10 नव॰ 2008

भ्रष्टाचार नहीं यह तो शिष्टाचार है !!!

 

शिक्षा नहीं भिक्षा विभाग है। भ्रष्टाचार नहीं यह तो शिष्टाचार है। प्रीपेड कूपन लीजिये और कानून, नियम, अधिनियम शासनादेशों में शिथिलता पाइये। माध्यमिक शिक्षक संघ ने शिक्षा विभाग में रिश्वत की निर्धारित दरें को उभारते हुए एक पोस्टर जारी किया है जिसमें शिक्षा विभाग के भ्रष्टाचार को लक्ष्य बनाया गया है। संगठन इस मुद्दे पर सत्रह नवंबर को शिक्षा निदेशालय में धरना देकर भ्रष्टाचार विरोधी अभियान चलाने का निर्णय लिया है।
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के भ्रष्टाचार विरोधी अभियान समिति ने इस टिप्पणी के साथ पोस्टर जारी किया है कि शिष्टाचार शुल्क के साथ-साथ चाय, नाश्ता अतिरिक्त है। यह पोस्टर शिक्षा विभाग के कार्यालयों सहित कई जगह चस्पा भी किये जा रहे हैं। पोस्टर की मानें तो रिश्वत की दरें सवा लाख से पचास रुपये तक हैं। मृतक आश्रित की नियुक्ति मृतक आश्रित के पेंशन निर्धारण देयकों के अंतिम भुगतान में एक-एक लाख, चयन बोर्ड से चयनित अभ्यर्थियों की नियुक्ति पैनल में पचास हजार, चयनित अभ्यर्थियों के प्रथम वेतन भुगतान में एक माह का वेतन शिष्टाचार में भेंट करना पड़ता है। पदोन्नति प्रपत्रों के अग्रसारण में दस हजार, पदोन्नति प्रपत्रों के विनिश्चय में पचास हजार, एकल स्थानांतरण अनापत्ति प्रमाण पत्र के अग्रसारण में बीस हजार, निस्तारण में पचास हजार, चतुर्थ श्रेणी की नियुक्ति सामान्य में एक लाख, ओबीसी में पचहत्तर हजार, अनुसूचित जाति में पचास हजार, बैकलाग में पचीस हजार की दरें तय की गयी हैं।

चतुर्थ श्रेणी की नियुक्ति अनुमोदन में तीस से चालीस हजार, हाईस्कूल एवं इण्टर की मान्यता में तीस से एक लाख बीस हजार, टीसी काउन्टर में पचास रुपया, जीपीएफ ऋण में पांच प्रतिशत, अंतिम निष्कासन में दस प्रतिशत, बोर्ड परीक्षा फार्म के अग्रसारण में पांच सौ रुपये निर्धारित है।

पोस्टर के माध्यम से यह भी दर्शाया गया है कि शिक्षक संघ के कार्यकर्ता से संपर्क करके आने वालों को शुल्क में पचास प्रतिशत वृद्धि से बचने के लिये सीधे संपर्क करें


(समाचार स्त्रोत - दैनिक जागरण )

कोई टिप्पणी नहीं:
Write टिप्पणियाँ