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7 अक्टू॰ 2009

ऐतिहासिक खजुहा मेले में होती है रावण की पूजा

खजुहा कस्बा ऐतिहासिक घटनाओं और स्थानों को समेटे हुए है। कस्बे के मुगल रोड में विशालकाय फाटक और सरांय स्थित है। जो कस्बे की पहचान बना हुआ है। वहीं कस्बे के स्वर्णिम  अतीत के वैभव की दास्तां बयां कर रहा है। मुगल रोड के उत्तर में रामजानकी मंदिर, तीन विशालकाय तालाब, बनारस की नगरी के समान प्रत्येक गली और कुँए  अपनी भव्यता की कहानी कह रही है।

इस छोटे से कस्बे में करीब एक सौ अठारह शिवालय हैं। इसी क्रम में दशहरा मेले में होने वाली रामलीला के आयोजन में रावण पूजा भी अलौकिक और अनोखी मानी जाती है। यहां की रामलीला को देखने के लिए प्रदेश के कोने-कोने से श्रृद्धालु  एकत्रित होते हैं।खजुहा कस्बे की रामलीला जिले में  ही नहीं पूरे प्रदेश में ख्याति  प्राप्त है।

यहां पर दशहरा मेले पर अन्य स्थानों की तरह रावण को जलाया नहीं जाता, बल्कि रावण को पूजनीय  मानकर हजारों दीपों की रोशनी के साथ पूजा अर्चना की जाती है। कस्बे के महिलाएं और बच्चे भी इस सामूहिक आरती और पूजन कार्य में हिस्सा लेते हैं। इस अजीब उत्सव को देखने के लिए दूरदराज से लोगों जमावड़ा लगता है। वहीं रावण के साथ अन्य पुतलों को नगर के मुख्य मार्गों  में भ्रमण कराया जाता है।

इस ऐतिहासिक मेले का शुभारम्भ भादो मास के शुक्ल  पक्ष की तृतीया (तीजा) के दिन तालाब से लाई गई मिट्टी एवं कांस से कुंभ निर्माण कर गणेश की प्रतिमा निर्माण कर दशहरा के दिन पूजा अर्चना की जाती है। खजुहा मेले में निर्मित होने वाले सभी स्वरूप नरई, पुआल आदि समान से बनाए जाते हैं। इन स्वरूपों के चेहरों की रंगाई का कार्य खजुहा के कुशल पेंटरों द्वारा किया जाता है। जबकि रावण का शीश तांबे से बनाया जाता है। दशमी के दिन से गणेश पूजन से शुरू होने वाली रामलीला परेवा द्वितीया के दिन राम रावण युद्ध के बाद इस ऐतिहासिक रामलीला की समाप्त हो जाती है।

खजुहा की रामलीला का विशेष महत्व है। जहां रावण को जलाने के स्थान पर इस की पूजा की जाने की परंपरा है। तांबे के शीश वाले रावण के पुतले को हजारों दीपों की रोशनी प्रज्वलित करके सजाया जाता है। इसके बाद ठाकुर जी के पुजारी द्वारा श्रीराम  के पहले रावण की पूजा की जाती है। जहां मेघनाथ का 25 फिट ऊंचा लकड़ी के पुतले की सवारी कस्बे के मुख्य मार्गों  में निकाली जाती है। वहीं 40 फुट लंबा कुंभकरण व अन्य के पुतले तैयार किए जाते हैं। 

15 मार्च 2009

फतेहपुर:नये मुखौटे में सत्तर हजार से अधिक अपने मतदाता पराये

भूगोल के नजरिये से बदली फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र में जातीय समीकरणों में भी भारी बदलाव आ गया है। ब्राम्हण, मुस्लिम के साथ लोधी मतदाता बराबरी पर आकर चुनावी समीकरण में जहां अहम बन गये हैं वहीं क्षेत्रफल बढ़ने के साथ ही उनतीस हजार मतदाता कम हो गये हैं। मतदाताओं की पूंजी में अव्वल रहने वाला विस क्षेत्र दूसरे नंबर पर खिसक गया है। परिसीमन से तैयार हुए नये मुखौटे में सत्तर हजार से अधिक अपने मतदाता पराये हो गये हैं जबकि एक लाख की संख्या में किशनपुर व हंसवा विधानसभा के मतदाता लोकसभा क्षेत्र की झोली में आ गये हैं।

2004 के लोकसभा चुनाव में फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र में दो लाख सत्तानबे हजार मतदाता थे परिसीमन के बाद मतदाताओं की संख्या अट्ठाइस हजार सात सौ चौसठ कम हो गयी है। किशनपुर व हंसवा विधानसभा क्षेत्र के एक सैकड़ा गांव फतेहपुर की झोली में डाल दिये गये हैं ऐसे में एक लाख नये मतदाता दूसरों से मिल गये हैं जबकि अपने लगभग पचास हजार मतदाताओं से नाता ही टूट गया है। विस क्षेत्र के एक सैकड़ा से अधिक गांव बिंदकी व हुसेनगंज विधानसभा में शामिल हो गये हैं। विधानसभा क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा हुसेनगंज अलग हो गया है और शहर से पचीस किमी दूर बहुआ नगर पंचायत विस क्षेत्र का हिस्सा बना दिया गया है। भूगोल बदलने के साथ ही विस क्षेत्र के जातीय आंकड़ों का भी खेल बिगड़ गया है। मुस्लिम, ब्राम्हण के साथ लोधी मतदाता बराबरी पर आ गये हैं।

240 फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र में रामपुर थरियांव, हंसवा, फतेहपुर कानूनगो सर्किल के साथ नगर पंचायत बहुआ व नगर पालिका फतेहपुर शामिल कर लिया गया है। रामपुर थरियांव के आंबी, चक सैय्यद हसन, बेंती सादात, माकूपुर, कठेरवा, सेमरा, आसिकपुर औरेइया, कासिमपुर, बीबीहाट, उमरपुर, आंबापुर, कौंडर, बरई बुजुर्ग, बरारी, सुल्तानपुर, मोहम्मदपुर नेवादा, गुलामीपुर बमरौली, लतीफपुर, हसनपुर, करियामऊ, इमादपुर, सखियांव, जैदपुर, सुदामापुर, पड़री, संग्रामपुर, चौफेरवा, हंसवा कानून गो सर्किल के इकारी, फैजुल्लापुर, औरेई, कुसुम्भी, चक कोर्रा सादात, मीसा, छिछनी, जमलामऊ, मुस्तफापुर, छीतमपुर, रसूलपुर भभैंचा, टीकर, गेंडुरी, धरमपुर सातों, टीसी, सहाबुद्दीनपुर, अतरहा, टेकसारी बुजुर्ग, मुसैदापुर, टेकसारी खुर्द, बहरामपुर, बिलन्दपुर, मीरपुर चक, रसूलाबाद, मिचकी, फरीदपुर, बरसरा, रिठवां, भैरवां, सातों जोगा, डुंडरा, महमदपुर, नंदलालपुर, दसौली, दुगरेई, खटौली, कोरारी, चक रसूलपुर, बनरसी, बरौंहा, कमलापुर, मेवली, हरसिंहपुर, चक आदमपुर, शाहीपुर, सनगांव, सातों पीत, सुल्तानपुर, हंसवा, जमालपुर, फरीदपुर, बकसपुर, चकनथनपुर, हासिमपुर भेदपुर शामिल हो गये हैं।

विधानसभा क्षेत्र के कांधी व हुसेनगंज कानूनगो सर्किल को विधानसभा क्षेत्र से अलग कर दिया गया है। इन दोनों कानूनगो सर्किल क्षेत्र में एक सैकड़ा से अधिक गांव व मजरे हैं। विस क्षेत्र से जुड़े गांव परिसीमन के बाद अलग हो जाने से स्थिति यही बन गयी है कि जो अपने थे वह अब पराये हो गये हैं। नये मतदाता जो अब मिले हैं उसमें राजनीतिक दलों के सामने विस्तारित क्षेत्रफल का संकट बढ़ गया है। आखिर क्षेत्रफल बढ़ा और मतदाता घटे की मुश्किलें भी कुछ कम नहीं हैं।
(
साभार - जागरण समाचार )

11 नव॰ 2008

राजकीय महिला महा विद्यालय बिंदकी स्नातकोत्तर स्तर पर उच्चीकृत

बिंदकी क्षेत्र की छात्राओं एवं अविभावकों के लिए खुशखबरी है। अब स्नातकोत्तर शिक्षा के लिए भटकना नहीं पडे़गा। चूंकि राजकीय महिला महा विद्यालय बिंदकी को स्नातकोत्तर स्तर पर उच्चीकृत कर दिया गया है।लम्बे समय के बाद राजकीय महिला महा विद्यालय में छात्राओं को स्नातकोत्तर की शिक्षा मिल सकेगी। अभी तक स्नातक की शिक्षा के बाद संस्थागत स्नात्कोत्तर की डिग्री के लिए छात्राओं के साथ-साथ अविभावकों को भी भटकना पड़ता था। अधिकांश अविभावक



महानगरों का खर्च न उठा पाने के कारण पढ़ाई बंद करा देते थे। कुछ छात्राएं अपनी स्नातकोत्तर की डिग्री पाने के लिए व्यक्तिगत फार्म भर कर पूरा करती थी। किंतु अब ऐसा नहीं होगा। राजकीय महिला महा विद्यालय को हिंदी समाजशाष्त्र, राजनीतिशास्त्र विषयों में स्नातकोत्तर स्तर पर अंग्रेतर स्थाई सम्बद्धता प्राप्त हुई है। धन एवं पदों के सृजन की व्यवस्था वर्ष 2006 में कर दी गयी थी। विद्यालय प्राचार्य ऊधव राम ने कहा कि वर्तमान सत्र 2008-09 हेतु प्रवेश फार्मो का वितरण 11 नवम्बर 2008 से प्रारम्भ हो जायेगा।

(साभार-दैनिक जागरण)