25 मई 2025

Fatehpur Live : नन्हे स्वरों की सुरलहरी में नहाया फतेहपुर, संगीत कार्यशाला का भावपूर्ण समापन

 

Fatehpur Live : नन्हे स्वरों की सुरलहरी में नहाया फतेहपुर, संगीत कार्यशाला का भावपूर्ण समापन


फतेहपुर की सांस्कृतिक धरती ने एक बार फिर सुरों की सौंधी महक से स्वयं को अभिमंत्रित कर लिया, जब ॐ शारंगधर कला गंधर्व वेद विद्यापीठ द्वारा आयोजित संगीत कार्यशाला का समापन नन्हे कलाकारों की स्वरांजलि से हुआ। यह आयोजन उत्तर प्रदेश संस्कृति विभाग एवं संगीत नाटक अकादमी, लखनऊ के संयुक्त तत्वावधान में सम्पन्न हुआ, जिसमें बच्चों की प्रतिभा, साधना और संस्कृति के प्रति समर्पण झलकता रहा।


कार्यक्रम का शुभारंभ वैदिक ध्वनियों और देववंदन से हुआ। गणपति अथर्वशीर्ष के मंत्रोच्चार के साथ जब दीप प्रज्वलित हुआ, तो समूचा वातावरण साधना की गरिमा से सराबोर हो गया। इसके पश्चात राग पुरिया धनाश्री में तीन ताल पर प्रस्तुत भारत वंदना, जिसमें काव्या, आराध्य, रियार्ध, अश्विन, शानवी, आर्या, आराध्या, निशांत और ऋषभ जैसे बाल कलाकारों ने सुर और लय का अद्भुत संगम प्रस्तुत किया, श्रोताओं को भावविभोर कर गया।


अमन, पार्थ, दिव्या, मानसी और स्मृति ने जब राग भूपाली में "जाऊं तोरे चरण कमल" की शास्त्रीय बंदिश को प्रस्तुत किया, तब ऐसा लगा जैसे सुरों की सीढ़ियाँ प्रभु चरणों तक ले जा रही हों। वहीं नैन्सी और प्रज्ञा ने राग भैरवी के दादरा "छाँड़ो लंगर मोरी बहियां गहो न" में अपनी कोमल भावनाओं को सुरों की स्याही से उकेरा।


समापन प्रस्तुति में दीक्षा पाल, काव्या एवं कोपल ने राग अहीर-भैरव में जब "मान ले मोरा मनवा तुम, हरि को नाम सुमिर उठी भोरे" गाया, तो यह केवल गायन नहीं, बल्कि आत्मा की पुकार थी। इस स्वर यात्रा में तबला संगत से मनोज तिवारी जी ने कार्यक्रम को और अधिक ऊर्जावान बना दिया।


इस सांगीतिक महोत्सव की गरिमा को बढ़ाया जिले की वरिष्ठ विभूतियों ने—डॉ. राजीव तिवारी, डॉ. के पी सिंह, सुरेन्द्र सिंह गौतम, आरएसएस विभाग कार्यवाह ज्ञानेंद्र जी, जिला कार्यवाह सोमदेव जी, शिक्षक संघ के मंडलीय महामंत्री अरुण मिश्रा जी सहित कई गणमान्यजन उपस्थित रहे।


कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया—न केवल एक औपचारिक समापन, बल्कि एक भविष्य की उम्मीद का उजास। यह आयोजन सिर्फ एक कार्यशाला नहीं था, बल्कि संस्कृति, साधना और सुरों की शिक्षा का अनुपम संगम था—जो यह विश्वास जगा गया कि फतेहपुर की ये नन्ही कोंपलें कल भारतीय संगीत की शाखाओं पर मधुर फूल बनकर खिलेंगी।


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