31 मार्च 2009

हममें है दम, हम बनायेंगे सांसद

 
युवा ही इस चुनाव के भाग्य विधाता होंगे। साढ़े सात लाख से अधिक युवाओं के मजबूत हाथ जिधर चाहेंगे चुनाव का रुख उधर ही मुड़ेगा। यह कहा जाये कि युवाओं की पसंदगी वाला प्रत्याशी ही संसद पहुंचेगा तो गलत नहीं होगा। आखिर पंद्रह लाख इकतालीस हजार मतदाताओं वाले इस संसदीय क्षेत्र में अठारह से उनतीस वर्ष के युवाओं की संख्या साढ़े तीन लाख से अधिक पहुंच रही है। उनतालीस वर्ष आयु वर्ग के मतदाताओं को मिला दिया जाये तो संख्या चार लाख और बढ़ जायेगी।

कहते हैं कि युवा ही देश की ताकत हैं और यह ही कल के भविष्य ही नहीं बल्कि खेवनहार हैं। हमें देखना यह है कि इस चुनाव में युवा अपनी स्पष्ट भूमिका की ओर बढ़ पा रहा है या नहीं। जागरुकता यदि ऐसी हो जाये कि हमें स्वच्छ छवि का ईमानदार व निष्ठावान सांसद चाहिए तो निश्चित तौर पर युवा किसी को भी देश की सर्वोच्च पंचायत में पहुंचाने की दमखम रखते हैं। मतदाता सूची के आयु वर्ग के आंकड़े चौकाने वाले हैं। पंद्रह लाख इकतालीस हजार मतदाताओं में से चालीस वर्ष से कम मतदाताओं की संख्या साढ़े सात लाख पहुंच रही है। अस्सी वर्ष से अधिक के मतदाता तो मात्र तेईस हजार की संख्या में बचे हैं। ऐसा माना जाता है कि इसमें से बीस फीसदी मतदाता ही वोट डालने पहुंचते हैं। सत्तर से उन्यासी वर्ष के बीच में मतदाताओं की संख्या तिहत्तर हजार पांच सौ सरसठ है।

साठ से उनहत्तर वर्ष के बीच एक लाख उनतालीस हजार मतदाता हैं। पचास से उनसठ वर्ष के बीच के मतदाताओं की संख्या दो लाख तेरह हजार है। यह कहा जाये कि दादा, बाबा के मतदाताओं से नहीं बच्चा के वोटों से ही प्रत्याशी संसद पहुंचेंगे तो गलत नहीं होगा। युवा वर्ग की भारी संख्या से सभी दलों के प्रत्याशियों ने भी अपना चुनावी रुख युवाओं की ओर मोड़ दिया है।

27 मार्च 2009

नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !

आप सभी देशवसियों को हिंदू नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !
नया वर्ष आपके लिये सुख और सम्मृधि से भरपूर हो!
नव वर्ष संवत २०६६ - हिन्दी नव वर्ष २००९

26 मार्च 2009

फतेहपुर :शिखर बंध मन्दिर - शहर का एकलौता जैन मन्दिर

रेलवे स्टेशन के समीप जैन धर्मावलम्बियों ने वर्ष 1940 में जैन मन्दिर की स्थापना कीइस मन्दिर में भगवान् नेमिनाथ महावीर स्वामी सहित चौबीस तीर्थंकर भगवानो की मूर्तियाँ स्थापित की गईरेलवे के ठेकेदार बाबूलाल जैन ने शहर में बसे तीन दर्जन जैन परिवारों की मदद से शिखर बंध मन्दिर धर्मशाला का निर्माण करायाइस मन्दिर की देखरेख इस समय प्रबंधक नरेन्द्र चंद्र जैन , अजय कुमार आनंद कुमार सहित एक दर्जन लोग संभाले हुए हैंपंचायती दिगंबर जैन मन्दिर एवं धर्मशाला के नाम से बने हुए जनपद के एकलौते मन्दिर में एक दर्जन से अधिल कमरे और दो बड़े हाल हैंजैन धर्म की सांस्कृतिक विरासत को संजोये इस मन्दिर में प्रतिदिन सुबह शाम भगवान् महावीर स्वामी सहित अन्य स्थापित मूर्तियों की पूजा अर्चना होती है और वर्ष में तीन समारोह भी आयोजित किए जाते हैं , जिसमे इस शहर के सभी धर्मों के लोग आदर के साथ पहुचते हैं

फतेहपुर:दिन में तीन बार शिवलिंग का रंग परिवर्तित होता है यहाँ

गंगा और यमुना के मध्य में स्थित मझिल्गावं का शिव मन्दिर पौराणिक महत्व का हैऐसी मान्यता है कि रावण ने इस स्थान पर अपने हाथों से भगवान् शिव का लिंग स्थापित किया था । विलक्षण एक मुखी शिवलिंग के मस्तक भाग पर जटाजूट तथा पूर्ण खुली हुई गोल आँखे हैं , शिवमुख के मध्य भाग पर अंकित है । ब्राम्ही लिपि में लिखा पत्थर इसके नागवंशी काल में स्थापित होने का संकेत देता है । दिन में तीन बार शिवलिंग का रंग परिवर्तित होता है । ऐसी मान्यता है कि एक नाग शिवलिंग के प्रतिदिन दर्शन करने आता है , जिसे देखने की कोशिश जिस साधू ने की वह जीवित न रह सका ।

फतेहपुर:सूर्य पुत्र अश्वनी कुमारो की नगरी असनी कभी छोटी काशी के रूप में विख्यात थी

सूर्य पुत्र अश्वनी कुमारो की नगरी असनी कभी छोटी काशी के रूप में विख्यात थीभागीरथी तट पर बसे इस नगर में अनगिनत मंदिरों के अवशेष गौरवशाली अतीत के मूक गवाह हैंअश्वनी कुमारों का बस्ती के बीच बना मन्दिर लोगों में भक्ति और आस्था का केन्द्र हैऐसी भी मान्यता है की भारत वर्ष के प्रतापी राजा सुहौत्र का का यह क्षेत्र है , उनके पुत्र जुन्हु हुए जिनोहने कान्यकुब्ज राज्य की स्थापना की थी ......जिसकी राजधानी असनी थीमंदिरों की एक लम्बी श्रंखला से इसे छोटी काशी के रूप में भी इसे जाना जाता थागंगा तट में बसी असनी संत महात्माओं की तपोस्थली रही हैपरमहंस महात्माओं की कुटियाएँ भी यहाँ बनी हुई हैं , जिनमे आज भी महात्मा ठहर कर पूजा अर्चना में लीं रहते हैं

25 मार्च 2009

फतेहपुर: उजाड़ गाँव आज स्वामी परमानन्द जी की कृपा से पावन धाम बन गया

यमुना के स्वामी परमानन्द जी बसा मवई गाँव आज अनन्त विभूति युग पुरूष स्वामी परमानन्द जी महाराज की कृपा पर मवई धाम बन गया है । देश ही नहीं वरन विश्व में भारतीय अध्यात्म एवं संस्कृति की अलख जगाने वाले स्वामी परमानन्द जी महाराज ने यमुना किनारे की इसी माटी पर जन्म लिया था ।

(स्वामी परमानन्द जी अशोक सिंघल , आचार्य विष्णुकांत शास्त्री मुरली मनोहर जोशी के साथ)

ईश्वर के प्रति बालपन में ही उपजे प्रेम के वशीभूत हो उन्होंने घर बार त्याग संन्यास धारण कर लिया । वर्ष 1995 के आस पास जब स्वामी परमानन्द जी महाराज ने इस पावन भूमि पर अपने पग धरे तो कटीले बबूलों व उबड़ खाबड़ रास्तों वाला मवई गाँव मवई धाम बनकर लाखों की आस्था का केन्द्र बन गया । कई देशों में मवई धाम के पूजने वाले हैं । इस पूरे बीहड़ इलाके को अशिक्षा के अन्धकार से शिक्षा रुपी प्रकाश की ओर ले जाने वाले स्वामी जी ने विशाल युगपुरुष धाम मन्दिर का निर्माण कराया है । यमुना की कल कल ध्वनि के मध्य यहाँ का वातावरण भक्तिमय बना रहता है

(स्वामी परमानन्द जी शिष्या साध्वी ऋतंभरा के साथ)

स्वामी जी की शिष्याएं साध्वी ऋतंभरा , साध्वी निरंजन ज्योति आदि ने गुरु की पुण्य भूमि को तीर्थस्थल के रूप में परिवर्तित करने का संकल्प लिया है । जहाँ कभी लोग जाने से घबराते थे आज वही पवन तीर्थ बनती जा रही है । हरिद्वार , दिल्ली सहित देश के आधा दर्जन स्थानों में स्वामी जी आश्रमों में हजारों भक्त ईश्वर आस्था में जीवन के सच्चे मार्ग पाने के लिए लगे हुए हैं ।

24 मार्च 2009

Job in Visual बेसिक एंड foxpro

About Us: The journey began with incorporation of Magna Infotech Ltd।, in the year 1995 in Connecticut, USA। Keeping in view the business opportunities available in India, Magna Infotech was established in the year 1997 at Hyderabad. Today, we are recognized as one of the fastest growing IT consulting and Software Services Company in India. We have been providing high quality services and solutions to Fortune 500 clientele and 2000+ Employees. Our People, drive for excellence and die-hard commitment to all our clients have been major contributors for our growth. Our core services include Staff Augmentation, Software Services and e-Learning. Corporate Office in Hyderabad and other locations are Bangalore, Gurgaon, Kolkata, Pune, Mumbai, and Chennai. www.magna.in About Our Client: A Reputed MNC. About the Requirement: Job Description: Candidates with experience of around 2+years in Visual Basic and FoxPro. Location Needed: पुणे
Job Type: Pay roll of Magna Infotech and premises of our client। Immediate Joining will be preferred। If you are Interested in the above Opening Please revert us back immediately with the following details। 1) Name of Candidate – 2) DOB – 3) Phone no। / Mobile No। - 4) E-Mail ID – 5) Location – 6) Relevant Experience – 7) Total Experience – 8) Current Company working - 9) Current Salary – 10) Expected Salary – 11) Skills – 12) Notice Period- With Regards, Arpita Gupta, Magna Infotech Pvt Ltd। garpita@magna.in 9331410366.

शिवराजपुर :मीराबाई द्वारा स्थापित गिरधर गोपाल का विशाल मन्दिर स्थित

गंगा के तट पर मोहन की बावरी मीरा ने अपने प्यारे कन्हैया की मूर्ति स्थापित की थी शिवराजपुर के इस पावन स्थल पर कृष्ण भक्ति में लीन में मीरा काफी दिनों तक रुकी थी और अपने साथ लिए हुए गिरधर गोपाल की मूर्ति को उन्होंने रख दिया था जब मीरा यहाँ से जाने लगी तो उन्होंने मूर्ति को साथ ले जाने का प्रयास किया , लेकिन जब मूर्ति अपने स्थान से नहीं उठी तो मीरा ने गंगा के इस तट पर गिरधर गोपाल की मूर्ति स्थापित कर कृष्ण - गान करते हुए चली गयी गिरधर गोपाल का इस स्थान पर विशाल मन्दिर बना है और देश के कुछ शोधार्थी इस मूर्ति स्थान पर शोध कर रहे हैं प्रति वर्ष यहाँ सात दिनों तक चलने वाला मेला लगता है

23 मार्च 2009

फतेहपुर: दरगाह ऐ शाह जमालुद्दीन औलिया

हजरत शाह जमालुद्दीन औलिया रहमतुल्लाह अलैह का जन्म चार सौ वर्ष पूर्व कस्बा कोडा जहानाबाद के मोहल्ला मियां टोला में हुआ थावह हिन्दुस्तान के बहुत बड़े आलिम थेहजरत निजामुद्दीन औलिया , दिल्ली और शाह कबीरुल औलिया की तरह ही शाह जमालुद्दीन औलिया की मुस्लिम समाज में बड़ी मान्यता है

औरंगजेब के उस्ताद के उस्ताद मुल्ला जीवन और मुल्ला लुतफुल्ला दोनों इनके शागिर्द थेबिहार प्रान्त के फुलवारी शरीफ के बुजुर्ग जावेद शानी के उस्ताद हजरत जमालुद्दीन औलिया के शिष्य थेउन्होंने जरूरतमंदों को रूहानी ताकत के जरिये फैज पहुचाई

रमजान माह के उन्तीसवें रोजे को इनकी दरगाह में दो दिवसीय उर्स होता हैहर माह के नौचंदी जुमेरात को बड़ी अकीदत के साथ मजार में गुलपोशी चादर चढाने लोग आते हैंइस दरगाह में देश के कोने कोने से अकीदत मंद लोग बराबर आते रहते हैंशाह जमालुद्दीन औलिया की औलादें आज भी आबाद हैं और वही लोग दरगाह की देखभाल करते हैं

22 मार्च 2009

फतेहपुर:असोथर है अश्वस्थामा की नगरी

असोथर कस्बा शहर मुख्यालय से दक्षिण दिशा की ओर तीस किलोमीटर दूर स्थित है गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वस्थामा ने महाभारत काल में ब्रम्हास्त्र पाने के लिए यहीं पर आकर तपस्या की थी , तभी से इस बस्ती का नाम असुफल हो गया जो कालान्तर में असोथर के नाम से जाने जाना लगा खीची वंश के राजाओं में राजा भगवंत राय ने अश्वस्थामा का मन्दिर बनवाया ऐसी मान्यता है कि अश्वस्थामा अमर है और अपनी तपोस्थली में आज भी आते हैं तभी तो समूचे क्षेत्र को अश्वस्थामा का मन्दिर आस्था और विश्वास में समेटे हुए है

21 मार्च 2009

फतेहपुर परिक्रमा - एक नजर !!!

दोआबा की इस पवित्र माटी में गंगा - यमुनी संस्कृति की अक्षुण विरासत आज भी कायम हैहजारों वर्ष पुराने इतिहास की मूक गवाह स्थल और खंडहर हमारे गौरव को बढ़ा रहे हैं

उत्तर गंगा जी बहती हैं दक्षिण यमुना धरा ,
पूर्व प्रयाग कानपुर पश्चिम , यह है जिला हमारा
अंतर्वेद इसे कहते हैं यही पुरातन गाथा ,
स्वतन्त्रता के संग्रामो में इसका ऊँचा माथा।।

अलकनंदा कालिंदी के इस पौराणिक ऐतिहासिक भू-भाग में साहित्य और संस्कृति की अनेकानेक विभूतियों ने जन्म लिया हैस्वामी चंद दास जी , मुन्नू बाबा मझटेनी , मूलानंद जी महाराज रुरेश्वर आश्रम चुरियानी , स्वामी विज्ञानानंद जी महाराज , त्यागी जी महाराज , और परम पूज्य परमानंदजी महाराज जैसी आध्यात्मिक विभूतियाँ इस धारा की धरोहर हैसाहित्यिक पुरोधाओं में हथगाम की माटी से जुड़े गणेश शंकर विद्यार्थी ,बिन्दकी के . सोहन लाल द्विवेदी , असनी के अशोक बाजपेयी , लालीपुर के रमानाथ अवस्थी ,परसदेपुर के कन्हैया लाल नंदन , बकर गंज के असगर वजाहत , कलक्टरगंज के धनजय अवस्थी आदि ने अपनी रचनाओं से सामजिक क्रांती का विगुल फूंकाइसके आलावा अकबर के नौ रत्नों में शामिल रहे बीरबल का ननिहाल यमुना के किनारे एकड्ला में हैबिन्दकी तहशील में स्थित अरगल स्टेट का मुग़ल काल में प्रयाग से लेकर कन्नौज तक एक क्षत्र राज्य चलता थाबिजौली में चन्द्रगुप्त द्वितीय के समय की स्वर्ण मुद्राएँ असनी के खंडहर की ईंटे गुप्तकालीन इतिहास की मूक गवाह हैंआजादी के समय लगान का विरोध कर नोनारा अंग्रेजों की आँख की किरकरी बन गया थालगान वसूलने गए एक अंग्रेज अफसर की ज्यादती पर ग्रामीणों ने उसे मौत के घाट उतार दिया था और उसके बाद अंगरेजी तांडव आज भी नोनारा की वीरता को बयां कर रहा है

20 मार्च 2009

सरकार के प्रयास नाकाफी होने से मां गंगा का आंचल निर्मल नहीं

पुण्य सलिला मां गंगा का आंचल कब निर्मल व अविरल होगा यह देखने के लिये मां के भक्तों की आंखें तरस रही हैं। राष्ट्रीय नदी घोषित होने के बाद भी टेनरियों का गंदा पानी कल-कल बहने वाली अविरल धारा को मटमैला ही नहीं इतना विषैला कर दिया है कि मां की गोद पर अठखेलियां करने वाले जलजीव भी अब नहीं बच पा रहे हैं। सदियों से सबके पाप-ताप धोने वाली पतित पावनी की बेबस निगाहों से भक्तों में तो बदलाव आ गया है और वह अब मां गंगा को बचाने के लिये न तो उसमें निष्प्रयोज्य पूजन सामग्री डालते हैं और न ही गंदगी फैलाते हैं।

बसंत ऋतु में पहले कभी गंगा की अविरल धार कल-कल कर बहती थी अब वह मंद पड़ गयी है। पानी कम होने से जगह-जगह टापू निकल आये हैं और काले व हरे रंग का पानी इतना विषैला हो गया है कि मां गोद में अठखेलियां करने वाले जलजीवों की जान पर बन आयी है। गंगा किनारे के केवटों की मानें तो छोटी मछलियां तो इस समय तड़प-तड़प कर मर रही हैं। कछुवा भी पानी से निकलकर रेत में अपना बसेरा बना रहे हैं। उत्तरवाहिनी भृगुधाम भिटौरा के पक्के घाट व ओम घाट से गंगा की धार दो सौ मीटर दूर चली गयी है। पानी दो धाराओं पर इतने मंद गति से बह रहा है कि गंदगी बहने के बजाय घाट के किनारों पर जम गयी है।

पतित पावनी मां के निर्मल व अविरल स्वरूप को देखने के लिये भक्तों की आंखें तरस रही हैं। केन्द्र सरकार ने गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित कर दिया इससे लोगों में यह उल्लास बढ़ा था कि जल्द ही कुछ ऐसे प्रयास होंगे कि पतित पावनी की अविरल बहने वाली धार पहले की तरह दिखेगी। महानगरों की टेनरियों का गंगा में गिरने वाला पानी रोका जायेगा, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। तभी तो मां का आंचल और भी गंदा होता जा रहा है। समर्पित भक्त मां की इस स्थिति को देखकर दुखी हो रहे हैं। कहते हैं कि भक्त तो पतित पावनी को अविरल व निर्मल रखने के प्रयास कर रहे हैं वह न तो निष्प्रयोज्य पूजन सामग्री डाल रहे हैं और न ही शव प्रवाहित करते हैं। भिटौरा के श्मशान घाट में एक साल पहले आने वाले अस्सी फीसदी शव का जल प्रवाह होता था अब ठीक इससे उलट हो गया है। बमुश्किल दस फीसदी शवों का ही जल प्रवाह हो रहा है। नब्बे फीसदी शव जलाये जा रहे हैं। गंगा भक्त यही कहते हैं कि सरकार के प्रयास नाकाफी होने से मां का आंचल निर्मल नहीं हो रहा है।

18 मार्च 2009

मतदाता खागा विधानसभा के और नाम हुसेनगंज का

शरीर वही केवल चोला बदल दिया गया है। यह बात हुसेनगंज नाम से बनायी गयी नई विधानसभा के साथ सटीक बैठ रही है। खागा विधानसभा के बहुतायत गांवों के साथ सदर विधानसभा के हुसेनगंज कानूनगो सर्किल को शामिल कर विधानसभा का नाम बदल दिया गया है। मतदाता खागा विधानसभा के और नाम हुसेनगंज का रहेगा। नये स्वरूप में गठित की गयी विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम, ब्राह्मण के साथ अनुसूचित जाति के मतदाताओं का दबदबा है। क्षेत्रफल इस तरह विस्तारित हुआ है कि कौशांबी सीमा से जनपद मुख्यालय की सीमा तक के गांव तक विस क्षेत्र फैल गया है।

हुसेनगंज विधानसभा को मुस्लिम मतों का तोहफा मिला है। बताते हैं कि हथगाम व ऐरायां ब्लाक के बहुतायत गांव विस क्षेत्र में शामिल हो जाने से मुस्लिम मतदाताओं की संख्या में खासा इजाफा हो गया है। इधर हुसेनगंज कानूनगो सर्किल के पचपन गांव शामिल हो जाने से ब्राह्मण व पाल मतदाताओं का कद बढ़ गया है। चौदह हजार सिंगरौर बिरादरी का मतदाता अब सुरक्षित खागा विधानसभा में चला गया है। फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र में रहे गांव असनी, टाडा, सरैला, खड़कपुर, रारा, गनेशपुर, जमरावां, पूरे सूदा, छेंउका, जरार, चितीसापुर, शाहपुर, कोढ़इया, चौहट्टा, फिरोजपुर, देवरानार, नरौरी बुजुर्ग, लोहारी, नौगांव, मिर्जापुर भिटारी, गोवर्धनपुर, फरसी, लालपुर, बरौंहा, घूरी, अचिंतपुर पिटाई, सलेमपुर, भदसरी, पिलही

मातिनपुर, मवई, मुस्तफापुर, गोपालपुर, तालिबपुर, गौरा चुरियारा, चंदीपुर, सहिली, लकड़ी, मथइयापुर, बसावनपुर, लखपुरा, ओझापुर, चक पिहानी, लालीपुर, महादेवपुर, साहूपुर, सिहार, महेवा, पूरे दयाल, सीर इब्राहीमपुर, सरांय डडीरा, सेनपुर, फतेहाबाद, सेमौरा, औढ़ेरा, सैदनपुर, पहनी छीटू, बेरागढ़ीवा, हंसऊपुर, रेहरा, रहमत दौलतपुर गांव हुसेनगंज विधानसभा में शामिल कर दिये गये हैं।

इसके अलावा खागा विधानसभा क्षेत्र में रहे यौंहन, सलेमाबाद, चक लाडीपुर, माधोपुर, चक नेवाजी, याकूबपुर, चक हजाम, कुन्दनपुर, डगडगीपुर, ताहिलपुर, पहाड़पुर, मोहम्मदाबाद, साही पीर, मूसेपुर, चक कादिर, चक छज्जू, पैगंबरपुर रिकौंहा, चक मीर गुमानी, चक दीन मोहम्मद, इटैली, पीर मोहम्मद, शेषमऊ, नरौली खुर्द, चकमीर, चक मोवीन, सरौली, चक इटैली, जगतपुर, गोकुलपुर, गाजीपुर खुर्द, खड़कपुर, चक किशनपुर, पलिया बुजुर्ग, अमिलिहापाल, चक लोहारी, जाफराबाद, चक सयानी, जहांगीरपुर, सूरजपुर, कोतला, बसलाबाद, चक शाह फिरोजपुर, गुल्लूपुर, चक मेहनबाजी, चक खतीब, करनपुर, सादिकाबाद, बैगांव, गोसपुर, गोसपुर अहिंदा, चक बबुल्लापुर, पट्टीशाह, कसेरुवा, अखिरी, खालिसपुर, अकबरपुर चौराई, बुधेड़ा, किशोई, रसूलपुर, गौरा दरियापुर, जलालपुर, चकजीवन पुर, चकमदा, जलालपुर, मकदूमपुर कला, बसंतपुर, देवचली, गाजीपुर, आजमाबाद, वाहिदपुर, रघुनाथपुर को शामिल किया गया है।

हथगाम कानूनगो सर्किल के रज्जीपुर छिवलहा, चंपतपुर, पड़री, करमोन, रजाबाद, मवइया, मिजापुर सिहारी, सेमरामानापुर, डिघवारा, संवत, गोपालपुर, मनमोहनपुर, शिवपुर, रायपुर, कासिमपुर, लखमीपुर, मोहलिया, दोसपुर, गंगारामपुर, मऊपारा, बंदीपुर, इमादपुर, शाहपुर, अब्दुल्लापुर, इदरीसपुर, चक सरांय बादशाह, सेमरा सरांय, चक सेमरहटा, अजनई, इरादतपुर, धर्मअंगदपुर, जसराजपुर, इरादतपुर चतुर्भुजपुर, कुल्हरिया, रहिमापुर, चक मुस्तफापुर, खरहरा, रसूलपुर, रायचन्द्रपुर, आंबी, परमानंदपुर, तेउजा, जुनैदपुर, ऐरायां कानून गो सर्किल के गांव फतेहपुर टेकारी, धर्मदासपुर, बबुल्लापुर, गनेशदासपुर, रोशनपुर, टेकारी, विक्रमपुर, नकसारा, ऐरायां मशायक, मेंहउदली, ऐरायां सादात, रसूलपुर बिछहर, जगजीवनपुर, निहालपुर, लाडलेपुर, सेमौरी, सुल्तानपुर घोष, कर्मेपुर, आरामपुर, उमराहार, अल्लीपुर, धनकामई, कोरवां, हरदासपुर, सोहदमऊ, तौंरा, बडइयापुर, अफोई, रामपुर, रामपुर कसरेहटा, रसूलपुर भंडरा, एकौनागढ़, बहरौली, कल्यानपुर, कसार चक हैवतपुर, मोहम्मदपुर गौंती, यादपुर, मंडवा, रतनसेनपुर गांव को शामिल किया गया है।

किशनपुर विधानसभा क्षेत्र को ही खागा विधानसभा क्षेत्र का नाम दे दिया गया

खागा नगर पंचायत व कानूनगो सर्किल के दो दर्जन गांवों को शामिल कर किशनपुर विधानसभा क्षेत्र को ही खागा विधानसभा क्षेत्र का नाम दे दिया गया है। सुरक्षित विधानसभा में सिंगरौर बिरादरी के मतदाताओं का दबदबा हो गया है। कुर्मी के साथ ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या बढ़ी है। जातीय समीकरणों में सुरक्षित सीट में अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या तकरीबन चालीस फीसदी है। साठ फीसदी मतदाता पिछड़ी व सामान्य जाति के हैं।

नई सुरक्षित विधानसभा में सवर्ण मतदाता ही निर्णायक होगा। खासकर सिंगरौर बिरादरी के मतदाताओं की संख्या ग्यारह हजार से बढ़कर पचीस हजार हो गयी है। कुर्मी मतदाताओं के साथ ब्राह्मण मतदाताओं का भी कद बढ़ गया है। यह मतदाता काफी हद तक जीत-हार की बयार में निर्णायक की भूमिका में आ सकते हैं। परिसीमन में विस क्षेत्र का क्षेत्रफल बढ़ने के साथ मतदाताओं में भी चौदह हजार का इजाफा हो गया है।

विधानसभा क्षेत्र में विजयीपुर कानूनगो सर्किल के मड़ौली, रायपुर भसरौल, गुरवल, बिकौरा, जगदीशपुर, पहाड़पुर, मनीपुर, सेमरिया, गढ़ीवा, मझिगवां, इटौलीपुर, अंजना भैरव, बेंउटी, सोनेमऊ, रानीपुर बहेरा, बरहची, अब्दुल्लानगर सिठियानी, संग्रामपुर, विजयीपुर, अमनी, जिहरवा, खासमऊ, टेसाही बुजुर्ग, सिलमी गढ़वा, टेसाही खुर्द, कूरा, चक टेनी, सुजानीपुर, इस्कुरी, बाम्हनपुर, भोगलपुर, उमरा, शाहजहांपुर, सेलरहा, जगतपुर टेनी, मझटेनी, नरौली, बेरी, लौकियापुर, टिकरी, खखरेरू कानूनगो सर्किल के सलवन, लोहारपुर, एकडला, अहमदगंज तिहार, शिवपुरी, रारी, गाजीपुर, सरौली, गोदौरा, बदनमऊ, धौरहा, खखरेरू, दरियामऊ, रक्षपालपुर, गुरगौला, जयरामपुर, रामपुर, कुल्ली, चचीड़ा, सोथरापुर, कठरियापुर, तकीपुर, गढ़ा, कछरा को शामिल किया गया है।

इसी प्रकार मंझनपुर कानूनगो सर्किल के अंजनाकबीर, हरदासपुर, किशनपुर चिरई, केशवरायपुर, केवटमई, पौली, गढ़वा, गुरसंडी, पाही, पुरमई, हरचन्द्रपुर, सखनपुर, निदौरा, सिहारी पट्टी, बिरसिंहपुर, रोहेल्लापुर, राईपुर, उकाथू, जहांगीर नगर, खैरेई, गनही, मंझनपुर, भदौंहा, अंदमऊ, बरइचा, सैदपुर, पंचमई, सेमरहटा, गोविंदपुर, शाहपुर, देवरार, तेंदुवा, उमरा, मुबारकपुर गेरिया, आलमपुर गेरिया, बिछियावां गांव को शामिल किया गया है। धाता कानूनगो सर्किल के कारीकान, भेदपुर, पल्लावा, सोनारी, भुरचुनी, नरसिंहपुर कबरहा, अहमदपुर कुसुंभा, बम्हरौली, टेकारी, गनपतपुर, कल्यानपुर कचरौली, सरसौली, मदियापुर, कबरा, रतनपुर, बरयेपुर, बछरौली, गलेहरा, किशनपुर, सेमरी, बेलावां, गोपालपुर, अढ़ौली, उरई, सैदपुर, ऐरई, रानीपुर, घरवासीपुर, अढ़इया, बैरी, नसीरपुर, कोट, सलेमपुर, परवेजपुर शामिल किये गये हैं। खागा कानूनगो सर्किल के कटोंघन, हरदों, काही, पुरइन, अमांव, चितौली, मांझखोर, शिकारपुर, सलेमपुर गोली, भादर, टिकरी, ब्रन्दवन, सुजरही, मझिलगांव, छीमी, बहादुरपुर के साथ नगर पंचायत खागा व किशनपुर को शामिल किया गया है।

16 मार्च 2009

फतेहपुर :हरियाली उस गति से नहीं बढ़ रही जितनी खत्म हो रही

जनपद में वनों के नाम पर बहुत ज्यादा हरियाली नहीं है कुल वन क्षेत्र में भी ऊसर प्रभावित क्षेत्र की ही बहुलता है। जिले का वन विभाग लाख हाथ पांव मारने के बाद भी हरियाली को बढ़ा पाने में नाकाम ही है साथ ही यह भी उल्लेखनीय है कि वन विस्तार के प्रति जिले की जनता में जागरूकता का अभाव है। विभाग द्वारा आयोजित की जाने वाली गोष्ठियों में आमजन की मौजूदगी का मानक पूरा नहीं हो पाता तो विभाग भी साल भर के अपने वृक्षारोपण के लक्ष्य के बड़े हिस्से को दूसरे विभागों या संस्थानों के नाम कर निश्चिंत हो लेता है। 
जिले के कुल क्षेत्र फल के विरूद्ध वन विस्तार नाम मात्र का है। इसके प्रमुख कारणों में एक महत्वपूर्ण घटक आम जन की रूचि वन विस्तार के प्रति नहीं हैं। वन विभाग के माध्यम से हुये वृक्षारोपण के संरक्षण के लिये जागरूकता का अभाव इस कदर है कि शहरी हो या ग्रामीण लोग अपने गांव, घर, गली या क्षेत्र में लगाई गयी पौध को नष्ट होते देखते रहते हैं किंतु उसकी सुरक्षा के लिये संवेदना किसी के दिल में नहीं पैदा होती है। जनपद के कुछ क्षेत्र में पिछले दशक में कई जगह के लोगों में व्यवसायिक दृष्टि से उपयोगी फलदार वृक्षारोपण किया है पर यह सीमित ही है। वन विभाग के क्षेत्र पर नजर डाली जाये तो एसडीओ बीके सिंह के मुताबिक हमारे पास 7112 हेक्टे. कुल वन क्षेत्र इसमें मानिकपुर गलाथा रेंज के 561 हेक्टे. क्षेत्र को छोड़ दिया जाये तो इसमें मानिकपुर गलाथा रेंज के 561 हेक्टे. क्षेत्र को छोड़ दिया जाये तो बाकी वन क्षेत्र ऊसर प्रभावित है जहां हर तरह के वृक्षारोपण में सफलता नहीं पाई जा सकती है। बड़ा वन क्षेत्र न होने की यह सच्चाई है तो यह भी एक हकीकत की वन विभाग को जो लक्ष्य वार्षिक वृक्षारोपण के तहत दिया जाता है उसे विभागीय लोग रेवड़ी की तरह बाटते हैं। उदाहरण के तौर पर अगर शासन से जिले में वार्षिक लक्ष्य 40 लाख पौध लगाने का है तो इसमें यह खेल कर दिया जाता है जैसे कि लक्ष्य का कुछ हिस्सा ग्राम पंचायतों के नाम तो कुछ परिषदीय विद्यालयों के खाते में दर्ज हो जाता है। मिले काम में अब ग्राम पंचायतों में खेल होता है। प्रधान जी भी गांव में बिरवे न खोंसवा कर नर्सरी के साथ डील कर लेते हैं। अपना हिस्सा लेकर नर्सरी वाला रसीद दे देता है, लग गये पेड़। उसी तरह मास्टर साहब भी पौध स्कूल में न लगवा कर कई बार पढ़ने वालों के हाथों में थमा देते हैं तो कई बार कुछ और करते हैं। इसी तरह के कमाल उन विभागों या संस्थानों द्वारा भी किये जातें हैं जिन्हें वृक्षारोपण का लक्ष्य दिया जाता है। वन विभाग भी नोडल विभाग के तौर पर काम की उचित देख रेख नहीं करता है। 

प्रतिवर्ष शासन द्वारा जितना लक्ष्य दिया जाता है अगर उसे पूरा कर लिया जाये कुछ ही सालों में जिला हरा भरा हो जायेगा। पर दिक्कत यह है कि यह हरियाली अगर फैल जायेगी तो इस हरियाली के नाम पर हरे हो रहे व्यक्तियों, संस्थाओं की हरियाली सूख जायेगी। 
कठिनाई 
 जिले में जंगल नष्ट हो रहा है। हरियाली उस गति से नहीं बढ़ रही जितनी खत्म हो रही है। वन माफिया सक्रिय है। वन विभाग अपनी ड्यूटी को ठीक से अंजाम नहीं दे पा रहा है। पर इस विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों के सामने भी मूलभूत कठिनाइयां हैं। जिनके बने रहते काम ठीक से अंजाम दे पाना संभव भी नहीं दिखता है। वन विभाग से अच्छे काम की दरकार है पर यहां स्टाफ तक महीनों से पूरा नहीं हो पा रहा है। विभागीय कर्मचारियों के पास वर्दी तक नहीं है। दूसरी कई अन्य दिक्कतों के वाहन की उपलब्धता न हो पाना भी मुश्किलें खड़ी कर देता है। 
चुनौती
वन विभाग के अधिकारियों के समक्ष जनपद के ऊसर प्रभावित क्षेत्र में हरियाली फैलाने की चुनौती है। विभाग के सामने वन सम्पदा की रक्षा करने की दूसरी सबसे बड़ी चुनौती है। वन विभाग के अधिकारियों के पास वन सम्पदा को हानि पहुंचाने वाले के विरुद्ध कोई बड़ा अधिकार न होने से भी परेशानी खड़ी होती है। इसी के साथ अगर अधिकारी किसी वन माफिया को वन नष्ट करने के आरोप में कार्यवाही करे तो होने वाली सिफारिशों से पार पाने की भी चुनौती भी इनके सामने होती है। इन सभी चुनौतियों से जूझते हुए वन विभाग के सामने जनपद वासियों के अंदर वानिकी के प्रति उत्साह जागरुकता और रुचि उत्पन्न करने की है। 
यह रहा हासिल
वर्ष 2008-09 में निर्धारित 470 हे. लक्ष्य के विरुद्ध 793.18 हे. क्षेत्र में वृक्षारोपण किया गया। फरवरी 2009 तक विभिन्न योजनाओं ने 1.28 लाख मानव दिवस रोजगार सृजित हुए। वर्ष 2008-09 हेतु राजस्व प्राप्ति के 44.25 लाख लक्ष्य के विरुद्ध फरवरी 2009 तक 76.00 लाख राजस्व अर्जित हुआ। वन विभाग ने पर्यावरण जागरुकता अभियान के अंतर्गत ब्लाक स्तर पर तेरह गोष्ठियां आयोजित कर ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यावरण संरक्षण और वृक्षारोपण के प्रति जागरुकता पैदा की। जिला स्तर पर वन विकास अभिकरण का गठन कर 49 ग्राम वन समितियों के माध्यम से वृक्षारोपण की पहल की जायेगी। 
आज तो यह करें
आज विश्व वानिकी दिवस है। सवेरे से यह खबर पढ़ते समय तक आपने कई काम किये होंगे। आज वानिकी दिवस के मौके पर एक काम ऐसा भी करें जो थोड़ी देर, थोड़ी संतुष्टि, थोड़ी प्राप्ति का न हो बल्कि यह काम ऐसा हो जो आपके कर देने के बाद, आपके बाद भी सुखद परिणाम देते रहने वाला हो .. आज एक ऐसा बीमा करें जो एक बार कर देने के बाद सदैव देते रहने वाला हो .. तो आज अपने प्यारे प्राइमरी के मास्टर के आग्रह, आह्वान, मनुहार पर एक काम यह करें कि एक पौधा रोप दें, आज एक पुण्य रोप दें जो आपके साथ इस समाज, इस पर्यावरण, प्रकृति के लिए भी स्वर्ग सा परिणामदायी है।

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फतेहपुर : अंतिम संस्कार करने में अब मुफलिसी आड़े नहीं

अग्निदाह कर अंतिम संस्कार करने में अब मुफलिसी आड़े नहीं आयेगी। शिवलोक चैरिटेबिल ट्रस्ट ने भिटौरा श्मशान घाट में पांच भट्ठियों का शवदाह गृह शुरू कर दिया है जिसमें यदि कोई गरीब है तो उसे मुफ्त में लकड़ी दी जायेगी और अंतिम संस्कार का पैसा भी नहीं लिया जायेगा। भिटौरा के महापात्रों ने गरीब परिवारों की मिट्टी के अंतिम संस्कार में अपना मेहनताना छोड़ने का निर्णय लिया है। स्वामी विज्ञानानन्द ने हवन, पूजन के साथ शवदाह गृह का शुभारंभ करते हुए कहा कि यहां मात्र 251 रुपये में अंतिम संस्कार वैदिक रीति-रिवाज पर कराया जायेगा। संचालन के लिये चालीस सदस्यीय कमेटी भी गठित की गयी जिसमें कई लोगों ने गरीब परिवारों की मिट्टी को जलाने के लिये लकड़ी प्रबंधन में आर्थिक सहयोग भी दिया। 
 
पतित पावनी मां गंगा को निर्मल व अविरल रखने के संकल्प में भिटौरा के श्मशान घाट पर भट्ठियों का शवदाह गृह शुरू किया गया है। स्वामी विज्ञानानन्द जी के अथक प्रयास से आखिर शवदाह गृह रविवार से शुरू हो गया। हवन, पूजन के साथ शवदाह गृह जनता को समर्पित कर दिया गया। श्मशान घाट के बगल में ही बने भट्टी शवदाह गृह में दस शव एक साथ जलाने की व्यवस्था है, लेकिन अभी पांच भट्ठियां ही लग पायी हैं। जल्द ही पांच भट्ठियां और लग जायेंगी। भिटौरा के महापात्रों व समिति के बीच यह समझौता हुआ है कि भट्ठी शवदाह में किये गये अंतिम संस्कार में वह मात्र एक सौ एक रुपये का दान लेंगे। एक सौ इक्यावन रुपया समिति के खर्चे पर जायेगा। 
संयोजक स्वामी विज्ञानानन्द जी ने बताया कि भट्ठी में मात्र ढाई घंटे में लाश जल जायेगी और दो से ढाई क्विंटल लकड़ी का खर्च लगेगा जबकि बाहर चिता बनाने में लगभग चार क्विंटल लकड़ी लग जाती है। पतित पावनी मां गंगा में ही अवशेष समर्पित हों इसके लिये पंप के माध्यम से गंगा का पानी भट्ठियों में पहुंचेगा जो बची राख व अवशेष को बहाकर गंगा जी में ही पहुंचा देगा। उन्होंने कहा कि वैदिक रीति-रिवाज और लोगों की आस्था और विश्वास पर इस व्यवस्था से किसी तरह की आंच नहीं आयेगी। 
यहां पर लाश के अवशेष संकलित करने की थी व्यवस्था है। समिति के लोग ही उसे संकलित कर एक कोठरी में कोड नंबर डालकर रख देंगे। परिवारिक उसे किसी समय भी ले सकते हैं। शुभारम्भ के समय ही चालीस सदस्यों की एक कमेटी गठित की गयी जिसमें यह निर्णय लिया गया कि यदि गरीब परिवार की मिट्टी है और वह जलाने के लिये लकड़ी लेने की क्षमता नहीं रखते हैं तो समिति ऐसे लोगों को लकड़ी दान देगी। इस मौके पर  उपस्थित कई लोगों ने दान के रूप में   पांच-पांच सौ रुपये  दिया।  कार्यक्रम में कई गनमान्य लोग भी उपस्थित रहे  ।

फतेहपुर: बिन्दकी विधानसभा को परिसीमन में लाभ ही लाभ

बिन्दकी विधानसभा की बल्ले-बल्ले है। परिसीमन के बाद नये मुखौटे में विस क्षेत्र का दायरा बढ़ने के साथ मतदाताओं में भी साढ़े छब्बीस हजार का इजाफा हो गया। जहानाबाद और फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र के एक सैकड़ा गांव व मजरे शामिल हो जाने से जातीय समीकरणों में भी भारी बदलाव आ गया है। अभी तक ब्राह्मण, ठाकुर बाहुल्य सीट मानी जाने वाली सीट हसवा का स्थान बिन्दकी ने ले लिया है। कुर्मी बाहुल्य क्षेत्र देवमई का बहुतायत हिस्सा जहानाबाद में शामिल कर दिया गया है जबकि जोनिहां व कांधी कानूनगो सर्किल के गांव बिन्दकी विधानसभा क्षेत्र में मिला दिये गये हैं।
लाभ और हानि की नजर में बिन्दकी विधानसभा को परिसीमन में लाभ ही लाभ मिला। अपने तो बहुत कम संख्या में पराये बने, लेकिन उससे दूना संख्या में पराये अपने हो गये हैं। दायरा बढ़ जाने से यह जरूर है कि प्रत्याशियों को अब मतदाताओं की चौखट तक पहुंचने के लिये परिक्रमा अधिक करनी पड़ेगी। समीप के गांव पड़ोसी जहानाबाद विधानसभा में चले गये और उसके बदले में शहर से जुड़े दो दर्जन से अधिक गांव बिन्दकी विधानसभा में शामिल कर दिये गये हैं। नये समीकरण में कुर्मी मतदाता तीसरे पायदान पर आ गया है। अब यहां ब्राह्मण और ठाकुर मतदाताओं का वर्चस्व है। देवमई ब्लाक जो पिछड़ी जाति की राजनीति करने वालों के लिये एक गढ़ था वह मतदाता अब पराये हो गये हैं। इतना ही नहीं बिन्दकी कस्बे से लगे खजुहा कानूनगो सर्किल के दो दर्जन गांव विस क्षेत्र से हटा दिये गये हैं।
विधानसभा क्षेत्र में अभी तक जहानाबाद विधानसभा के मतदाता रहे। जोनिहां कानूनगो सर्किल के अजमतपुर, कुम्हरवा, तपनी, दरियाबाद, हिम्मतपुर, उमरकोला, अकिलाबाद, बेनू, गजालापुर, बनियानी, रावतपुर, फरीदपुर, खांडेदेवर, नरैचा, सरांय, शिवरी, रघुराजखेड़ा, हुसनापुर, गौरी, शहबाजपुर, धानेमऊ, टिकरी, मनौटी, बेहटा, उदरौली, सरदारपुर, अमेना, नेवाजीपुर, छीछा, खूंटा, मड़रांव, चकहाता, चक औलिया, खेड़ा, कोरवां, कुसारा, इमौना, जोनिहां, बरदरा, समसपुर, शहजादीपुर, बिलौना, रघुवाखेड़ा, केवई, बरहट, खुर्माबाद, दरौटा, लालपुर, आलमगंज, मामूपुर, पिपौरी, कंसाखेड़ा, मऊ, मिस्सी, मेउली व चक जहानपुर को शामिल कर दिया गया है।
फतेहपुर तहसील व विधानसभा क्षेत्र के कांधी कानूनगो सर्किल के गांवों को भी बिन्दकी विधानसभा क्षेत्र का मतदाता बना दिया गया है। जिसमें सनगांव, कांधी, नउवाबाग, पहाड़ीपुर, सहिली, आजमपुर भैंसाही, असवार तारापुर, बादलपुर, उदयराजपुर, बैरमपुर, भरसवां, काकाबैरी, बरमतपुर, चीतपुर, अस्ता, बाजापुर, माधवपुर, झाऊमेदनी, उमरपुर, त्रिलोकीपुर, आदमपुर, ओझी खरगसेनपुर मय भदवा, मोहनखेड़ा, जखनी, कोराई, धारूपुर, केशवपुर, रावतपुर, ढोड़ियाही, धरहरा, कुरस्तीकला, हाजीपुर गंग, सेनीपुर, चितौरा, सरांय सहिजादा, चितौरा गांव शामिल किये गये हैं इसके अलावा बिन्दकी नगर पालिका क्षेत्र के पचीस वार्ड, मलवां कानून गो सर्किल के जो गांव पहले से शामिल थे वह विधानसभा क्षेत्र में बने हुए हैं।

15 मार्च 2009

फतेहपुर:नये मुखौटे में सत्तर हजार से अधिक अपने मतदाता पराये

भूगोल के नजरिये से बदली फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र में जातीय समीकरणों में भी भारी बदलाव आ गया है। ब्राम्हण, मुस्लिम के साथ लोधी मतदाता बराबरी पर आकर चुनावी समीकरण में जहां अहम बन गये हैं वहीं क्षेत्रफल बढ़ने के साथ ही उनतीस हजार मतदाता कम हो गये हैं। मतदाताओं की पूंजी में अव्वल रहने वाला विस क्षेत्र दूसरे नंबर पर खिसक गया है। परिसीमन से तैयार हुए नये मुखौटे में सत्तर हजार से अधिक अपने मतदाता पराये हो गये हैं जबकि एक लाख की संख्या में किशनपुर व हंसवा विधानसभा के मतदाता लोकसभा क्षेत्र की झोली में आ गये हैं।

2004 के लोकसभा चुनाव में फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र में दो लाख सत्तानबे हजार मतदाता थे परिसीमन के बाद मतदाताओं की संख्या अट्ठाइस हजार सात सौ चौसठ कम हो गयी है। किशनपुर व हंसवा विधानसभा क्षेत्र के एक सैकड़ा गांव फतेहपुर की झोली में डाल दिये गये हैं ऐसे में एक लाख नये मतदाता दूसरों से मिल गये हैं जबकि अपने लगभग पचास हजार मतदाताओं से नाता ही टूट गया है। विस क्षेत्र के एक सैकड़ा से अधिक गांव बिंदकी व हुसेनगंज विधानसभा में शामिल हो गये हैं। विधानसभा क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा हुसेनगंज अलग हो गया है और शहर से पचीस किमी दूर बहुआ नगर पंचायत विस क्षेत्र का हिस्सा बना दिया गया है। भूगोल बदलने के साथ ही विस क्षेत्र के जातीय आंकड़ों का भी खेल बिगड़ गया है। मुस्लिम, ब्राम्हण के साथ लोधी मतदाता बराबरी पर आ गये हैं।

240 फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र में रामपुर थरियांव, हंसवा, फतेहपुर कानूनगो सर्किल के साथ नगर पंचायत बहुआ व नगर पालिका फतेहपुर शामिल कर लिया गया है। रामपुर थरियांव के आंबी, चक सैय्यद हसन, बेंती सादात, माकूपुर, कठेरवा, सेमरा, आसिकपुर औरेइया, कासिमपुर, बीबीहाट, उमरपुर, आंबापुर, कौंडर, बरई बुजुर्ग, बरारी, सुल्तानपुर, मोहम्मदपुर नेवादा, गुलामीपुर बमरौली, लतीफपुर, हसनपुर, करियामऊ, इमादपुर, सखियांव, जैदपुर, सुदामापुर, पड़री, संग्रामपुर, चौफेरवा, हंसवा कानून गो सर्किल के इकारी, फैजुल्लापुर, औरेई, कुसुम्भी, चक कोर्रा सादात, मीसा, छिछनी, जमलामऊ, मुस्तफापुर, छीतमपुर, रसूलपुर भभैंचा, टीकर, गेंडुरी, धरमपुर सातों, टीसी, सहाबुद्दीनपुर, अतरहा, टेकसारी बुजुर्ग, मुसैदापुर, टेकसारी खुर्द, बहरामपुर, बिलन्दपुर, मीरपुर चक, रसूलाबाद, मिचकी, फरीदपुर, बरसरा, रिठवां, भैरवां, सातों जोगा, डुंडरा, महमदपुर, नंदलालपुर, दसौली, दुगरेई, खटौली, कोरारी, चक रसूलपुर, बनरसी, बरौंहा, कमलापुर, मेवली, हरसिंहपुर, चक आदमपुर, शाहीपुर, सनगांव, सातों पीत, सुल्तानपुर, हंसवा, जमालपुर, फरीदपुर, बकसपुर, चकनथनपुर, हासिमपुर भेदपुर शामिल हो गये हैं।

विधानसभा क्षेत्र के कांधी व हुसेनगंज कानूनगो सर्किल को विधानसभा क्षेत्र से अलग कर दिया गया है। इन दोनों कानूनगो सर्किल क्षेत्र में एक सैकड़ा से अधिक गांव व मजरे हैं। विस क्षेत्र से जुड़े गांव परिसीमन के बाद अलग हो जाने से स्थिति यही बन गयी है कि जो अपने थे वह अब पराये हो गये हैं। नये मतदाता जो अब मिले हैं उसमें राजनीतिक दलों के सामने विस्तारित क्षेत्रफल का संकट बढ़ गया है। आखिर क्षेत्रफल बढ़ा और मतदाता घटे की मुश्किलें भी कुछ कम नहीं हैं।
(
साभार - जागरण समाचार )

14 मार्च 2009

पचास हजार युवाओं का भविष्य बंडलों में कैद

लोकसभा सामान्य निर्वाचन 2009 की चुनावी प्रक्रिया से नौकरी की आस लगाये पचास हजार युवाओं को झटका लगा है। ग्राम पंचायत अधिकारी, ग्राम विकास अधिकारी, लेखपाल सहित सिंचाई विभाग के कुछ पदों के लिये आवेदन किये अभ्यर्थी मायूस हो गये हैं। कहते हैं कि आचार संहिता समाप्त होने के बाद पता नहीं भर्ती प्रक्रिया होगी या फिर निरस्त कर दी जायेगी।

लोकसभा चुनाव की तिथियां घोषित होने के पहले प्रदेश सरकार ने सरकारी नौकरियों के लिये पोटली खोल दी थी। विभिन्न पदों के लिये जिले में दो सौ से अधिक पदों के लिये आवेदन मांगे गये थे। सर्वाधिक आवेदन तो ग्राम पंचायत अधिकारी के चवालीस पदों के लिये सत्ताइस हजार आये हुए थे, लेखपाल के उन्नीस पदों के लिये दो हजार से अधिक आवेदन संकलित हुए। लेखपाल पद के लिये तो लिखित परीक्षा की तिथि भी निर्धारित हो गयी थी। ग्राम विकास अधिकारी पद के लिये भी पंद्रह हजार से अधिक आवेदन इकट्ठा हो गये हैं। जिस तेजी के साथ चयन प्रक्रिया चल रही थी उससे यह लग रहा था कि चुनाव तिथि घोषित होने के पहले ही शिक्षित बेरोजगारों को नौकरी का तोहफा मिल जायेगा। चुनाव तिथि घोषित होने के साथ ही आचार संहिता का शिकंजा कस गया और चयन प्रक्रिया जहा थी वहीं पर रोक दी गयी।

ग्राम पंचायत अधिकारी पद के लिये सत्ताइस हजार आवेदनों की छंटनी का काम तो पूरा हो गया है। साक्षात्कार के साथ ही चयन प्रक्रिया के लिये शासन के कोई निर्देश नहीं आये थे। बताते हैं कि आचार संहिता के बाद ग्राम पंचायत अधिकारी के सभी पदों की भर्ती प्रक्रिया रोक दी गयी है। ऐसे में सत्ताइस हजार अभ्यर्थी जो नौकरी के लिये आस लगाये हुए थे मायूस हो गये हैं। अभ्यर्थियों का यह भी मानना है कि चुनाव प्रक्रिया पूरी होने के बाद चयन प्रक्रिया निरस्त भी की जा सकती है। तीन माह की लंबी प्रतीक्षा केवल इस नौकरी की आस पर नहीं की जा सकती है। ग्राम विकास अधिकारी के दो दर्जन पदों के लिये आवेदन ही संकलित होने के साथ काम ठप कर दिया गया। बताते हैं कि इस प्रक्रिया में अभी आगे के कोई निर्देश शासन से नहीं मिले हैं। लेखपाल पद के लिये भी लिखित परीक्षा की तिथि सोलह मई के बाद ही निर्धारित की जायेगी। इस तरह से आचार संहिता लागू होने से पचास हजार से अधिक शिक्षित बेरोजगारों की उम्मीदों को झटका लगा है।

तीन माह तक मंद रहेगा विकास का पहिया

उधर वित्तीय वर्ष के अंत में करोड़ों के बजट को खर्च करने की मारामारी से इस बार अफसर बेफिक्र हैं। आचार संहिता लागू होने से तीन माह तक विकास का पहिया मंद रहेगा। अफसरों को विकास योजनाओं की मानीटरिंग की फुर्सत नहीं है। नई योजनाओं का शुभारंभ होना नहीं और पुरानी योजनाओं पर ही किसी तरह से काम कराया जा रहा है। वित्तीय वर्ष के अंतिम पखवारे में स्थिति यह रहती है कि करोड़ों का बजट अवमुक्त कराने के साथ खर्च करने की होड़ में विभाग उलझे रहते हैं। इस बार आचार संहिता लागू हो जाने से विभागाध्यक्ष बेफिक्र हैं।

11 मार्च 2009

फतेहपुर :होली की शुभकामनायें !!

फतेहपुर : शहरवासियों को चौबीस घंटे में मात्र आठ से दस घंटे की ही बिजली

शहर क्षेत्र में बिजली आपूर्ति का रोस्टर तय हो गया है। जिसमें रोजाना सुबह छह बजे से बिजली कट जायेगी और रात्रि में नौ बजे से गुल हो जायेगी। इसके अलावा दोपहर में दो घंटे की आपातकालीन कटौती अतिरिक्त की जायेगी। गर्मी के मौसम में बारह घटे की कटौती शहरवासियों को बेहद अखरेगी।

विद्युत वितरण खंड प्रथम के अधिशासी अभियंता बीराम के मुताबिक शहर की बिजली रोजाना सुबह छह बजे से ग्यारह बजे तक कटी रहेगी। वहीं रात्रि में नौ से एक बजे तक काट दी जायेगी। अधिशासी अभियंता ने बताया बिजली के उत्पादन में कमी है जिसकी वजह दिन में दोपहर एक बजे से शाम छह बजे के मध्यदो घंटे की आपातकालीन कटौती विभाग के आला अफसरों के निर्देश पर की जायेगी।

इस प्रकार शहरवासियों को चौबीस घंटे में मात्र आठ से दस घंटे की ही बिजली मिल पायेगी। जबकि अधिशासी अभियंता ने दावा किया है कि बारह घंटे बिजली की आपूर्ति शहरवासियों को मिलेगी।

सोहन लाल द्विवेदी पुस्तकालय एवं वाचनालय लंबे समय से साहित्य प्रेमियों को मुंह चिढ़ा रहा

राष्ट्रकवि पंडित सोहन लाल द्विवेदी पुस्तकालय एवं वाचनालय लंबे समय से साहित्य प्रेमियों को मुंह चिढ़ा रहा है। कारण भवन के उद्घाटन के पांच वर्ष से अधिक का समय गुजर चुका है। यहां साहित्य नहीं है। ऐसे में यहां के साहित्य प्रेमी मायूस है।

स्वतंत्रता के आंदोलन में अपनी कविताओं के माध्यम से क्रांतिकारियों में जोश भरने वाले राष्ट्रकवि पंडित सोहन लाल द्विवेदी की यादगार में नगर के तत्कालीन राज्यमंत्री राजेंद्र सिंह पटेल ने पुस्तकालय एवं वाचनालय का निर्माण कराया था। किंतु दुर्भाग्य भवन में साहित्य प्रेमियों के लिए यहां साहित्य नहीं है। ऐसे में यहां के साहित्य प्रेमियों को पीड़ा है। नगर के वरिष्ठ साहित्यकार बेदप्रकाश मिश्रा का कहना है कि साहित्य मुहैय्या कराने के लिए कई बार बैठकें हुई। किंतु बैठकें औचित्य हीन रहीं। परिणाम स्वरूप साहित्य क्रय नहीं किया जा सका है। जबकि नगर पालिका के पास इस मद की धनराशि भी है। इस पुस्तकालय समिति के सदस्य लोकनाथ पांडेय का कहना है कि चुनाव के बाद साहित्य हेतु बैठक पुन: होगी। जिसमें साहित्य को सूचीबद्ध कर खरीददारी करायी जायेगी।

5 मार्च 2009

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चमन उजड़ा रहा और फूल खिलते रहे.. कुछ ऐसी ही दशा इस जिले की

पिछले लेख की अगली कड़ी में पेश है फतेहपुर का चुनावी इतिहास का आगे का हाल .........

इतिहास के आइने में संसदीय क्षेत्र ने ऐसी तस्वीरें छोड़ी हैं जो इसकी अहमियत व मतदाताओं की उदारवादी सोच को बयां कर रहे हैं। सत्तावन वर्ष के लंबे सफर में पंद्रह लोकसभा चुनाव हुए जिसमें छ: बार जीत कांग्रेस की झोली में गयी। प्रधानमंत्री व केन्द्रीय मंत्री देने की सौगात संसदीय क्षेत्र को मिली। दोआबा का यह क्षेत्र ऐसा चमन रहा जो हरियाली बांटकर स्वयं उजड़ा रहा। इसे राजनीतिक धूमिलपन कहें या फिर उदारवादी चेहरा। यहां के मतदाताओं ने परदेशी बाबू पर ही पसंदगी की मुहर लगायी। अब तक चुने गये ग्यारह चेहरों में मात्र चार लोग ही जनपद की माटी से संसद तक पहुंचने वालों में रहे।

आजादी के बावन व सत्तावन के चुनाव में तो जैसे कि देश में लहर चल रही थी। कांग्रेस प्रत्याशियों ने जीत हासिल की। जनपद के ही रहने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी शिवदत्त उपाध्याय को यहां के डेढ़ लाख मतदाताओं ने अपना सांसद चुना। फिर अंसार हरवानी को नेतृत्व को सौंपा। 1962 का चुनाव काफी रोमांचक रहा। बताते हैं कि तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू चायल संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे थे और उन्हीं के मंत्रिमण्डल में रहे सूचना एवं प्रसारण मंत्री वीवी केशकर फतेहपुर संसदीय क्षेत्र से प्रत्याशी बने। कांग्रेस की चल रही बयार में यह था कि केशकर तो जीतकर संसद पहुंचेंगे ही यहां के मतदाताओं का रुख प्रत्याशी नहीं भांप पाये और हुआ यह कि निर्दलीय गौरीशंकर कक्कड़ जीत गये और केशकर को पराजय का मुंह देखना पड़ा।

सत्तावन वर्ष के संसदीय इतिहास में एक खास बात यह और भी है कि जिले के मतदाताओं ने किसी को हैट्रिक नहीं लगाने दी। अधिकतम दो बार ही मौका दिया तीसरी बार बड़े-बड़े कद्दावर नेताओं का हार का मुंह लेकर ही जाना पड़ा। बोफोर्स मुद्दे को लेकर समूचे देश में लहर पैदा करने वाले विश्वनाथ प्रताप सिंह वर्ष 1989 में संसदीय क्षेत्र को ही अपना मुकाम चुना। क्षत्रिय बाहुल्य इस सीट में वीपी का खूब जादू चला तभी तो पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के ज्येष्ठ पुत्र हरिकृष्ण शास्त्री को तीसरी बार पराजित होना पड़ा। वर्ष 1991 में फिर विश्वनाथ प्रताप सिंह ने संसदीय क्षेत्र का नेतृत्व संभाला। इतिहास के पन्नों में यह याद हमेशा के लिये जुड़ गयी है कि फतेहपुर संसदीय क्षेत्र के मतदाताओं ने देश को एक प्रधानमंत्री दिया है। अपनी अस्वस्थता के कारण तीसरी बार वीपी सिंह चुनाव मैदान में तो नहीं आये। पता नहीं वह आते तो यहां के मतदाता तिबारा जिताने के मिथक को तोड़ पाते या नहीं।

पांच विधानसभाओं वाली इस सीट में वर्ष 1980 व 84 में पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के पुत्र हरिकृष्ण शास्त्री ने कब्जा किया और वह यहीं का प्रतिनिधित्व करते हुए मंत्रिमण्डल में कृषि मंत्री का भी पद संभाला। विकास के आइने में दस वर्षो के कार्यकाल में उन्होंने बहुत कुछ कर दिखाया, लेकिन तीसरी बार जब वह चुनाव मैदान में उतरे तो वीपी की लहर में विकासवाद का नारा फीका पड़ गया। कांग्रेस से ही पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह के बड़े भाई संत बक्स सिंह वर्ष 1967 व 1971 में संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। 1984 के बाद से लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की लहर ऐसी मंद पड़ी कि अभी तक नहीं उबर पा रही है। वर्ष 1996 में बसपा प्रत्याशी विशम्भर निषाद जो कि बांदा जनपद के रहने वाले थे को यहां के मतदाताओं ने जीत की माला पहनायी। वर्ष 1998 में विशम्भर निषाद को मतदाताओं ने नकार कर जिले के ही भाजपा प्रत्याशी डा.अशोक पटेल को जीत का ताज पहनाया। 1999 के चुनाव में फिर भाजपा के डा.अशोक पटेल को मतदाताओं ने संसद पहुंचाया। 2004 के चुनाव में भाजपा से डा.पटेल पुन: चुनाव मैदान में उतरे, लेकिन जनता ने उन्हें तीसरे स्थान पर पहुंचा दिया और बसपा प्रत्याशी महेन्द्र निषाद को गले लगाया। दूसरे नंबर पर सपा प्रत्याशी अचल सिंह रहे। भाजपा-बसपा के बीच कांटे का संघर्ष वर्ष 1999 में रहा। कौन जीतेगा यह बता पाना मतगणना के अंतिम दौर तक भी मुश्किल था। कई बार आगे-पीछे होकर जीत की ओर बढ़ रहे दोनों प्रत्याशियों को कभी खुश तो कभी गम में होना पड़ा। मात्र एक हजार मतों से भाजपा प्रत्याशी ने अंतत: जीत हासिल की।

पांच दशक से अधिक समय के चुनावी इतिहास में पंद्रह लोकसभा चुनाव में ग्यारह नये चेहरों को जिले के मतदाताओं ने संसद पहुंचाया उसमें से सात परदेशी बाबू हैं जिन्हें यहां की जनता ने पसंद किया। शिवदत्त उपाध्याय, गौरीशंकर कक्कड़, सै.लियाकत हुसेन, अशोक पटेल ही ऐसे प्रत्याशी रहे जो जिले के रहे और चुनाव जीतकर संसद पहुंचे। इसके अलावा सात अन्य सांसदों ने जो जिले का अलग-अलग समय में प्रतिनिधित्व किया वह गैर जनपद के रहे तभी तो हर चुनाव में विकासवाद के साथ-साथ जिलेवाद का नारा भी बुलंद होता है।

संसदीय इतिहास को याद कर यहां के मतदाता यह कहते हैं कि चमन उजड़ा रहा और फूल खिलते रहे.. कुछ ऐसी ही दशा इस जिले की रही। प्रधानमंत्री व केन्द्रीय मंत्री देने के बाद भी जिले का पिछड़ापन दूर नहीं हुआ। शैक्षिक क्षेत्र हो या फिर औद्योगिक ऐसा मुखौटा नहीं बन पाया कि जनपद के लोग सुविधा संपन्न बन सकें। यहां तक कि सड़क, विद्युत व पेयजल जैसी समस्याओं से बराबर जूझ रहे हैं।

4 मार्च 2009

फतेहपुर :जिले के मतदाताओं ने किसी को निराश नहीं किया

फतेहपुर के इस ब्लॉग से जुड़े हुए लोगों ...... विशेषकर बाहर रह रहे छात्रों और नौकरी कर रहे लोगों को राजनीतिक चुनावी इतहास से परिचित कराने के लिए दैनिक जागरण का यह लेख साभार प्रस्तुत है -

जिले के मतदाताओं में यह खासियत रही कि किसी को निराश नहीं किया है। हर दल को बुलंदियों तक ले गया है और फिर उसे किनारे कर दिया है। नेतृत्व की बागडोर हमेशा दलीय प्रत्याशियों को ही सौंपी है। वर्ष 1962 इसका अपवाद है जब गौरीशंकर कक्कड़ कांग्रेस के प्रत्याशी को पराजित कर संसद पहुंचे। वर्ष 2009 का आइना बदला हुआ होगा। इस बार परिसीमन से संसदीय क्षेत्र का जहां भूगोल बदला हुआ है वहीं मतदाताओं की संख्या भी तीन लाख से अधिक बढ़ गयी है। नये भूगोल पर इतिहास बनाने के लिये यूं तो हर दल हाथ-पैर मार रहे हैं। देखना यह है कि मतदाता इस बार अपनी पसंदगी का रुख किस ओर मोड़ रहा है।

पंद्रहवीं लोकसभा के गठन के लिये चुनाव की तिथियां घोषित होने के साथ ही राजनीतिक दलों की सरगर्मी तेज हो गयी है। संसदीय क्षेत्र के लिये तीसरे चरण में यानी 30 अप्रैल को मतदान होगा। 2 अप्रैल से अधिसूचना जारी होने के साथ नामांकन 9 अप्रैल तक चलेगा। इसके बाद नामांकन पत्रों की जांच और तेरह अप्रैल को नामवापसी होगी। वर्ष 1952 से संसदीय क्षेत्र के इतिहास पर नजर डालें तो जिले के मतदाताओं ने हर दल को तवज्जो दी है। लगातार संघर्ष करने वाले किसी भी दल को मायूस नहीं किया है। यह जरूर है कि अपनी पसंदगी को बुलंदियों तक पहुंचाने के बाद मतदाताओं ने रुख मोड़ा और चुनाव परिणाम को पलट दिया। पंद्रह बार हुए चुनाव में सर्वाधिक जीत कांग्रेस की झोली में छ: बार गयी। वर्ष 1952, 57, 67, 71, 80 व 84 के लोकसभा चुनाव में मतदाताओं ने कांग्रेस को संसदीय क्षेत्र के नेतृत्व की बागडोर सौंपी। भाजपा को वर्ष 1998 व 99 के चुनाव में जीत दिलायी। बसपा को भी जिले के मतदाताओं ने दो बार संसदीय क्षेत्र के नेतृत्व का मौका दे दिया है। वर्ष 1996 में विशम्भर निषाद बसपा से चुनाव जीते थे। यही प्रत्याशी वर्ष 1998 में सपा से चुनाव मैदान में उतरे थे। मतदाताओं ने नकार दिया। वर्ष 2004 में बहुजन समाज पार्टी से महेन्द्र निषाद को जीत दिलायी। इसके अलावा जनता पार्टी को दो बार, जिले की ही संसदीय क्षेत्र से जीतकर पहुंचे विश्वनाथ प्रताप सिंह ने देश के प्रधानमंत्री की बागडोर संभाली थी। जिले की जनता ने वर्ष 1989 में 49 फीसदी मत वीपी सिंह को देकर ऐतिहासिक जीत हासिल करायी। हालांकि दोबारा 1991 में जब वह फिर चुनाव मैदान में उतरे तो जीत तो हासिल कर ली, लेकिन वोट प्रतिशत सात फीसदी कम हो गया।

वर्ष 2009 का लोकसभा चुनाव पिछले सभी चुनावों से अलग होगा। एक तो परिसीमन के बाद जो भौगोलिक स्थिति सामने आयी है उसमें बांदा जनपद की तिंदवारी विधानसभा का नाता संसदीय क्षेत्र से समाप्त हो गया है। जिले की दो विधानसभायें जो घाटमपुर व चायल संसदीय क्षेत्र में शामिल थीं वह अब संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आ गयी हैं। ऐसे में मतदाताओं की संख्या जहां बढ़कर साढ़े पंद्रह लाख पहुंच गयी है वहीं जातीय समीकरण भी पहले से भिन्न हो गये हैं। पांच की जगह छ: विधानसभाओं के बड़े क्षेत्रफल में चुनाव प्रचार में भी प्रत्याशियों की कवायद बढ़ गयी है। उधर अभी तक सुरक्षित सीटों के अंतर्गत रहे खागा व जहानाबाद के मतदाता पहली बार सामान्य प्रत्याशियों से जुड़ रहे हैं ऐसे में इन दोनों विधानसभाओं की सरगर्मी कुछ ऐसी होगी जो संसदीय क्षेत्र के परिणाम को उलट-पलट कर सकती है।

3 मार्च 2009

फतेहपुर:चुनाव की तिथियां घोषित होने के साथ ही राजनीतिक सरगर्मी तेज

लोकसभा 2009 के चुनाव की तिथियां घोषित होने के साथ ही राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गयी है। मतदाताओं की नब्ज टटोलने के साथ प्रत्याशी जातीय समीकरणों की गणित में उलझे हुए हैं। नये परिसीमन पर पहली बार दो विधानसभा क्षेत्रों की जनता से प्रत्याशियों को वोट मांगने पड़ेंगे। चुनावी सरगर्मी में मतदाता भी शामिल हो गये हैं और वह अपनी पसंदगी जताते हुए मैदान में आये प्रत्याशियों के साथ दलों पर समीक्षात्मक प्रतिक्रिया कर रहे हैं।

भारत निर्वाचन आयोग ने सोमवार को पंद्रहवीं लोकसभा की चुनाव तिथिया घोषित कर दी हैं जिसमें प्रदेश का चुनाव पांच चरणों में होगा। चुनाव तिथि तय होने के साथ ही चुनावी दुंदुभी बज गयी है। राजनीतिक दलों सहित मतदाताओं के बीच भी सरगर्मी तेज हो गयी है। फतेहपुर संसदीय क्षेत्र के लिये अभी तक बहुजन समाज पार्टी ने अपने पुराने सांसद महेन्द्र निषाद को, भाजपा ने सदर विधायक राधेश्याम गुप्त को लोकसभा का प्रत्याशी घोषित किया है। समाजवादी पार्टी से राकेश सचान, अपना दल से सोनेलाल पटेल संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगे इसके लिये प्रत्याशियों ने यूं तो पहले से ही प्रचार शुरू कर दिया था, लेकिन तिथि तय हो जाने के बाद सरगर्मी और तेज हो गयी है। प्रत्याशी अपने समर्थकों के साथ बैठक कर कल से ही चुनाव प्रचार रंगत के साथ शुरू करने की रणनीति देररात तक बनाते रहे। कार्यकर्ताओं के हुजूम को किस तरह से जोड़ा जाये इसके लिये प्रत्याशियों ने पार्टी संगठन के पदाधिकारियों को लगाया है। विधानसभा स्तर पर चुनाव कार्यालय खोलकर जिम्मेदारी देने के लिये संगठन सूची तैयार करने में लग गये हैं। संसदीय क्षेत्र के घोषित प्रत्याशियों ने आयोग द्वारा तय की गयी तिथियों पर समर्थन जताते हुए कहा कि पांच चरणों में प्रदेश का चुनाव जिन तिथियों पर कराया जा रहा है सही है।

मतदाताओं को झकझोर कर जीत हासिल करने के लिये चुनावी मुद्दा क्या बनाया जाये इस पर प्रत्याशी उलझे रहे। बताते हैं कि राष्ट्रीय स्तर के मुद्दों के साथ जिलास्तर के चुनावी मुद्दा को प्रत्याशी अधिक कारगर मान रहे हैं। भाजपा, सपा तो वर्तमान सांसद की निष्क्रियता व विकास कार्य में अनदेखी को ही मुख्य मुद्दा बना रहे हैं जबकि वर्तमान सांसद प्रदेश सरकार की विकास योजनाओं व गरीबों के लिये लागू की गयी योजनाओं को मुद्दों में शामिल किये हुए हैं।

2 मार्च 2009

Vacancies for Saudi Arabia

Ministry of higher Education-Saudi Arabia urgently needs for Faculties for Ha"il University & Qassim University.We need a candidates minimum Post Graduate qualification & any higher degree(Ph.D/M.Phil/others) with minimum 2 yrs experience in TeachingThe vacant position is for Lecturers, Asst Professor, Associate Professor & Professor in the Specilaities given:- 1. SOFTWARE ENGINEERING 2. PROGRAMMING LANGUAGES 3. AL & DSP 4.DATABASE( Oracle Application) 5. COMPUTER NETWORKS & OS 6. MICROPROCESSOR 7. ELECTRONICS/CIRCUITS 8.DIGITAL CONTROL 9. DIGITAL DESIGN 10.COMPILER+ ASSEMBLER 11. MATHEMATICS. If you are interested please apply immediately by sending your resume in the mail- goodfellow2@vsnl.net . Candidates must be a post graduate or any higher qualification( Ph.D/M.Phil) in the relevant subject. Interview is Schedule on 16 & 17 in Delhi & 19 & 20 in Bangalore. Interview venue will intimate you soon after receiving your mail.Please feel free to contact us for any query.Thanks
GOOD FELLOW FOREIGN SERVICES AGENCY
159/1, 1st. Floor, Sarai Julena,
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