13 नव॰ 2008

गंगा बचाओ अभियान नए मुकाम पर

 

एक माह पहले दैनिक जागरण द्वारा शुरू किये गये गंगा बचाओ अभियान बुधवार को ऐसे मुकाम पर पहुंच गया कि भक्तों का सैलाब श्मशान घाट की गंदगी को साफ कर गंगा को अविरल व निर्मल रखने का संकल्प लिया। हर-हर गंगे, जय-जय गंगे के गगनभेदी उद्घोष के सा भिटौरा के श्मशान घाट की सफाई के लिये संत हों या आमजन सबने हाथ बंटाया। शवों की गंदगी से कराह रहीं मोक्षदायिनी उस समय मुस्कुरा उठीं जब शवों के कपड़ों व गंदगी की सड़ांध को बाहर कर झाड़ू लगाकर श्मशान घाट को लकालक कर दिया गया। सदियों से सबको तार रहीं गंगा के प्रदूषण को दूर करने के लिये जिस तरह से लोगों में उमंग व उल्लास झलका उससे गांव के भी लोग आकर इस अभियान में हाथ बटाने लगे। हिन्दू महासभा ने शंख ध्वनि के साथ सफाई अभियान की शुरुआत की। बाद में तिराहे में जनसभा का गंगा को बचाने के लिये क्या करें इसकी सीख दी। इस पहल में संतों की भूमिका अग्रणी रही। तभी तो संत सफाई करने के साथ यह जयकारे लगा रहे थे कि संतों ने अब ठाना है गंगा को बचाना है।

कार्तिक पूर्णिमा के एक दिन पहले मोक्षदायिनी गंगा के श्मशान घाट में झाड़ू फावड़ा के साथ अखिल भारत हिन्दू महासभा के बैनर तले सैकड़ों गंगा भक्त पहुंच गये। ऐसे घाट में जहां हमेशा वीरानगी दिखती है शव के अग्निदाह व प्रवाह के अलावा घाट की तरफ कोई झांकता भी नहीं है वहां की गंदगी को साफ करने के लिये जैसे ही

महासभा के प्रदेश सचिव मनोज त्रिवेदी ने शंख ध्वनि की। संतों की टोली सहित कार्यकर्ता सफाई अभियान में लग गये। शव के कपड़ों, लकड़ी आदि की सड़ांध को कार्यकर्ता गंगा तट के बाहर एक जगह संकलित किया बाद में आग लगायी और इस कचरे को जमीन के नीचे गड्ढा कर दबा दिया। स्थिति यह थी कि श्मशान घाट में चार ट्राली से अधिक गंदगी इकट्ठा की गयी। पांच घंटे तक कार सेवा कर संत व हिन्दू महासभा के कार्यकर्ता व दैनिक जागरण स्टाफ के लोग घाट को लकालक कर दिया। चूने के छिड़काव के साथ गंगा के पाट में झाड़ू लगाकर गंगा बचाओ अभियान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।

पहली बार श्मशान घाट की इस तरह की सफाई देख वहां के गंगा पुत्र व गांव के लोग भी दांतों तले अंगुली दबा ली। आखिर शहर के लोगों के अन्दर गंगा को बचाने का इस तरह का जुनून आ गया है कि वह गंगा किनारे पड़ी हड्डियों, मानव अंगों को भी बिन-बिनकर साफ कर रहे हैं। पान मसाला की खाली पुलिया, पालीथीन, जली लकड़ी का कोयला, अधजली लकड़ियां, बांस, कुशा, कंडा, मटकी सहित अन्य गंदगी को गंगा भक्त ऐसे तलाशते रहे जैसे वह इस नेक कार्य में किसी तरह की भूल नहीं करना चाहते। अग्निदाह में गंगा तट पर बालू में गड़ी लकड़ियों को भी संतों ने अपने त्रिशूल की धार से खोदकर बाहर किया। उमंग व उल्लास का आलम यह रहा कि पसीना बहाते हुए काम भी कर रहे थे और सुरसरि का मुखड़ा झांककर हर-हर गंगे, जय-जय गंगे के उद्घोष भी कर रहे थे। तन्मयता के साथ गंगा मइया को बचाने का जो दृश्य भक्तों ने प्रस्तुत किया उसे देखकर शव दाह कार्यक्रम में आये लोग भी अपने को नहीं रोक पाये और वह भी अभियान में शामिल होकर आसपास की गंदगी को बाहर करने लगे। प्रदूषण से कराह रहीं गंगा भक्तों का समर्पण देख मुस्कराने लगीं। ऐसा लग रहा था कि मंद-मंद धार से हिलोरे ले रहीं गंगा उस स्थान पर रुक कर अपने पुत्रों की सेवा भाव को निहार रही हैं। तभी तो सफाई करने के साथ भक्त गंगा को निहारते और फिर जयकारे लगाकर यह कहते कि संतों ने भी अब यह ठाना है, गंगा को बचाना है। समर्पण और भक्ति में सेवा के झलकते भाव से गंगा प्रहरी अपने को धन्य मान रहे हैं कि इस पुण्य कार्य में कुछ तो हाथ बंटाने का मौका मिला। हिन्दू महासभा की वाहनों सहित गंगा बचाओ यात्रा शहर के आईटीआई रोड स्थित कार्यालय से निकली। गंगा मइया के उद्घोष के साथ यात्रा पटेलनगर से पथरकटा चौराहा होते हुए बिन्दकी बस स्टाप होते हुए बाकरगंज, पक्का तालाब से भिटौरा घाट पहुंची। श्मशान घाट में झाड़ू फावड़ा के साथ श्रमदान करने वाले संतों में स्वामी स्वरूप महाराज, रामआसरे आर्य, गया प्रसाद, सूरजबली, राकेश प्रसाद, हिन्दू महासभा के जिलाध्यक्ष रामगोपाल शुक्ला, जिला मंत्री करन सिंह पटेल, देवनाथ धाकड़े, उमाकांत तिवारी, गंगा प्रसाद साहू, प्रेमसागर मौर्य, कमलाकांत तिवारी, रमेश बाल्मीकि, रजोली पाल, जितेन्द्र पटेल आदि रहे।

दैनिक जागरण फतेहपुर कार्यालय के स्टाफ के लोगों ने भी श्रमदान कर गंगा किनारे प्रवाहित की गयी सड़ रही दुर्गा प्रतिमाओं को तट से बाहर किया और आग लगाकर गंदगी दूर की। मनोज मिश्रा की अगुवाई में कार्यालय के गोविन्द दुबे, जयगोपाल शुक्ला, योगेन्द्र पटेल, मनभावन अवस्थी, प्रशांत द्विवेदी, बबलू मौर्य, अनिल बाजपेयी, रवीन्द्र प्रताप सिंह, घनश्याम, विनय द्विवेदी, अजय दीक्षित, राजेन्द्र, जगपाल यादव आदि लोग लगे रहे।

शमशान घाट की सफाई के बाद भिटौरा में गंगा बचाओ की नुक्कड़ सभा में स्वामी विज्ञानानन्द जी ने कहा कि यह सोचना गलत है कि मूर्तियों व निष्प्रयोज्य पूजन सामग्री फेंकने से कितनी गंदगी होती है। बूंद-बूंद से घट भरने वाली बात गंगा प्रदूषण पर भी प्रभावी हो रही है। थोड़ी-थोड़ी गंदगी ने बड़ा रूप ले लिया है तभी तो अविरल और निर्मल रहने वाली गंगा की धार संकट में पड़ गयी है।

स्वामी जी ने गंगा भक्तों का आह्वान किया कि गंगा में जाने वाले नाले बंद कराये जायें। हिन्दू महासभा के प्रांतीय सचिव मनोज त्रिवेदी ने ऐलान किया कि अगले अभियान में अब गंगा में गिरने वाले नाले पाटे जायेंगे। उन्होंने कहा कि गांव का हो या फैक्ट्रियों का गंदा पानी भागीरथी की गोद में नहीं जाने पायेगा इसकी हम सब सौगन्ध खाते हैं। गंगा, गायत्री और गाय भारतीय संस्कृति की धरोहर हैं उनको भी यदि हम न बचा पाये तो हमारा जीवन ही निरर्थक है और देश की पहचान भी समाप्त हो जायेगी। अन्य संतों ने समाज का आहवान किया कि हम यह संकल्प लें कि मोक्षदायिनी गंगा का एक-एक बूंद अमृत के समान हैं और इस अमृतमयी पानी को हम प्रदूषित नहीं होने देंगे। गांव-गांव में जागरूकता अभियान चलाकर गंगा भक्तों को बताया जायेगा कि गंगा में डुबकी तो लगायें, लेकिन कपड़े न धोयें।

(समाचार स्त्रोत- दैनिक जागरण)

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