1 अक्तू॰ 2012

बहुत उम्मीद करने से उम्मीदें टूट जाती हैं! (कवि सम्मलेन रिपोर्ट)

 


  • बिलंदा में आयोजित कवि सम्मेलन में उमड़ी भीड़
  • रात भर चले समारोह में गूंजती तालियों की गड़गड़ाहट
फतेहपुर के हंसवा विकास खंड के बिलंदा गांव में पहली बार कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें स्थानीय एवं गैर जनपदों  से कवि बुलाए गए। कार्यक्रम में रचनाकारों ने हास्य व वीर रस की कविताओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। देर दस बजे से शुरू  सम्मेलन तड़के तक चला। पूरी रात चले समारोह में मंच श्रोताओं की वाह और तालियों की गड़गड़ाहट गूंजता रहा।
जैसे टूट जाती हैं, फलों के बोझ से शाखें,
हुजूमे-ख्वाब से आंखों की नींद टूट जाती हैं। 
बहुत उम्मीद मत करना किसी से मेहरबानी की, 
बहुत उम्मीद करने से उम्मीदें टूट जाती हैं।

इस गजल के साथ माहौल बनाते हुए कवि एवं शायर शिवशरण बंधु ने कवि सम्मेलन का संचालन शुरू किया।



कवि सम्मेलन का आयोजन कवि आरसी गुप्त द्वारा किया गया। इसके पूर्व समीर शुक्ल ने सरस्वती वंदना के गायन के साथ किया। रायबरेली से आए कवि मधुप श्रीवास्तव ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं  को बांधे रखा। इस मौके पर नीरज पांडेय ने श्रोताओं को आनंदित कर दिया। काव्य समारोह में आईं कवयित्री डॉ. निर्मला लाल द्वारा प्रस्तुत किया गया शेर,

मुहब्बत को तुम मेरी रुसवा न करना,
मेरी जान ले लेना, ऐसा न करना,


खूब सराहा गया। 
युवा कवि लक्ष्मी रतन की गजल, 
बदली हवा, समय का फेर देख रहा हूं, 
अंधे के हाथ में बटेर देख रहा हूं 
ने खूब तालियां समेटी।  इसके पूर्व कवियों  को मालाओं को शुशोभित कर उन्हें डायरी और पेन भेंट कर सम्मानित किया गया।

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