15 नव॰ 2010

लोकतंत्र की मजबूती के लिए जरूरी है कि अपने जिले के बारे में लोग जानें : अस़गर वजाहत

साहित्यकार पद्मश्री गिरिराज किशोर ने कहा कि किसी जिले का स्थापना दिवस यह नन्हा कदम है लेकिन इस कदम को आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि विदेशों में हर शहर में म्यूजियम है। वहां पर उस शहर की सभ्यता, संस्कृति और विरासत संजोकर रखी जाती है। इससे बाहरी लोग भी वहां जाकर आसानी से उस शहर के बारे में जान लेते हैं लेकिन ऐसा हिंदुस्तान में कही नहीं है। उन्होंने इस तरह के आयोजन अन्य जिलों में भी आयोजित करने के लिए साहित्यकार असगर वजाहत से आह्वान किया। 

वह बुधवार को बाकरगंज स्थित किले में फतेहपुर स्थापना के 185 वर्ष पूरे होने पर आयोजित कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। डा. अस़गर वजाहत ने कहा कि लोकतंत्र की मजबूती के लिए जरूरी है कि अपने जिले के बारे में लोग जानें। जब खुद को जानेगें तभी वह सही मायने में अपने विकास के प्रति दृढ़निश्चय के साथ आगे बढ़ेंगे। फतेहपुर स्थापना दिवस का मकसद यही है।

कथाकार संध्या त्रिपाठी ने एक कहानी के जरिए महानगर एवं छोटे  नगरों  के बीच अंतर भेद उजागर किया। उन्होंने एक साहूकार की कथा सुनाई जिसके दो  बेटे थे। बड़ा बेटा तंदुरुस्त था जिसे साहूकार और दूध-बादाम खिलाता था। छोटा  बेटा दुर्बल था जिसे साहूकार सामान्य भौजन देता था। कथाकार ने कहा- आज साहूकार सरकार है। तंदुरुस्त बेटा महानगर है और कमजौर बेटा छोटे  जिले हैं। ऐसे कार्यक्रम कमजोर बेटों को  अपने गौरवशाली अतीत के जरिए आत्मबल प्रदान करने का काम करते हैं और उससे वह खुद को  बड़े भाई से आगे ले जाने में कामयाब  होते हैं। यह पहला प्रयास था जो  अपने मकसद को  छूने में कामयाब रहा। 

जिले के प्रख्यात साहित्यकार डा. ओम प्रकाश अवस्थी, धनंजय अवस्थी, डा. कृष्ण कुमार त्रिवेदी, पं. ब्रजमोहन लाल पांडेय, डा. बालकृष्ण पांडेय, शिवशरण सिंह चौहान अंशुमाली, सलीम अहमद शास्त्री नूर, ज़फर इ़कबाल ज़फर, कमर सिद्दीकी, शिवशरण बंधु, समीर शुक्ला, शहजाद खां एडवोकेट, फतेहपुर पब्लिक स्कूल के प्रबंधक नैयर जैदी, डा. रफीक अहमद, शायर नसीर सलमानी, गुलाम रजा राही, शैलेष गुप्त वीर के अलावा बड़ी संख्या में बुद्धिजीवी मौजूद  रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता मोईन खां एडवोकेट ने की और संचालन शिवशरण बंधु ने किया। उर्दू के वयोवृद्ध शायर इंद्र कुमार श्रीवास्तव को  गिरिराज किशोर  ने शाल ओढ़ाकर एवं प्रशस्तिपत्र देकर सम्मानित किया। इस मौके पर छात्राओं ने रंगारंग कार्यक्रम भी पेश किए।

10 नव॰ 2010

फतेहपुर : आज मनायेगा अपना स्थापना दिवस | पहली बार जिला अपना स्थापना दिवस मनाएगा।

शायद यह पहली बार होगा जब कोई जिला अपना स्थापना दिवस मनाएगा। स्थापना की 184वीं वर्षगांठ पर फतेहपुर जिले में देश के प्रसिद्ध साहित्यकारों का जमावड़ा लगेगा। 10 नवंबर 1826 को फतेहपुर जिला बना था। उसके पहले यह अवध में आता था और इसका मुख्यालय कोड़ा जहानाबाद था। ईस्ट इंडिया कंपनी सरकार ने जिले की स्थापना अपनी शासन व्यवस्था सुदृढ़ रखने हेतु की और शुरुआत में गंगा नदी के तट पर होने के कारण भिटौरा जनपद का मुख्यालय रहा। उस समय नदी के रास्ते ही आवागमन होता था। बताते हैं कि स्थापना दिवस का मकसद जिले की संस्कृति-साहित्य और कला से विश्व को रूबरू कराना है।

जिले में साहित्य, संस्कृति, पौराणिक एवं ऐतिहासिक स्थलों से न सिर्फ जनपदवासी बल्कि पूरी दुनिया रूबरू हो सकेगी। प्राप्त जानकारी के अनुसार 'स्थापना दिवस' की वेबसाइट बनेगी और इंटरनेट के जरिए दुनिया में मौजूद फतेहपुर के लोग अपनों के बारे में जान पाएंगे। किसी जिले का अपना स्थापना दिवस का यह पहला कार्यक्रम है। यह छोटा सा कदम है लेकिन देश के इतिहास में यह मील का पत्थर बनेगा। कार्यक्रम का मकसद लोगों में यह जिज्ञासा पैदा करना है कि क्या हो रहा है? क्या इससे उन्हें रोटी मिलेगी? भूख दूर होगी? यह जिज्ञासा जगेगी तो वह अपने बारे में सोचेंगे। क्या हैं हम? यह सोच ही फतेहपुर की पुरातन संस्कृति को आगे ले जाएगी। फतेहपुर जनपद की स्थापना दिवस का खाका तैयार किया है देश के प्रसिद्ध साहित्यकार डॉक्टर असगर वजाहत ने।
देश के प्रसिद्ध साहित्यकार असगर वजाहत का भी दिल अपने शहर फतेहपुर के लिए धड़कता है। उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से तालीम हासिल की। वह नई दिल्ली स्थित जामिया मिलिया इसलामिया में हिंदी विभाग के अध्यक्ष पद से रिटायर हो गए। इसके बाद भी वह फतेहपुर को नहीं भूले। उन्होंने दो दशक पहले 'सात आसमान' उपन्यास में बाकरगंज वार्ड का सियासी नक्शा खींचा था। इसके बाद भी अक्सर उनके उपन्यासों और कहानियों में फतेहपुर का जिक्र आ जाता है। इस समय वह मनमाटी उपन्यास लिख रहे हैं। उसमें भी फतेहपुर के सियासी, समाजी पहलुओं के साथ साहित्य पर भी चर्चा की गई है। उनका कहना है कि देश विदेश में रहने के बाद भी फतेहपुर उनके दिल के करीब रहा। इसीलिए वह नई दिल्ली से फतेहपुर का स्थापना दिवस मनाने चले आये।
उनका मानना है कि हिंदी साहित्य को तरजीह नहीं मिलती है। साहित्यिक और सांस्कृतिक गतिविधियों से ही समाज में सौहार्द बढ़ता है। इससे सरहदी सीमाएं तक टूट जाती हैं। हर भाषा और साहित्य का अपने क्षेत्र में काफी महत्व है लेकिन हिंदी साहित्य के कार्यक्रमों को जनप्रतिनिधि से लेकर अफसर भी तवज्जो नहीं देते हैं| हर जगह की अपनी संस्कृति, अपनी विरासत, अपना वैभव हौता है और हर एक को उस पर गर्व हौता है। इस गर्व को क्यों ना शान से दुनिया के सामने पेश किया जाए। दुनिया जाने कि क्या हैं हम? क्या है हमारी विरासत और हमारी संस्कृति?

महर्षि भृगु का तप, औरंगजेब-दाराशिकौह की लड़ाई, 1857 का सर्वस्व बलिदान, झंडागीत की रचना, कविवर सोहनलाल द्विवेदी, स्व. कन्हैयालाल नंदन, स्व. अशोक बाजपेई एवं स्व. रमानाथ अवस्थी के दिल से निकलने वाले साहित्य का अब तक मूक गवाह रहने वाला फतेहपुर पहली बार 10 नवंबर को अपना स्थापना दिवस मनाने जा रहा है। इस ऐतिहासिक पल के लिए पहला कदम बढ़ाया है फतेहपुर में जन्मे देश के प्रसिद्ध साहित्यकार डा. असग़र वजाहत ने। पद्मश्री गिरिराज किशोर स्थापना दिवस कार्यक्रम का उद्घाटन करेंगे।

स्थापना दिवस पर जिले के वरिष्ठ रचानाकार इंद्र स्वरूप श्रीवास्तव को गिरिराज किशोर सम्मानित करेंगे जबकि शारीरिक रूप से अस्वस्थ साहित्यकार वाहिद मतीन एवं ताहिर फतेहपुरी को डा. वजाहत 11 नवंबर को उनके घर जाकर सम्मान पत्र भेंट करेंगे। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता जिलाधिकारी पी. गुरुप्रसाद करेंगे। मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ आईएएस अनीस अंसारी शिरकत करेंगे। सत्र का संचालन हिंदी के कवि शिव शरण बंधु संभालेंगे। स्थापना दिवस के उद्देश्य पर डा. वजाहत प्रकाश डालेंगे।

डा. वजाहत ने बताया कि विचार सत्र की अध्यक्षता हिंदी के जाने-माने विद्वान डा. ओम प्रकाश अवस्थी करेंगे। सत्र संयोजक डा. शैलेष गुप्त 'वीर' होंगे और इसमें श्री कृष्ण कुमार त्रिवेदी, ज़फर इकबाल जफर, श्री कृष्ण दत्त त्रिपाठी और कमर सिद्दीकी विचार व्यक्त करेंगे। तीसरे सत्र में प्रतिष्ठित कवि धनन्जय अवस्थी एकलव्य भोपाल से प्रकाशित बाल पत्रिका 'चकमक' के नए अंक का अनावरण करेंगे।

चौथा सत्र लोकार्पण सत्र होगा, जिसका संचालन डा. अनूप शुक्ला करेंगे। इस सत्र में 'फतेहपुर काव्य प्रकाश' (संपादक शिवशरण सिंह चौहान अंशुमाली) का लोकार्पण डा. वजाहत करेंगे। कार्यक्रम के अंत में कवि सम्मेलन/मुशायरे का आयोजन किया गया है जिसकी अध्यक्षता मोहम्मद मुइउद्दीन एडवोकेट तथा डा. बालकृष्ण पांडेय करेंगे। कवि सम्मेलन में स्थानीय कवियों के अलावा गैर जनपदों से भी कवि शिरकत करेंगे। यह सभी आयोजन बाकरगंज स्थित 'फतेहपुर पब्लिक स्कूल' में आयोजित होंगे।

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