पुरोहितों के साथ बैठक करके स्वामी विज्ञानानन्द जी ने गंगा को प्रदूषण से बचाने के लिये पूजन सामग्री व घरों की मूर्तियों को गंगा में विसर्जित न करने की सलाह दी। आचार्यो की राय पर तय किया गया कि यजमानों को इस पवित्र कार्य के लिये प्रेरित करके यह संकल्प दिलाया जायेगा कि मूर्तियों को मिट्टी में समाधिस्थ करेंगे।
चंदियाना स्थित आश्रम में बैठक की अध्यक्षता करते हुए स्वामी विज्ञानानन्द सरस्वती ने कहा कि दीपावली के पवित्र पर्व पर हर घर में लक्ष्मी-गणेश की नई मूर्ति पहुंचेगी। पुरानी मूर्तियों को गंगा जी में विसर्जित करने की परंपरा को इस बार समाप्त करना है। पुरोहित इस कार्य में बेहतर योगदान कर सकते हैं। उन्होंने यह कहा कि यजमानों को यह समझाया जाये कि मूर्तियां गंगा जी में प्रवाहित करने से प्रदूषण तो बढ़ता ही है साथ ही स्नान के समय यह मूर्तियों पैरों तले आ जाती हैं और उसमें पड़े लोहे के तार पैरों में घाव कर देते हैं। भूमि के अंदर मूर्ति यदि समाधिस्थ हो जायेगी तो वह पूरी तरह से सुरक्षित रहेगी। साहित्यकार डा.ओम प्रकाश अवस्थी ने कहा कि गंगा की पवित्रता के लिये किसी भी तरह की पार्थिव मूर्तियों व शवों का प्रवाह गंगा जी में न किया जाये। आचार्य ज्ञान प्रकाश मिश्र, जुगुल किशोर, जगत नारायण द्विवेदी, ओमदत्त मिश्र, अवधेश कुमार सहित अन्य आचार्यो ने एकमत होकर कहा कि गृहस्थ जनों की घरों की मूर्तियों जमीन में समाधिस्थ करायेंगे या फिर पीपल वृक्ष के नीचे व मंदिरों के पास किसी सुरक्षित स्थान पर इकट्ठा कर ली जायेंगी। भक्तों को यह भी सुविधा दी गयी है कि भिटौरा के ओम घाट में पीपल के नीचे एक स्थान तय किया गया है जिसमें मूर्तियां सुरक्षित रखी जा सकती हैं बाद में इन्हें आस्था व भक्ति पूर्वक समाधिस्थ करने की व्यवस्था की जायेगी ।
( समाचार स्त्रोत - जागरण )
चंदियाना स्थित आश्रम में बैठक की अध्यक्षता करते हुए स्वामी विज्ञानानन्द सरस्वती ने कहा कि दीपावली के पवित्र पर्व पर हर घर में लक्ष्मी-गणेश की नई मूर्ति पहुंचेगी। पुरानी मूर्तियों को गंगा जी में विसर्जित करने की परंपरा को इस बार समाप्त करना है। पुरोहित इस कार्य में बेहतर योगदान कर सकते हैं। उन्होंने यह कहा कि यजमानों को यह समझाया जाये कि मूर्तियां गंगा जी में प्रवाहित करने से प्रदूषण तो बढ़ता ही है साथ ही स्नान के समय यह मूर्तियों पैरों तले आ जाती हैं और उसमें पड़े लोहे के तार पैरों में घाव कर देते हैं। भूमि के अंदर मूर्ति यदि समाधिस्थ हो जायेगी तो वह पूरी तरह से सुरक्षित रहेगी। साहित्यकार डा.ओम प्रकाश अवस्थी ने कहा कि गंगा की पवित्रता के लिये किसी भी तरह की पार्थिव मूर्तियों व शवों का प्रवाह गंगा जी में न किया जाये। आचार्य ज्ञान प्रकाश मिश्र, जुगुल किशोर, जगत नारायण द्विवेदी, ओमदत्त मिश्र, अवधेश कुमार सहित अन्य आचार्यो ने एकमत होकर कहा कि गृहस्थ जनों की घरों की मूर्तियों जमीन में समाधिस्थ करायेंगे या फिर पीपल वृक्ष के नीचे व मंदिरों के पास किसी सुरक्षित स्थान पर इकट्ठा कर ली जायेंगी। भक्तों को यह भी सुविधा दी गयी है कि भिटौरा के ओम घाट में पीपल के नीचे एक स्थान तय किया गया है जिसमें मूर्तियां सुरक्षित रखी जा सकती हैं बाद में इन्हें आस्था व भक्ति पूर्वक समाधिस्थ करने की व्यवस्था की जायेगी ।
( समाचार स्त्रोत - जागरण )
आपको सपरिवार दीपोत्सव की शुभ कामनाएं। सब जने सुखी, स्वस्थ एवं प्रसन्न रहें। यही प्रभू से प्रार्थना है।
जवाब देंहटाएंएक अच्छी परंपरा का प्रारंभ है जिसे देर सबेर प्रारंभ करना ही होगा। यदि हमें नदियों को बचाना है।
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