17 नव॰ 2008

विसर्जन तो पहले भी होता था .......

 

विसर्जन तो पहले भी होता था, लेकिन तब अलग-अलग लोग अपने घरों से गणेश-लक्ष्मी की मूर्तियां लाकर चुपचाप गंगा मां की गोद में डाल देते थे। जागरण की पहल पर पहली बार चेतना जागी तो गली-मुहल्लों में लोग घर-घर से मूर्तियों का संग्रह करने निकले। गंगा मैया के इन सपूतों ने बाकायदा भव्य यात्रा निकालकर संग्रहीत करीब 20 हजार मूर्तियों का गंगा तीरे भूविसर्जन किया तो मैया के आंचल को दूषित करने वाला एक और मिथक समाधिस्थ हो गया।

दैनिक जागरण के गंगा बचाओ अभियान का असर यह रहा कि पहली बार गंगा में प्रवाहित की जाने वाली लक्ष्मी, गणेश की मूर्तियों का भूमि विसर्जन कर एक मिसाल प्रस्तुत की गयी।


इन मूर्तियों का वजन बीस टन से अधिक था। गंदगी गंगा में पहुंचने से रोकी गयी। मूर्ति संकलन के अभियान में लगे कार्यकर्ताओं के चेहरे उस समय खुशी से खिल उठे जब पांच ट्राली मूर्तियां एक साथ एक बड़े गड्ढे में विसर्जित की गयीं। अविरल गंगा, निर्मल गंगा के जयकारों के बीच कार्यकर्ता एक-एक लक्ष्मी, गणेश की मूर्ति को गड्ढे में सहेजते रहे। इस तरह से तकरीबन बीस हजार मूर्तियां एक बड़े क्षेत्रफल में तैयार किये गये गड्ढे में विसर्जित की गयीं। पहले मूर्तियों को संगम के जल से स्नान कराया गया फिर चंदन, अक्षत, फूल माला से पूजा, अर्चना करने के बाद आरती की गयी। स्वामी विज्ञानानन्द जी की मौजूदगी में ओम घाट में जहां पर दुर्गा प्रतिमाओं का भूमि विसर्जन किया गया था उसी के बगल में लक्ष्मी, गणेश की पुरानी मूर्तियों का भूमि विसर्जन हुआ। लक्ष्मी, गणेश की पुरानी मूर्तियों की महाविसर्जन यात्रा सुबह से ही शुरू हो गयी थी। आठ बजे से कार्यकर्ता संकलित स्थानों पर जा-जाकर मूर्तियां ट्रैक्टर की ट्राली में रखते रहे। दोपहर बारह बजे पांच ट्राली मूर्तियां जब संकलित हो गयीं तो अलग-अलग संगठनों के बैनर तले यात्रा निकाली गयी। जिस मार्ग से लक्ष्मी, गणेश कर रहे पुकार, मत रोको गंगा की धार, हम सबने यह ठाना है गंगा को बचाना है के जयकारों के साथ यात्रा निकली। महिलायें व बच्चे संकलित स्थानों पर आकर कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ाते रहे और हाथ बंटाकर मूर्तियों को ट्रैक्टर ट्राली में रखवाने में सहयोग करते रहे। आगे पढने के लिए यहाँ क्लिक करें

2 टिप्‍पणियां:
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  1. बहुत बढ़िया खबर है.. पर्यावरण प्रेमियों के लिये खुशखबरी जैसी..

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  2. गंगा ही नहीं हर नदी को प्रदूषण से बचाना जरूरी है।

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