भरी दोपहरी जब हर कोई अपने काम में व्यस्त था। अचानक एक जोरदार के धमाके ने सबको दहला दिया। ऐसा लगा जैसे बम फट गया हो। लोगों ने घटनास्थल की ओर दौड़ पड़े। मंजर देखा तो दिल दहल गया। कालका मेल के करीब दर्जन भर डिब्बे बुरी तरह से क्षतिग्रस्त थे। कुछ हवा में लटके थे तो कुछ पिचके थे। यात्रियों में कोहराम मचा था सभी जान बचाने की दुहाई दे रहे थे। हादसे की खबर पल भर में ही आसपास के दर्जनों गांवों में फैली तो ग्रामीणों ने घटनास्थल की ओर दौड़ लगा दी।
फतेहपुर के मलवां स्टेशन पर कालका मेल के क्षतिग्रस्त होने के बाद लगभग चार सौ से अधिक लोग फंसे थे। एसी कोच (ए1, ए2,बी1, बी 2 बी 3) समेत कुल 11 डिब्बों में मंजर दिल दहलाने वाला था। किसी का हाथ लटक रहा था तो किसी की केवल गर्दन दिखाई दे रही थी। कई यात्रियों का शरीर तो कुचल गया था। हादसे की खबर पाकर मलवां क्षेत्र के ओखरा कुंवरपुर, बेहटा, उमरगहना, मलवां, भग्गा का पुरवा चक्की गांवों के सैकड़ों लोग मौके पर पहुंच गये। ट्रैक्टर, वैन, पिकअप समेत वाहनों से पहुंचे ग्रामीणों ने पहुंचते ही राहत कार्य शुरू कर दिया। जिस बोगी से चीख पुकार मचती उसी ओर ग्रामीणों का जत्था पहुंचकर लोगों की जान बचाने में जुट जाता। प्रशासन के पहुंचने से पहले ही लगभग सौ लोगों को ट्रेन से सुरक्षित निकालकर लोगों ने घरों में शरण दी।



प्रशासन की टीम का राहत कार्य शुरू हुआ तो एएसपी निधि सारनाथ ने गांववालों को दूर जाने को कहा। इस पर कुछ युवकों की उनसे कहासुनी हो गयी। इस पर यात्रियों ने युवकों का समर्थन किया और कहा .....कि गांववाले न होते तो वे भी काल के गाल में समा चुके होते। इसके बाद प्रशासनिक अधिकारी बैकफुट हुए और गांववाले वायु सैनिकों के आने के बाद उनके साथ देर रात तक राहतकार्य में जीजान से जुटे रहे।
मलवां स्टेशन पर कालका मेल में हादसे के शिकार हुए लोगों के परिजन फतेहपुर स्टेशन मुख्यालय में भटकते नजर आये। हादसे में मरे एवं जख्मी लोगों का पता लगाने पहुंचे थे लेकिन अव्यवस्था इस कदर रही कि रेलवे प्रशासन द्वारा कंट्रोल रूम तक की व्यवस्था नहीं की गयी थी। हादसे में शिकार लोगों के परिजनों को जैसे ही घटना की खबर मिली, लोग परिजन का पता लगाने के लिए फतेहपुर मुख्यालय आये तथा मृतक और घायलों की सूची तलाशते रहे।
महिलाओं ने भी बंटाया हाथ
राहत कार्य में महिलाओं ने भी हाथ बंटाया। गंभीर रूप से घायल महिला यात्रियों को जब गांववालों ने अपने घरों में शरण दी तो घर की महिलाओं ने घायलों की अपने स्तर से मरहम पट्टी की। छोटे बच्चे यात्रियों का बैग कंधे पर टांगकर उन्हें सुरक्षित स्थान तक ले गये।
औद्योगिक क्षेत्र के मजदूरों ने भी किया काम
ट्रेन हादसे की खबर मिलते ही फतेहपुर की आधा दर्जन से अधिक फैक्ट्रियों में शाम की शिफ्ट शून्य घोषित कर दी। लक्ष्मी काटसिन के मैनेजर एसडी यादव ने करीब दो हजार कर्मचारियों को राहत कार्य के लिए रवाना कर दिया। राधे-राधे, सिग्मा शारदा स्टील एकता डेरी त्रिवेदी इंजीनियरिंग कालेज के सैकड़ों कर्मचारी देर रात तक राहत कार्य में जुटे रहे। स्कूलों की बसें भी राहत कार्य में जुटी। समाजसेवी एंबुलेंस के साथ सबसे पहले पहुंचने वालों में थे। कई चक्कर लगाकर घायलों को सदर अस्पताल पहुंचाया।
(समाचार साभार : दैनिक जागरण फतेहपुर डेस्क )