अनुमान के मुताबिक परियोजना में पांच से सात हजार की तादाद में मजदूर नियमित रूप से काम करेंगे।
नदी का जीर्णोद्धार होने से आधा सैकड़ा गांवों की दो लाख से अधिक आबादी की पानी की समस्या का हल निकल आएगा और खेती की सिंचाई की समस्या जड़ से खत्म हो जाएगी। योजना का एक और खास उद्देश्य भूगर्भ जल के मामले में डार्क जोन घोषित हो चुके भिटौरा, हंसवा और तेलियानी विकास खंड के वाटर लेवल को विकसित भी है। 
नदी के बारे में जानें
वर्तमान में यह नदी जनपद के मध्य से दो नदियों के रूप में बरसात में बहती है। ससुरखदेरी नंबर -1 और 2। पौराणिक अवशेषों एवं तथ्यों के आधार पर इस नदी को त्रिवेणी में विलुप्त सरस्वती नदी के रूप में भी देखा जाता है जिससे इसकी महत्ता और बढ़ जाती है। यह अवधारणा मात्र ससुर खदेरी नंबर-01 के लिए है जिसके मुताबिक नदी का उद्गम स्थल तेलियानी विकास खंड के ठिठौरा गांव के पास है। जहां से यह नदी 42 ग्रामों की सीमाओं को छूती हुई ग्राम के लगभग दो लाख की आबादी को लाभान्वित करती है। कालांतर में इस नदी से हजारों हेक्टेयर कृषि सिंचित थी। जलचरों का निवास एवं पालतू व जंगली जानवरों के लिए जीवनोपयोगी जल आपूर्ति का एकमात्र साधन थी। साथ ही सैकड़ों जलाशयों में जलापूर्ति का काम भी इस नदी से था।
 


एई ने भी शासन से की सिफारिश
भूजल रिचार्ज के लिहाज से ससुरखदेरी नदी के जीर्णोद्धार के लिए भूगर्भ जल विभाग ने भी शासन से सिफारिश की है। भूगर्भ जल विभाग के अधिशासी अभियंता एच.बी. सामवेदी ने इस संबंध में प्रमुख सचिव को पत्राचार किया है जिसमें उन्होंने कहा है कि नदी में हाइड्रोलाजिकल स्थित देखकर नदी की खुदाई करा दी जाए एवं उस पर लगभग एक से दो किलोमीटर की दूरी पर लघु सिंचाई विभाग द्वारा चेकडैम बना दिए जाएं और नदी के किनारे-किनारे वन विभाग द्वारा वृक्षारोपण करा दिए जाएं तथा भूमि संरक्षण विभाग द्वारा मेड़बंदी करा दी जाए तो नदी में सदैव पानी रहेगा और भूजल रिचार्ज के माध्यम से विकास खंड तेलियानी, भिटौरा, हंसवा और वियजीपुर एवं धाता का जलस्तर ऊपर आ जाएगा और उक्त ब्लाक क्रिटिकल एवं सेमीक्रिटिकल से सुरक्षित श्रेणी में आ जाएंगे। 
यह हैं संस्तुतियां
  • ससुर खदेरी नदी नंबर-01 और 02 के पुनर्जीवित करने के लिए नदी की पैमाइश कराकर अतिक्रमण से छुटकारा दिलाया जाए।
  • नदी में उचित स्थानों पर चेकडैम बनाए जाएं, जिससे नदी में पानी का संचयन हो सके।
  • एकत्रित जल को कृषिकार्य में लेने के लिए लिफ्ट एरीगेशन सिस्टम लगाए जाएं, ताकि किसानों को जल की उचित मात्रा का वितरण कर सिंचाई की व्यवस्था की जाए और जल की बर्बादी को रोका जा सके।
नदी की वर्तमान स्थिति  और दुष्प्रभाव
  • बढ़ती जनसंख्या एवं उत्पादकता की होड़ में नदी पर जबरदस्त अतिक्रमण कर नदी का अस्तित्व खत्म कर दिया गया है। पूरे प्रवाह में कहीं-कहीं नदी का मूल स्वरूप दिखाई देता है, जिससे नदी को पहचाना जाता है।
  • लोगों के अतिक्रमण से इस नदी का प्रवाहित जल सूख चुका है जिससे यह नदी सूखी नदी के रूप में भी देखी जाती है।
  • नदी के सूखने से नदी के किनारे तालाब, झील, नाले भी सूख गए, जिनसे पानी का संचयन था तथा सालभर जलाशयों में पानी रहता था।
  • नदी के सूखने के कारण किनारे खड़े पेड़ पौधे भी सूखने लगे हैं तथा पानी के अभाव में नए पेड़ पौधे नहीं लगाए जा रहे हैं।
  • नदी के तटीय हजारों हेक्टेयर भूमि असिंचित हो गई, जिससे भूमि का बंजरपन बढ़ रहा है। लिहाजा किसानों ने कृषिमोह छोड़कर पलायन करना शुरू कर दिया।
  • नदी एवं इसके सहयोगी जलाशयों में पानी का संचयन न होने के कारण भूगर्भ जल का स्तर भी नीचे चला गया। जिससे सैकड़ों नलकूप एवं कुएं सूख गए, जिससे कृषि कार्य में गहरा प्रभाव पड़ा है।
  • जलचर पूरी तरह से खत्म हो गई तथा पालतू एवं जंगली जानवरों को पीने का पानी नहीं मिल रहा है। जिससे या तो जीव जंतु यहां से पलायन कर गए या फिर खत्म हो गए, जिससे पार्यावरणीय परिस्थितक एवं जैव विविधता को भी नुकसान पहुंच रहा है।