13 नव॰ 2008

बीस हजार पुरानी लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां चिन्हित स्थानों पर पहुँची

 

नव उज्जवल जलधार हार हीरक सी सोहति, बिच-बिच छहरति बूंद मध्य मुक्तामनि सोहति। भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की इन पंक्तियों में मां भागीरथी का जो स्वरूप दर्शाया गया उसे लाने के लिये भक्तों के कदम आगे बढ़ गये हैं। सदियों से करोड़ों लोगों को मोक्ष देने वाली मोक्षदायिनी को प्रदूषण से मुक्ति दिलाने के लिये युवा हों या महिलायें, बच्चे व बूढ़े भी सजग प्रहरी बनकर हाथ बढ़ा रहे हैं। पतित पावनी की उज्जवल धार मैली न हो इसके लिये लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियों का जलप्रवाह रोकने के दैनिक जागरण द्वारा चलाये जा रहे अभियान के छठे दिन तीन हजार से अधिक मूर्तियां संकलित की गयीं। अब तकबीस हजार पुरानी लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां चिन्हित स्थानों पर पहुंच गयी हैं। गंगा को बचाना है। यह बात अब घर-घर पहुंच गयी है

तभी तो मूर्तियों के भू विसर्जन में महिलायें व बच्चे आगे आ रहे हैं। लक्ष्मी, गणेश की पुरानी मूर्तियों के पंद्रह नवंबर तक संकलन के अभियान में एक कड़ी उस समय और जुड़ गयी जब अहमद गंज की महिलायें जागरण की प्रेरणा से घर से निकलकर मूर्तियां संकलित करने में जुट गयीं। आगे पढने के लिए यहाँ क्लिक करें

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