9 फ़र॰ 2014

हम रहें न रहें ‘अनुकाल’ बताती रहेगी इतिहास : 'अनुकाल' का हुआ विमोचन

स्वर्णिम इतिहास को संजोए कृति अनुकाल का विमोचन जब मूर्धन्य शिक्षाविदों ने किया तो समूचा पंडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। बच्चों द्वारा पेश किए गए सांस्कृतिक कार्यक्रम ने आयोजन में चार चांद लगा दिए। ऐतिहासिक पुस्तक को स्वरूप देने वालों के मुंह से सहसा निकल आया कि हम रहें न रहें यह किताब इतिहास बताती रहेगी।

शहर से सटे रमवां गांव के कोटेश्वर इंटर कॉलेज में शनिवार को ऐतिहासिक घटनाओं को समेटने वाली पुस्तक अनुवाक का अक्षय साहित्य कला केंद्र अमौली के तत्वावधान में अक्षय ग्रंथ माला के द्वितीय पुष्प के रूप में प्रकाशित जनपद के पुरातत्व, इतिहास, साहित्य, संस्कृति एवं कला को अपने कलेवर में समेटे हुए अनुकाल ग्रंथ अनुकाल का विमोचन हुआ। पुरातत्व, इतिहास, साहित्य एवं कला के कलेवर को समेटे ग्रंथ को वस्त्र से इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विवि. के इतिहास विभाग के प्रोफेसर रवींद्र कुमार और दिल्ली विवि. के दर्शन शास्त्र विभाग के प्रोफेसर डॉ. दीपक कुमार त्रिवेदी द्वारा किया गया। पीत वस्त्र में लिपटी पुस्तक को ज्योंही बाहर निकाला बच्चों और उपस्थित जन समुदाय ने तालियों की गड़गड़ाहट से स्वागत किया। विद्यालय के बच्चों द्वारा पेश किया गया सांस्कृतिक कार्यक्रम ने भी जमकर तालियां बटोरी।

प्रधान संपादक डॉ. ओम प्रकाश अवस्थी, सह संपादक श्रीकृष्ण त्रिवेदी एवं डॉ. बालकृष्ण पाण्डेय ने संकलन, उद्देश्य एवं पुस्तक के महत्व पर प्रकाश डाला। पुस्तक की रचना में उठाई गई समस्या का जिक्र भी किया। मुख्य अतिथि डॉ. त्रिवेदी ने सारगर्भित वक्तव्य में कहाकि मिट्टी की गंध को जांचने परखने में यह मार्गदर्शक बनेगी। डॉ. रवींद्र कुमार ने कहाकि पुस्तक के संकलन और प्रकाशन की भूरि भूरि सराहना की। पूर्व आईएएस अवधेश कुमार राठौर, इलाहाबाद विवि. वनस्पति विभाग के विभागाध्यक्ष संदीप मेहरोत्रा आदि रहे।

कार्यक्रम की अध्यक्षता स्वामी विज्ञानानंद जी महराज ने की। विद्यालय के प्रबंधक कोटेश्वर शुक्ल ने आगंतुकों का आभार प्रकट किया। साहित्यकारों में धनंजय अवस्थी, शिवशरण सिंह अंशुमाली, बृजेंद्र अग्निहोत्री, डॉ. अपूर्व सेनराज आदि मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर अनूप शुक्ल ने किया।




खबर साभार : अमर उजाला 








7 फ़र॰ 2014

फतेहपुर के इतिहास और संस्कृति का नया सन्दर्भ ग्रन्थ ‘अनुकाल’ : 'अनुवाक' के बाद अगला बड़ा प्रयास

  • साहित्य, संस्कृति व पुरातत्व का आइना बनेंगी 'अनुकाल'
  • 8 फरवरी को है विमोचन @ कोटेश्वर इंटर कालेज, रमवाँ
  • डा.ओमप्रकाश अवस्थी के संयोजकत्व में ' अनुकाल तैयार
  • अनुवाक' के बाद निजी प्रयासों से जिले के संकलित इतिहास का दूसरा भाग
  • अनुकाल के पहले खंड में पुरातत्व, इतिहास, मूर्तिकला के 29 लेख
  • दूसरे खंड में अकबर के कार्यकाल से साहित्य के क्षेत्र में जिले की तस्वीर स्पष्ट की गई
  • तीसरे व अंतिम खंड में संस्कृति एवं कला को पिरोया गया


संकलित इतिहास के अभाव से जूझ रहे जनपदवासियों के हाथ ‘अनुकाल’ का संग्रह जल्द ही आ जाएगा। तीन खंडों की इस पुस्तक में साहित्य, संस्कृति व पुरातत्व का आइना बनेंगी। पुस्तक का विमोचन आठ फरवरी को कोटेश्वर इंटर कालेज रमवां में इग्नू के इतिहास विद करेंगे। अक्षय साहित्य कला केंद्र शिक्षाविद डा.ओमप्रकाश अवस्थी के संयोजकत्व में 'अनुवाक' के बाद जिले के संकलित इतिहास का दूसरा भाग अनुकाल तैयार किया है। 

महात्मा गांधी महाविद्यालय के सेवानिवृत हिंदी विभागाध्यक्ष श्री अवस्थी ने पत्रकार वार्ता में बताया कि अनुकाल के पहले खंड में पुरातत्व, इतिहास, मूर्तिकला के 29 लेख है, जिसका संपादन कृष्ण कुमार चौरसिया ने किया है। दूसरे खंड में अकबर के कार्यकाल से साहित्य के क्षेत्र में जिले की तस्वीर स्पष्ट की गई है, इसका संपादन श्रीकृष्ण कुमार त्रिवेदी ने किया है। तीसरे व अंतिम खंड में संस्कृति एवं कला को पिरोया गया है। संपादन डा.बालकृष्ण पांडेय ने करते हुए रामलीला व ताजियों के इतिहास को संकलित किया है। उन्होंने कहा कि पुस्तक को सर्वमान्य बनाने के लिए गजेटियर सहित अन्य प्राचीन दस्तावेजों को साक्ष्य बनाया गया है। संकलित इतिहास देकर उन्होंने जिले का कर्ज उतारने का प्रयास किया है।