भृगुधाम भिटौरा के ओम घाट में रविवार को रौनक देखते ही बनी। जिले में पैदा हुई और देश के कोने-कोने नाम रोशन कर रहीं विभूतियों का यहां जमघट लगा। स्वामी विज्ञानानंद महाराज और वरिष्ठ साहित्यकार एवं कवि धनंजय अवस्थी ने गौरवशाली प्रतिभा अलंकरण समारोह की स्वयं कमान संभाली। संत और साहित्यकार दोनों की विभूतियों ने भूरि-भूरि प्रशंसा की। इसके बाद सभी 10 प्रतिभाओं को फूलमाला, शाल और प्रतीक चिन्ह भेंटकर अलंकृत किया गया।अलंकरण समारोह में शामिल होने के लिए आने और जाने वालों के लिए मुफ्त बस सेवा उपलब्ध रही। कई स्कूलों की आधा दर्जन बसों ने आने जाने वालों को यातायात सुविधा मुहैया कराई। अपरान्ह 11 बजे से शुरू हुए कार्यक्रम में भारी भरकम पांडाल सजाया गया। आमंत्रित सभी 21 विभूतियों की नेम प्लेटें लगाई गईं। इस मौके पर स्वामी विज्ञानानंद ने कहा कि सम्मान के कार्यक्रम की घोषणा करते हुए कहा कि सम्मान भावनाओं का समर्पण है। इसके बाद अनंतदास महराज ने परमानंद महराज को गुलाब की माला पहनाकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इसके बाद 10 जिले की और एक विदेशी विभूतियों को एक माला से जोड़कर सम्मानित किया गया। इसके बाद साहित्यकार एवं कवि के अलावा सुधाकर अवस्थी, सुनील श्रीवास्तव, हरिओम रस्तोगी आदि ने बारी-बारी से प्रतीक चिन्ह, बुके, शाल देकर सम्मानित किया। बाद में स्वामी विज्ञानानंद ने सभी विभूतियों के ओम का प्रतीक चिन्ह भेंट किया। इस दौरान समारोह में शामिल होने वालों के आने जाने का सिलसिला जारी रहा। आश्रम के पीछे नाश्ते और भोजन की व्यवस्था रही। सम्मानित होने वालों में स्वामी परमानंद महराज, राजेंद्र द्विवेदी, मिथलेश कुमार सविता, अरुण देव गौतम, डा. गिरीश कुमार शुक्ला, प्रो. मारिया, प्रदीप श्रीवास्तव, रमेश मिश्रा, डा. संकठा प्रसाद आदि रहे।
माटी में जन्मे और पढ़ लिखकर विभिन्न क्षेत्रों में बुलंदियों को छूने वाले माटी के लाल अपनों के ही सम्मान से गदगद हुये। देश के कोने-कोने में अपनी ख्याति अर्जित करने वाली इन हस्तियों ने यही कहा कि माटी का कर्ज चुकाने का यदि मौका मिला तो हम अपने को धन्य समझेंगे। जननी जन्म भूमिश्च स्वर्गादपि गरीयशी की भावना को दर्शाते हुये महानुभावों ने यह संकल्प लिया कि युवा व बच्चों के बीच कुछ करके हम जिले के पिछड़ेपन को दूर करना चाहते हैं। काम कहीं भी करें लेकिन माटी की सोंधी खुशबू मिटती नहीं है, यही सपना रहता है कि अपने गांव घर और जिले के लिये क्या कर दिखायें। सभी ने यही कहा कि यदि कुछ करने का प्लेटफार्म दिया तो निश्चित तौर पर कुछ कर दिखायेंगे।
हिंदी व उर्दू साहित्य के क्षेत्र में देश व विदेश में ख्याति अर्जित करने वाले फतेहपुर शहर के जन्मे असगर वजाहत कहते हैं कि अपनों के बीच जो खुशी होती है वह और कहीं नहीं मिलती। यहीं की माटी में पढ़े-बढ़े हैं, आखिर यहां के लिये कुछ करने का संकल्प तो बहुत पहले से था लेकिन ऐसा कोई रास्ता नहीं मिल रहा था। इसके पूर्व भी माटी से माटी के वर्ष 2001 के समारोह में सबको एक साथ मिलने का मौका मिला था। पवित्र गंगा नदी के तट पर आयोजित यह समारोह हमारे उद्देश्य को पूरा करके दिखायेगा यह विश्वास है।
होम्योपैथी चिकित्सा में कानपुर में महानगर में स्थान बनाये असनी के लाल संकठा प्रसाद पांडेय कहते हैं कि नई पीढ़ी को बाहर बुलंदियों को छूने वाले माटी के लालों से जोड़ने की जरूरत है और उन्हें भी इस बात का जच्बा होना चाहिए कि वह अपने से बड़ों का मार्गदर्शन व सीख लेकर आगे बढ़ें। उन्होंने कहा कि वह गंगा किनारे के असनी गांव के रहने वाले हैं। दोआबा की संस्कृति और संस्कार पूरे विश्व में कमाल दिखायें, यही मेरी शुभ कामना है।
शहर में ही जन्मे पुणे में आयकर निदेशक पद पर कार्यरत एजे खान कहते हैं कि घर परिवार में वर्षो से में यह चर्चा करता था कि अपनी माटी के लिये कुछ नहीं कर पा रहा हूं, पत्नी यही कहती थीं कि आप हमेशा कहते रहते हैं, कभी जाते नहीं। आखिर इस आयोजन से मेरा सपना पूरा हो गया है। अब हर वर्ष यहां आकर माटी के लिये कुछ करने के संकल्प को पूरा कर सकूंगा।
शहर के चंदियाना मोहल्ले में जन्मे व इस समय दिल्ली में आईजी के पद पर कार्यरत प्रदीप श्रीवास्तव कहते हैं कि माटी से माटी का सम्मान यूं ही होता रहेगा तो कोई लाभ नहीं है। परिणाम क्या मिला, अगले वर्ष के समारोह में इसका जवाब चाहिए। एक वर्ष के दौरान इस माटी के लिये हस्तियों ने क्या किया है और क्या करना है, यह सब तय हो जाना चाहिए और यहां के लोगों को भी कुछ पाने के लिये अपने को तैयार होना पड़ेगा।
मलवां ब्लाक के आशा अभयपुर गांव में जन्मे छत्तीसगढ़ रायपुर में डीआईजी पद पर कार्यरत अरुण देव गौतम अपनों से मिलकर गर्व महसूस कर रहे हैं। वह कहते हैं कि मैं तो साल में दो बार गांव आता हूं, जन्मभूमि को स्वर्ग से भी बढ़कर सुखद माना गया है। उन्होंने कहा कि यदि जिले में कोई ऐसा मदद का प्लेटफार्म बन जाये तो वह यहां की युवा व बच्चों को मार्गदर्शन के साथ हर तरह की मदद देने के लिये तैयार हैं।
गंगा किनारे आदमपुर गांव के डा. रमेशचंद्र मिश्र जो इस समय चंडीगढ़ हरियाणा में आईजी हैं, ने कहा कि बहुत से दिन ऐसा सोच रहे थे कि कोई ऐसा मंच मिले जिससे वह जिले के लोगों से जुड़ जायें। आखिर यह मौका मिल ही गया तो अब काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इसके लिये सबसे पहले हम सभी को शिक्षा और चिकित्सा क्षेत्र में काम करना होगा तभी हम नई पीढ़ी के बच्चों को बुलंदियों तक पहुंचाने में कामयाब हो पायेंगे।
सार्वजनिक उद्यम के डायरेक्टर पर तैनात गिरीशचंद्र शुक्ला जो कि खजुहा कस्बे में जन्मे हैं, कहते हैं कि गांव व मजरों में प्रतिभाएं छिपी हैं, बस निखारने की जरूरत है। वह तो साल में दो-तीन बार गांव अवश्य जाते हैं। सबसे पहला प्रयास तो खेती को व्यावसायिक बनाने का जिले में प्रयोग किया जा सकता है। संपन्नता और खुशहाली आयेगी तभी हम बच्चों को अच्छी शिक्षा देकर आगे बढ़ा पायेंगे।
साहित्य के क्षेत्र में ख्याति अर्जित करने वाले डा. गिरीशचंद्र श्रीवास्तव कहते हैं कि कर्मभूमि भले ही कानपुर महानगर है लेकिन जन्मभूमि का लगाव कभी कम नहीं हो सकता है। जन्मभूमि में भी कर्म का मौका मिल जाये तो हम लोग अपने भाग्य को धन्य समझेंगे।
कृषि विशेषज्ञ औरेई के राजेंद्र प्रसाद दुबे उर्फ बड़े मुन्नू कहते हैं कि कृषि को व्यावसायिक दर्जा देकर खुशहाली व संपन्नता लायी जा सकती है। उन्होंने कहा कि उनकी यह चाहत है कि हर किसान खुशहाल और प्रगतिशील बने और इसके लिये वह बराबर आलू की खेती के लिये किसानों को प्रोत्साहित कर रहे हैं।
विद्युत सुरक्षा के उपनिदेशक पद पर तैनात अल्लीपुर मौहार के प्रो. मिथलेश कुमार सविता कहते हैं कि नौकरी तो केवल जीविकोपार्जन के लिये कर रहे हैं लेकिन समाज के लिये कुछ करने की चाहत है। वह सप्ताह में दो दिन फतेहपुर में रहते हैं कि चाहते हैं कि नि:शुल्क कोचिंग करके प्रतिभाओं को आगे बढायें ।
माटी में जन्मे और पढ़ लिखकर विभिन्न क्षेत्रों में बुलंदियों को छूने वाले माटी के लाल अपनों के ही सम्मान से गदगद हुये। देश के कोने-कोने में अपनी ख्याति अर्जित करने वाली इन हस्तियों ने यही कहा कि माटी का कर्ज चुकाने का यदि मौका मिला तो हम अपने को धन्य समझेंगे। जननी जन्म भूमिश्च स्वर्गादपि गरीयशी की भावना को दर्शाते हुये महानुभावों ने यह संकल्प लिया कि युवा व बच्चों के बीच कुछ करके हम जिले के पिछड़ेपन को दूर करना चाहते हैं। काम कहीं भी करें लेकिन माटी की सोंधी खुशबू मिटती नहीं है, यही सपना रहता है कि अपने गांव घर और जिले के लिये क्या कर दिखायें। सभी ने यही कहा कि यदि कुछ करने का प्लेटफार्म दिया तो निश्चित तौर पर कुछ कर दिखायेंगे।
हिंदी व उर्दू साहित्य के क्षेत्र में देश व विदेश में ख्याति अर्जित करने वाले फतेहपुर शहर के जन्मे असगर वजाहत कहते हैं कि अपनों के बीच जो खुशी होती है वह और कहीं नहीं मिलती। यहीं की माटी में पढ़े-बढ़े हैं, आखिर यहां के लिये कुछ करने का संकल्प तो बहुत पहले से था लेकिन ऐसा कोई रास्ता नहीं मिल रहा था। इसके पूर्व भी माटी से माटी के वर्ष 2001 के समारोह में सबको एक साथ मिलने का मौका मिला था। पवित्र गंगा नदी के तट पर आयोजित यह समारोह हमारे उद्देश्य को पूरा करके दिखायेगा यह विश्वास है।
होम्योपैथी चिकित्सा में कानपुर में महानगर में स्थान बनाये असनी के लाल संकठा प्रसाद पांडेय कहते हैं कि नई पीढ़ी को बाहर बुलंदियों को छूने वाले माटी के लालों से जोड़ने की जरूरत है और उन्हें भी इस बात का जच्बा होना चाहिए कि वह अपने से बड़ों का मार्गदर्शन व सीख लेकर आगे बढ़ें। उन्होंने कहा कि वह गंगा किनारे के असनी गांव के रहने वाले हैं। दोआबा की संस्कृति और संस्कार पूरे विश्व में कमाल दिखायें, यही मेरी शुभ कामना है।
शहर में ही जन्मे पुणे में आयकर निदेशक पद पर कार्यरत एजे खान कहते हैं कि घर परिवार में वर्षो से में यह चर्चा करता था कि अपनी माटी के लिये कुछ नहीं कर पा रहा हूं, पत्नी यही कहती थीं कि आप हमेशा कहते रहते हैं, कभी जाते नहीं। आखिर इस आयोजन से मेरा सपना पूरा हो गया है। अब हर वर्ष यहां आकर माटी के लिये कुछ करने के संकल्प को पूरा कर सकूंगा।
शहर के चंदियाना मोहल्ले में जन्मे व इस समय दिल्ली में आईजी के पद पर कार्यरत प्रदीप श्रीवास्तव कहते हैं कि माटी से माटी का सम्मान यूं ही होता रहेगा तो कोई लाभ नहीं है। परिणाम क्या मिला, अगले वर्ष के समारोह में इसका जवाब चाहिए। एक वर्ष के दौरान इस माटी के लिये हस्तियों ने क्या किया है और क्या करना है, यह सब तय हो जाना चाहिए और यहां के लोगों को भी कुछ पाने के लिये अपने को तैयार होना पड़ेगा।
मलवां ब्लाक के आशा अभयपुर गांव में जन्मे छत्तीसगढ़ रायपुर में डीआईजी पद पर कार्यरत अरुण देव गौतम अपनों से मिलकर गर्व महसूस कर रहे हैं। वह कहते हैं कि मैं तो साल में दो बार गांव आता हूं, जन्मभूमि को स्वर्ग से भी बढ़कर सुखद माना गया है। उन्होंने कहा कि यदि जिले में कोई ऐसा मदद का प्लेटफार्म बन जाये तो वह यहां की युवा व बच्चों को मार्गदर्शन के साथ हर तरह की मदद देने के लिये तैयार हैं।
गंगा किनारे आदमपुर गांव के डा. रमेशचंद्र मिश्र जो इस समय चंडीगढ़ हरियाणा में आईजी हैं, ने कहा कि बहुत से दिन ऐसा सोच रहे थे कि कोई ऐसा मंच मिले जिससे वह जिले के लोगों से जुड़ जायें। आखिर यह मौका मिल ही गया तो अब काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इसके लिये सबसे पहले हम सभी को शिक्षा और चिकित्सा क्षेत्र में काम करना होगा तभी हम नई पीढ़ी के बच्चों को बुलंदियों तक पहुंचाने में कामयाब हो पायेंगे।
सार्वजनिक उद्यम के डायरेक्टर पर तैनात गिरीशचंद्र शुक्ला जो कि खजुहा कस्बे में जन्मे हैं, कहते हैं कि गांव व मजरों में प्रतिभाएं छिपी हैं, बस निखारने की जरूरत है। वह तो साल में दो-तीन बार गांव अवश्य जाते हैं। सबसे पहला प्रयास तो खेती को व्यावसायिक बनाने का जिले में प्रयोग किया जा सकता है। संपन्नता और खुशहाली आयेगी तभी हम बच्चों को अच्छी शिक्षा देकर आगे बढ़ा पायेंगे।
साहित्य के क्षेत्र में ख्याति अर्जित करने वाले डा. गिरीशचंद्र श्रीवास्तव कहते हैं कि कर्मभूमि भले ही कानपुर महानगर है लेकिन जन्मभूमि का लगाव कभी कम नहीं हो सकता है। जन्मभूमि में भी कर्म का मौका मिल जाये तो हम लोग अपने भाग्य को धन्य समझेंगे।
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लिखते रहें आपका उत्साह बेहद प्रेरक है। जो बच्चे आप पढ़ाएंगे वो बेहद आगे जाएंगे। शुभकामनाओं सहित।
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