17 सित॰ 2016

36 साल से उजड़ रहा कटरी का चमन, ग्रामीणों की जुबानी में झलका दर्द

 

कटरी का दर्द:1950 से बराबर हो रही यमुना कटान से तीन सैकड़ा किसान हो चुके प्रभावित 


☀ 1995 में कटान रोकने और खोई जमीन पाने के लिए चल रहा कोर्ट में वाद



FatehpurLive.com , फतेहपुर  :  खुशहाली व हरियाली देने वाली कालिंदी कोर्रा कनक के ग्रामीणों के लिए बदहाली का कारण बन गई है। 1950 से बराबर हो रही कटान से बस्ती की ओर तेजी से आ रही यमुना की धारा में कटरी का चमन उजड़ता चला जा रहा है।


36 साल में कुछ जमीन तो धारा में समां गई तो बहुतायत उस पार चली गई। खोई जमीन पाने के लिए ग्रामीणों ने सिविल जज जूनियर डिवीजन के यहां 1995 में वाद दाखिल किया था, जिसकी सुनवाई चल रही है। तीन सैकड़ा किसानों की पीड़ा सुनने और निदान के लिए अब तक न तो जन प्रतिनिधि और न ही प्रशासन कद्रदान बनकर आगे आया है। अब वह अपना हक पाने के लिए संघर्ष का चोला पहनने को मजबूर हुए।


असोथर ब्लाक की ग्रामसभा कोर्राकनक में सत्तर के दशक तक सब कुछ दुरुस्त रहा। फिर न जाने किसकी नजर लग गई या फिर किसी का श्रप लग गया। सन सत्तर से यमुना नदी में हो रही कटान अनवरत जारी है। अब तक तेरह हजार बीघा जमीन यमुना नदी में समाहित हो चुकी है। 67 मजरों को समेटने वाली ग्राम सभा में 15 मजरे विलुप्त हो चुके हैं। इतनी बड़ी त्रसदी ङोलने के बाद किसानों का दर्द जानने की किसी ने सुधि नहीं ली है।


लोकसभा, विधानसभा, जिला पंचायत, क्षेत्र पंचायत जैसे चुनाव हर पांच साल में आते रहते हैं। जनप्रतनिधियों द्वारा सुधि न लिए जाने से खासा आक्रोश व्याप्त है। गांव के वीरेंद्र सिंह, बसंत सिंह, मुन्ना सिंह, मनबोधन सिंह, फन्नू सिंह, राजू सिंह, पेशकार सिंह आदि का कहना है कि कटान रोकने के कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। जिससे प्रतिवर्ष हजारों बीघा जमीन किसानों के हाथों से छिनी जा रही है।


 


जमुना मइया हमार जमीन लिहै लेत हैं। रोज रोज जमीन जमुना में गिरकर हमका बिना जमीन के किहे दे रही है। कहां जाई, केहिके पास जाई जो हमार जमीन जाए से रोक लेय। -भूला देवी


जमीन से हम हाथ धोए बैठेन है। लरिका बच्चा पालन के खातिर मेहनत मजूरी के सिवा दूसरा कोई साधन नहीं है। एक जमाने में पूर्वजन के पास 85 बीघा जमीन रहय। हम तो चाहित है है कि कोउ हमार जमीन दिलवाय देय।  -गौरा देवी


अधिकारी तो देखने नहीं आवत हैं। सूखा पड़ा तो लेखपाल ने 30 प्रतिशत नुकसान अधिकारिन को बताए दिहिस। कुछ किसानन का 11 सौ रुपिया की चेक मिली है। ज्वार, तिल्ली, बाजरा से पेट भरत रहय, खेती चली गई अब वह भी नहीं है।  -जानकी देवी


कोउ सुनवाई नही करत है। हर साल नदी मा जमीन जाए रही हैय। यही तरह हालत रहे तो गांव के गांव साफ होई जइहैं। सैकड़न आदमी बिना जमीन वाले इधर उधर भटक रहे हैं। -फल्ली देवी

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