25 नव॰ 2013

जनवादी लेखक संघ फतेहपुर का कार्यक्रम : मीडिया रिपोर्ट्स

पुस्तक प्रेमियों को ब्लॉग से जुड़ना चाहिए 
गोष्ठी एवं कवि सम्मेलन में जुटी साहित्य जगत की हस्तियां
शत-प्रतिशत साक्षरता के बगैर समाज का विकास संभव नहीं 
अमर उजाला ब्यूरो
हंसवा/फतेहपुर। बदलाव की अपेक्षा केवल राजनीतिक शक्ति से ही नहीं की जा सकती, बल्कि साहित्यिक शक्ति भी समाज को बदल सकती है। साहित्य ने तो अमेरिका जैसे देश में संविधान बदलने को मजबूर कर दिया। जब खड़ाऊं पहनने वाले लोग आज जूते पहन सकते हैं, पैदल चलने वाले लोग आज जहाज से चल सकते हैं तो पुस्तकोें के प्रेमी अब ब्लॉग से क्यों नहीं जुड़ रहे हैं। समय के साथ सबको बदलने की जरूरत है। 
यह कथन जनवादी लेखक संघ राष्ट्रीय परिषद के सदस्य केशव तिवारी का। मौका था किताबें कुछ कहना चाहती हैं, हमारे पास रहना चाहती हैं नामक शीर्षक की विचार गोष्ठी का। रानी कालोनी स्थित विद्या निकेतन इंटर कालेज में गैर जनपदों से साहित्य जगत की नामचीन हस्तियों ने मंच की शोभा बढ़ाई। इस मौके पर सुधीर सिंह ने कहा कि महान लेखक नागार्जुन ने कहा था कि जो कविता पाठ्यक्रम में सम्मिलित हो जाती है, वह सुहागिन हो जाती है। हमारे समाज में 15-15 साल तक पाठ्यक्रम में परिवर्तन नहीं होता। लेकिन दक्षिण में रिचार्ज की दुकानों की भांति पुस्तक की लाइब्रेरी खुली हुई हैं। यही एक वजह है कि वहां शत-प्रतिशत साक्षरता है। 
ज्ञानेंद्र गौरव ने कहा कि साहित्य अपनी ऊर्जा से समाज में क्रांति ला सकता है। शैलेश गुप्त ने कहा कि समाज में मौलिक लेखकों का अभाव है। नरोत्तम सिंह ने कहा कि कार्लमार्क्स की पुस्तक दास कैपिटल यूरोप और अमेरिका एवं जापान के राष्ट्रपति ने पढ़कर विपत्ति के समय अपने आपको को संभाला था। इलाहाबाद से आए गोपीनाथ द्विवेदी ने कहा कि पुस्तकों को मनोनुकूल बनाने के लिए अन्वेषित सामग्री ही लिखना चाहिए। अध्यक्ष श्रीकृष्ण कुमार त्रिवेदी ने कहा कि जो पुस्तकें यहां बिक नहीं पाती, दक्षिण के प्रकाशकों ने हमसे मांगकर छपवाई। इस अवसर पर मुख्य रुप से प्रवीण त्रिवेदी, महेशचंद्र त्रिपाठी और महिला डिग्री कालेज के बी.के. पांडेय, कमल साहू, उमाशंकर, शैलेंद्र द्विवेदी, श्रवण कुमार आदि लोग उपस्थित रहे। अध्यक्षता श्रीकृष्ण कुमार त्रिवेदी ने की और संचालन शिव शरण बंधु ने किया। आयोजन युवा कवि प्रेम नंदन लोधी ने किया।

जनवादी लेखक संघ फतेहपुर के तत्वाधान मेँ आयोजित संगोष्ठी व कवि सम्मलेन संपन्न : एक रिपोर्ट

'जनवादी लेखक संघ' फतेहपुर के तत्वाधान मेँ प्रथम सत्र में आयोजित संगोष्ठी मेँ "किताबेँ कुछ कहना चाहती हैँ तुम्हारे साथ रहना चाहती हैँ।" शीर्षक पर विचार मंथन के साथ साथ द्वितीय सत्र में "जनवादी कवि सम्मलेन"  भी संपन्न हुआ। प्रस्तुत है मेरे द्वारा प्रस्तुत एक चित्रयुक्त रिपोर्ट  ~ प्रवीण त्रिवेदी

जनवादी लेखक संघ जनपद फतेहपुर की सेमिनार एवं काव्य-गोष्ठी
फतेहपुर शहर एक ऐसा शहर जहाँ साहित्यिक गतिविधियाँ होती भी हैं तो बंद कमरों में, वहां ऐसे आयोजन का महत्त्व बढ़ ही जाता है जहाँ आयोजन पर चर्चा फेसबुक जैसे प्रमुख  सोशल माध्यमों में होने लगे! इसी जिज्ञासा के बीच फतेहपुर जिले के रानी कालोनी मुहल्ला स्थित विद्यानिकेतन इंटर कॉलेज में रविवार को जनवादी लेखक संघ की जिला ईकाई के बैनर तले  एक परिचर्चा और काव्य गोष्ठी का कार्यक्रम आयोजित किया।  


परिचर्चा किताबें कुछ कहना चाहती हैं, तुम्हारे साथ रहना चाहती हैं विषयक संगोष्ठी में वैचारिक धरातल काफी ऊंचाई पर दिखाई दिया। किताब और किताबों के लेकर उठ रहे सरोकारों और प्रश्न चिन्हों के मध्य लेखक और पाठक के संबंधों के साथ साथ प्रकाशक जैसी संस्था को लेकर महत्वपूर्ण चर्चा हुई! अंततः कहा जा सकता है कि प्रगतिशील और वैचारिक  कविता साहित्य का जीता जागता कार्यक्रम लोगों के बीच सराहा गया। लेकिन बौद्धिकता के ऐसे कार्यक्रमों में पचास एक आदमियों का कार्यक्रम के अंत तक बना रहना एक अच्छा सन्देश छोड़ गया कि संभावनाएं बहुत हैं ................. बस जरुरत है दोहन करने की! आज 24 नवम्बर 2013 दिन रविवार को विद्यानिकेतन इन्टर कालेज फतेहपुर मे जनवादी लेखक संघ के तत्वाधान मे "सेमिनार एवं काव्य-गोष्ठी" का भव्य आयोजन हुआ। कार्यक्रम के रूपरेखाकार एवं संयोजक साथी प्रेम नन्दन जी व राजेश यादव जी रहे। 
 
सेमिनार सत्र का विषय "किताबें कुछ कहना चाहती हैं | आपके पास रहना चाहती हैं" रहा सेमिनार सत्र की अध्यक्षता फतेहपुर जनपद के सम्मानित कवि श्री श्रीकृष्ण त्रिवेदी ने जी ने की। विषय प्रवर्तन करते हुये वामपंथी विचारक श्री सुधीर सिंह जी ने कहा कि "हिन्दी पट्टी मे किताबों और लेखको का अभाव नही है ,अभाव है तो समझ और पाठक का। पाठक की रुचि विकसित करने मे लेखक संगठनो की भूमिका अहं है।  समीक्षक सुधीर सिंह कहाकि किताबों ने समाजों का निर्माण किया है। हिंदी भाषी क्षेत्र में किताब पढ़ने की ललक कम हो रही है। समालोचक डॉ. बालकृष्ण पाण्डेय ने कहाकि किताबें अगर बहुत कुछ कहती है तो हमें उनसे संवाद करने के लिए हमें उनके पास जाना होगा। अध्यक्ष श्रीकृष्ण त्रिवेदी ने कहाकि जनवादी लेखक संघ की तहर से मदद की जाएगी।  इलाहाबाद से आए त्रिलोकी नाथ द्विवेदी कहाकि लेखक भी पाठक के मनोकूल होना चाहिए।
   
श्रीरंग जी ने कहा कि "लेखक संगठन ही किताबों के प्रसार व पठनीयता बढा सकते है जरूरी है किताब उस वर्ग तक जाये जिसके लिये वह लिखी गयी है"। उनका कहना था कि  लेखक और कवि मुट्ठी भर है लेकिन समाज में इनकी महती भूमिका है। संयोजक प्रेम नंदन ने कहाकि पुस्तके ही महापुरुष हैं जो जुड़ने के लिए प्रेरित करती हैं। उमाशंकर सिंह परमार ने कहा कि यथास्थितिवादी और प्रतिक्रियावादी साहित्य का व्यापक स्तर पर विरोध एवं प्रगतिशील साहित्य का प्रसार ही पाठक की रुचि परिष्कृत कर सकता है"।   वक्ताओं मे ज्ञानेन्द्र जी ,गोवर्धन सिंह जी उर्दू शायर कमर सिद्दकी साहब ,आलोक जी आदि रहे सत्र का संचालन श्री शिवशरण बन्धु जी ने किया।
द्वितीय सत्र काव्य-गोष्ठी का रहा जिसमे जनपद फतेहपुर के साथी एंव आगंतुक कवियों ने अपनी कविताओं से सम्मोहन की समाँ बाँध दी! साहित्य गोष्ठी में उस हर अनछुए पहलू पर प्रकाश डालकर कवि और साहित्यकारों ने श्रोताओं को सोचने पर विवश कर दिया। हिंदी भाषा के प्रति लोगों में कम हो रहे लगाव को खींचा गया। साहित्य के दर्पण पर समाज का आइना दिखाने की साहित्यकारों ने पुरजोर कोशिश की। 
 
शायर कमर सिद्दीकी ने कहा कि "हाथों को इतना काम दिया गया हैं कि लिखने के लिए वक्त बहुत कम पड़ गया और जुबां भी बहुत मुश्किल में ३२ दांतों के बीच में है ......." उन्होंने अपनी कविता में कहा कि - हम बोलने वालों के तरफदार क्यों हुए ? इस दौर में हम साहिबे किरदार क्यों हुए??  
 
खागा से आए डॉ. ज्ञानेंद्र गौरव ने पढ़ा लोकतंत्र का मंत्र है, होता रहे चुनाव..। संचालन कर रहे शिव शरण बंधु ने पढ़ा पहुंच नहीं जाता कोई रातोरात बुलंदी पर, छत पड़ने से पहले दीवानी उठानी पड़ती है। कमर सिद्दीकी ने पढ़ा कभी कोई भी शिकायत करे न उससे की हमने...। श्री केशव तिवारी ने कहा कि कविता के बिना क्रान्ति असम्भव है परिवर्तन की आधारशिला कविता रखती है।
 
कविता गोष्ठी की अध्यक्षता जनपद बाँदा के प्रसिद्ध कवि श्री केशव तिवारी ने की और संचालन शिवशरण बन्धु ने किया काव्य-पाठ करने वाले मुख्य कवि श्री कमर सिद्दकी साहब ,श्री श्रीकृष्ण त्रिवेदी, प्रेमनन्दन जी ,ज्ञानेन्द्र गौरव जी ,शिवशरण बन्धु जी जनपद फतेहपुर के रहे एवं श्री केशव तिवारी (बाँदा) श्री रतिनाथ योगेश्वर ( इलाहाबाद) श्री रंग जी (इलाहाबाद) जैसे चर्चित कवि भी रहे! इस मौके पर अंशुमाली, अनुरागी, महेश चंद्र त्रिपाठी, केपी सिंह, शैलेंद्र द्विवेदी, शिव सिंह लोधी, प्रेमनंदन, शैलेष गुप्त वीर, प्रांजल आदि रहे।