लोकतान्त्रिक समाज में सामाजिक संरचना के
संतुलित विकास में जितना योगदान सरकारी संगठनों का है उतना ही गैर-सरकारी
संस्थानों का। वंचित समुदाय को रेखांकित कर शासन की निगाह में लेन का महत्वपूर्ण
कार्य गैर-सरकारी संगठन कर रहे हैं। फतेहपुर को विविधताओं से समृद्ध जनपद होने का
गौरव प्राप्त है। यहाँ धर्म-वर्ग, भाषा-बोली,
लोक-संस्कार व परम्पराओं के विभिन्न स्वरूप
देखे जा सकते हैं. अन्य स्थानों की तरह इस जनपद में भी अनेक संगठन अपनी सामर्थ्य
के अनुसार जनपद के विकास में अपना सहयोग दे रहे हैं। इनमें कुछ संगठन ऐसे भी हैं जिनका
निर्माण सामाजिक विकास को ध्यान न रखकर स्व-विकास के लिए किया गया, ऐसे संगठन संस्थापकों की फाइल में ही बंद हैं
और इनके नाम से भी कोई परिचित नहीं है। यहाँ हम उन संगठनों की सूची दे रहे हैं,
जो सरकारी अनुदान द्वारा या उसे बिना फतेहपुर
के विकास में अपने योगदान के दायित्व का निर्वहन बखूबी निभा रही हैं-
- नेहरू युवा संगठन-टीसी, राजेन्द्र साहू, ३१५, अरबपुर फतेहपुर
- श्रीकृष्ण आदर्श विद्या मंदिर, सीताराम यादव, खाम्भापुर, फतेहपुर
- राष्ट्रिय ग्रामीण विकास शिक्षा समिति, जितेन्द्र श्रीवास्तव, सिविल लाइन फतेहपुर
- स्वामी धर्मानंद शिक्षा समिति, ओमदेव मौर्य, सिविल लाइन फतेहपुर
- मधुवन सेवा समिति, अजमा अजीज, नप्पी का हाता हरिहरगंज, फतेहपुर
- निशान वेलफेयर सोसाइटी, रूबीना परवीन, सिविल लाइन्स फतेहपुर
- बाल एवं महिला कल्याण समिति, जे. एन. शुक्ल, इस्माइलगंज फतेहपुर
- जनकल्याण महासमिति, बी.पी. पाण्डेय, उत्तरी गौतमनगर, फतेहपुर
- मानव सेवा संस्थान, जयप्रकाश त्रिवेदी, पटेलनगर, फतेहपुर
- जिला युवा कल्याण समिति, संतोष तिवारी, सुन्दर नगर कालोनी, फतेहपुर
- दोआबा संगठन, राममूरत पाण्डेय, खागा, फतेहपुर
- आदर्श ग्रामीण लोक विकास समिति, अमरनाथ सिंह, अहमदगंज फतेहपुर
- जनसेवा समिति, वृच्छराज मौर्य, हथगाम फतेहपुर
- बहुउद्देश्यीय सेवा समिति, दिनेश मिश्रा, राधानगर फतेहपुर
- अखिल भारतीय लोक कल्याण संसथान, आर.के. सिंह, सिविल लाइन्स फतेहपुर
- मानव विकास संस्थान, प्रदीप पाण्डेय, सिविल लाइन्स फतेहपुर
- महादेव ग्रामोदय सेवा संस्थान, जयप्रकाश सिद्धराज, हजारीलाल फाटक चौक फतेहपुर
- स्पर्श संस्था, रशीद हुशेन सिद्दीकी, चौधराना फतेहपुर
- बाल एवं जन सहयोग समिति, नीलू जायसवाल, गंगानगर फतेहपुर
- गोविन्द सेवा समिति, एस. पी. दीक्षित, वर्मा चौराहा, फतेहपुर
- भारतीय समाज कल्याण समिति, बृजेन्द्र अग्निहोत्री, रेंह फतेहपुर
- मानव कल्याण प्रतिष्ठान, रमेशचंद्र तिवारी, इस्माइलगंज फतेहपुर
- निष्पक्षदेव जनकल्याण समिति, राममूरत पाण्डेय, धाता फतेहपुर
- लक्ष्मी ग्रामीण विकास संस्थान, संजय सचान, हरिहरगंज फतेहपुर
- आदर्श सेवा संस्थान, रंजीत मौर्य, बस्तापुर फतेहपुर
- प्रज्ञा ग्रामोत्थान शिक्षा समिति, उमेशचन्द्र शुक्ल, मवइया फतेहपुर
- फूलपत्ती मेमोरियल शिक्षा समिति, आशा पल, नाशेपीर फतेहपुर
- जन ज्योति विकास सेवा संस्थान, संतोष मिश्रा, सुन्दर नगर कालोनी फतेहपुर
- गोपाल शिक्षा समिति, नरेश पल सिंह, जोनिहा फतेहपुर
- ओम शिवहरि मानव कल्याण समिति, अवधेश त्रिपाठी, चचीडा सोथरापुर फतेहपुर
- अमर विकास शिक्षा संस्थान, अमरजीत सिंह, सिविल लाइन फतेहपुर
- नर्मदा महिला कल्याण समिति, सरोज, सरायं सहिजादा फतेहपुर
- मानव विकास एवं शिक्षा समिति, महेन्द्र यादव, जयराम नगर फतेहपुर
- विश्व कल्याण संस्थान, आत्माराम तिवारी, आवास विकास कालोनी फतेहपुर
- चंद्रा ग्राम्य विकास संस्थान, मनीष श्रीवास्तव, कलक्टरगंज फतेहपुर
- वंशिका फाउंडेशन, सुरेशचन्द्र श्रीवास्तव, पीरनपुर फतेहपुर
- ग्राम विकास सेवा संसथान, संतोष कुमार, सुन्दर नगर कालोनी फतेहपुर
- शिक्षा स्वास्थ्य एवं जनकल्याण समिति, विवेक त्रिपाठी, बडौरी फतेहपुर
- अन्त्योदय विकास संसथान, रतन शर्मा, शादीपुर फतेहपुर
- शहनाज महिला कल्याण संस्थान, उज्मा रईस, उत्तरी जैदून फतेहपुर
इस सूची में दिए गए संगठन मुखतः जनमानस को
जागरूक करने का कार्य कर रहे हैं।
उपर्युक्त में से ऐसे संगठनो की बहुलता है, जो बिना शासन के अनुदान के अपने कार्यक्रमों का संचालन कर
अपनी उपस्थिति दर्ज कराते रहते हैं। इस सूची में अधिकांश संगठन आर्थिक विवशताओं के
कारण वर्ष में दो-चार कार्यक्रम ही कर पाते हैं। इन संगठनों के कुछ प्रतिनिधियों
से मिलने पर उनके जज्बे को देख डॉ. जयप्रकाश कर्दम की यह पंक्तिया याद आ गयीं-
‘मुझे लोहे की छड और
पृथ्वी पर खड़े होने की
जगह दे दो।
मैं पृथ्वी को हिला दूंगा।।’
स्वयंसेवी संगठन ‘निशान वेलफेयर सोसाइटी’ और ‘मधुवन सेवा समिति’
मुस्लिम समुदाय की आधी आबादी के अधिकारों के
लिए संघर्ष कर रही हैं। उल्लेखनीय है कि इस्लाम में विवाह जन्म-जन्मान्तर का
रिश्ता नहीं माना जाता। यह दो इंसानों के बीच कानूनी समझौता माना जाता है, जिसमे स्त्री बराबर की भागीदार होती है। इस्लाम
में चार शादियों की सुविधा तो है, परन्तु पति को हर
पत्नी से हर क्षेत्र में सामान व्यव्हार करना होता है। चूंकि भावनात्मक स्तर पर यह
संभव नहीं है, इस कारन कई समाज
सुधारक इससे यह निष्कर्ष निकालते हैं कि ऐसी हालत में चार शादियों की सुविधा महज
कागजी है। इसी प्रकार पुरुष तीन बार तलाक बोलकर तलाक तो ले सकता है लेकिन तलाक को
कुरान में पाप कर्मों में शामिल किया गया है। ये दोनों संगठन मुस्लिम समुदाय में
व्याप्त इन कुरीतियों को दूर करने के साथ मुस्लिम किशोरियों की शिक्षा पर जोर दे
रहे हैं। विभिन्न जागरूकता कार्यक्रमों के अतिरिक्त इन संगठनों से जुड़े लोग पीड़ित
मुस्लिम महिलाओं की हर संभव मदद कर रहे हैं। ‘नेहरू युवा संगठन टीसी’ सामुदायिक स्वास्थ्य एवं स्वच्छता से सम्बंधित विविध
कार्यक्रमों के माध्यम से जागरूकता पैदा कर रहा है। इस संगठन का उल्लेखनीय कार्यक्रम
वीडियो निर्माण परियोजना है। इस परियोजना के माध्यम से जनपद की समस्याओं को केंद्र
में रखकर विडियो क्लिपों का निर्माण कर लक्षित क्षेत्रों में दिखाकर जागरूकता पैदा
की जा रही है। यह संगठन अपने स्व-संसाधनों द्वारा सर्वेक्षण का कार्य करता है।
संस्थाध्यक्ष के अनुसार ससुर खरेदी नदी परियोजना उन्हीं के संगठन के सर्वे के आधार
पर संचालित हुई है। ‘स्वामी धर्मानंद
शिक्षा समिति’ द्वारा जनपद में
एकमात्र ‘शोर्ट स्टे होम’ का संचालन भारत सर्कार के सहयोग से किया जा रहा
है. इस संगठन द्वारा समाज की निराश्रित व पीड़ित किशोरियों-महिलाओं को आश्रय के साथ
परामर्श, प्रशिक्षण, कानूनी सहायता व पुनर्वास प्रदान करने के कार्य
किये जा रहे हैं। ‘जनकल्याण
महासमिति’ का कार्य मुख्यतः
स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाना है। यह संगठन महिलाओं व बच्चों के स्वास्थ्य
से सम्बंधित अनेक कार्यक्रमों का संचालन कर रहा है। ‘बाल एवं महिला कल्याण समिति’ द्वारा परिवार परामर्श केंद्र के माध्यम से परिवार परामर्श
केंद्र का संचालन १९९१ ई. से निरंतर किया जा रहा है। यह संगठन अपने केंद्र के
माध्यम से दाम्पत्य जीवन को टूटने से बचाने का प्रयास करता है।
जनपद के विकास में योगदान मे योगदान देने वाले
इन संगठनों के अतिरिक्त अनेक व्यक्ति व्यक्तिगत रूप से भी समाजसेवा के पुनीत कार्य
में लगे हुए हैं। इन संगठनों में अधिकांश के संचालकों की जन्मभूमि फतेहपुर ही है।
अंत में अपनी जन्मभूमि की सेवा में सतत लगे इन कर्मवीरों के लिए बल्ली सिंह चीमा
के जन-गीत यह पंक्तियाँ-
‘ले मशालें चल पड़े हैं लोग मेरे गाँव के
अब अँधेरे जीत लेंगे लोग मेरे गाँव के’
लिखना-पढ़ना जीवन का एकल साधन नहीं। पढ़ने के लिए समाज ही काफी हैं। उसको रचना पढ़ना कभी-कभी एक किताब का पन्ना बन जाता हैं। जो मैंने पढा इस पन्ने से, माला पहन कर मोती गिनना शोभा नहीं देता, बल्कि शब्दों की माला को पिरो कर अपना पढ़ने का एक मजा हैं ।
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